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Wednesday, August 12, 2009

सभी प्रकार की ख़बर दैनिक जागरण से साभार

सभी प्रकार की ख़बर दैनिक जागरण से साभार

-जयराम रमेश ने निशंक को दिलाया भरोसा

देहरादून। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक को राज्य की समस्याओं के निराकरण में सकारात्मक पहल का भरोसा दिलाया है।

बीजापुर गेस्ट हाउस में राज्यमंत्री ने सीएम से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच राज्य से जुड़े विभिन्न मसलों पर बातचीत हुई। डा. निशंक ने कहा कि राज्य को वन संरक्षण की एवज में विशेष सहायता दी जानी चाहिए। वन एवं पर्यावरण के मद में केंद्र स्तर पर लंबित 771 करोड़ की धनराशि तुरंत अवमुक्त होनी चाहिए। वन अधिनियम से संबंधित मामलों के निस्तारण को लखनऊ स्थित कार्यालय को देहरादून स्थानांतरित किया जाए। इसके साथ ही बीस हेक्टेयर तक के मामले सरकार को अपने स्तर पर निस्तारित करने का अधिकार मिले। गढ़वाल व कुमाऊं को जोड़ने वाले हरिद्वार-कोटद्वार-रामनगर मार्ग को स्वीकृत कराने में केंद्र सार्थक पहल करे। हरिद्वार में हिल बाईपास से मोतीचूर तक सड़क निर्माण को जल्द स्वीकृति दी जाए। उन्होंने कहा कि कैंपा के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजे 595 करोड़ के प्रस्ताव पर भी स्वीकृति प्रदान की जाए। सीएम ने वन अधिनियम से स्वीकृति प्रक्रिया का सरलीकरण करने का भी अनुरोध किया। केंद्रीय राज्यमंत्री जयराम रमेश ने सीएम को बताया कि राज्य को 106 करोड़ की धनराशि तत्काल दी जा रही है। इसमें कैंपा के अंतर्गत 84 करोड़ भी हैं। वन क्षेत्र वाले राज्यों को वित्तीय सहायता देने के लिए 13वें वित्त आयोग अध्यक्ष से वार्ता हुई है और इस मामले में आयोग की संस्तुतियों के बाद ही विचार किया जाएगा। केंद्र सरकार राजाजी पार्क को सुरक्षित रखने के लिए देहरादून-मोहंड हाइवे पर एक टनल का निर्माण करने का प्रस्ताव तैयार करने जा रही है। हरिद्वार-कोटद्वार-रामनगर मोटर मार्ग का सर्वे वाइल्ड लाइफ इस्टीट्यूट अगले दो माह में पूरा कर लेगा। कार्बेट नेशनल पार्क में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में स्थानीय लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। कार्बेट में माइक्रोलाइट एयर क्राफ्ट योजना भी शुरू की जाएगी। राज्य सरकार कार्बेट-लैंसडाउन-राजाजी पार्क के पश्चिमी क्षेत्र के कारिडोर के लिए योजना तैयार कर सकती है। उन्होंने कहा कि गंगा रिवर बेसिन परियोजना का लाभ उत्तराखंड को भी मिलेगा। हिमालयन ग्लेशियर पर अध्ययन के लिए वाडिया इस्टीट्यूट में एक सेंटर भी खोला गया है। उन्होंने लखनऊ के नोडल कार्यालय को देहरादून स्थानांतरित करने के लिए भी आश्वस्त किया। इस मौके पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण सचिव विजय शर्मा, महानिदेशक डा. दिलीप कुमार, अतिरिक्त महानिदेशक डा. गंगोपाध्याय, प्रदेश के मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, सचिव वन अनूप बधावन, सचिव लोनिवि उत्पल कुमार सिंह तथा प्रमुख वन संरक्षक आरएसबीएस रावत भी मौजूद थे।

2050 तक विकसित देशों के समान होगी प्रति व्यक्ति आय

देहरादून। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा देश जिस गति से प्रगति कर रहा है, उसके मुताबिक 2050 तक देश में प्रति व्यक्ति आय विकसित देशों के बराबर हो जाएगी।

