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Saturday, February 20, 2010

अग्नि नहीं भगवान बदरीनाथ के फेरों से होता है विवाह

अग्नि नहीं भगवान बदरीनाथ के फेरों से होता है विवाह

रुद्रप्रयाग। हिंदू विवाह संस्कार की परंपरा लगभग पूरे देश में एक सी हैं, जिसके तहत वर- वधु के अग्निवेदी के फेरे लेने के बाद विवाह संपन्न माना जाता है, लेकिन रुद्रप्रयाग जिले का एक गांव ऐसा है, जहां वेदी के फेरे नहीं लिए जाते। मान्यता है कि निरवाली नामक इस गांव बदरीनाथ जाते हुए आद्यगुरु शंकराचार्य ने विश्राम किया था। तब से गांव में विवाह के दौरान वर- वधु भगवान बदरीनाथ की मूर्ति के फेरे लेते हैं।

रुद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि विकासखंड की ग्रामसभा धारकोट के निरवाली गांव में शादी की परंपरा अनोखी है। यहां पर सती ब्राह्मण निवास करते हैं। जहां देशभर में बिना वेदी के विवाह संपन्न होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती, वहीं इस गांव में वेदी के स्थान पर भगवान बदरीनाथ की मूर्ति रखी जाती है, जिसे साक्षी मानकर वर- वधु फेरे लेते हैं। सदियों पुरानी यह परंपरा कब शुरू हुई इसका स्पष्ट पता तो नहीं चलता, लेकिन मान्यता है कि बदरीनाथ की ओर जाते हुए आद्यगुरु शंकराचार्य इस गांव में रुके थे। उन्हीं के निर्देशों के मुताबिक यह गांव भगवान बदरीनाथ की परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

गांव में आज भी भगवान बदरीनाथ का पौराणिक निशान मौजूद है। ग्रामीण टीकाप्रसाद सती बताते हैं कि विवाह समेत अन्य सभी समारोहों में इस निशान को भगवान बदरीनाथ के प्रतीक रूप में शामिल किया जाता है। उन्होंने बताया कि निशान की यात्रा भी आयोजित की जाती है, लेकिन इसे ले जाने वाले व्यक्ति को निशान के साथ रहने के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। इतना ही नहीं, पूजा संपन्न होने तक वह अन्न ग्रहण भी नहीं कर सकता। श्री सती ने बताया कि गांव में स्थित भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को कोई नहीं छू सकता। मूर्ति ले जाने वाले व्यक्ति को भी नहीं छुआ जाता। गांव के निवासी विजय प्रसाद सती, बलीराम सती, पारेश्वर दत्त सती बताते हैं कि ऋषिकेश से बदरीनाथ की ओर चले आद्यगुरु शंकराचार्य ने एक ही स्थान पर विश्राम किया था, वह है निरवाली गांव। यही वजह है कि इस गांव के लोग भगवान बदरीनाथ को अपना आदिदेव मानते हैं। वे बताते हैं कि आज भी गांव में शंकराचार्य के आगमन के निशान मौजूद हैं। उनके द्वारा स्थापित किया गया सूरजकुंड मंदिर भी गांव में है।

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वनों को आग से बचाने को सहयोग दें ग्रामीण

चम्बा(नई टिहरी गढ़वाल)। वन विभाग के सकलाना रेंज ने चम्बा व जौनपुर प्रखंड के विभिन्न गांवों में वन अग्नि सुरक्षा गोष्ठी आयोजित की। इसमें वन सुरक्षा के लिए ग्रामीणों की भागीदारी पर जोर दिया।

सत्यौं, मंजगांव, उनियाल गांव, खुरेत, बागी, जड़धार गांव व स्वाड़ी गांव में आयोजित गोष्ठी में वन रेंज अधिकारी यशवंत लाल ने कहा कि फायर सीजन में खेतों में आड़ा जलाते समय सावधानियां बरतनी जरूरी है, क्योंकि इस दौरान थोड़ी सी लापरवाही से जंगलों में आग लगने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि जंगल को आग से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। इसमें ग्रामीण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगने से वन सम्पदा को नुकसान तो पहुंचता ही है। इसके साथ ही ग्रामीणों के समक्ष चारे व लकड़ी का संकट भी पैदा हो जाता है, इसलिए ग्रामीणों को इस ओर जागरूक रहना चाहिए। रेंज अधिकारी ने कहा कि वनों को आग से बचाने के लिए जो वन पंचायत अच्छा कार्य करेगी, विभाग द्वारा उसे पुरस्कृत किया जाएगा। इस मौके पर मस्तराम डोभाल, गोविन्द प्रसाद बिजल्वाण, प्रधान रमेश प्रसाद लेखवार, ज्योति कुमार, रामानंद, रूद्रमणी लेखवार, दर्शनी देवी, लक्ष्मी देवी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे निर्मल पांडे

