उत्तराखण्ड के नक्कारे मुख्यमंत्री का एक और कानरामा
देवसिंह रावत | संघ प्रमुख मोहन भागवत जी व भाजपा अध्यक्ष गड़करी जी अब आप ही बताये कि भाजपा शासित प्रदेश उत्तराखण्ड में आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद बोस का अपमान करना कौन सी राष्ट्र भक्ति है? आखिर एक तरपफ भाजपा देश के सम्मान के प्रतीक तिरंगा झण्डे को पफहराने के लिए कश्मीर की राजधनी श्रीनगर के आतंक प्रभावित क्षेत्रा में जाने के लिए तिरंगा यात्रा करने में अपनी ताकत लगा कर अपने आप को देशभक्त पार्टी बता रही थी। वहीं 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर हिन्दु ध्र्म की राजधनी समझी जाने वाले पावन हरिद्वार में जिलाध्किारी व कचहरी के सामने वाले चैराहा पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा के अनावरण करने की दो पल की फुर्सत भाजपा शाशित उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक को नहीं मिली। मुख्यमंत्राी के आने के पूर्व निर्धरित कार्यक्रम के अंतिम समय पर रद्द करने से न तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आदम कद प्रतिमा का अनावरण ही किया गया। इस कारण आजादी के महानायक की कपटे में लिपटी हुईआदमकद मूर्ति इस देश के हुक्मरानों सहित सभी देश के नागरिकों की गैरत को ध्क्किार रही है। जिस मूर्ति के अनावरण की स्वीकृति 17 जनवरी 2011 को हरिद्वार जनपद के जिलाध्किारी डा आर मीनाक्षी सुन्दरम ने अपने पत्रांक 1855/पीए 2011 में दी हो। जिस कार्यक्रम में पधरने के लिए 23 जनवरी 2011 को नेताजी की जयंती पर हरिद्वार में राष्ट्रीय सैनिक संस्था को प्रदेश के मुख्यमंत्राी के अध्किारी बरगलाते रहे। ऐसा नहीं कि मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक को इस कार्यक्रम की सूचना नही थी। इस आयोजक संस्था के महासचिव एस के शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्राी का सुरक्षा अमला ही नहीं कुत्ता दल भी कई बार इस दिन भी इस कार्यक्रम स्थल की जांच करने में जुटा हुआ था। यही नहीं इस महान मूर्ति पर लगे शिलापट पर मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल का नाम भी अनावरण करने वाले नाम से खुदा हुआ तथा मूर्ति के नीचे बने स्तम्भ में स्थापित किया हुआ था। परन्तु अंत में हरिद्वार में चुनाव आचार संहिता के नाम व अन्य बहाना बना कर मुख्यमंत्राी ने इस कार्यक्रम में आने का दौरा रद्द किया। यही नहीं निमंत्राण कार्ड में भी प्रमुखता से उनका नाम छपा हुआ था।
इस कार्यक्रम का आयोजन देशभक्त नागरिकों व पूर्व सैनिकों के प्रमुख संगठन राष्ट्रीय सैनिक संगठन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर नेताजी जयंती को मनाते हुए उनकी मूर्ति स्थापित करने के लिए बड़े स्तर पर किया था। 7वें राष्ट्रीय अध्विेशन में मूर्ति का अनावरण प्रदेश के मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक के हाथों से व केन्द्रीय राज्य मंत्राी हरीश रावत की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में होना था। परन्तु राष्ट्रवाद की दुहाई देने वाली भाजपा के मुख्यमंत्राी को देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले नेताजी की मूर्ति का अनावरण करने व उनके नाम से मुख्यमंत्राी आवास से मात्रा चंद घंटे की दूरी पर आयोजित इस समारोह में सम्मलित होने का समय