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Saturday, February 6, 2010

पौड़ी गढ़वाल के अधिकारियों की ईमेल:

पौड़ी गढ़वाल के अधिकारियों की ईमेल:
S.No.
Office
E-Mail Address
1 Commissioner Garhwal comm-gar-ua@nic.in
2 District Magistrate, Pauri Garhwal dm-pau-ua@nic.in
3 IG Garhwal iggar-police-ua@nic.in
4 S.P., Pauri Garhwal sp-pau-ua@nic.in
5 District Judge, Pauri Garhwal dj-pau-ua@nic.in
6 Chief Treasury Officer, Pauri Garhwal treas-pau-ua@nic.in
7 Treasury Officer, Kotdwara treas-kot-ua@nic.in
8 Treasury Officer, Lansdown treas-lan-ua@nic.in
9 Treasury Officer, Dhumakot treas-dhu-ua@nic.in
10 D.E.St.O, Pauri Garhwal dsto-pau-ua@nic.in


pauri.ni.in से साभार

दोस्तों! क्या आप क्षेत्र का पिन कोड नंबर जानते हैं?

दोस्तों! क्या आप क्षेत्र का पिन कोड नंबर जानते हैं? अगर नहीं तो निचे लिंक पर क्लिक करें

http://india.gov.in/outerwin.php?id=http://www.indiapost.gov.in/Pin/Pinsearch.aspx


साभार http://india.gov.in से

Thursday, February 4, 2010

सूर्य के प्रताप से पक रहा मिड-डे मील

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में भगवान सूर्यदेव का 'प्रताप' स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) को पकाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह चमत्कार नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005-06 में शुरू की गई उस योजना से संभव हो पाया है, जिसके अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालयों को डिश-टाइप सोलर कुकर निशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

पहाड़ी सूबे के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की मिड-डे मील पर जब से सूर्यदेव की 'कृपा' शुरू हुई है, उन्हें भोजन पकाने के लिए न तो जंगल से लकड़ी लानी पड़ रही और न ही कई किमी दूर से रसोई गैस सिलेंडर ढोकर लाना पड़ रहा है। भोजन माताओं को भी जलावन के धुंए से निजात मिल रही है। कारण यह है कि सूबे के करीब 800 विद्यालयों में लगभग 1870 डिश-टाइप सोलर कुकर से मध्याह्न भोजन पकाया जा रहा है। इसमें जलावन या रसोई गैस की बजाय सिर्फ सौर-ऊर्जा के इस्तेमाल से ही चावल व दाल पकाई जाती है। जिन क्षेत्रों में एलपीजी नहीं पहुंच पाती, वहां तो राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण की यह कोशिशें मिड-डे मील योजना के लिए भी वरदान साबित हुई है। दरअसल, 2005-06 में उरेडा व शिक्षा विभाग के साझे प्रयास से विद्यालयों में पैराबोलिक सोलर कुकर संयंत्रों की आपूर्ति व स्थापना का कार्य शुरू हुआ। कुल 6900 रुपये कीमत के इस संयंत्र के लिए राज्य सरकार ने 5400 रुपये व केंद्र ने 1500 रुपये का अनुदान किया। इसमें जहां कम तापमान पर खाद्य सामग्री आधे से एक घंटे के भीतर पक जाती है, वहीं उसके पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते। प्रदूषण से भी निजात मिलती है, तो बच्चे भी स्कूल के आंगन में ही रोज सौर ऊर्जा के महत्व को देख और महसूस कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2008-09 के अंत तक जहां 694 स्कूलों में 1670 सोलर कुकर स्थापित किया जा चुके थे।

वहीं चालू वित्त वर्ष में भी अब तक 100 से अधिक स्कूलों में करीब 200 सोलर कुकर मिड-डे मील पकाने के काम आने लगे हैं। उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी एलडी शर्मा बताते हैं इस वर्ष मार्च तक कुल 341 सोलर कुकर स्थापित करने का लक्ष्य पूर्ण कर लिया जाएगा। ऊर्जा बचत के साथ ही यह संयंत्र स्कूलों में बच्चों को सौर ऊर्जा के महत्व को समझाने में भी बेहद सहायक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह सोलर कुकर आम जनता के लिए भी उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें इसकी पूरी कीमत स्वयं ही वहन करनी होगी।

हमले के दोषी की गिरफ्तारी को शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

नई टिहरी गढ़वाल। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने थौलधार प्रखंड के जूनियर हाईस्कूल कोटी में कार्यरत शिक्षक रामपाल सिंह पर जानलेवा हमले के दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की मांग की।