वह भारतीय वनसेवा के 2007-09 के लिए आयोजित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के व्यावसायिक वानिकी प्रशिक्षण कार्यक्रम के 38वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री जयराम रमेश ने कहा कि भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा गांवों में रहता है। जलवायु परिवर्तन ग्रामीणों पर सीधा असर डाल रहा है। ऐसे में वन आधिकारियों का दायित्व बहुत बढ़ जाता है। समारोह को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव विजय शर्मा, वन महानिदेशक व भारत सरकार के विशेष सचिव डॉ. पीजे दिलीप कुमार ने भी संबोधित किया। इस मौके पर इंडियाज फॉरेस्ट एं़ड ट्री कवर कंट्रीब्यूशन एज ए कार्बन सिंक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इसके पहले आईजीएनएफए के निदेशक आरडी जकाती ने अकादमी की रिपोर्ट पेश की। इस मौके पर प्रदेश के मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, आईसीएफआरई के महानिदेशक जगदीश किशवान, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ. आरबीएस रावत, एफआरआई के निदेशक डॉ. एसएस नेगी, आदि मौजूद रहे।

विश्वेश कुमार टॉपर

देहरादून: भारतीय वन सेवा के 2007-09 बैच में छत्तीसगढ़ काडर के विश्वेश कुमार ने 80.9 प्रतिशत अंक पाकर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उन्होंने दस पुरस्कारों पर कब्जा जमाया। मुख्य अतिथि मोंटेक सिंह अहलूवालिया व कार्यक्रम अध्यक्ष वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश ने उन्हें सम्मानित किया।

राज्य वन सेवा महाविद्यालय

का नया नाम सीएएसएफएस

देहरादून: एफआरआई परिसर में स्थित राज्य वन सेवा महाविद्यालय का नाम बदल गया है। अब इसे सेंट्रल एकेडमी फॉर स्टेट फॉरेस्ट सर्विसेज के नाम से जाना जाएगा।

सिविल सेवा की तर्ज पर गठित होगा वन सेवा का ढांचा

देहरादून, जागरण संवाददाता: भारतीय वन सेवा का ढांचा भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर गठित होगा। इतना ही नहीं कोई भी वन अधिकारी अपना काडर नहीं बदल सकेगा।

सोमवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के 38वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्रीजय राम रमेश ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र भारतीय वन सेवा का आधुनिकीकरण करने की तैयारी की जा रही है, ताकि उसे भी भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की तरह ही आकर्षक बनाया जा सके। जयराम रमेश ने कहा कि देश में पहली बार बजट में वन एवं पर्यावरण क्षेत्र में काम के लिए भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद आईसीएफआरई को 100 करोड़ रु. प्रदान किए गए हैं। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण एवं भारतीय जंतु सर्वेक्षण के 15-15 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। कैंपा फंड को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। जिसके तहत कुल 11 हजार करोड़ रु. में से 871 करोड़ उत्तराखंड को मिलेंगे।

शिष्यों को नहीं खींच पाया सपनों का गुरुकुल

देहरादून। निजी कालेजों में प्रवेश के लिए छात्रों में मची मारामारी के बीच राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट दून विश्वविद्यालय के प्रति छात्रों में क्रेज नहीं दिखने से यूनिवर्सिटी प्रशासन चिंतित और हैरत में है। विश्वविद्यालय का मानना है कि प्रचार की कमी, नया विवि, 'दून' नाम से देहरादून में कई संस्थान होने और कुछ लोगों द्वारा इस यूनिवर्सिटी को निजी यूनिवर्सिटी प्रचारित किए जाने के कारण ऐसा हुआ है।

देहरादून के निजी कालेजों में प्रवेश के लिए छात्रों की लाइनें लगी हैं। छात्र डोनेशन देकर भी प्रवेश ले रहे हैं, जबकि दून विवि में फीस कम होने, निजी कालेजों से बेहतर सुविधाएं व फैकल्टी होने के बावजूद छात्र वहां प्रवेश में रुचि नहीं ले रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा 2005 में शुरू किए गए इस विवि में लंबे समय की मशक्कत के बाद छह अगस्त को पहला सत्र शुरू हुआ। विवि ने यहां रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रचार करने के साथ ही इसका प्रयोगवादी होने के रूप में भी परिचय भी दिया, लेकिन छात्रों ने फिर भी इसमें अपेक्षित रुचि नहीं दिखाई। दून विवि के प्रथम बैच के लिए 19 जुलाई को प्रवेश परीक्षा हुई थी। स्कूल आफ एन्वायरमेंटल साइंसेज व स्कूल आफ कम्युनिकेशन की अस्सी सीटों पर प्रवेश के लिए हुई परीक्षा में केवल 130 छात्र-छात्राएं ही शामिल हुए। स्कूल आफ एन्वायरमेंटल साइंसेज के दो एमएससी पाठ्यक्रमों में 20-20 सीटों के लिए 61 और एमए जनसंचार एवं पत्रकारिता की 40 सीटों के लिए 69 छात्र प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे। तीन अगस्त से शुरू हुई काउंसिलिंग में विवि केवल 53 सीटें ही भर पाया। इनमें स्कूल आफ कम्युनिकेशन की 24 व स्कूल आफ एन्वायरनमेंटल साइंसेज की 29 सीटें ही भरी जा सकीं। विवि के कुलपति प्रो. गिरिजेश पंत ने स्वीकार किया कि विवि के प्रति छात्रों में अपेक्षित क्रेज नहीं दिखा। प्रो. पंत इसके पीछे प्रवेश का प्रक्रिया देर से शुरू होना, प्रचार पर निजी संस्थानों की तरह पैसा खर्च नहीं किया जाना और नए विवि में प्रवेश में जोखिम का नजरिया को कारण मानते हैं। उनका मानना है कि देहरादून में 'दून' नाम से कई संस्थान होने व कुछ निजी संस्थानों व लोगों द्वारा दून विवि को निजी विवि के रूप में प्रचारित किए जाने के कारण भी ऐसा हुआ। हालांकि उनका कहना है कि आने वाले एक-दो सालों में विवि से निकलने वाले छात्रों की गुणवत्ता के आधार पर और मीडिया के जरिये प्रचार से छात्रों में विवि के प्रति क्रेज देखने को मिलेगा।