तक नहीं रहा। बहाना बनाया गया हरिद्वार जनपद में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता का। अगर आचार सहिंता तो विकास की घोषणायें करने आदि के लिए होती है। नेता जी की मूर्ति स्थापना उनकी जयंती पर किसी भी आचार संहिता के दायरे में कदापि नहीं आती। अगर आती तो हरिद्वार जिलाध्किारी इस कार्यक्रम को कैसे अनुमति देता। संगठन के महामंत्राी श्री शर्मा का तर्क उचित है कि अगर हरिद्वार में चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी तो मुख्यमंत्री व उनका प्रशासन अंतिम समय तक आ रहे हैं का झांसा क्यों देते रहे। अगर आदर्श आचार संहिता लागू थी तो कैसे हरिद्वार 21 जनवरी को शंकराचार्य चैक से सिंहद्वार तक सौन्दर्यकरण की घोषणा का कार्य प्रारम्भ व शिलान्यास किया गया। इसमें प्रदेश के कबीना मंत्री मदन कौशिक के साथ जिलादिकारी जिलाध्किरी भी साथ थे। जटवाड़ा से रानीपुर रोड तक गंग नहर पटरी सिंह द्वार से डाम कोठी तक कावंड पटरी का सौन्दर्यकरण किया गया। इसके साथ अनैक ऐसे कार्यक्रमों में प्रदेश के मंत्राी के हाथों से किये गये। कारण जो भी हो जिस प्रकार से हरिद्वार में जिलाध्किारी व न्यायालय के सम्मुख नेताजी की प्रतिमा कपडे में लिपट कर अनावरण के लिए तरस रही है यह देश के आत्मसम्मान को रौंदने व गैरत को ध्क्किारने वाला ही कृत्य है। इसके लिए भाजपा के मुख्यमंत्राी व प्रशासन सीध्े गुनाहगार हैं ही साथ में आयोजक भी कम दोषी नहीं है। आयोजकों को चाहिए था कि वे नेताजी की प्रतिमा को तभी अनावरण कर देते जब उन्होंने मुख्यमंत्राी के न आने की खबर सुन कर उस पर लगा मुख्यमंत्राी के नाम वाला शिलापट को आक्रोश में उखाड पफेंका। आयोजन में जहां संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र विजेता कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, संयोजक विरेन्द्र भारद्वाज, चेयरमेन दीपक भारद्वाज, सलाहकार आदेश त्यागी, सचिव राजेन्द्र बंगासी जिला बार ऐसोशिएसन, पूर्व राज्यपाल ले जनरल बी के एन छिब्बर सहित अनैकों वरिष्ठ पूर्व सैनिक अध्किारी सहित सम्मानित समाजसेवी व गणमान्य लोग उपस्थित थे। आयोजकों सहित देशभक्त जनता को इस बात का भान रखना चाहिए कि राष्ट्र भक्तों की किसी पवित्रा प्रतिमा या कायक्रमों में पदलोलुप नेताओं को कहीं दूर-दूर तक न बुलायें। नेताजी की प्रतिमा का अनावरण खुद अगर संगठन के प्रमुख महासचिव करते या शहीदों के परिजनों या महान समाजसेवियों के हाथों से करते तो कम से कम नेताजी का इस कदर अपमान होने से बच जाता। देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने की सजा इस तरह अपमानित करने का किसी को हक नहीं है। उनकी प्रतिमाओं के अनावरण के लिए जब ऐसे पदलोलुप नेताओं की राह आयोजक ताकते रहेंगे तो तब तक इसी प्रकार से प्रतिमा का ही नहीं उनकी शहादत व राष्ट्रभक्ति का अपमान होगा। रही बात भाजपा की हो या कांग्रेस की जिनको कुर्सी मिलने पर भगवान राम व गांध्ी तथा देश की कसमें वादे याद नहीं रहते तो उन्हें शहीदों का भान कहां होगा।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ¬ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।
pyarauttrakhandinternational@gmail.com
