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Friday, February 11, 2011

बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन जल्द बने: सीएम

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उत्तराखंड में रेल लाइनों के विस्तार को लेकर छटपटाहट बढ़ गई है। सिर्फ पुराने सर्वे प्रस्तावों को बार-बार धूल झाड़कर बस्ते से बाहर निकालने की रस्म से ऊब चुकी जनता अपने ख्वाबों की रेलगाड़ी को हकीकत में सरपट दौड़ते देखना चाहती है। लिहाजा मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने सर्वे के लिए प्रस्तावित दो रेल लाइनों के साथ ही बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइनों के प्रस्तावों को अगले रेल बजट में शामिल करने को रेल मंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। उन्होंने देवबंद-रुड़की रेल लाइन परियोजना की बढ़ी लागत का भुगतान केंद्रीय बजट से कराने की पैरवी भी की।
रेल मंत्री सुश्री बनर्जी को भेजे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरनगर-रुड़की रेल लाइन निर्माण परियोजना की बढ़ी लागत वहन करने में राज्य समर्थ नहीं है। इसकी लागत 120 करोड़ से बढ़कर 160 करोड़ रुपये हो गई। हरिद्वार जिले व उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में भूमि की कीमत बढ़ने से परियोजना की लागत 160 करोड़ से बढ़कर 339.92 करोड़ हो गई है। पहले तय योजना राशि का 50 फीसदी तकरीबन 80 करोड़ राज्य दे चुका है। अब मंत्रालय की ओर से बढ़ी लागत का भी 50 फीसदी खर्च वहन करने को कहा है। सीमित वित्तीय संसाधनों से राज्य के लिए विभिन्न योजनाओं में सहभागिता संभव नहीं है।
मुख्यमंत्री ने बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन का प्रस्ताव आगामी रेल बजट में लाने का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर व ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के साथ ही बागेश्वर-कर्णप्रयाग का सर्वेक्षण कराया जाए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के मद्देनजर राज्य में रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर जोर दिया। 
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महंगाई ने डाली पर्वतीय क्षेत्र में गोबर गैस प्लांटों में नई जान

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राजीव जोशी | ऐसे कई पशुपालक है, जिन्हें रसोई गैस सिलेंडरों की बढ़ती हुई कीमतों से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता। यही नहीं उन्हें गैस के सिलेंडर के लिए न तो लाइन लगानी पड़ती है और न ही सिलेंडर में गैस खत्म होने की समस्या से जूझना पड़ता है। फर्क पड़े भी तो क्यों, आखिर उनके घर में गैस चूल्हा गोबर गैस प्लांट से जो जलता है। यह सच है कि रसोई गैस सिलेंडरों की लगातार बढ़ती कीमतों ने पर्वतीय क्षेत्र में गोबर गैस प्लांटों में नई जान डाल दी है।
एक समय था जब पर्वतीय क्षेत्रों में गोबर गैस प्लांट को लेकर ग्रामीणों में काफी क्रेज था, लेकिन जैसे-जैसे रसोई गैस सिलेंडर पहाड़ों में चढ़ते गए, गोबर गैस प्लांट बंद होते चले गए। गोबर गैस प्लांट बंद होने के साथ ही ग्रामीण पशुपालन से भी विमुख होते चले गए व एक स्थिति ऐसी भी आ गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग दूध-दही खरीदने लगे। लेकिन, रसोई गैस की लगातार बढ़ती कीमतों के चलते अब गांव की पगडंडियों पर मवेशियों की तादाद बढ़ने लगी है। ग्रामीण रसोई गैस सिलेंडरों की निर्भरता छोड़ अपने गोबर गैस प्लांटों को पुनर्जीवित करने लगे हैं।
पिछले 23 वर्षो से निजी गोबर गैस प्लांट चला रहे यहां शिवपुर निवासी टीकाराम केष्टवाल की मानें तो यदि सरकार की ओर से पूर्व में ही ध्यान दिया जाता तो आज सरकार की ओर से लगाए गए गोबर गैस प्लांट बंद नहीं पड़े होते। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से वर्ष 1987 में करीब 20 हजार की लागत से गोबर गैस प्लांट स्थापित किया गया, जिसकी गहराई, लंबाई व चौड़ाई करीब 12 फुट थी। उन्होंने बताया कि जिस वक्त उन्होंने प्लांट लगाया, उस दौरान इस प्लांट पर कोई सरकारी योजना नहीं थी। उस वक्त भले ही यह खर्चा काफी अधिक लगा हो, लेकिन आज घर में न तो रसोई गैस सिलेंडर की जरूरत है और न ही अन्य किसी ईधन की। कोई भी मौसम हो, प्लांट से निरंतर गैस मिलती रहती है।
इनसेट --
क्या थी सरकारी प्लांट की खामियां
टीकाराम केष्टवाल के घर के समीप ही एक अन्य गोबर गैस प्लांट लगा है, जो बंद पड़ा है। दोनों प्लांटों में अंतर महज यही है कि श्री केष्टवाल ने अपनी लागत से प्लांट लगाया, जबकि उनके पड़ोसी नरेंद्र चौहान व गायत्री देवी ने सरकारी योजना से प्लांट लगाया। श्री चौहान व गायत्री देवी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 'उरेडा' ने उनकी भूमि पर गोबर गैस प्लांट लगाया, लेकिन अगले दो-तीन वर्षो बाद ही प्लांट बंद हो गया। उनका कहना था कि उनके पास आज भी पर्याप्त पशु हैं, लेकिन सरकारी प्लांटों का आकार काफी छोटा है, जिसमें पर्याप्त गैस नहीं बन पाती थी। उनका कहना है कि आज भी यदि उरेडा उनके प्लांटों का आकार बढ़ा दे तो वे भी उनकी भी रसोई गैस सिलेंडरों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

