Movie Download

Ghaur Bati Search

image ad

Chitika

Saturday, July 23, 2011

अपने ही प्रदेश में उपेक्षित होती गोविन्द बल्लभ पंत की मूर्ति

http://garhwalbati.blogspot.com
उत्तराखंड के जाने माने स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्‍‌न पं. गोविन्द बल्लभ पंत की मूर्ति का उन्ही के प्रदेश में अपमान किया जा रहा है।


पिथौरागढ़ में डीडीहाट नगर के तहसील कार्यालय के सामने स्थापित पं. गोविन्द बल्लभ पंत की मूर्ति आज कल लावारिस पड़ी हुई है। प्रशासनिक अधिकारियों के सामने ही यहां पर मलबा डाल दिया जाता है। मूर्ति की उपेक्षा पर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गहरी नाराजगी जताई है।


तहसील कार्यालय के सम्मुख लगाई गई गोविन्द बल्लभ पंत की प्रतिमा की उचित देखरेख नहीं होने से स्वरूप बदलने लगा है। इस स्थान पर किसी प्रकार की रोकटोक नहीं होने से लोग भवन सामग्री सहित अन्य सामान डाल देते हैं।


इस प्रकार की सामग्री से कभी-कभार मूर्ति भी क्षतिग्रस्त हो जाती है, इससे मूर्ति का स्वरूप खराब होने लगा है। साल भर में पंत जयंती के दिन मूर्ति को थोड़ा बहुत साफ सुथरा कर माल्यार्पण किया जाता है। इसके बाद प्रतिमा की कोई सुध नहीं लेता है। नगर के तमाम समाज सेवियों ने पंत की प्रतिमा की इस दशा पर रोष जताते हुए इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का अपमान बताया है।

देवभूमि में कांवडि़ये के रूप में नशेड़ियो का आगमन


सावन के पवित्र माह में हरिद्वार से कांवड़ ले जाने के लिए हजारो लाखो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
लेकिन इन लोगो में शिव भगतो के अलावा एक बड़ी संख्या नशेड़ियो की होती है, जो मार्ग में उत्पात मचाते हुए लोगो को परेशान करते हैं, और कुछ तो सडको पर नशा करके पड़े रहते हैं।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी राजाजी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन व पुलिस भंगेड़ी कांवड़ियों पर अंकुश लगाने में असफल रहा है।

पार्क की गौहरी रेंज और सिविल पुलिस के इलाके में कांवड़िए भांग के पेड़ों में खुलेआम भांग मल रहे हैं, वहीं चिलम भी भरी जा रही है, मगर अधिकारी हैं कि देख कर मुंह फेर रहे हैं। वीरभद्र महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि में मेला लगता है, जिसमें प्रसाद के रूप में भांग घोटा खुलेआम बिकता है। विक्रेता भांग के बीज इलाके में छोड़ देते हैं।

कई वर्ष पूर्व यह काम शुरू हुआ था। अब तो इस पूरे इलाके ने भांग की खेती का रूप धर लिया है। विशेष रूप से पशुलोक व उसके आसपास का इलाका, बैराज और गौहरी रेंज का अधिसंख्य इलाका भांग की पैदाइश के लिए जाना जाता है। आरोप तो यह भी है कि पार्क क्षेत्र में चरस तस्कर मिलीभगत के चलते पार्क क्षेत्र के भीतर अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। पूरे कांवड़ क्षेत्र में जहां-जहां भांग के पेड़ हैं वहां नशेड़ी कांवड़ियों को भांग मलते देखा जा सकता है। उप जिलाधिकारी कोटद्वार जीसी गुणवंत का कहना है कि बीते वर्ष की भांति इस वर्ष भी पार्क की गौहरी रेंज के अधिकारियों को भांग के पौधों की कटाई के निर्देश मंडलायुक्त ने स्वयं दिए थे। जिलाधिकारी ने भी इस बाबत आदेश जारी किए आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होगी। उधर, मिली जानकारी के मुताबिक गौहरी रेंज के पास भांग के पेड़ काटने की दो मशीनें हैं, जो खराब पड़ी है। कर्मचारी आफ द रिकार्ड यह जरूर कहते हैं कि भांग कटाई के लिए बजट नहीं आया है, मगर हमने स्वयं मैनेज करके पौधों को कटवाया है।

दरकते पहाड़ों में मौत का खौफ

http://garhwalbati.blogspot.com
लगातार खिसक रहे पहाड़ों के बीच ग्रामीण जिंदगी काटने को मजबूर हैं। लगातार हो रही बारिश के चलते पिछले चार दिनों से उत्तरौं गांव में भूधंसाव व भूस्खलन जारी है। ग्रामीण दहशत में हैं और प्रशासन उदासीन।

