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Saturday, January 30, 2010

नई टिहरी को पर्यटन नगरी के रूप में प्रचारित करें

नई टिहरी गढ़वाल। विस्थापितों के लिए मास्टर प्लान के तहत बसाया नई टिहरी शहर अभी तक पर्यटन नगरी के रूप में अपनी पहचान नहीं बना पाया है। शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने एवं देश व विश्व मंच पर प्रचारित करने के लिए महाकुंभ क्षेत्र अच्छा माध्यम है। महाकुंभ के जरिए नगर इसे पर्यटन नगरी की रूप में पहचान दिलाई जा सकती है। नगरपालिका अध्यक्ष राकेश सेमवाल ने मुख्य महाप्रबंधक टिहरी जल विकास निगम को प्रेषित पत्र में यह बातें कही हैं।

उन्होंने पत्र में कहा है कि नई टिहरी को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के लिए टीएचडीसी की ओर से विश्वास दिलाया गया था, लेकिन इस दिशा में अभी तक धरातलीय पहल नहीं हो पाई है। नगरपालिका अध्यक्ष ने टीएचडीसी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि नई टिहरी शहर को पर्यटन नगरी के रूप में प्रचारित करने के लिए वर्तमान में कुंभ मेला सशक्त माध्यम है। उन्होंने सुझाव दिया कि नई टिहरी नगर, टिहरी शहर के विहंगम दृश्य, बांध की 42 वर्ग किमी झील के बडे-बड़े होर्डिग बनाकर कुंभ मेला क्षेत्र में लगाये जाएं। इससे देश-विदेश से आने वाले लोगों को नई टिहरी शहर के प्रति उत्सुकता बढ़ेगी।

उन्होंने पुनर्वास निदेशक को दिए पत्र में अवगत कराया कि पुरानी टिहरी शहर विस्थापित कर नई टिहरी नगर के रूप में विकसित किया है। पुरानी टिहरी की संपूर्ण धरोहरों को भी नई टिहरी नगर में स्थापित किया है, पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से नई टिहरी में कोई भी भव्य पार्क या चौक निर्मित नहीं है। पुरानी टिहरी में राष्ट्रपिता के नाम से घंटाघर चौराहे पर भव्य प्रतिमा निर्मित थी।

गांवों में लहलहाएगी खिलाड़ियों की फसल

देहरादून। सूबे के गांवों में अब खिलाडि़यों की खेती लहलहाएगी। हर ग्राम पंचायत में एक खेल मैदान की योजना के तहत सालभर में 386 ग्राम व आठ ब्लाक पंचायतों में खेल मैदान तैयार होंगे। जिन ग्राम पंचायतों में जमीन उपलब्ध नहीं होगी, वहां नजदीकी स्कूल-कालेज मैदान को स्थानीय आबादी की जरूरत के मुताबिक अपग्रेड किया जाएगा।

सूबे में पाइका योजना की रफ्तार तेज होगी। गांव स्तर पर खेलों को प्रोत्साहित करने व खिलाड़ी तैयार करने की इस केंद्र पोषित मुहिम में 'वार्म अप' होने में तकरीबन छह माह का समय राज्य ने लिया। इस योजना के तहत गांव स्तर पर खेल मैदान विकसित किए जाने हैं, ताकि बच्चों व किशोरों की खेलों में रुचि जागे। इन मैदानों पर पंचायत स्तरीय खेल प्रतियोगिताएं भी होंगी। योजना के अंतर्गत 90 फीसदी राशि केंद्र व 10 फीसदी राशि राज्य देगा। खेल मैदान तैयार करने को ग्राम पंचायत स्तर पर एक लाख व ब्लाक स्तर पर पांच लाख की राशि दी जाएगी। ग्राम पंचायत की तुलना में ब्लाक में बड़ा खेल मैदान बनेगा। खेल प्रतियोगिताओं पर होने वाला पूरा खर्च केंद्र उठाएगा। दस वर्षीय इस योजना के तहत एक साल में सूबे को दस करोड़ मिलेंगे।

राज्य की विषम परिस्थितियों के मद्देनजर यह तय किया गया है कि ग्राम पंचायत स्तर पर खेल मैदान के लिए जगह नहीं मिलने की स्थिति में नजदीकी स्कूल अथवा कालेज मैदान को इस राशि से विकसित किया जाएगा। इस मैदान का लाभ स्थानीय आबादी भी उठाएगी। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक राज्य में 7500 ग्राम पंचायतों में खेल मैदान तैयार किए जाएंगे। अगले वित्तीय वर्ष में 386 मैदान तैयार करने की योजना है।

