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Friday, February 19, 2010

मेल लिखने के कुछ सुझाव


अखंड उत्तराँचल के प्रिय कर्ण धारो

शुभ आशीष
एक वरिष्ट नागरिक के नाते मै आप से निवेदन करता हूँ की आज जब की हम सभी उत्तरांचलियों को हमारे स्वयं के विशेष पोर्टल मिले हैं जैसे की ......पौडी गढ़वाल (PGG) यंग उत्तरांच (YU), घुघूती (घुघूती) और गढ़वाल बटी (garhwal bati).

इन सभी ग्रुप ने हमें आपसी वार्तालाप के लिए एक प्लातेफ़ोर्म दिया है जिनमे हम सभी निष्छंद निरद्वन्द और आज़ाद हो कर अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं और हमारी अपनी और हमारे उत्तराँचल की विकास की नयी सूज बूझ सुझा सकते हैं ..
ये कल्याणकारी पोर्टल हैं और हमारे हितेषी हैं जब साड़ी दुनिया अपने लिए पोर्टल बना सकती है तो फिर हम क्यों पीछे रहे

लेकिन हमारा भी कुछ उत्तर्दयित्वा है

हमें चाहिए कि हम भी अपना अपना योगदान इन पोर्टल्स को दें सबसे पहले हम अपनी मेल को सुंदर अलंकारों से संजोयें ..और ऐसा बनाएं की पडने वाले का दिल हर लें .
अंग्रेजी शब्द "हाई" बड़ा ही उत पटांग है उसकी जगह हम अपनी मेल मे "श्री मान ..जी ..... या फ़िर "प्रिय दीदी " या "भूली " या फ़िर " भैजी" से संबोधित करें, ये हमारे उत्तराँचल के मधुर भाषी और शालीन वचन हैं .ये ....
इनसे अपनेपन का अहसास होता है और फिर यही तो है हमारी संस्कृति और परंपरा जिसको दूर दूर तक जाना जाता है

"अथिति देवो भव" की संस्कृती है हमारी फिर ठीक इस प्रकास हुयी मेल को भी ध्यान से पड़ें उसके शब्दार्थ मे ना जा कर उसके भावार्थ मे जाने का प्रयास करें
आपके पास यदि कुछ अच्छे विचार हैं तो कड़ी मे जोड़ते चले जाएं या फ़िर एक अच्छी सोची समझी प्रितिक्रिया लिखें
मेल को लिख कर एक बार फ़िर से पढ़ें क्योंकि मेल लिखते समय हम ध्यान मग्न रहते हैं
एक बार पढ़ लेने से गलतियां नजर जाती हैं और उनको सुधारने का समय भी रहता है ऐसा हो की आपके द्वारा लिखा कोई शब्द शूल की तरह चुभ जाये इस लिए एक बार शांत हो कर और पढ़ें और अच्छा लगे तो भेज दें सच ही तो है कि जब कोई मेल आपको अच्छा लगेगा तो जरूरी है की वो औरों को भी अच्छा ही लगेगा आपके अच्छे विचार भावात्मक एकता को बनाने मे सहायता करते हैं इस लिए इस बात का विशेष ध्यान रखें की आप के द्वारा कोई ऐसी बात ना लिखी जाये तो किसी को दुखी करती हो...

ग्रुप मे केवल वो ही मेल लिखें जो सब के कल्याण के लिए हो जब हम किसी एक व्यक्ति को मेल लिखते हैं तो फ़िर उसे ग्रुप मे क्यों क्यों भेजें और अंत मे अभिवादन करना ना भूलें..
जैसा कि आपका अपना ही शुभेच्छु, चिन्तक और फ़िर अंत मे अपना नाम याद रखें आपकी मेल का पहला प्यारा शब्द अपना बनाने वाला भी हो सकता है और इसी प्रकार आपकी मेल का अन्तिम शब्द दूसरे का ताप हर सकता है पढने वाले का मूड सही कर सकता है होने को तो ऐसा भी हो सकता है की किसी के दिल में आपकी यादगार बन कर रह जाये
आपका अपना मुकुंद

PGG से साभार
http://garhwalbati.blogspot.com

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