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Monday, December 27, 2010

बूंखाल में अब हर दिन हो रही पशुबलि

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पौड़ी गढ़वाल, जागरण कार्यालय: पहले बूंखाल उत्सव साल में मात्र दिसंबर माह में होता था और बूंखाल के मुख्य मंदिर तक तीन महीन आवाजाही पर पाबंदी होती थी, लेकिन इस साल तो यहां हर रोज लोग बकरों की बलि देने पहुंच रहे है। बलि रोकने के लिए उप जिलाधिकारी के नेतृत्व में यहां तैनात पुलिस टीम रोज हो रही बलि से परेशान है। पशुबलि समर्थकों के मुकदमे दर्ज होने के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
पौड़ी के राठ क्षेत्र के प्रमुख उत्सवों में बूंखाल कालिंका उत्सव प्रथम स्थान पर है। 11 दिसंबर को बलि के बाद परंपरा अनुसार मेला क्षेत्र में बलि बंद हो जाती थी, लेकिन इस बार यह परंपरा टूट गई। अब मेले के बाद भी पंरपरा को तोड़ते हुए यहां लोग मनौती के बकरे और भेड़ लेकर पहुंच रहे है। 11 दिसंबर से अब तक यहां सैकड़ों बकरों की बलि दी जा चुकी है, हालांकि मुख्य उत्सव के बाद भैंसों की बलि नहीं हुई है। दरअसल बूंखाल मेले में जिला प्रशासन ने पशुबलि समर्थकों 31 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था। इसके बाद से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है और वे लगातार बकरे व भेड़ की बलि देकर अपना आक्रोश जता रहे हैं।
उपजिलाधिकारी बीके मिश्रा का कहना है कि लोगों को समझाया जा रहा है कि वे पशुबलि न करे और पशुबलि रोकने के लिए फोर्स भी तैनात की गई है। 11 दिसंबर के बाद भैसों की बलि तो नहीं दी गई, किन्तु बकरों की बलि हो रही है। प्रशासन लोगों को समझा रहा है कि बकरों की भी बलि न दें और कई लोग इसे स्वीकार करते हुए पूजा के बाद बकरे वापस ले जा रहे है।

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