Wednesday, February 9, 2011

वाटर स्पोट्र्स का हब बनेगी टिहरी

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मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि टिहरी बांध की झील जलक्रीड़ा प्रतियोगिताओं के लिए विश्वस्तरीय साबित होगी.
उन्होंने कहा कि इस झील से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के लिए उन्होंने अलग नीति  बनाने की घोषणा की. उन्होंने दावा किया कि निकट भविष्य में टिहरी पर्यटन हब होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड हिम क्रीड़ा के क्षेत्र में दक्षिण एशिया में अपनी पहचान बना चुका है और अब बारी जल क्रीड़ा क्षेत्र में राज्य को शीर्ष पर लाने की है. उन्होंने  जल क्रीड़ा खेलों के प्रशिक्षण के लिए जल्द ही पांच करोड़ रुपये अवमुक्त करने की घोषणा की.
कोटी कालोनी में टिहरी महोत्सव के तहत जल क्रीड़ाओं के प्रदर्शन के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी के लोगों ने बांध के पुनर्वास के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, मगर अब इस क्षेत्र के नाम उपलब्धियां होंगी. स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना उन्होंने अपनी प्राथमिकता बताई. इसके लिए उन्होंने आयुक्त गढ़वाल को विशेष नीति बनाने के निर्देश दिए.
उन्होंने दावा किया कि पर्यटन के क्षेत्र में टिहरी का विकास होगा और हजारों लोग यहां का रुख करेंगे. प्रदेश सरकार इसके लिए पर्यटन योजना बना रही है. उन्होंने बताया कि पर्यटन के अलावा मत्स्य पालन परियोजना पर भी जोर दिया गया है, जिससे हर साल रू. 300 करोड़ से अधिक आय होगी.
मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक झांकियों, देव डोलियों और विभिन्न विभागों के स्टॉलों को भी सराहा. इस मौके पर सूबे के मुखिया ने टिहरी में कृषकों के  लिए एक करोड़ रुपये की लागत से कृषि भवन बनाने और होटल मैनेजमेंट संस्थान की स्थापना और नई टिहरी पुनर्वासित शहर के लिए जल व सीवर टैक्स में विशेष रियायत देने की घोषणा की.
साथ ही उन्होंने अधिकारियों के बौराड़ी स्टेडियम का विस्तार करने, पुरानी टिहरी की सांस्कृतिक धरोहरों को अक्षुण्ण रखने के लिए एक म्यूजियम खोलने और नई टिहरी की सड़कों के विस्तार व दुरुस्तीरकरण के निर्देश दिए. इस अवसर पर प्रदेश के सिंचाई मंत्री मातबर सिंह कंडारी, दैवीय आपदा मंत्री खजान दास, विधायक ओम गोपाल रावत, विजय पंवार, जिला पंचायत अध्यक्ष रतन सिंह गुनसोला, दर्जाधारी बीडी रतूड़ी, आदित्य कोठारी, ज्योति गैैरोला, ज्ञान सिंह नेगी, भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद सुयाल, कांगेस अध्यक्ष कीर्ति सिंह नेगी, दुग्ध संघ के धन सिंह नेगी, सहकारी बैंक के अध्यक्ष घनश्याम नौटियाल, पूर्व ब्लॉक प्रमुख खेम सिंह चौहान सहित कई लोग उपस्थित थे.
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250 से कम आबादी वाले ग्राम भी जुड़ेंगे सड़क मार्ग से - विजया