बीते सोमवार से शुरू हुए भूस्खलन ने अब भयानक रूप ले लिया है। सोमवार को गांव के मतिहारी नामे तोक में बड़ी संख्या में पेड़ भूस्खलन की भेंट चढ़ गए। लगातार बढ़ते जा रहे भूस्खलने से कई ग्रामीणों के खेत तबाह हो गये हैं। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन की ओर से शीघ्र ही कोई उपाय न किये गये, तो भूस्खलन की जद में पूरा गांव आ सकता है। दूसरी ओर, भूस्खलन के बाद पानी के भी कई नाले फूटने में गांव में आम रास्ते भी चलने लायक नहीं रह गए है। भूस्खलन का दूरी गांव से महज सौ मीटर ही दूर रह गई है साथ ही इसके चपेट में ग्रामीणों के पेयजल स्त्रोत और पशुशाला भी आ गए हैं।

बीते चार दिनों में प्रशासन की ओर से ग्रामीणों के लिए की सुरक्षा के लिए कोई उपाय ना किए जाने से ग्रामीणों में रोष है। जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह रावत, क्षेत्र पंचायत सदस्य विजेंद्र सिंह मखलोगा, ग्राम प्रधान दयाल सिंह चौहान आदि ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर शीघ्र ही सुरक्षा की मांग के साथ ही क्षतिग्रस्त हुए गौशालाओं के मुआवजे दिलवाए जाने की मांग की है।


गुरुजी ने जड़ा घूंसा, शिष्य बेहोश

http://garhwalbati.blogspot.com
एक स्कूल में शिक्षक के छात्र ऐसा घूसा जड़ा कि वह बेहोश हो गया। हैरत की बात यह है कि बेहोश छात्र को विद्यालय प्रशासन ने न तो चिकित्सकीय उपचार देने की जहमत उठाई और न ही उसके परिजनों को इस संबंध में सूचना दी। विद्यालय से छुट्टी होने के बाद अन्य छात्रों ने इस छात्र को घर पहुंचाया, इसके बाद परिजनों ने उसे राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया।

जानकारी के अनुसार, देवी रोड निवासी अविकल पुत्र मान सिंह गुंसाई एक स्कूल में कक्षा आठ का छात्र है। बुधवार दोपहर राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराए गए अविकल का कहना है कि अंग्रेजी विषय की कक्षा में विषयाध्यापक ने रफ कॉपी न लाने पर उसके गाल पर इतनी जोर से घूंसा मारा कि वह कक्षा में ही बेहोश हो गया। अविकल के पिता मान सिंह गुंसाई का आरोप है कि विद्यालय प्रशासन की ओर से अविकल के बेहोश होने की सूचना तक उन्हें नहीं दी गई। घटना के करीब दो घंटे बाद विद्यालय की छुट्टी होने के बाद कक्षा के कुछ छात्र अविकल को घर छोड़ गए, जिसके बाद उन्होंने उसे चिकित्सालय में भर्ती कराया। अविकल का मुंह व आंखें बुरी तरह सूजी है।

हैरत की बात यह रही कि अविकल के चिकित्सालय में भर्ती होने के घंटों बाद भी विद्यालय प्रबंधन की ओर से उसकी कोई सुध नहीं ली गई। इधर, इस संबंध में जब विद्यालय प्रबंधन से वार्ता करने की कोशिश की गई तो विद्यालय के प्रबंधक ने फोन नहीं उठाया, जबकि प्रधानाचार्या ने मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

धान पर तना भेदक का प्रकोप

http://garhwalbati.blogspot.com
जिले के किच्छा से जसपुर तक के क्षेत्र में 20 दिन से अधिक पुरानी धान की फसल में अनेक स्थानों पर तना छेदक का प्रकोप देखने को मिल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने इससे बचाव के लिए कारटप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी 25 किग्रा प्रति एकड़ में छिड़काव की सलाह दी है।

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. सी तिवारी ने बताया कि केंद्र में किच्छा से लेकर जसपुर से काश्तकारों के तना भेदक के प्रकोप को लेकर सूचना मिल रही है। 20 दिन से अधिक की पौध पर यह समस्या आ रही है। कृषि रक्षा अधिकारी वीपी मौर्य ने तनाभेदक से बचाव के लिए काश्तकारों को कारटप या रोपाई के 40-45 दिन बाद फिप्रोनिल 5 एससी एक लीटर या क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 1.5 से 2 लीटर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव की सलाह दी।

