वर्तमान समय तक देश में लगभग 400 के अन्दर ऍफ़ एम्(FM) स्टेशन ही थे ,जिस कारण यह सुविधा मात्र बड़े शरों और राज्यों तक ही सीमित थी ,फिर भी यह उल्लेखनीय है की संचार क्रान्ति की इस बयार में कई मझले आकर के नगरों में भी ऍफ़ एम् स्टेशनों का विस्तार हुआ परन्तु सदैव की तरह दुरभाग्य का पर्याय वाची बन चुके उत्तराखंड में कोई भी ऍफ़ एम् स्टेशन नहीं खुल पाया .विडंबना देखिये की पडोसी यूं पी के लगभग हर 2nd टिअर शहर में ऍफ़ एम् स्टेशन खुल चुके हैं मसलन बरेली ,मोरादाबाद ,कानपुर , ,गोरखपुर ,इलाहाबाद सरीखे . यही स्थिति देश के अन्य बड़े शहरों की है जहाँ अमूमन एक ऍफ़ एम् स्टेशन तो लगभग खुल ही चुका है .परन्तु फिर भी बड़े राज्यों में मात्र उत्तराखंड ही एक ऐसा राज्य है जहाँ अभी तक कोई विशेष ऍफ़ एम् सुविधा नहीं है ,बताते चलें कि ऊँट के मुंह में जीरा के समान मसूरी में ऐ आई आर (AIR) का एक स्टेशन है जो कि apni दोयम दर्जे की कार्यक्रम प्रस्तुति और सीमित सेवा के कारण उतना ही लोकप्रिय है जितना कि आज के टेलीविजन जगत में दूरदर्शन !
ख़ैर यह तो थी अब तक की स्थिति ,पर हद तो तब हो गई जब केन्द्रीय सरकार द्वारा इस सेवा का विस्तार करने का समाचार अभी हाल ही में आया और जैसे कि आशंका थी लगभग हज़ार नए आवंटित ऍफ़ एम् स्टेशनों में एक भी उत्तराखंड में नहीं खुल रहा.फिर एक बार छले गए भोले महाराज ! आखिर इस राज्य का दोष क्या है ? जो हर क्षेत्र में उसी के साथ सौतेला व्यवहार होता है ?
यह सच में एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि फिर से उत्तराखंड और उत्तराखंडीयों की भावनाओं को नज़र अंदाज़ किया गया !
निखिल उत्तराखंडी
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10 months ago
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