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सोनिया रावत  | ग्राम्य विकास मंत्री विजया बड़थ्वाल ने कहा कि सरकार ऐतिहासिक कण्वाश्रम को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित करने को प्रयासरत है। बुधवार को श्रीमती बड़थ्वाल यमकेश्वर प्रखंड के ग्रामसभा खोलकंडी के अंतर्गत तोक ग्राम किमसेरा में आयोजित बसंत पंचमी महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली से जुड़ने वाले कण्वाश्रम-सिमलना-पौखाल मार्ग के निर्माण को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में 250 से अधिक आबादी वाले गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है, जबकि 250 से कम आबादी वाले गांव मुख्यमंत्री सड़क संयोजकता योजना के तहत जोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पं. दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर 11 फरवरी से सस्ता अनाज देने की योजना शुरू कर रही है। इससे बीपीएल व एपीएल परिवारों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सकेगा।
इस दौरान पूर्व माध्यमिक विद्यालय किमसेरा की छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी। अध्यक्षता ग्राम प्रधान शांति देवी (जूना मयेड़ा) ने की व संचालन धीरज सिंह नेगी ने किया। इस दौरान मंडलध्यक्ष गणेश मजेड़ा, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सतीश देवलाल, ग्राम प्रधान धन सिंह राणा (खोलकंडी), नरेंद्र सिंह नेगी (जुड्डा रौडियाल), अशोक नेगी (कठुड़ अकरा), क्षेपंस श्यामलाल, दिनेश राणा आदि मौजूद थे।
इससे पूर्व, श्रीमती बड़थ्वाल ने विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली। बोर गांव के विद्युतीकरण के संबंध में उन्होंने सर्वे करा आगणन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि विद्युतीकरण के लिए विभाग के पास बजट उपलब्ध न हो, तो इस कार्य के लिए जिला योजना मद से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।


Tuesday, February 8, 2011

स्लाइड जोन में टनल बनाने का निर्णय

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देवेश बिष्ट | आखिरकार सीमा सड़क संगठन की ओर से रुद्रप्रयाग-श्रीनगर के बीच स्लाइड जोन से निजात पाने के लिए  टनल बनाने का निर्णय ले ही लिया गया है। शीघ्र निर्माण कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। पिछले छह माह से यहां पर लगातार पहाड़ी से पत्थर गिरने से राहगीरों के लिए परेशानी बनी हुई है।
चीन सीमा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण होने के साथ ही चमोली व रुद्रप्रयाग की दस लाख आबादी के लिए महत्वपूर्ण बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुदप्रयाग व श्रीनगर के बीच स्थित सिरोबगड़ में पिछले छह महीने से स्लाइड़िग जोन सक्रिय होने से आवाजाही काफी प्रभावित हुई है। लगातार गिर रहे पत्थरों से हमेशा दुर्घटना का अंदेशा रहता है, वहीं अक्सर मार्ग बाधित हो जाता है। समस्या के स्थाई हल के लिए सीमा सड़क संगठन ने कई विकल्पों पर विचार किया, लेकिन सफल नहीं हो सके। अंत में संगठन ने टनल बनाने का निर्णय लिया है।
यूं तो तीन दशक से यहां पर स्लाइडिंग होती रही है, लेकिन इस बरसात में जिस तरह से स्लाइडि़ग जोन सक्रिय हुई उसने आम मुसाफिरों की समस्या तो बढ़ाई ही, साथ ही मोटर मार्ग का जिम्मा संभाले सीमा सड़क संगठन के लिए भी मुसीबत पैदा कर दी। संगठन ने यहां पर तीन से अधिक डोजर नियमित रखे जाने पर यहां पर नियमित यातायात शुरू हो सका।
यहां पर लगातार गिर रहे पत्थरों के चलते विकल्प के रुप में सुरंग निर्माण ही रास्ता बचा था, जिसके चलते संगठन ने यह निर्णय लिया।