तना छेदक में सूडियां हानिकारक होती है। मादा कीट पत्तियों के ऊपर झुंड में अंडे देती है। इसके अलावा वर्तमान में पत्ती लपेटक कीट के भी प्रकोप की आशंका है। इससे बचाव के लिए क्यूनालफास 25 ईसी 1.25 से 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव से बचा जा सकता है। इसके अलावा वैक्टीरियल लीफ ब्लाइट में भी पत्तियां किनारे से सूखने लगती हैं।


गुलदार ने बनाया 12 वर्षीय बालिका को निवाला

http://garhwalbati.blogspot.com

देवप्रयाग : भरपूर पट्टी के मरोड़ा गांव में गुलदार ने बारह वर्षीय बालिका को शिकार बना लिया। घटना की सूचना मिलते ही तहसीलदार समेत अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह मरोड़ा गांव निवासी कु. राखी, पुत्री गोविंद दास, घास लेने जंगल की ओर गई थी। देर शाम तक वापस न आने पर परिजनों ने राखी की तलाश की, मरोड़ा के निकट गदेरे में कु. राखी का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया। गुलदार ने राखी के सिर व ऊपरी भाग को खा डाला। देर शाम सूचना मिलने पर तहसील देवप्रयाग वीर सिंह रावत, नायब तहसीलदार जेएस राणा, एसआइ दीपक कठैत व रेंजर विक्रम सिंह बिष्ट घटना स्थल पर पहुंचे। समाचार लिखे जाने तक शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा गया था।


वन विभाग रोपेगा 2.44 लाख पौधे

http://garhwalbati.blogspot.com

Friday, July 22, 2011

झील और ताल की सुध ले रही सरकार

http://garhwalbati.blogspot.com

अब 108 सेवा के काफिले में शामिल होंगी 31 नई एंबुलेंस

http://garhwalbati.blogspot.com
उत्तराखंड वासियों के लिए वरदान साबित हो रही 108 सेवा में वृद्धि हो रही है। अब जल्द ही पं दीनदयाल उपाध्याय आपात सेवा 108 का दायरा बढ़ने जा रहा है। अब ज्यादा मरीजों और पीड़ितों को इसका लाभ मिलेगा। राज्य को जल्द ही 31 नई एंबुलेंस की सौगात मिल रही है। लिहाजा सरकार ने आगे कदम बढ़ाते हुए इस आपात सेवा की निगरानी को समिति गठित करने का फैसला किया है। अगले माह अगस्त तक एयर और बोट एंबुलेंस सेवा शुरू की जाएगी।
मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित आपात सेवा 108 परामर्शी समिति की बैठक में उक्त निर्णय लिए गए। मुख्य सचिव ने आपात सेवा विस्तार को ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। त्वरित राहत पहुंचाने में कारगर साबित हो रही इस सेवा के लिए बैकअप स्टाफ की जरूरत जताई गई। यह भी तय हुआ कि एंबुलेंस सेवा का पीड़ितों को तुरंत मिले, इसके लिए सूबे के सभी फोन नंबर पंजीकृत किए जाएंगे।
स्वास्थ्य सचिव डा. उमाकांत पंवार ने बताया कि फिलवक्त 108 सेवा की 114 एंबुलेंस तैनात हैं। इसकी मदद से 4945 लोगों की जान बचाई गई और 2474 बच्चों का जन्म हुआ। सूबे के विभिन्न स्थानों पर तैनात 20 हजार स्वास्थ्य सहायकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिथौरागढ़ में आरोग्य रथ सेवा कारगर रही। 90 फीसदी टेलीफोन काल को एक ही घंटी में उठाया गया। सेवा को और प्रभावी बनाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। बैठक में प्रमुख सचिव राजीव गुप्ता, आलोक जैन, प्रभारी सचिव अजय प्रद्योत, अपर सचिव रविनाथ रमन, पीयूष सिंह, 108 सेवा के कंट्री हैड कृष्णा राजू, रीजनल सीइओ सुबोध सत्यवती, स्वास्थ्य सलाहकार अनूप नौटियाल, चीफ आपरेटिंग अफसर मनीष मौजूद थे।