बुधवार को उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल राजकीय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों ने मुख्यालय में प्रदर्शन कर जूहा स्कूल कोटी में कार्यरत शिक्षक पर जानलेवा हमले के दोषी को तत्काल गिरफ्तार कर कठोर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने दोषी को शीघ्र गिरफ्तार करने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

प्रदर्शन करने वालों में राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रविन्द्र सिंह राणा, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष परमजीत सजवाण, जूहा शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र बहुगुणा, टीटी राणा, राम सिंह चौहान, विजयपाल सिंह, विनोद नेगी, बीना राणा, गिरीश चन्द्र डोभाल, कुसुम पुंडीर, अनुराधा सकलानी, सुधा डोभाल, राजेन्द्र चौहान, कृष्णपाल चौधरी, जगवीर सिंह खरोला, ईश्वरी प्रसाद पैन्यूली, सुशील चंन्द्र तिवाड़ी आदि मौजूद थे।

दूसरी ओर, शिक्षकों ने राजकीय इंटर कालेज ठागधार में कार्यरत प्रवक्ता गोविन्द सिंह सरियाल का शीघ्र पता लगाने की मांग की है।

Wednesday, February 3, 2010

चोपता: बर्फ पड़ी, पर नहीं पहुंच रहे पर्यटक

रुद्रप्रयाग। एक ओर सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के दावे कर रही है, वहीं पर्यटक स्थलों तक पर्यटकों को आवागमन में आने वाली दिक्कतें दूर करने की ओर जमीन पर कोई कोशिश नहीं की जा रही। रुद्रप्रयाग के पर्यटक स्थल चोपता के प्रति सरकारी लापरवाही इस बात की तस्दीक करती है। इस सीजन में यहां अच्छी बर्फबारी हुई, जिसका दीदार करने देशी- विदेशी सैलानी इस ओर रुख भी कर रहे हैं, लेकिन बर्फ न हटाने से गत एक महीने से सड़क बंद है। ऐसे में पर्यटक आधे रास्ते से वापस लौटने को मजबूर हैं।

जिले के चोपता पर्यटक स्थल को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाना जाता है। यहां के मखमली बुग्याल हर मौसम में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बर्फबारी के बाद तो इसके सौंदर्य पर चार चांद लग जाते हैं। इस बार भी दिसंबर में चोपता में अच्छी बर्फबारी हुई, जिसके बाद यहां देशी विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचे, लेकिन चोपता को जाने वाला मोटरमार्ग अधिक बर्फबारी के कारण बंद हो चुका है। इसके चलते अधिकांश लोग चोपता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हालांकि दुगलबिट्टा व इससे कुछ आगे तक जाने में पर्यटक सफल रहे।

सरकारी बेरुखी का आलम यह है कि बर्फबारी के एक महीने बाद भी चोपता- मंडल मोटरमार्ग नहीं खोला जा सका है। हालांकि, स्थानीय टैक्सी व ट्रक चालक अभ्यास होने के कारण आसानी से निकल रहे हैं, लेकिन पर्यटकों के वाहन बर्फ में फंस रहे हैं। बर्फ पर टायरों के फिसलने की वजह से दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। यही वजह है कि पर्यटक दुगलबिट्टा से आगे वाहनों पर नहीं जा रहे। हालांकि, यहा से पैदल भी चोपता तक जाया जा सकता है, लेकिन इस मार्ग पर घने वन होने के कारण जंगली जानवरों का भय बना रहता है। कलकत्ता से चोपता में बर्फबारी का लुत्फ लेने पहुंचे श्यामा प्रसाद बनर्जी की मुराद पूरी नहीं हो सकी। हालांकि, वह दुगलबिट्टा व इससे तीन किमी आगे बनियांकुंड तक गए, लेकिन वह चोपता तक नहीं पहुंच सके। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग ऊखीमठ के सहायक अभियंता एचएस नेगी ने बताया कि मोटरमार्ग पर पड़ी बर्फ को हटाया जा रहा है, जल्द ही इस पर वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी।

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अद्भुत! जिसने देखा, देखता ही रह गया

हरिद्वार। पहली पेशवाई जैसी आतुरता नहीं थी, लेकिन हृदय में उमड़ रहे श्रद्धा के भाव चेहरों पर साफ झलक रहे थे। चांदी के सिंहासनों में विराजमान संतों व भस्मीभूत अवधूतों की झलकमात्र पाने की अकुलाहट ऐसी थी, जिसे व्यक्त करने में समस्त अलंकार फीके पड़ जाएं। आस्था का यह रूप जिसने भी देखा, अपलक निहारता रह गया। शीश अपने आप श्रद्धा में झुक गए, नेत्र सजल हो उठे और हाथों से झर-झर झरने लगीं फूलों की पंखुड़ियां।