गढ़वाल में बदला मौसम के मिजाज

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 देवेश बिष्ट | बदलते मौसम के मिजाज से गढ़वाल में गंगोत्री व यमुनोत्री और बदरीनाथ- केदारनाथ में बर्फबारी होने से निचले क्षेत्र में काफी ठण्ड बढ़ गई है। साथ ही बर्फबारी से गंगोत्री व यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भी बाधित हो गया है।
रविवार से मौसम में आये बदलाव तथा सोमवार सुबह से हो रही बर्फबारी से उपला टकनौर के सुक्की, झाला, हर्षिल, धराली, पुराली, रैथल, बारसू, कुंजन, तिहार सालन व जसपुर आदि गांवों ने बर्फबारी की चादर ओढ़ ली है। इससे उपला टकनौर का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। जबकि यमुना घाटी के राड़ी, खरसाली, जानकी चट्टी, सरनौल व बढियार आदि क्षेत्र में बर्फबारी से संपर्क मार्ग बुरी तरह बाधित हो गये हैं। बर्फबारी से गंगोत्री व यमुनोत्री धामों के लिए यातायात के लिए पूर्ण रूप से बाधित हो गये है। इस संबंध में बीआरओ के ओसी गौतम पटनायक बताया कि राजमार्ग खोलने का प्रयास लगातार जारी है।
रुद्रप्रयाग: बीते रविवार रात बारिश के बाद केदारनाथ, तुंगनाथ, चोपता, मदमदहेश्वर, पवांली बुग्याल समेत उच्च हिमालय क्षेत्रों में जोरदार बर्फबारी हुई, इससे निचले क्षेत्रों में भी बारिश होने से ठंड ने एक बार फिर लोगों को परेशान कर दिया।
गोपेश्वर: सोमवार को सुबह से रुक-रुककर हो रही बारिश से श्री बदरीनाथ, हेमकुण्ड, गोरसों बुग्याल, रुद्रनाथ, मंडल समेत ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने से निचले इलाकों में भी ठंड का असर दिखा। ऊंचाई वाले इलाकों में हिमपात होने से निचले इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है। मौसम का पारा गिरने व दिनभर रुक-रुककर होती बारिस का असर आम जनजीवन पर भी दिखा।

पौड़ी में जाम आम और जनता परेसान

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सोनिया रावत | पौड़ी में जाम का नजारा आम हो गया है, जिससे पैदल चलने वाले लोगों के आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं | सुबह से शाम तक यहां सड़कों पर वाहन जाम में फंसे रहते है। ऐसे में यहां के आम नागरिक सबसे ज्यादा परेशान हैं। मांग की जा रही जब तक बस अड्डा निर्मित नहीं होता तब तक यातायात बुआखाल से गडोली वैकल्पिक मार्ग पर संचालित किया जाए।
इन दिनों पौड़ी में पुराने बस अड्डे को तोड़कर नया बस अड्डा निर्मित किया जा रहा है। यहां श्रीनगर-पौड़ी मार्ग के दोनों ओर मिट्टी के ढेर जमा है। ऐसे में यहां सुबह से जाम की स्थिति बनी रहती है। कहने को तो यहां ट्रैफिक पुलिस भी तैनात है किन्तु वो भी जाम से निबटने में असफल नजर आ रही है।
स्कूलों के शीतकालीन अवकाश भी समाप्त हो चुके है और ऐसे में अब स्कूल बसें भी सड़कों पर दौड़ रही है जिससे समस्या और अधिक गंभीर हो गई है। नागरिकों ने पालिका से मांग की है कि बुआखाल-गडोली वैकल्पिक मार्ग से यातायात संचालित किया जाए। इससे शहर में यातायात दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा। राजेश कुकरेती, विपिन चमोली, गणेश सिलमाणा, प्रदीप नेगी समेत अन्य ने इस संबंध में जिलाधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा है।

