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Friday, December 3, 2010

लाख़ो साल पूर्व पहला परमाणु बम उत्तराखंड में ही बना था निशंक ?

लाख़ो साल पूर्व पहला परमाणु बम उत्तराखंड में ही बना था  निशंक ?

 

प्रगति मैदान में उत्तराखंड मुख्य मंत्री श्री पोखरियाल

|सुदर्शन सिंह रावत | 23 नवम्बर को राजधानी दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में उत्तराखंड दिवस का आयोजन था. यूँ तो हर साल ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में उत्तराखंड दिवस आयोजित होता है. लेकिन इस बार  खास था  आखिर राज्य की दस साल की उपलब्धियों को सरकार कैसे दर्शाती है पहले भी राज्य के  स्टाल  ( पवेलियन) में शहद, जूस,  भट, गहथ, मंडुआ,(क्वाद) झंगोरा इत्यादि बेचने वालों की भरमार रहती थी  साथ में राज्य की प्रगति को दर्शाते कुछ स्टाल भी होते थे  इस बार शहद, जूस, केचप के स्टाल तो बरकरार थे   बाकी स्टाल  जो सदियाँ  से  पहाड़  की  पहचान  थी  प्रवासी  उत्तराखंड  के लोगो  की भीड़  गहथ, मंडुआ, झंगोरा   वेचने वालो  को   ढूंढे   जा  रही थी जो की  लगभग नदारद.थी लोगो को तब और निराशा हुई जब राज्य के पवेलियन में उत्तराखंड टूरिज्म, सिडकुल और उत्तराखंड जल विद्युत् निगम के स्टाल लगे तो थे मुख्यमंत्री को कार्यक्रम में शिरकत के लिए  आना था  मुख्यमंत्री  जैसे  ही  कार्यक्रम  मैं पहुचे  तो  मीडियाकर्मी  से  मोखातिब होते  ही   मुख्यमंत्री निशंक अपने बडबोलेपन से यहाँ भी नहीं चूके. महाकुम्भ की उपलब्धियों के बखान के बाद उन्होंने बताया कि किस तरह  उपब्धियों को अंकतालिका में ऊपर रखा है, उसमें वह जीएसडीपी में प्रथम, विकास दर में तीसरा स्थान, प्रतिव्यक्ति आय में सबसे आगे, कुशल आर्थिक प्रबन्धन में अग्रणी, पर्यावरण एवं जन्तु संरक्षण में प्रथम, भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी को ब्रांड एम्बेसडर बनाना, बीस सूत्रीय कार्यक्रम में प्रथम, गंगा को बचाने के लिये हेमामालिनी को ब्रांड एम्बेसडर बनाना, आपातकालीन सेवा 108 में 1870 बच्चों के जन्म होने का रिकार्ड, दस साल में एक लाख नौजवानों को रोजगार दिया आदि-आदि।  हद तो तब हो गई जब निशंक साहब ने रहस्योद्घाटन किया कि  चार लाख साल पूर्व पहला परमाणु बम उत्तराखंड में ही बना था ? इसे पहले  भी  मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों पिथौरागढ़ जनपद के जौलजीवी मेले में  मुख्यमंत्री 'निशंक' ने कहा कि पलायन पहाड़ के लिये वरदान है, इसी से पहाड़ की प्रतिभायें देश-विदेश में उत्तराखण्ड का नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ में पढ़े-लिखे युवाओं को बाहर जाना चाहिये और कम पढ़े-लिखे लोग पहाड़ में रहें। क्योंकि उन्हें बाहर उस तरह के मौके नहीं मिल पायेंगे।                                                                                                      

                  

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