नैनीताल। बैंडिट क्वीन का विक्रम मल्लाह अचानक दुनिया के रंगमंच को अलविदा कह गया। जिसने भी सुना कि अभिनेता निर्मल पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे, एकाएक विश्वास सा नहीं हुआ।

सरोवरनगरी नैनीताल की नाट्य संस्था युगमंच से बालीवुड तक का सफर तय करने वाले सिने अभिनेता निर्मल पांडे ने बालीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन में दस्यु सुंदरी फूलन देवी के पति विक्रम मल्लाह के किरदार को जिस जीवंत रूप में प्रस्तुत किया उसे देखकर बालीवुड के कई फिल्म निर्माता व निर्देशक उनकी अभिनय शैली के कायल हो उठे।

उन्हे बैंडिट क्वीन के बाद फिल्मों में कई चुनौती पूर्ण रोल मिले, जिन्हे अपनी उत्कृष्ट अभिनय शैली के दम पर उन्होंने बखूबी अंजाम दिया। उन्हे फिल्म दायरा में अभिनेत्री का किरदार निभाने को मिला तो उन्होंने इस चुनौती को भी सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस अभिनय के लिए उन्हे फ्रांस में आयोजित कांस फिल्म फेस्टीवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला। निर्मल पांडे की रुचि बचपन से ही अभिनय की ओर थी। सीआरएसटी इंटर कालेज में पढ़ाई के दौरान से ही वह नाटकों में अभिनय करने लगे। नगर की रामलीलाओं में भी उन्होंने अपनी अभिनय कला का जौहर दिखाया। वर्ष 1989 में नाटय संस्था युगमंच से जुड़ गए। राष्ट्रीय नाटय विद्यालय नई दिल्ली से अभिनय की डिग्री लेने के बाद निर्मल ने करीब 75 से अधिक नाटकों में अभिनय करने के साथ ही दर्जनों नाटकों का निर्देशन भी किया। कुछ साल पूर्व निर्मल ने तारा आटर््स लंदन के साथ भी काम किया।

निर्मल ने नैनीताल की नाटय संस्था युगमंच द्वारा प्रस्तुत जिस लाहौर नई देख्यां, हैमलेट, अजुवा बफौल, अंधायुग, अनारो, सराय की मालकिन, मेन विदाउट शैडोज, एल्डरसन, कुछ तो करो आदि नाटकों में अभिनय के साथ ही निर्देशन भी किया। वर्ष 1986 में निर्मल मुंबई चले गए। निर्मल के अचानक इस संसार से चले जाने से सिने व कला प्रेमी शोक मगन् है। फिल्मों में काम करने के बावजूद निर्मल की रंगमंच के प्रति बेताबी कम नहीं हुई और मुंबई में ही नाटय संस्था बना डाली और अंधायुग जैसा चर्चित नाटक करने बालीवुड के रंगक्षेत्र में धूम मचा दी।

कई फिल्मों में मनवाया अभिनय का लोहा

नैनीताल: फिल्म अभिनेता निर्मल पांडे ने बेहद चर्चित रही फिल्म बैंडिट क्वीन के अलावा कई अन्य हिन्दी फिल्मों में अपनी जानदार अभिनय शैली का लोहा मनवाया। उन्होंने औजार, इस रात की सुबह नहीं, दायरा, हद कर दी आपने, गॉड मदर, ट्रेन-टू-पाकिस्तान, प्यार किया तो डरना क्या के अलावा हम तुम पर मरते है जैसी फिल्में बालीवुड को दी। इसके अलावा उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों तथा एलबम में भी काम किया। कई टीवी धारावाहिकों के जरिए भी वह दर्शकों के करीब रहे। निर्मल ने दक्षिण भारत की कई फिल्मों में भी अभिनय करते हुए उत्कृष्ट कला का नमूना पेश किया।

घट रहा है हिमालयी क्षेत्र का औसत तापमान

घट रहा है हिमालयी क्षेत्र का औसत तापमान


देहरादून। धरती गरम हो रही है और हिमालय 'ठंडा'। ग्लोबल वार्मिग पर छिड़ी गरमागरम बहस के बीच यह तथ्य किसी ईधन से कम नहीं। पिछले सौ साल के आंकड़ों के आधार पर विशेषज्ञों का दावा है कि हिमालयी क्षेत्र के औसत तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इतना ही नहीं वैज्ञानिक ग्लेश्यिरों के सिकुड़ने के दावों की भी बखिया उधेड़ रहे हैं।