सैकड़ों की तदाद में एकत्र ग्रामीणों ने कोतवाली का घेरा

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सोनिया रावत | सोमवार दोपहर को पुलिस को अस्पताल के पीछे एक व्यक्ति बेहोश हालत में मिला। एसआई गोपाल बिष्ट ने उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया। बतातें हैं कि उक्त व्यक्ति की अस्पताल पहुंचने पर मौत हो गई। पुलिस द्वारा काफी पूछताछ करने के बाद जब उसका कोई पता नहीं लग सका तो अज्ञात में उसका पंचनामा भरकर शव पीएम को भेज दिया। साथ ही उसके शव को काशीपुर मोरचरी में शिनाख्त के लिए रखवा दिया। इसी बीच ग्राम नारायणपुर गांव के कुछ लोग कोतवाली पहुंचे। उन्होंने एक व्यक्ति के रविवार से गायब होने की बात कही। पुलिस को शिनाख्त में गांव के राम सिंह पुत्र रामस्वरुप के रुप में हुई। बताते हैं कि देर रात सैकड़ों की तदाद में एकत्र ग्रामीणों ने नारेबाजी कर कोतवाली का घेराव कर डाला। पुलिस पर आरोप लगाते हुए शव की सूचना ग्राम प्रधान समेत ग्रामीणों को न देने पर हंगामा काटा। रात को ही कोतवाली पहुंचे एएसपी जगतराम जोशी के संज्ञान में पूरा मामला आने पर उन्होंने कहा कि पुलिस ने बेहोश को अस्पताल में भर्ती कराकर फर्ज निभाया है। उन्होंने पुलिस कर्मियों को अज्ञात शव के बारे में ग्राम प्रधान समेत जन प्रतिनिधियों को खबर न देने पर फटकार भी लगाई।
ग्रामीणों ने राम सिंह की हत्या करने की आशंका जताते हुए एएसपी को तहरीर भी दी। मंगलवार को इसी क्रम में ग्रामीणों ने गांव के सामने हाइवे पर शव को रखकर जाम लगा दिया। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंगामा किया। महिलाओं ने कहा कि पुलिस बताए कि वह राम सिंह को किसकी सूचना पर उठाकर अस्पताल ले गए। उसके परिजनों को उसकी सूचना क्यों नहीं दी। करीब एक घंटे जाम के बाद विधायक डा. शैलेंद्र मोहन सिंघल व पूर्व पालिकाध्यक्ष मौ. उमर ने एएसपी से वार्ता कर मामले की जांच जसपुर पुलिस से कराने के बजाए किसी अन्य थाने की पुलिस से कराने के आश्वासन पर ही ग्रामीणों ने शव को हाइवे से उठाया।
एएसपी ने बताया कि मामले की जांच किस थाने से कराई जायेगी, इसके लिए एसएसपी आदेश करेंगे। फिलहाल जसपुर पुलिस जांच नहीं कर पायेगी। इस मौके पर काशीपुर व कुंडा पुलिस को भी बुला लिया गया। इस दौरान एसडीएम बाजपुर फिंचाराम चौहान, व्यापार मंडल अध्यक्ष नवीन पधान, दीपक कुमार, सोनू, मुनेश कुमार, नरेश कुमार, संदीप, योगेश आदि मौजूद थे।