लखवाड़-व्यासी पर नए सिरे से होंगे टेंडर

देहरादून। लखवाड़ व्यासी परियोजनाओं पर नए सिरे से टेंडर होंगे। एक सप्ताह के अंदर टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

लखवाड़ व्यासी परियोजनाओं पर 25 साल पहले जेपी तथा एक अन्य कंपनी टेंडर डाले थे। कई कारणों से इन परियोजनाओं पर कुछ काम होने के बाद मामला अधर में लटक गया। इनको लेकर चल रहे विवाद अब लगभग समाप्त हो गए हैं। अब बरसात के बाद ही इन पर काम शुरू हो जाएगा। इससे पहले टेंडर समेत बाकी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है। ताकि बारिश रुकते ही काम शुरू किया जा सके।

पहले कोशिश हो रही थी कि उन्हीं कंपनियों से रिवाइज दरें मांग ली जाएं। मिल बैठकर नई दरों में एक राय तक पहुंचा जाए। अब इस संबंध में ऊपरी स्तर पर इस विचार को बदल दिया गया है। अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है। ताकि पिछली दरों के झमेले से बचा जा सके। नई दरों पर नए सिरे से काम शुरू हो सके। जल विद्युत निगम स्थित सूत्रों के अनुसार एक सप्ताह के अंदर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

राफ्टिंग: 35 करोड़ के व्यवसाय पर विवाद का साया

देहरादून। गंगाघाटी में व्हाइट वाटर राफ्टिंग के जरिए हर साल होने वाले करीब 35 करोड़ रुपये के व्यवसाय पर विवाद का साया मंडराने लगा है। एक सितंबर से शुरू होने वाले राफ्टिंग सीजन से ऐन पहले इस व्यवसाय से जुड़ी 109 निजी कंपनियों ने सरकार की मौजूदा राफ्टिंग नीति के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया है। कंपनियों का कहना है कि गंगा नदी में राफ्टिंग के लिए पर्यटन विभाग से मिलने वाले लाइसेंस की अवधि कम से कम पांच वर्ष होनी चाहिए। कैंपिंग के लिए गंगातटों के आवंटन हेतु प्रस्तावित नीलामी प्रक्रिया तत्काल रोकी जाए। साथ ही, ऋषिकेश-कौडियाला इको-टूरिज्म जोन में वन विभाग द्वारा वसूले जा रहे राजस्व का उपयोग भी सिर्फ पर्यटक सुविधाओं के लिए किया जाए।