मंगलवार को पांडेवाला में खूब चहल-पहल है। श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़े के रमता पंच खिचड़ी का भोग लगा रहे हैं। भस्मीभूत अवधूत हाथों में त्रिशूल व दंड लिए इधर-उधर विचरण कर रहे हैं। धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। सब नतमस्तक हैं सनातन धर्म के इन ध्वजवाहकों के सामने। भोग लगते ही शंखनाद हुआ और फिर बज उठी रणभेरी। 'हर-हर महादेव' के जयघोष के बीच अवधूतों ने कांधे पर उठा ली है अपने ईष्टदेव भगवान गणेश की पालकी। पास ही भजनलहरी गूंज रही है 'नदिया चले चले रे धारा, चंदा चले चले रे तारा, तुझको चलना होगा-तुझको चलना होगा'।

आगे-आगे विशालकाय धर्मध्वजाएं हैं और पीछे चतुरंगिणी सेना। ढोल-नगाड़ों व बैंडों की गूंज के बीच हाथी-घोड़ों पर सवार अवधूत चल रहे हैं। जिस मार्ग से पेशवाई को आगे बढ़ना है, वह मुस्लिम बहुल इलाके से गुजरता है। मुस्लिम बिरादरी के लोग छतों, गली के नुक्कड़ों, आसपास के ऊंचे स्थानों पर संतों की अगवानी में पलक-पांवड़े बिछाए बैठे हैं। कईयों के हाथों में फूलों की पंखुड़ियां हैं तो कई पुष्पहार हाथों में लिए हुए हैं। जैसे ही कोई संत पास से गुजरता है छतों से पुष्पवर्षा होने लगती है। संत के हाथ भी आशीष के लिए उठ जाते हैं और श्रद्धा में नतमस्तक हो जाते हैं भक्त। रंगोली सजी सड़कों पर जगह-जगह फूल बिछाए गए हैं। रथों पर चांदी के सिंहासनों में विराजमान संतों का काफिला चल रहा है। बैंड की धुनों के बीच गूंजती भजनलहरियों के साथ भांति-भांति के करतब दिखाते अवधूतों का साम्य कौतूहल पैदा कर रहा है। गंतव्य की ओर कदम बढ़ाते संत जब फूल मालाएं व टाफियां श्रद्धालुओं की ओर उछालते हैं, तो एक-दूसरे में होड़ सी मच जाती है उन्हें पाने को। अवधूतों के पैरों तले रौंदी हुई मालाओं को भी श्रद्धालु ऐसे मस्तक से लगाते हैं, मानो कोई पुण्य का खजाना मिल गया है। यह जरूर रहा कि पहली पेशवाई जैसा विशाल लाव-लश्कर आह्वान अखाड़े की पेशवाई में नहीं दिखाई दिया, लेकिन शाही वैभव में यह कहीं भी उन्नीस नहीं थी। जिस-जिस मार्ग से पेशवाई गुजरी सामाजिक संस्थाओं, राजनीतिक लोगों व व्यापारियों ने उसका उसी अंदाज में स्वागत किया, जैसा जूना व अग्नि अखाड़े की पेशवाई में देखने को मिला था। जितना मर्यादित पेशवाई का स्वरूप था, उतना ही सलीका सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी नजर आया। देश-दुनिया से पेशवाई के दीदार को धर्मनगरी पहुंचे मेहमानों के चेहरों की रौनक बता रही थी कि इस अनुपम दृश्य को देखकर वे अभिभूत हैं।

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उत्तराखंड में सब्जी की खेती के लिए सिखाई नयी प्रणाली

उत्तरकाशी। तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्थान ने जनदेश जोशीमठ व एक्शन एड लखनऊ के सहयोग से डुंडा प्रखंड के न्याय पंचायत फोल्ड में तीन दिवसीय नकदी फसलों पर प्रशिक्षण आयोजित किया।

प्रशिक्षण में सन्ताण गांव, वमण गांव, माडिया गांव के 340 किसान ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान आनंद प्रकाश ने किसान को वैज्ञानिक पद्वति से सब्जी उत्पादन के गुर सिखाये। उन्होंने समूह के सदस्यों को बताया कि उत्तराखंड में सब्जी की खेती निचले पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर घाटियों एवं ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में सफलता पूर्वक की जा सकती है। ग्राम प्रधान प्यारी देवी ने सब्जियों के उत्पादन तथा उत्पादकता पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि सब्जी उत्पादन हमारे आर्थिक विकास का आधार बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। संस्था के प्रमुख नागेन्द्र दत्त ने किसानों को बताया कि सब्जी की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी अति आवश्यक है। उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कहा कि सब्जी उत्पादन के लिए हल्की रेतीली या दोमट मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक उपलब्ध हो उपयुक्त मानी जाती है। इस मौके पर 40 गरीब परिवारों को आर्थिक मदद के रुप में चेक वितरित कर 20 समूह के सदस्यों को निशुल्क सब्जी के बीज वितरित किए गए।