Monday, February 7, 2011

दीया तले अंधेरा

दीया तले अंधेरा

(सुदर्शन सिंह रावत) उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले बाबा रामदेव आख़री अब क्यों चुप हैं जबकि पुरे देश में आज भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की मुहिम चला रहे है देव भूमि में निवास करने वाले बाबा भ्रष्टाचार के खिलाफ मूक हैं स्वामी रामदेव बाबा के कार्यो व विचारों से पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का पताका न केवल फहरा रहे है अपितु शताब्दियों से उपेक्षित भारतीय योग विज्ञान को पूरे विश्व में सम्मान मिल रहा है भारतीय योग को महत्वपूर्ण स्थान दिलाने साथ ही हजारों योगियों को योग प्रशिक्षण द्वारा आजीविका का साध्न भी मिला आज पुरे देश में ही नहीं विश्व में भी आयुर्बैदिक जड़ी बूटियों का परचम लहरा रहा है राष्ट्र के नव निर्माण व योग विज्ञान के लिए कार्य करते विश्व में प्रमुख सम्मान मिला। भारतीय स्वाभिमान के बैनर तले देश के आम जनमानस को जागृत कर रहे है परन्तु उत्तराखंड में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सबसे पहले रतन टाटा और राहुल बजाज के बाद बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार से जुड़ा सनसनीखेज खुलासा किया बाबा रामदेव का कहना है कि उनसे एक मंत्री और मुख्यमंत्री ने पूरे दो करोड़ रुपये मांगे। ये खुलासा रामदेव ने गोंडा में हजारों लोगों की भीड़ के सामने किया। भीड़ के सामने बाबा रामदेव का योग का ज्ञान अचानक घूस ज्ञान में बदल गया। उत्तराखण्ड में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आख़री रामदेव बाबा क्यों चुप हैं कांग्रेसी सांसद व केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत का कहना है कि स्वामी रामदेव भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या लडेंगे जब वे एक भ्रष्ट मंत्री का नाम उजागर करने की हिम्मत तक नहीं रख सकते है उनको चाहिए कि वे अपने बचनों की रक्षा करते हुए उत्तराखण्ड में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ खुले तोर पर प्रहार करे। योग गुरु बाबा राम देव के दिल में जल रहा आक्रोश रविवार को टीवी चैनल पर देखने को मिला। बाबा रामदेव दांत पीस-पीस कर केंद्र सरकार के खिलाफ आग उगलते नजर आए। साथ ही उन्‍होंने भ्रष्‍टाचारी नेताओं के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया उनका कहना है कि समय आने पर इन बेइमानों की पोल खोलेंगे। उन लोगों को बेनकाब करुंगा, जिन्‍होंने विदेशी बैंकों में काला धन जमा कर रखा है। मैंने कभी झूठ न तो बोला है न बोलूंगा। अगर मैं अभी नामों का खुलासा कर दूं, तो देश में आग लग जाएगी। बाबा रामदेव ने कहा, "यहां गो हत्‍या करने वाले, बलात्‍कारियों को, हत्‍यारों को मौत की सजा तक दी जाती है, क्‍या भ्रष्‍टाचारियों के लिए कोई सजा नहीं है। जिन बेईमान लोगों ने लाखों करोड़ रुपए लूटे, मैं उन लोगों को चुनौती देता हूं। सिंघासनों पर बैठे लोग नहीं सुधरेंगे। प्रधानमंत्री की कुर्सी की ललक के बारे में पूछे जाने पर रामदेव ने कहा, मैं एक सन्‍यासी हूं और मैं खुद कभी सिंघासन पर नहीं बैठूंगा, लेकिन हां जो लोग सिंघासन पर बैठे हुए हैं उन्‍हें जरूर शीर्षासन करवाउंगा। मेरा लक्ष्‍य है देश का धन घर वापस लाना और वो मैं लाकर रहूंगा।"विदेशों में जमा काले धन पर देशभर में हाहाकार मचा है। विपक्ष के साथ-साथ योग गुरु बाबा रामदेव के निशाने पर भी केन्द्र सरकार है। आज दिल्ली एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रामदेव बाबा सरकार को खरी-खोटी सुनाई। बाबा का आरोप है कि सरकार में काले धन को वापस लाने के लिए इच्छाशक्ति की कमी है। सरकार सात साल से काले धन को वापिस लाने के लिए प्रय़ास कर रही है लेकिन अभी तक ये तस्वीर साफ नहीं हो पाई है कि कितनी रकम काले धन के रूप में विदेशों में जमा है बाबा ने कहा कि अगर सरकार काले धन को वापस लाने के लिए जल्द से जल्द सख्त कदम नहीं उठाती है तो वो देश भर में इसको लेकर आंदोलन करेंगे। वो इस मुद्दे को लेकर आम आदमी तक जाएंगे। जिनकी मेहनत की कमाई को भ्रष्टाचारियों ने अपनी तिजोरी भरने के लिए विदेशों में जमा किए