गो मूत्र के लिए चलेगा विशेष अभियान: बिष्ट

रुद्रप्रयाग। पशुपालन विभाग गो मूत्र के संरक्षण के लिए प्रयास करेगा तथा पशुपालकों को चारा घास भी उपलब्ध कराएगा।

पशुकल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष श्रीमती बीना बिष्ट ने पत्रकार वार्ता में कहा कि सरकार गो मूत्र पर विशेष ध्यान केंद्रित किए हुए है, लोगों को गाय पालने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गाय के पालने में चारा घास उपलब्ध न होने से इसके पालन पोषण में भारी दिक्कत आती है। इसके लिए पशुपालकों को उच्च कोटि का चारा उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां से अवैध रूप से पशुओं को बाहरी क्षेत्रों में ले जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में पशु चिकित्सालय का भारी अभाव है, वहां अधिक से अधिक चिकित्सालय के निर्माण के सरकार विशेष प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सक के साथ ही अन्य स्टाफ की भी भारी कमी है, जिसे दूर करने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे। इससे पूर्व श्रीमती बिष्ट के पुन: उपाध्यक्ष नामित होने पर भाजपाइयों ने जोरदार स्वागत किया। श्रीमती बिष्ट ने इसके लिए प्रदेश सरकार व संगठन का धन्यवाद अदा किया। इस अवसर पर जिला भेषज संघ की अध्यक्ष अनुसूया पटवाल, जिला महामंत्री विजय कप्रवाण, भाजपा नेता राजेश कुंवर, जिला पंचायत सदस्य ममता कुंवर, भाजपा नेत्री हेमा पुष्पवाण, रुद्रप्रयाग ग्रामीण मण्डल महामत्री अनूप सेमवाल, महेश डयूडी समेत कई भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे।

गंगाजल में विराजेंगे भगवान नारायण

हरिद्वार। जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश हो, तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे 'पुण्य का योग' कहा गया है, क्योंकि इस मौके पर गंगा में स्नान करने से समस्त पाप एवं संताप कट जाते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा का स्नान सूर्य एवं चंद्रमा के दोषों से मुक्ति दिलाता है। फिर इस बार तो यह स्नान कुंभपर्व में पड़ रहा है, जिसे मन एवं आत्मा को शुद्ध करने वाला माना गया है।

सनातनी परंपरा में माघ मास का विशिष्ट महात्म्य है। देखा जाए तो संयम का महीना है यह। इस महीने घोर तामसी प्रवृत्ति के लोग भीठेठ सात्विक नजर आने लगते हैं। दरअसल सूर्य के मकरस्थ होते ही प्रकृति में बदलावों की शुरुआत भी हो जाती है। डालियों पर कोंपले फूटने लगती हैं और चारों दिशाओं में गूंजने लगता है पक्षियों का कलरव। कहने का मतलब प्रकृति नवसृजन के लिए तैयार हो उठती है और प्राणिमात्र में होने लगता है 'नवजीवन' का संचार। इसीलिए ऋषि-मुनियों ने माघ में मांस भक्षण को निषिद्ध किया है। प्रयाग में इस अवधि को 'कल्पवास' में बिताने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका विश्राम माघी पूर्णिमा स्नान के साथ होता है। 'ब्रह्मवैवर्तपुराण' में उल्लेख है कि माघी पूर्णिमा पर स्वयं भगवान नारायण गंगाजल में निवास करते हैं। इस पावन घड़ी में कोई गंगाजल का स्पर्शमात्र भी कर दे तो उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है। आचार्य डा. संतोष खंडूड़ी कहते हैं कि इस बार माघी स्नान के कुंभ पर्व में पड़ने से उसका महात्म्य कई गुना बढ़ गया है। पुराणों के अनुसार बारह साल के अंतराल में माघी स्नान का फल ऐसा हो जाता है, जैसे एक लाख वाजपेय स्नान करने का है। डा. खंडूड़ी कहते हैं कि शुक्र-शनि पुष्य नक्षत्र में पूर्णिमा के पड़ने से 30 जनवरी को 'सर्वार्थ सिद्धि' का योग बन रहा है। ऐसे में गंगा स्नान करने से सहस्त्रों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। गुरु के कुंभ राशि में विराजमान होने के कारण मन एवं आत्मा को शांति प्रदान करने वाला स्नान भी है यह। ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी कहते हैं कि कुंभ व मीन लग्न में सूर्य होने के कारण यह स्नान धर्म एवं कामनाओं की सिद्धि देने वाला भी है। महत्वपूर्ण बात यह कि ऐसे समय में गंगा को शुद्ध एवं पवित्र रखने के विचार मात्र से ही कई जन्म धन्य एवं पवित्र हो जाते हैं।