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चाय बागान कर्मी

प्रदेश में चाय के बागानों में काम करने वाले कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर गुरुवार से अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है।
उत्तराखण्ड चाय बागान दैनिक वेतनभोगी एवं संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों से आए संविदा व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने मुख्यालय में प्रदर्शन किया।
कर्मचारियों का कहना है कि संविदा कार्मिकों की मांगों के निराकरण के लिए कई बार निदेशक से अनुरोध किया गया।
इस क्रम में तीन बार वार्ता की गई। जून 2011 तक सभी समस्याओं के समाधान व मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया गया। लेकिन जुलाई बीतने को है, और अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल निदेशक की ओर से न होने से कर्मी नाराज हैं।
यही कारण है कि गुरुवार को चाय बोर्ड निदेशालय मुख्यालय में अनिश्चितकाल के लिए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। चाय बोर्ड के निदेशक को लिखे पत्र में कार्मिकों के समस्याओं के शीघ्र निदान की मांग की गई है। पत्र में कहा है कि पिछले 15-16 वर्षो से कर्मचारी बोर्ड में कार्य कर रहे हैं। सभी कार्मिक अनुभवी व तकनीकी प्रशिक्षित हैं। इसके एवज में उन्हें मात्र ढाई हजार से 5 हजार का वेतन भुगतान किया जा रहा है।
कर्मचारियों द्वारा प्रतिवर्ष 10 से 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि, ग्रेच्युटी, चिकित्सा, अर्जित अवकाश, फील्ड स्तर की छोटी-छोटी मांगों के समाधान के लिए अनिश्चितकालीन आंदोलन व धरना प्रदर्शन शुरू किया है। प्रदेशभर से अल्मोड़ा पहुंचे कर्मचारियों ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी आंदोलन नहीं थमेगा।

Thursday, July 21, 2011

खतरे की रेखा से पार हुई गंगा

http://garhwalbati.blogspot.com
उत्तराखंड में लगातार हो रही वर्षा से गंगा के जलस्तर में वृद्धि होनी शुरू हो गई है, जिससे गंगा उफान पर आ गई है। गुरुवार को ऋषिकेश में गंगा चेतावनी रेखा के पार पहुंच गई। प्रशासन ने गंगा तटीय क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया है।
बुधवार रात ग्यारह बजे से अगले दिन सुबह आठ बजे तक गढ़वाल के कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश हुई। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इन आठ घंटों में कर्णप्रयाग में सर्वाधिक 136.8, उत्तरकाशी में 128.6, रुद्रप्रयाग में 96.2, टिहरी में 41.4, जोशीमठ में 40.2, श्रीनगर में 32.4 व मरोड़ा में 34.2 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई। ऋषिकेश में भी 50 मिमी वर्षा दर्ज की गई। नतीजा यह हुआ कि सुबह आठ बजे से ही गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा जो दोपहर में बढ़कर चेतावनी रेखा 339.50 को भी पार कर गया। हालांकि, इसके बाद जलस्तर में कमी आनी शुरू हो गई थी। देवप्रयाग में भी गंगा चेतावनी रेखा को पार कर गई थी। यहां भागीरथी का जलस्तर 462.04 और अलकनंदा का जलस्तर 459.60 तक पहुंच गया। गंगा के जलस्तर में हो रही वृद्धि से कई तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गंगा के चेतावनी रेखा पार करते ही स्थानीय प्रशासन ने गंगा के तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया।

Wednesday, July 20, 2011

स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन

http://garhwalbati.blogspot.com
प्रदेश में स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर फिर से बबाल शुरू हो रहा है। उत्तराखण्ड क्रांतिदल ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार स्थायी राजधानी, भ्रष्टाचार सहित अन्य विषयों पर कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों की सम्पत्तियों की सीबीआई की जांच की मांग की गई है। राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि यह जनभावनाओं के अनुकूल है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कौशिक समिति की रिपोर्ट में यह बात पहले ही आ चुकी है। इसके लिए बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने आमरण अनशन कर अपने जीवन का बलिदान भी दिया था। ज्ञापन में 11 वर्षो के बाद भी उत्तर प्रदेश के विकल्पधारी कर्मचारी, शासन-प्रशासन की ढिलाई के चलते उत्तर प्रदेश को अवमुक्त नहीं किए गए हैं। जिससे कर्मचारियों के प्रोन्नत के अवसर तो प्रभावित हो ही रहे हैं। यहां के बेरोजगारों को रोजगार का टोटा हो रहा है। लगातार बढ़ रही महंगाई पर राज्य केंद्र पर व केंद्र राज्य के मत्थे मढ़कर अपना-अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, जो ठीक नहीं है। राज्य सरकार अपनी ओर से सभी आवश्यक वस्तुओं को सरकारी सस्ता-गल्ला की दुकानों में उपलब्ध कराए, राशनकार्ड के आधार पर राशन वितरण के स्थान पर यूनिट को मानक बनाकर राशन वितरण कर महंगाई को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। रसोई गैस में राज्य सरकार द्वारा प्रति सिलेंडर सब्सिडी दी जानी चाहिए। राज्य आंदोलनकारी चिह्नीकरण के मानकों में परिवर्तन सहित अनेक मांगें शामिल की गई हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री को भी एक ज्ञापन प्रेषित किया है। जिसमें समूह ग की भर्तियों में निर्धारित मानकों में संशोधन तथा स्थानीय बोलियों को प्राथमिकता दिए जाने के शासनादेश की बहाली की मांग की है।

Tuesday, July 19, 2011

यहाँ भी भेदभाव !

