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Monday, March 7, 2011

राजभवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर होगा पानी का सदुपयोग

http://garhwalbati.blogspot.com
सरोवर नगरी स्थित प्रमुख ऐतिहासिक स्थल राजभवन में अब वर्षा का पानी बेकार नहीं जाएगा। यहां पर प्राकृतिक रूप से बने तालाब की जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। तालाब में जमा वर्षा के पानी का उपयोग राजभवन परिसर में सिंचाई के रूप में किया जाएगा। वन विभाग ने तालाब के निर्माण में रोड़ा बन रहे वृक्षों को प्रत्यारोपण के माध्यम से अन्यत्र स्थापित करने का कार्य शुरू कर दिया है।
मुख्य राजभवन परिसर स्थित इस प्राकृतिक तालाब में वर्षा के दौरान काफी मात्रा में पानी जमा जरूर हो जाता है लेकिन कुछ दिनों बाद वह स्वत: जमींजोद हो जाता है। राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने राजभवन में वर्षा के पानी के संरक्षण के उद्देश्य से जून 2010 में लोनिवि के अधिकारियों को निर्देश दिए। उसके बाद आईआईटी रुड़की के एक तकनीकी दल ने तालाब में जल संरक्षण करने के लिए सर्वे किया। तय किया गया कि जल संग्रहण बढ़ाने को तालाब के आसपास के 31 वृक्षों को काटा जाए।
बाद में वन विभाग ने वृक्षों के प्रत्यारोपण की योजना बनायी। रविवार को दक्षिणी कुमाऊं वृत्त के वन संरक्षक कपिल जोशी के निर्देशन में विभाग के कर्मियों तथा अन्य मजदूरों ने क्रेन तथा जेसीबी के माध्यम से वृक्षों के प्रत्यारोपण की कार्रवाई शुरू की। इस मौके पर डीएफओ बीजूलाल टीआर तथा डा.पराग मधुकर धकाते, एसडीओ राजेश श्रीवास्तव, रेंजर केसी सुयाल, लोनिवि की ओर से अधिशासी अभियंता आनंद बल्लभ काडंपाल, सहायक अभियंता राजीव गुरूरानी तथा कनिष्ठ अभियंता एलएम तिवारी समेत वन तथा लोनिवि कर्मी मौजूद थे। वन संरक्षक कपिल जोशी की मानें तो प्रदेश में पहली बार उच्च स्थलीय क्षेत्र में वृक्षों का प्रत्यारोपण हो रहा है। 
amarujala.com se sabhar

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