ऋषिकेश-कौडियाला इको-टूरिज्म जोन में राफ्टिंग व्यवसाय से जुड़ी 109 कंपनियों ने तीन नीतिगत सवालों को लेकर संघर्ष की राह अख्तियार की है। सीजन शुरू होने से ऐन पहले उन्होंने राफ्टिंग उपकरणों की जांच के लिए ऋषिकेश पहुंची टेक्निकल कमेटी को निरीक्षण किए बगैर ही बैरंग लौटा दिया, जिसके चलते किसी भी कंपनी को सितंबर से शुरू हो रहे सीजन के लिए अभी तक लाइसेंस नहीं मिल पाया है। राफ्टिंग कंपनियों का तर्क है कि जब तीन माह पूर्व उनके उपकरणों का निरीक्षण हो चुका है, तो दुबारा निरीक्षण का क्या मतलब है। तकनीकी निरीक्षण के नाम हो रहे उत्पीड़न को राफ्टिंग कंपनियां अब बर्दास्त करने में मूड में नहीं हैं। साहसिक पर्यटन संघर्ष समिति के बैनर तले एक मंच पर जुटी इन कंपनियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है, कि यदि 20 अगस्त तक लाइसेंस जारी नहीं हुए, तो राफ्टिंग व्यवसाय से जुड़े करीब पांच हजार लोग 21 अगस्त को बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को अनिश्चितकाल के लिए जाम कर देंगे। ऋषिकेश-कौडियाला के बीच महज 20 किलोमीटर के दायरे में स्थित इस इको-टूरिज्म जोन में 109 कंपनियां राफ्टिंग-कैंपिंग व्यवसाय से जुड़ी हैं। स्थानीय लोगों की कई दशक की मेहनत के बूते 35 करोड़ रु. सालाना टर्नओवर तक पहुंचे इस व्यवसाय से करीब पांच हजार लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से भी सैकड़ों परिवारों की आर्थिकी इस पर टिकी हुई है। अब जबकि तीन नीतिगत सवालों पर सितंबर से शुरू होने वाले राफ्टिंग सीजन पर विवाद का साया मंडराने लगा है, तो व्यवसाय से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट गहराने लगा है। संघर्ष के संयोजक दीपक भट्ट का कहना है कि स्थानीय लोगों की दशकों की मेहनत के बूते ही गंगाघाटी में यह उद्योग स्थापित हुआ है। साथ ही, राफ्टिंग से जुड़ी कंपनियां सरकार को हर साल लाखों रुपये का राजस्व भी कमा कर दे रही हैं। इसके बावजूद तकनीकी निरीक्षण, लाइसेंस और बीच आवंटन की नीलामी प्रक्रिया के नाम पर उनका आर्थिक व मानसिक उत्पीड़न कहां तक जायज है। समिति की मांग है कि राफ्टिंग के लिए सरकार ठोस व सर्वमान्य नीति घोषित करे, ताकि सरकार के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी व्यवसाय का पूरा लाभ मिले।

Tuesday, August 11, 2009

यात्री होंगे जज , अफसर होंगे जवाबदेह

हरिद्वार। भारतीय रेल के अब तक के इतिहास में पहली बार मुरादाबाद मंडल ने रेल यात्रियों को 'जज' बनाया है और अफसरों को 'जवाबदेह'। मंडल ने पारदर्शिता को तरजीह देते हुए ए-वन और ए श्रेणी में शामिल पांच रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को अधिकारों से लैस किया है। यात्रियों को कहीं भी गंदगी या ड्यूटी पर तैनात कर्मी नहीं मिलने पर वे प्लेटफार्म पर प्रदर्शित रंगीन बोर्ड पर अंकित नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अफसर तत्काल शिकायत को तस्दीक कर लापरवाह कर्मचारी के विरुद्ध 'एक्शन' लेंगे। इसमें सफाई कर्मी की पगार से 100 रुपये प्रति शिफ्ट तक काटे जा सकते हैं।

रेलवे यात्री स्टेशन पर गंदगी होने पर अफसरों को शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए प्लेटफार्म पर टांगे गए बोर्ड में दर्ज नंबरों के जरिये अफसरों से शिकायत की जा सकेगी। मुरादाबाद मंडल के पांच रेलवे स्टेशन हरिद्वार, देहरादून, मुरादाबाद, बरेली और हापुड़ में यह व्यवस्था की गई है। मुरादाबाद मंडल से आए बोर्ड में सफाई कर्मियों की तादाद, उनके कार्य करने का समय, पैदल फुट ओवर ब्रिज पर कार्य करने का समय सहित हर चीज का ब्योरा दिया गया है। यदि यात्री चाहें तो इन कर्मियों के बोर्ड पर डिस्प्ले जानकारी के अनुसार प्लेटफार्म पर सफाई कर्मी नजर नहीं आने पर तुरंत शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वह शिकायत की जांच कर कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करेगा। इसके पीछे कर्मचारियों और अफसरों को काम के प्रति जवाबदेह बनाना है।

यात्रियों ने की तारीफ

हरिद्वार: इलाहाबाद से देहरादून जाने वाली लिंक एक्सप्रेस के शयनयान से उतरे यात्री मुकेश सिंह और हरिकेश बहादुर ने नई व्यवस्था की जमकर तारीफ की। शताब्दी सुपरफास्ट से हरिद्वार पहुंचे दिल्ली निवासी सुखविंदर कौर ने बताया कि निश्चित रूप से यह काबिलेतारीफ है। इसे हर विभाग में लागू किया जाना चाहिए।

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