कुंभ लग्न में श्रेयस्कर होगा स्नान

हरिद्वार: माघी पूर्णिमा का पर्व 30 जनवरी को पड़ रहा है, लेकिन 29 जनवरी को अपराह्न तीन बजकर 11 मिनट से यह आरंभ हो जाएगा और शनिवार 11 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। हालांकि गंगा स्नान इस अवधि में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन शनिवार को कुंभ लग्न में प्रात: काल स्नान करना श्रेयस्कर होगा। यह स्नान समस्त रोगों को शांत करने वाला माना गया है।

क्षीर सागर का रूप हैं गंगाजी

हरिद्वार: माघ पूर्णिमा को पृथ्वी का दुर्लभ दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान नारायण क्षीर सागर में विराजते हैं और पृथ्वी पर गंगाजी क्षीर सागर का ही रूप हैं। इसलिए इस पावन पर्व पर 'ॐ नम: भगवते वासुदेवाय' का जाप करते हुए स्नान-दान का पुण्य अर्जित करना चाहिए।

Thursday, January 28, 2010

प्रमाण पत्र को नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर

कोटद्वार, । अब मूल निवास, स्थाई निवास, आय सहित अन्य तमाम प्रमाण पत्रों के लिए तहसील व पटवारी चौकियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। प्रार्थना पत्र पर ही निर्धारित समयावधि के भीतर प्रमाण पत्र आपके हाथों में होगा। इस काम को जनाधार सेवा केंद्र के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही जनपद में तहसील स्तर पर जनाधार सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। अभी तक स्थाई निवास, मूल निवास, आय, वृद्धावस्था, विकलांगता सहित अन्य प्रमाण पत्रों के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़ते हैं। वर्तमान व्यवस्था के तहत आप तहसील में प्रार्थना पत्र दिया जाता है, जहां से तहसीलदार संबंधित पटवारी को उक्त प्रार्थना पत्र पर आख्या के लिए निर्देशित करता है। प्रार्थना पत्र लेने के बाद प्रार्थी पटवारी से आख्या लिखाएगा व उसी आधार पर तहसील से प्रमाण पत्र जारी होगा। इस पूरी प्रक्रिया में न सिर्फ समय बल्कि पैसे की भी काफी बर्बादी होती है। अब ऐसा नहीं होगा। प्रदेश सरकार की ओर से जनपद में जल्द ही 'जनाधार सेवा' शुरू की जा रही है। जनपद में जनाधार सेवा का ढांचा तैयार करने का जिम्मा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को सौंपा गया है। इस सेवा के तहत प्रार्थी को प्रमाणपत्र से संबंधित प्रार्थना पत्र व अन्य आवश्यक दस्तावेज जनाधार सेवा केंद्र में जमा करने होंगे। केंद्र से उसे एक प्राप्ति रसीद मिलेगी, जिसमें प्रमाण पत्र मिलने की तिथि अंकित होगी।

मंदिर की घंटियां बेची जाएंगी

श्रीनगर, । शक्तिपीठ मां धारी देवी मंदिर में भेंट की गई घंटियों की संख्या अधिक होने पर मंदिर न्यास ने अब इन्हें बेचने का निर्णय लिया है। आद्यशक्ति मां धारी पुजारी न्यास कलियासौड़ के अध्यक्ष बीपी पांडे ने बताया कि वर्तमान में मंदिर परिसर में घंटियों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गयी है कि उन्हें टांगने के लिए अब जगह भी उपलब्ध नहीं है। इसीलिए मंदिर न्यास ने बैठक कर निर्णय लिया है कि मंदिर में चढ़ी हुई जो घंटियां टूट-फूट गयी हैं अथवा जो धूप और वर्षा से काली पड़ गयी हैं उनको बिक्री कर उनसे प्राप्त आय से मंदिर के उपयोग में आने वाली अन्य वस्तुएं खरीदी जाएं और मंदिर के सौंदर्यीकरण में उस धन को खर्च किया जाय।

Tuesday, January 26, 2010

जन गन मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य
विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जगे
तव शुभ आशीष मांगे
गाहे तव जय गाथा
जन गन मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे

Monday, January 25, 2010

मई को खुलेंगे भगवान बदरीविशाल के कपाट

नई टिहरी/ नरेन्द्रनगर। हिन्दुओं की आस्था के केंद्र भगवान बदरीविशाल के कपाट इस वर्ष 19 मई बुधवार को प्रात: 8.05 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाएंगे। नरेन्द्रनगर स्थित टिहरी नरेश के राजमहल में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर राजपुरोहित शिवानंद जोशी ने ज्योतिष गणना के बाद यह घोषणा की। इससे पूर्व 24 अप्रैल को नरेन्द्रनगर से गाडूघड़ा बद्रीशपुरी के लिए रवाना किया जाएगा। बुधवार को नरेन्द्रनगर स्थित राजमहल में डिम्मर समुदाय के लोग गाडूघड़ा लेकर पहुंचे। महल में बोलांदा बदरी महाराजा मनुजयेन्द्र शाह की उपस्थिति में राजपुरोहित शिवानंद जोशी ने विधिवत पूजा-अर्चना कर पंचाग के मुताबिक कपाट 19 मई को खोलने व 24 अप्रैल को गाडूघड़ा यात्रा शुरू करने की तिथि घोषित कीं।

इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट, चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष सूरतराम नौटियाल, पूर्णानंद जोशी, एसपी पुरोहित, राणा करण प्रकाश जंग, मंदिर समिति की उपाध्यक्ष दर्शनी रावत, डिम्मर पंचायत के अध्यक्ष बसंत बल्लभ डिमरी, दुर्गा प्रसाद डिमरी, बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी जगदम्बा प्रसाद सती, आशाराम नौटियाल सहित कई लोग मौजूद थे।

लोकगीतों ने ताकत दी जंगे आजादी को

देहरादून। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि लोकगीतों ने जंगे आजादी को बड़ी ताकत दी और जनता की चेतना बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। रविवार को ओएनजीसी के एएनएम घोष सभागार में लेखिका संघ की ओर से स्वाधीनता आंदोलन में लोकगीतों की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि लेखक एक पत्रकार, साहित्यकार और कवि के रूप में समाज को सही दिशा प्रदान करता है। ऐसे बहुत से साहित्यकार हुए हैं, जिन्होंने हस्तलिखित पत्रिकाओं के जरिए आजादी की अलख जगाई।

विषय प्रवर्तन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. मंजू गुप्ता ने स्वतंत्रता संग्राम के समय देश के विभिन्न हिस्सों में गाए जाने वाले लोकगीतों का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने बताया कि गांधी, नेहरू, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस आज भी लोकगीतों में बसते हैं।

कृषक मेले की तैयारी जोरों पर

कर्णप्रयाग,। तहसील कर्णप्रयाग के कालेश्वर में आगामी 3 व 4 फरवरी को हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर के तत्वावधान में कृषक मेले का आयोजन किया जाएगा। हार्क सचिव महेन्द्र सिंह कुंवर ने बताया कि इसके लिए पंचायत प्रतिनिधियों की समिति गठित कर पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। मेले में जैविक उत्पादों, बीज कंपनियों, कृषि तकनीक व कृषि विशेषज्ञ भाग लेंगे। विशेषज्ञ किसानों को उन्नत बागवानी व कृषि के गुर सिखाए जाएंगे , जबकि बीज, खाद, कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिकों की गोष्ठी, पावर टीलर, वाटर लिफ्टिंग, वर्मिग कंपोस्ट की आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन, वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ स्वयं सहायता समूहों, हार्क पर्वतीय महिला बहुद्देश्यीय स्वायत्त सहकारिता कालेश्वर के उत्पादों की प्रदर्शनी भी मेले मे लगाई जाएगी, जो आकर्षण का केन्द्र रहेंगी।

हरे पेड़ों के कटान पर रोक लगाने को होगी निगरानी

सोमेश्वर (अल्मोड़ा): निकटवर्ती ग्राम मल्लाखोली, रतूराठ, फल्यां सहित अनेक गांवों के ग्रामीणों व पंचायत प्रतिनिधियों ने वन विभाग से जंगलों में कच्ची लकड़ी के कटान पर रोक लगाने के लिए जंगलों को नियमित निगरानी करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के चलते जंगलों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। चौड़ी पत्ती वाले पेड़ एवं बांज के पेड़ जंगलों से गायब होते जा रहे हैं। ग्राम प्रधान किसन राम, बहादुर सिंह बोरा, रमेश राम, प्रेम सिंह सहित अनेक ग्रामीणों ने सभी गांवों के लोगों से भी जंगलों का गलत दोहन नहीं करने की अपील की। वन रेंजर सोमेश्वर से जंगलों की देखरेख नियमित करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि कच्चे पेड़ों व चौड़ी पत्तीदार पेड़ों के कटान से जहां एक ओर जंगल समाप्त हो रहे हैं, वहीं जलस्रोत भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।
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