धुमाकोट जिला बनाने की मांग


धुमाकोट जिला बनाने की मांग 
(सुदर्शन सिंह रावत ) | नैनीडांडा ब्लाक के तहसील धुमाकोट में गढ़वाल सांसद व रक्षा संबंधी स्थायी समिति के सभापति सतपाल महाराज ने एक जनसभा को सम्भोदित करते हुए कहा कि 2012 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस जनता के अनुरूप कार्य करेगी। उन्होंने वर्तमान राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री बदलने के अलावा कोई विकास की योजना नहीं है आगे अपनी बात रखते ही विभिन्न संगठनों ने जुलूस निकाल नारेबाजी शुरू कर दी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत धुमाकोट जिला संयुक्त संघर्ष समिति, क्षेत्रीय गुरिल्ला संगठन, युवा बेरोजगार संगठन व खुटीडा के ग्रामीणों ने बारी-बारी से जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। इस बीच मंच संचालन कर रहे ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष जंगबहादुर सिंह नेगी को सभी संगठनों को एक-एक कर अपनी बात रखने का मौका देना पड़ा जिला पंचायत सदस्य सुशीला रावत ने गोरक्षा की आड़ में पशुओं की आवाजाही पर रोक को हटाने की मांग की। वरिष्ठ कांग्रेस नेता धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि राज्य सरकार की नाकामी व कांग्रेस की लोकप्रियता से पार्टी मिशन 2012 एक तरफा बहुमत से फतह करेगी। इस दौरान चन्द्र सिंह, यशपाल सिंह बीर सिंह टेड़गांव, सुरेशी देवी, प्रदीप सिंह, इन्दू नेगी सहित दर्जन भर लोग अन्य दलों को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुये। जनसभा में कांग्रेस के रघुबीर सिंह, धनेश्वरी घिल्डियाल, कुलदीप रावत, पुष्कर सिंह, होशियार सिंह, ,गिरधर सिंह आदि मौजूद थे। ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष नैनीडांडा जंगबहादुर सिंह नेगी जनसभा में आये सभी लोगो का धनयबाद ने दिया

नेताजी का अपमान क्यों कर रही है भाजपा

उत्तराखण्ड के नक्कारे मुख्यमंत्री का एक और कानरामा

देवसिंह रावत | संघ प्रमुख मोहन भागवत जी व भाजपा अध्यक्ष गड़करी जी अब आप ही बताये कि भाजपा शासित प्रदेश उत्तराखण्ड में आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद बोस का अपमान  करना कौन सी राष्ट्र भक्ति है? आखिर एक तरपफ भाजपा देश के सम्मान के प्रतीक तिरंगा झण्डे को पफहराने के लिए कश्मीर की राजधनी श्रीनगर के आतंक प्रभावित क्षेत्रा में जाने के लिए तिरंगा यात्रा करने में अपनी ताकत लगा कर अपने आप को देशभक्त पार्टी बता रही थी। वहीं 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर हिन्दु ध्र्म की राजधनी समझी जाने वाले पावन हरिद्वार में जिलाध्किारी व कचहरी के सामने वाले चैराहा पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा के अनावरण करने की दो पल की फुर्सत भाजपा शाशित उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक को नहीं मिली। मुख्यमंत्राी के आने के पूर्व निर्धरित कार्यक्रम के अंतिम समय पर रद्द करने से न तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आदम कद प्रतिमा का अनावरण ही किया गया। इस कारण आजादी के महानायक की कपटे में लिपटी हुईआदमकद मूर्ति इस देश के हुक्मरानों सहित सभी देश के नागरिकों की गैरत को ध्क्किार रही है। जिस मूर्ति के अनावरण की स्वीकृति 17 जनवरी 2011 को हरिद्वार जनपद के जिलाध्किारी डा आर मीनाक्षी सुन्दरम ने अपने पत्रांक 1855/पीए 2011 में दी हो। जिस कार्यक्रम में पधरने के लिए 23 जनवरी 2011 को नेताजी की जयंती पर हरिद्वार में राष्ट्रीय सैनिक संस्था को प्रदेश के मुख्यमंत्राी के अध्किारी बरगलाते रहे। ऐसा नहीं कि मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक को इस कार्यक्रम की सूचना नही थी। इस आयोजक संस्था के महासचिव एस के शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्राी का सुरक्षा अमला ही नहीं कुत्ता दल भी कई बार इस दिन भी इस कार्यक्रम स्थल की जांच करने में जुटा हुआ था। यही नहीं इस महान मूर्ति पर लगे शिलापट पर मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल का नाम भी अनावरण करने वाले नाम से खुदा हुआ तथा मूर्ति के नीचे बने स्तम्भ में स्थापित किया हुआ था।  परन्तु अंत में हरिद्वार में चुनाव आचार संहिता के नाम व अन्य बहाना बना कर मुख्यमंत्राी ने इस कार्यक्रम में आने का दौरा रद्द किया। यही नहीं निमंत्राण कार्ड में भी प्रमुखता से उनका नाम छपा हुआ था।