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अब हृदय संबंधित बीमारियों की जांच भी बेस में

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। हृदय रोग की जांच के लिए रोगी के रक्तकी होने वाली सभी आधुनिक जांच अब मेडीकल कालेज से संबद्ध बेस अस्पताल की पैथोलॉजी में ही हो सकेंगी। इससे हृदय रोगों के लिए रक्त विभिन्न जांचों के लिए रोगियों को अन्यत्र अस्तपालों में नहीं जाना पड़ेगा।

मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. विपेन्द्र सिंह चोपड़ा के मुताबिक बेस अस्पताल में अब ट्रोपोनिन आई और ट्रोपोनिन टी तथा सीकेएमबी जांच सुविधा उपलब्ध हो गयी है। उन्होंने बताया कि हृदय रोग के साथ ही किडनी रोग की जांच के लिए सिरम फास्फेड, सिरम सोडियम और पोटेशियम की जांच भी अब बेस में होगी। मनोरोगियों की जांच को होने वाला लीथियम टेस्ट भी अब बेस में होगा। मेडिकल कालेज के बायो कैमिस्ट्री विभाग के अंतर्गत इन जांचों के साथ ही किडनी रोग से संबंधित माइक्रो एल्बूमिन यूरिया की जांच सुविधा भी उपलब्ध करा दी गयी है। इन सभी जांचों का शुल्क बाजार की तुलना में कई गुना कम भी है। बेस अस्पताल में अब हैपेटाइटिस ए और ई की भी जांच होगी। लीवर संबंधी इस रोग में हैपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, ई पांच प्रकार के अलग-अलग तरह के वायरस होते हैं। इनमें से बी और सी की जांच बेस में अभी तक होती थी। अब ए और ई की भी जांच सुविधा भी उपलब्ध करवा दी गयी है। बायोकैमिस्ट्री विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. शेखर पाल ने कहा कि हैपेटाइटिस डी अलग से अकेले बीमारी नहीं करता है। अन्य वायरस ए, बी, सी, ई के साथ यह रियक्ट करता है। अब बेस में इनकी जांच सुविधा उपलब्ध है। डा. शेखर ने बताया कि माइक्रो बायोलॉजी विभाग के अंतर्गत टीबी रोग का मोंटूक्स टेस्ट सुविधा भी अब उपलब्ध करा दी गयी है।

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विकास कार्यो में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी : डॉ रमेश पोखरियाल (मुख्यमंत्री)

विकास कार्यो में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी : डॉ रमेश पोखरियाल (मुख्यमंत्री)

पैठाणी (पौड़ी गढ़वाल)। गृहक्षेत्र थलीसैंण के भ्रमण के दौरान मजरा महादेव में आयोजित जनता मिलन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने घोषणाओं की झड़ी लगा दी। मजरा महादेव में महाविद्यालय भवन, चाकीसैंण में उप तहसील, पैठाणी व पाबौ में आईटीआई खोलने व विभिन्न विद्यालयों को आर्थिक सहायता देने समेत सीएम ने विभिन्न कार्यो का शिलान्यास व लोकार्पण भी किया।