गुरुवार को केंद्रीय भूजल बोर्ड की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डा. एके दुबे ने ग्लोबल वार्मिग और जलवायु परिवर्तन के सिद्धांत पर पैने सवाल किए। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा के मौसम केंद्र के 100 साल के आंकड़े बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र का औसत तापमान पिछले एक सदी में घटा है। उन्होंने कहा कि 1920-30 में ग्लोबल वार्मिग की हवा चली थी, लेकिन 1970 में ग्लोबल कूलिंग और हिमयुग की वापसी की बात होने लगी। डा. दुबे ने कहा कि दरअसल विदेशी शक्तियां ग्लोबल वार्मिग के बहाने हमारे देश के नीति नियंता बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि धरती के गर्म या ठंडा होने में सौर गतिविधि व उसके धब्बों की महत्वपूर्ण भूमिका है, मगर इस तथ्य को दरकिनार कर सारा जिम्मा मानवीय गतिविधियों पर डाला जा रहा है। ग्लेशियरों के सिकुड़ने की रिपोर्टो पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वो लोग ग्लेशियर विशेषज्ञ बने बैठे हैं, जिन्होंने कभी ग्लेशियर नहीं देखे। भूगर्भीय साक्ष्य बताते है कि आज से 2000 साल पहले गंगोत्री ग्लेशियर आज की स्थिति से एक किलोमीटर पीछे था। यही नहीं एक जमाने में हिमालयी ग्लेशियर श्रीनगर गढ़वाल तक भी बढ़ आए थे। ग्लेशियर में कितनी बर्फ है इसका पता उसके मास बैलेंस अध्ययन से चलता है। ग्लेशियर के सिकुड़ने का पता उसके आकार या लंबाई से नहीं, बल्कि उसमें मौजूद बर्फ के आयतन से चलता है। हिमालय के 5575 ग्लेशियरों में से केवल 11 का ही मास बैलेंस अध्ययन हुआ है। इनमें से तीन का अध्ययन वाडिया इंस्टीट्यूट ने तो आठ का जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया है। इस अध्ययन की शुरुआत भी 1991 में ही हुई। उन्होंने कहा कि हिमालयी ग्लेशियर 4000 मीटर से ऊंचे क्षेत्रों में हैं जहां तापमान शून्य से 20 या 30 डिग्री नीचे रहता है ऐसे में 0.8 डिग्री तापमान बढ़ने से उन पर क्या असर पड़ेगा। अगर ग्लोबल वार्मिग है तो उसका असर एक सा होना चाहिए। क्या वजह है कि काराकोरम के जिन 33 ग्लेशियरों का अध्ययन हुआ है उसमें से 21 बढ़ रहे हैं।


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Friday, February 19, 2010

मेल लिखने के कुछ सुझाव


अखंड उत्तराँचल के प्रिय कर्ण धारो

शुभ आशीष
एक वरिष्ट नागरिक के नाते मै आप से निवेदन करता हूँ की आज जब की हम सभी उत्तरांचलियों को हमारे स्वयं के विशेष पोर्टल मिले हैं जैसे की ......पौडी गढ़वाल (PGG) यंग उत्तरांच (YU), घुघूती (घुघूती) और गढ़वाल बटी (garhwal bati).

इन सभी ग्रुप ने हमें आपसी वार्तालाप के लिए एक प्लातेफ़ोर्म दिया है जिनमे हम सभी निष्छंद निरद्वन्द और आज़ाद हो कर अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं और हमारी अपनी और हमारे उत्तराँचल की विकास की नयी सूज बूझ सुझा सकते हैं ..
ये कल्याणकारी पोर्टल हैं और हमारे हितेषी हैं जब साड़ी दुनिया अपने लिए पोर्टल बना सकती है तो फिर हम क्यों पीछे रहे

लेकिन हमारा भी कुछ उत्तर्दयित्वा है

हमें चाहिए कि हम भी अपना अपना योगदान इन पोर्टल्स को दें सबसे पहले हम अपनी मेल को सुंदर अलंकारों से संजोयें ..और ऐसा बनाएं की पडने वाले का दिल हर लें .
अंग्रेजी शब्द "हाई" बड़ा ही उत पटांग है उसकी जगह हम अपनी मेल मे "श्री मान ..जी ..... या फ़िर "प्रिय दीदी " या "भूली " या फ़िर " भैजी" से संबोधित करें, ये हमारे उत्तराँचल के मधुर भाषी और शालीन वचन हैं .ये ....
इनसे अपनेपन का अहसास होता है और फिर यही तो है हमारी संस्कृति और परंपरा जिसको दूर दूर तक जाना जाता है

