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Friday, January 1, 2010

धुम्रपान इस तरह छोडें

सिग्रेट पीने वाला हर आदमी चाहता है कि उसकी यह आदत छूट जाए फिर भी दुनियां के एक अरब से अधिक लोग इस बुरी आद्त के शिकार है। यह लोग अरबों की संख्या मे सिग्रेट और करोडों रुपये धुआं बना कर उडा देते हैं। विकासशील देशों की तुलना मे विकसित देशो मे इस लत के शिकार लोगों के संख्या अधिक है। इस के सेवन से होने वाले अपार नुकसान से हर धुम्रपान का आदी बखूबी वाकीफ है। फिर भी चूकि एक बार लत पड जाने के बाद इस को छोड पाना मुश्किल हो जाता है इसलिए वह इन्हे नजर अंदाज करके पी जाता है। तम्बाकू क सेबन सिग्रेट, बिडी, चिलम आदि और हुक्के के रुप मे जितना नुकसानदायक है, उतना ही हानिकारक पान और खैनी के रुप मे भी है। हर साल तम्बाकू के इअन विविध प्रयोगों से दुनियां भर के लगभग 30 लाख लोग काल के ग्रास बन जाते है। एक अध्ययन के अनुसार एक सिग्रेट मनुष्य का लगभग 8 मिनट उम्र कम कर देता है।

एक सिग्रेट मे लगभग 32 प्रकार के हानिकारक रासायन पाऐ जाते हैं। हालांकि यह सही हौ कि एक बार सिगरेट की आदत पड जाने के बाद इसे छोडना कठिन होता है परंतु अगर आप धुम्रपान सचमुच छोड्ना चाहती हैं तो वह काम केवल व केवल आप के द्धारा ही संभव है और आसान भी है, बशर्त आप के दिल मे ठोस निश्‍चय और खुद के प्रति ईमानदार हो। अगर आप नीचे लिखे बातों का पालन एक ब्रत के रुप में करें तो वह बुरी लत आसानी से छुट सकती है।

  1. मन मे ठोस निश्‍चय करके कोई एक दिन निश्‍चित कर लें कि फलां दिन से वीडी सिग्रेट नही पिऐगें।

  2. इस बात की सूचना आपने दोस्तों और घर-परिवार वालों को भी दें।

  3. निश्‍चित दिन से सिग्रेट वीडी की तरफ देखें तक नही, यहां तक कि उस दुकान की तरफ जहां से सिग्रेट वीडी खरीदतें हैं, तब तक न जाएं जब तक बह लत छूट न जाए।

  4. इस दौरान हलका एंव सुपाच्य भोजन से कुछ कम ही लें। पानी खूब व बार बार पिएं।

  5. गर्मी के दिनो मे दो-तीन बार स्‍नान भी कर सकते हैं।

  6. सिग्रेट वीडी पीने की जरुरत महसूस होने पर ठंडे पाने से मुँह धो कर लौंग इलाइची या कुछ खा कर किताबें आदि पढ्ने मे व्यस्त हो जाएं।

  7. यह कभी न सोचें कि अच्छा एक बार पी लें फिर नही पीएगें । इससे धोखा होगा।

  8. जितने पैसे आप सिग्रेट वीडी पर खर्च करते थे, उतने पैसे रोज अलग जगह पर रखते जाएं जिस की जानकारी घर के सदस्यों या जिस को आप कह सकें, को भी कह दें।

  9. इन पैसो से आप बीच बीच मे अपने माता-पिता या बीबी-बच्‍चों के लिए कोई सामान खरीद कर लाया करें, इस से आप को आत्मसंतुष्‍टी मिलेगी और परिवार भी खुशाल होगा।

  10. सिग्रेट वीडी पीने से खर्च होने वाला समय कुछ किताबे पढ्ने, जो आप को अच्छा लगे या किचन गार्ड्न बनाने मे बिताएं।

  11. इस तरह तब तक करते रहें जब तक पूर्ण रुप से आद्त छूट न जाए।

उपरोक्त बातो को अपने जीवन मे अपना कर आप सिग्रेट रुपी मीठे जहर से बच सकते हैं।

सौन्दर्य निखार के नुसखें


  • चेहरे पर बादाम के तेल की मालिश करने से इसके रोमकूप खुलते है।

  • चेहरे पर गुलाबी पन लाने के लिए नहाने से पहले कच्‍चे दूध मे निंबू का रस व नमक मिला कर मलें।

  • शहद मे ज़रा-सी हलदी मिला कर चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की मैल निकलने से चेहरा साफ व ताज़गी भरा बना रहेगा।

  • केले को मैश करके उस मे एक चम्‍मच दूध मिलाएं। इसे चेहरे पर लगा कर ठंडे पानी से छिंटे मारें। ऐसा १०-१५ मिनट करने के पश्‍चात चेहरे को थपथपा कर सुखा लें झुर्रियां दुर होंगी।

  • एक चमच सौफ को पानी मे अच्छी तरह उबालें। जब पाने गाढा हो जाए तो उतनी मात्रा मे ही शहद मिला लें इसे चेहरे पर लगाने के १० मिनट बाद चेहरा धो लें। झुर्रियां दुर होकर चेहरे पर चमक आएगी।

  • शहद को त्वचा पर मलने से नमी नष्ट नही होती । तरबूजे के गूदे को चेहरे व गर्दन पर मलें । थोडी देर बाद इसे ठंडे पानी से धो लें । नियमित करने से चेहरे के दाग दूर होते हैं

  • तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमे बराबर मात्रा मे नीबूं का रस मिला कर लगाएं । चेहरे की झांईयां दूर होती है