वर्तमान समय तक देश में लगभग 400  के अन्दर ऍफ़ एम्(FM) स्टेशन ही थे ,जिस  कारण यह सुविधा मात्र बड़े शरों और राज्यों तक ही सीमित थी ,फिर भी यह उल्लेखनीय है की संचार क्रान्ति की  इस बयार में कई मझले आकर के नगरों में भी ऍफ़ एम् स्टेशनों का विस्तार हुआ परन्तु सदैव की तरह दुरभाग्य का पर्याय वाची   बन चुके उत्तराखंड में कोई भी ऍफ़  एम् स्टेशन नहीं खुल पाया .विडंबना देखिये की पडोसी यूं पी के लगभग हर 2nd  टिअर शहर में ऍफ़ एम् स्टेशन खुल  चुके हैं मसलन बरेली ,मोरादाबाद ,कानपुर , ,गोरखपुर ,इलाहाबाद सरीखे . यही स्थिति देश के अन्य बड़े शहरों  की है जहाँ अमूमन एक ऍफ़ एम् स्टेशन तो लगभग खुल ही चुका  है .परन्तु फिर भी बड़े राज्यों में मात्र उत्तराखंड ही एक ऐसा राज्य है जहाँ अभी तक कोई विशेष ऍफ़ एम् सुविधा नहीं है ,बताते चलें  कि ऊँट के मुंह में जीरा के समान मसूरी में ऐ आई आर (AIR) का एक स्टेशन है जो कि apni  दोयम दर्जे की कार्यक्रम प्रस्तुति और सीमित सेवा के कारण  उतना ही लोकप्रिय है जितना कि आज के टेलीविजन जगत में दूरदर्शन !

ख़ैर यह तो थी अब तक की स्थिति ,पर हद तो तब हो गई जब केन्द्रीय सरकार द्वारा इस सेवा का  विस्तार करने का  समाचार अभी हाल ही में आया और जैसे कि आशंका थी  लगभग हज़ार नए आवंटित ऍफ़ एम् स्टेशनों में एक भी उत्तराखंड में नहीं खुल रहा.फिर एक बार छले गए भोले महाराज  ! आखिर इस राज्य का दोष क्या है ? जो हर क्षेत्र में उसी के साथ सौतेला व्यवहार होता है ?

यह सच में एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि फिर से उत्तराखंड और उत्तराखंडीयों  की भावनाओं को नज़र अंदाज़ किया गया !

निखिल उत्तराखंडी
http://www.facebook.com/NIKHIL0UTTRAKHANDI?sk=info

http://garhwalbati.blogspot.com

Monday, July 18, 2011

जिले की मांग को लेकर द्वाराहाट में धरना प्रदर्शन जारी



उत्तराखंड प्रदेश में नए जिलो की मांग को लेकर द्वाराहाट में धरना प्रदर्शन जारी है। जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले जिले की मांग को चल रहा आंदोलन को 182 वें दिन से भी ज्यादा समय बीत चूका है और लोग भी अपनी मांगो को लेकर डटे हुए हैं। वहीं सभा में सरकार के खिलाफ इस बात को लेकर रोष प्रकट किया गया कि छह माह से चल रहे आंदोलन की सुध नहीं ली जा रही है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र की उपेक्षा को दर्शाता है। सभा में समिति अध्यक्ष विनोद जोशी, केडी जोशी, उमेश भट्ट, किशोरी लाल साह, महेश जोशी, केवलानंद जोशी, मुन्ना लाल साह, जीवन लाल साह, खीम सिंह अधिकारी, लईक अहमद, सुरेन्द्र साह, भूपेश साह, नारायण दत्त पांडे, पान सिंह खम्पा, ललित चौधरी, नदीम अहमद आदि शामिल थे। इधर बार एसोसिएशन ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है। लोगो को पूरी उम्मीद है की सरकार जल्द ही उनकी मांगो पर गौर करेगी।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...