"अथिति देवो भव" की संस्कृती है हमारी फिर ठीक इस प्रकास हुयी मेल को भी ध्यान से पड़ें उसके शब्दार्थ मे ना जा कर उसके भावार्थ मे जाने का प्रयास करें
आपके पास यदि कुछ अच्छे विचार हैं तो कड़ी मे जोड़ते चले जाएं या फ़िर एक अच्छी सोची समझी प्रितिक्रिया लिखें
मेल को लिख कर एक बार फ़िर से पढ़ें क्योंकि मेल लिखते समय हम ध्यान मग्न रहते हैं
एक बार पढ़ लेने से गलतियां नजर जाती हैं और उनको सुधारने का समय भी रहता है ऐसा हो की आपके द्वारा लिखा कोई शब्द शूल की तरह चुभ जाये इस लिए एक बार शांत हो कर और पढ़ें और अच्छा लगे तो भेज दें सच ही तो है कि जब कोई मेल आपको अच्छा लगेगा तो जरूरी है की वो औरों को भी अच्छा ही लगेगा आपके अच्छे विचार भावात्मक एकता को बनाने मे सहायता करते हैं इस लिए इस बात का विशेष ध्यान रखें की आप के द्वारा कोई ऐसी बात ना लिखी जाये तो किसी को दुखी करती हो...

ग्रुप मे केवल वो ही मेल लिखें जो सब के कल्याण के लिए हो जब हम किसी एक व्यक्ति को मेल लिखते हैं तो फ़िर उसे ग्रुप मे क्यों क्यों भेजें और अंत मे अभिवादन करना ना भूलें..
जैसा कि आपका अपना ही शुभेच्छु, चिन्तक और फ़िर अंत मे अपना नाम याद रखें आपकी मेल का पहला प्यारा शब्द अपना बनाने वाला भी हो सकता है और इसी प्रकार आपकी मेल का अन्तिम शब्द दूसरे का ताप हर सकता है पढने वाले का मूड सही कर सकता है होने को तो ऐसा भी हो सकता है की किसी के दिल में आपकी यादगार बन कर रह जाये
आपका अपना मुकुंद

PGG से साभार
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Thursday, February 18, 2010

Required the following personnels:

Required the following personnels:

1. A/C & REFREIGERATION MECHANICS: TWO.
Person should be residing in North West Delhi / Rohini / Pitampura etc.
Should have some knowledge about the repair/maintanance of window/ split A/C and or refreigerators.
Experience not necessary, salary according to experience and ability.

3. HELPERS - TWO NOS.
Should be from North West Delhi / Outer Delhi / Rohini/ Pitampura.

Good chance to learn & earn. Please contact immediately.
Rohit Bhatt - Mob # 9899173030
Rahul Bhatt - # 9999777030.

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Position open with HCL



Windows Admin Administration 4-6 Years BE/BTech Noida (INDIA)



Citrix Admin Administration 4-6 Years BE/BTech Noida (INDIA)



Walkin for Linux System Administrator in Bangalore (Electronic City Office) on 20 Feb 2010 Red Hat Linux 4-6 Years BE/BTech Bangalore (INDIA)



Walkin for AIX System Administrator in Bangalore (Electronic City Office) on 20 Feb 2010 OS 4-6 Years BE/BTech Chennai (INDIA)



Nertcool - Omnibus Professionals Tivoli Work Scheduler 4-6 Years BSc, BCA, BE/BTech, MSc, MCA, ME/MTech Chennai (INDIA)

Plz send your resume
Naresh Thapliyal

Specialist System
HCL Technology Ltd.
Mob.09818704024

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Requirement Accountant

Dear all
There is urgently require "Accountant" for our Print Media Client. Job based in Delhi-ITO only. Kindly find the details mention below. If interested, send us your updated resume with Current Salary details.

Details:
Company: Print Media Industry
Post: Accountant
Location: Delhi-ITO
Desired Profile: The candidate Should be well versed with usage of PC with any accounts ERP package.
Should have experience of minimum 1year in general accounting

Note: Interested candidates can send their updated profile on gmsminakshi@gmail.com and contact on Below mention number

Meenakshi
011-43080416, Extn: 21
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