  • चेहरे, गले व बांहों की त्वचा के लिए नीम की पत्ते व गुलाब के पंखुडियां समान मात्रा मे लेकर 4 गुना मात्रा पानी मे भीगो दें । सुबह इस पानी को इतना उबालें कि पानी एक तिहाई रह जाए । अब यदि पानी 100 मी ली हो, तो लाल चंदन का बारीक चूर्ण 10 ग्राम मिला कर घोल बनाएं व फ़्रिज मे रख दें । एक घंटे बाद इस पानी मे रुई डुबो कर चेहरे पर लगाएं । कुछ मिनट बाद रगड कर चेहरे की त्वचा साफ़ कर लें । अगर आंखों के नीचे काले घेरें हों तो सोते समय बादाम रोगन उंगली से आंखों के नीचे लगाएं और 5 मिनट तक उंगली से हल्के हल्के मलें । एक सप्ताह के प्रयोग से ही त्वचा में निखार आ जाता है और आंखों के नीचे के काले घेरें भी खत्म होते हैं ।

Monday, December 28, 2009

खेत बंजर, मकान खंडहर, पराए हुए घर
डा. वीरेंद्र बत्र्वाल/नीरज डोभाल, देहरादून/पौड़ी लगता नहीं कि इन सूने गांवों में आज से दो-तीन दशक पहले बारहमासी रौनक रहती होगी। सर्दी के दिनों में अनुष्ठानों और शादियों के मौकों का तो कहना ही क्या था, जब गांवों में सतरंगी बहार आ जाती थी, लेकिन आज यहां के अधिकतर मकान खंडहर हो चुके खेत, खेत उजाड़ हैं। सरकार गांवों से पलायन रोकने के दावे कर सुखद सपने का अहसास करा रही हो, लेकिन अपनी थाती की इस दुर्दशा पर यहां के बुजुर्गो की आंखों में निराशा के आंसू झरते हैं। पलायन ने लोगों को अपनी माटी से बिछड़ा दिया है। रोजगार, शिक्षा और सुविधाओं की लालसा ने पहाड़ के गांव के गांव खाली कर दिए हैं। अफसोसजनक यह कि यह सिलसिला अलग राज्य बनने के बाद भी थमा नहीं। राज्य बनने के बाद जिस युवा को सरकारी नौकरी मिली, वह भी सबि धाणि देरादूण की तर्ज पर शहर में ही बस गया। आज नतीजा यह है कि पहाड़ के गांवों के अधिकतर घर महज साल में दो-तीन बार ही उनके मालिकों द्वारा गेस्ट हाउस की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं, शादी-विवाह के मौकों पर। जमीन का तो कोई पूछने वाला नहीं। पौड़ी गढ़वाल की थनगड़ घाटी हो या टिहरी गढ़वाल की डागर और लोस्तू-बडियारगढ़ पट्टियों के गांव। पलायन के दर्द के उकेरते ये सूने गांव भविष्य की भयावह तस्वीर बयां करते हैं। थनगड़ घाटी के 45 गांवों में कभी खूब चहल-पहल रहती थी। प्रकृति की वादियों में बसी यह घाटी एक जमाने फल और दाल उत्पादन में अग्रणी पंक्ति में थी, लेकिन अब पलायन ने इन गांवों की तस्वीर बदल दी है। जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर घंडियाल कस्बे के पश्चिमी ओर विस्तृत भूभाग पर फैली थनगड़ घाटी के ये पलायन की पीड़ा भोग रहे हैं। घाटी में बसे इन गांवों की आबादी सात हजार हंै। यहां के लोग सड़क से पीठ पर बोझा ढोकर दस किमी पैदल दूरी तय करते हैं। बाजार, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र और बस पकड़ने के लिए लोग मीलों पैदल चलते हैं। सरकार ने सड़कें बनाई, पर आधी-अधूरी। विद्युतीकरण किया, लेकिन समस्या लो वोल्टेज। विद्यालय दूर होने से बालिका शिक्षा का बुरा हाल। प्राइमरी के बाद उन्हें घर की जिम्मेदारियां सौंप दी जाती हैं और बचपन चूल्हा-चौका और छोटे भाई-बहनों की देखभाल में कट रहा है। कुदरत ने इस क्षेत्र को इनायत तो बख्शी है, लेकिन लोग कृषि व पशुपालन से लगातार दूर होते जा रहे हैं। खेती अब बूढ़ों और औरतों के जिम्मे है। ग्रामीण जगमोहन रावत व कल्जीखाल ब्लाक के ज्येष्ठ उप प्रमुख विश्व प्रकाश डंगवाल कहते हैं कि बीहड़ जंगलों के बीच बसे इन गांवों में जंगली जानवरों का भी खतरा है। यही पीड़ा टिहरी गढ़वाल की डागर पट्टी के दूरस्थ गांवों-टोला,ग्वाड़ व राडागाड की है। सड़क से दस किमी दूर इन गांवों में इसी दायरे में कोई चिकित्सा सुविधा नहीं है। सिरदर्द जैसी मामूली बीमारी पर भी दवा के लिए मीलों पैदल। सड़क सुविधा के लिए सरकार की दर पर दस्तक देते-देते लोग थक चुके हैं।?माध्यमिक शिक्षा की दशा भी ठीक नहीं। इन असुविधाओं के बीच शहरों में थोड़ा बहुत गुजारा करने लायक युवक अपने बच्चों और माता-पिता को साथ रखना ही उचित समझते हैं।

VIVEK PATWAL, Mobile no. 9811511501,
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