मंगलवार को मुख्यमंत्री डा। निशंक थलीसैंण ब्लाक की ढाईज्यूली पट्टी स्थित मजरा महादेव पहुंचे। यहां आयोजित जनता मिलन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने जनता की समस्याएं सुनीं। इस दौरान उन्होंने मजरा महादेव में राजकीय महाविद्यालय, चाकीसैंण में उप तहसील, चाकीसैंण स्वास्थ्य केंद्र का उच्चीकरण, पैठाणी व पाबौ में आईटीआई कालेज खोलने व जूनियर हाईस्कूल चौरा के उच्चीकरण की घोषणा की। इसके अलावा थलीसैंण में पुस्तकालय के लिए दस लाख, मजरा महादेव पब्लिक स्कूल के भवन के लिए पांच लाख व ढाईज्यूली पट्टी में स्थित सभी सरस्वती विद्या मंदिरों के लिए दो- दो लाख रुपये के साथ ही पट्टी के सभी ग्रामसभाओं के महिला मंगलदलों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गोड़खाखाल-बिसल्ड, मजरामहादेव-नौड़ी-सौठ, कुचोली-कठयूड़ मोटरमार्ग पर डामरीकरण, कपरोली में एग्री बिजनेस विपणन केंद्र व तरपालीसैंण विपणन केंद्र का शिलान्यास भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि क्षेत्र के समुचित विकास को लेकर सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि विकास कार्यो में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस अवसर पर क्षेत्रीय ग्रामीणों ने उनको समस्याओं के ज्ञापन सौंपे, जिन पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। इस दौरान जीएमवीएन के उपाध्यक्ष राजेंद्र रौथाण ने मुख्यमंत्री को क्षेत्र की कई समस्याओं से अवगत कराया। इस अवसर पर क्षेत्र प्रमुख मंजू रावत, पूर्व प्रमुख शंकर रावत, ज्येष्ठ प्रमुख बालकृष्ण चमोली, जिला पंचायत सदस्य कौशल्या भट्ट व लक्ष्मी रौथाण, भाजपा मंडल अध्यक्ष पैठाणी विजय रौथाण, डा. मनवर रावत, नरेन्द्र सिंह, आनंद सिंह, न्याय पंचायत अध्यक्ष चौरा घनानंद चमोली सहित कई विभागीय अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

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Monday, February 1, 2010

गांवों में पर्यावरण के संरक्षण की चुनौतियां एवं निराकरण

राजसिंह (इ-रिपोर्टर) | श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के कुलसचिव प्रो। उदय सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय लोगों के साथ पहाड़ के प्रवासी नागरिकों को भी अपने गांवों की सुध लेनी होगी। गांवों का विकास हुए बिना प्रदेश का सर्वागीण विकास नहीं हो सकता है।

रविवार को कठूड़ गांव में गढ़वाल विवि के प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग द्वारा 'गांवों में पर्यावरण के संरक्षण की चुनौतियां एवं निराकरण' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते कुलसचिव डा। यूएस रावत ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण निहित है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जब तक प्रत्येक परिवार पूर्ण मनोयोग से साझे प्रयास नहीं करता, पहाड़ में प्रकृति, समाज और जीवन के अस्तित्व पर पर्यावरण रूपी खतरे मंडराते रहेंगे। लैंगिक भेदभाव को दूर करने पर विशेष बल देते हुए डा. उदय रावत ने कहा कि पहाड़ में महिलाओं को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर भी देने चाहिए। इस दौरान प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. संपूर्ण सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्राम स्तर पर जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को सक्रिय पहल करनी होगी। सतत शिक्षा केन्द्रों के कार्यो पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने विचार गोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में भी बताया। मुख्य वक्ता और संस्कृति कर्मी गणेश खुगशाल ने कहा कि ग्राम स्तर पर ऐसी विचार गोष्ठियां पर्यावरण संरक्षण को लेकर सार्थक संवाद का माध्यम भी बनती हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को अपने विकास के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। पंचायत प्रणाली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में अब भी महिलाएं नई पहल नहीं कर पा रही हैं। जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के लिए महिलाएं अभी भी दहलीज लांघने को तैयार नहीं हैं। डाल्यों का दगड़्या के संस्थापक अध्यक्ष डा. मोहन सिंह पंवार ने परंपरागत लोकज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मध्य अर्थपूर्ण सामंजस्य पर बल दिया। डा. पंवार ने कहा कि जल संरक्षण के साथ मिश्रित वनों का विकास जरूरी है। डा. पंवार ने कहा कि स्वच्छता और आजीविका के संसाधनों को बढ़ाने को लेकर गांवों में संगठित प्रयासों की जरूरत है, जिसके लिए गढ़वाल विवि के सतत शिक्षा केन्द्र सशक्त माध्यम भी बन सकते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राइंका खोला के प्रधानाचार्य प्रमोद धस्माना ने गांवों के प्रदूषित होते जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी। नई पीढ़ी को सामाजिक और भौतिक पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करने को लेकर बहुआयामी प्रयास किए जाने चाहिए। कोट के ज्येष्ठ प्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत, कठूड़ के क्षेत्र पंचायत सदस्य धर्मवीर सिंह नेगी, युवक मंगल दल के अध्यक्ष अरविंद शाह, ग्राम प्रधान कठूड़ बसंत नेगी ने भी गोष्ठी में विचार व्यक्त किए। विभाग के प्रवक्ता राकेश भट्ट ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। क्षेत्रीय समन्वयक कमलेश नैथानी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
प्रयास.कॉम से साभार
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