इस कार्यक्रम का आयोजन देशभक्त नागरिकों व पूर्व सैनिकों के प्रमुख संगठन राष्ट्रीय सैनिक संगठन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर नेताजी जयंती को मनाते हुए उनकी मूर्ति स्थापित करने के लिए बड़े स्तर पर किया था।  7वें राष्ट्रीय अध्विेशन में मूर्ति का अनावरण प्रदेश के मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक के हाथों से व केन्द्रीय राज्य मंत्राी हरीश रावत की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में होना था। परन्तु राष्ट्रवाद की दुहाई देने वाली भाजपा के मुख्यमंत्राी को देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले नेताजी की मूर्ति का अनावरण करने व उनके नाम से मुख्यमंत्राी आवास से मात्रा चंद घंटे की दूरी पर आयोजित इस समारोह में सम्मलित होने का समय तक नहीं रहा। बहाना बनाया गया हरिद्वार जनपद में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता का। अगर आचार सहिंता तो विकास की घोषणायें करने आदि के लिए होती है। नेता जी की मूर्ति स्थापना उनकी जयंती पर किसी भी आचार संहिता के दायरे में कदापि नहीं आती। अगर आती तो हरिद्वार जिलाध्किारी इस कार्यक्रम को कैसे अनुमति देता। संगठन के महामंत्राी श्री शर्मा का तर्क उचित है कि अगर  हरिद्वार में चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी तो मुख्यमंत्री व उनका प्रशासन अंतिम समय तक आ रहे हैं का झांसा क्यों देते रहे। अगर आदर्श आचार संहिता लागू थी तो कैसे हरिद्वार 21 जनवरी को शंकराचार्य चैक से सिंहद्वार तक सौन्दर्यकरण की घोषणा का कार्य प्रारम्भ व शिलान्यास किया गया। इसमें प्रदेश के कबीना मंत्री मदन कौशिक के साथ जिलादिकारी जिलाध्किरी भी साथ थे। जटवाड़ा से रानीपुर रोड तक गंग नहर पटरी सिंह द्वार से डाम कोठी तक कावंड पटरी का सौन्दर्यकरण किया गया। इसके साथ अनैक ऐसे कार्यक्रमों में प्रदेश के मंत्राी के हाथों से किये गये। कारण जो भी हो जिस प्रकार से हरिद्वार में जिलाध्किारी व न्यायालय के सम्मुख नेताजी की प्रतिमा कपडे में लिपट कर अनावरण के लिए तरस रही है यह देश के आत्मसम्मान को रौंदने व गैरत को ध्क्किारने वाला ही कृत्य है। इसके लिए भाजपा के मुख्यमंत्राी व प्रशासन सीध्े गुनाहगार हैं ही साथ में आयोजक भी कम दोषी नहीं है। आयोजकों को चाहिए था कि वे नेताजी की प्रतिमा को तभी अनावरण कर देते जब उन्होंने मुख्यमंत्राी के न आने की खबर सुन कर उस पर लगा मुख्यमंत्राी के नाम वाला शिलापट को आक्रोश में उखाड पफेंका। आयोजन में जहां संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र विजेता कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, संयोजक विरेन्द्र भारद्वाज, चेयरमेन दीपक भारद्वाज, सलाहकार आदेश त्यागी, सचिव राजेन्द्र बंगासी जिला बार ऐसोशिएसन, पूर्व राज्यपाल ले जनरल बी के एन छिब्बर सहित अनैकों वरिष्ठ पूर्व सैनिक अध्किारी सहित सम्मानित समाजसेवी व गणमान्य लोग उपस्थित थे। आयोजकों सहित देशभक्त जनता को इस बात का भान रखना चाहिए कि राष्ट्र भक्तों की किसी पवित्रा प्रतिमा या कायक्रमों में पदलोलुप नेताओं को कहीं दूर-दूर तक न बुलायें। नेताजी की प्रतिमा का अनावरण खुद अगर संगठन के प्रमुख महासचिव करते या शहीदों के परिजनों या महान समाजसेवियों के हाथों से करते तो कम से कम नेताजी का इस कदर अपमान होने से बच जाता।  देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने की सजा इस तरह अपमानित करने का किसी को हक नहीं है। उनकी प्रतिमाओं के अनावरण के लिए जब ऐसे पदलोलुप नेताओं की राह आयोजक ताकते रहेंगे तो तब तक इसी प्रकार से प्रतिमा का ही नहीं उनकी शहादत व राष्ट्रभक्ति का अपमान होगा। रही बात भाजपा की हो या कांग्रेस की जिनको कुर्सी मिलने पर भगवान राम व गांध्ी तथा देश की कसमें वादे याद नहीं रहते तो उन्हें शहीदों का भान कहां होगा।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ¬ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।
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