इस कार्यक्रम का आयोजन देशभक्त नागरिकों व पूर्व सैनिकों के प्रमुख संगठन राष्ट्रीय सैनिक संगठन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर नेताजी जयंती को मनाते हुए उनकी मूर्ति स्थापित करने के लिए बड़े स्तर पर किया था। 7वें राष्ट्रीय अध्विेशन में मूर्ति का अनावरण प्रदेश के मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक के हाथों से व केन्द्रीय राज्य मंत्राी हरीश रावत की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में होना था। परन्तु राष्ट्रवाद की दुहाई देने वाली भाजपा के मुख्यमंत्राी को देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले नेताजी की मूर्ति का अनावरण करने व उनके नाम से मुख्यमंत्राी आवास से मात्रा चंद घंटे की दूरी पर आयोजित इस समारोह में सम्मलित होने का समय तक नहीं रहा। बहाना बनाया गया हरिद्वार जनपद में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता का। अगर आचार सहिंता तो विकास की घोषणायें करने आदि के लिए होती है। नेता जी की मूर्ति स्थापना उनकी जयंती पर किसी भी आचार संहिता के दायरे में कदापि नहीं आती। अगर आती तो हरिद्वार जिलाध्किारी इस कार्यक्रम को कैसे अनुमति देता। संगठन के महामंत्राी श्री शर्मा का तर्क उचित है कि अगर हरिद्वार में चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी तो मुख्यमंत्री व उनका प्रशासन अंतिम समय तक आ रहे हैं का झांसा क्यों देते रहे। अगर आदर्श आचार संहिता लागू थी तो कैसे हरिद्वार 21 जनवरी को शंकराचार्य चैक से सिंहद्वार तक सौन्दर्यकरण की घोषणा का कार्य प्रारम्भ व शिलान्यास किया गया। इसमें प्रदेश के कबीना मंत्री मदन कौशिक के साथ जिलादिकारी जिलाध्किरी भी साथ थे। जटवाड़ा से रानीपुर रोड तक गंग नहर पटरी सिंह द्वार से डाम कोठी तक कावंड पटरी का सौन्दर्यकरण किया गया। इसके साथ अनैक ऐसे कार्यक्रमों में प्रदेश के मंत्राी के हाथों से किये गये। कारण जो भी हो जिस प्रकार से हरिद्वार में जिलाध्किारी व न्यायालय के सम्मुख नेताजी की प्रतिमा कपडे में लिपट कर अनावरण के लिए तरस रही है यह देश के आत्मसम्मान को रौंदने व गैरत को ध्क्किारने वाला ही कृत्य है। इसके लिए भाजपा के मुख्यमंत्राी व प्रशासन सीध्े गुनाहगार हैं ही साथ में आयोजक भी कम दोषी नहीं है। आयोजकों को चाहिए था कि वे नेताजी की प्रतिमा को तभी अनावरण कर देते जब उन्होंने मुख्यमंत्राी के न आने की खबर सुन कर उस पर लगा मुख्यमंत्राी के नाम वाला शिलापट को आक्रोश में उखाड पफेंका। आयोजन में जहां संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र विजेता कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी, संयोजक विरेन्द्र भारद्वाज, चेयरमेन दीपक भारद्वाज, सलाहकार आदेश त्यागी, सचिव राजेन्द्र बंगासी जिला बार ऐसोशिएसन, पूर्व राज्यपाल ले जनरल बी के एन छिब्बर सहित अनैकों वरिष्ठ पूर्व सैनिक अध्किारी सहित सम्मानित समाजसेवी व गणमान्य लोग उपस्थित थे। आयोजकों सहित देशभक्त जनता को इस बात का भान रखना चाहिए कि राष्ट्र भक्तों की किसी पवित्रा प्रतिमा या कायक्रमों में पदलोलुप नेताओं को कहीं दूर-दूर तक न बुलायें। नेताजी की प्रतिमा का अनावरण खुद अगर संगठन के प्रमुख महासचिव करते या शहीदों के परिजनों या महान समाजसेवियों के हाथों से करते तो कम से कम नेताजी का इस कदर अपमान होने से बच जाता। देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने की सजा इस तरह अपमानित करने का किसी को हक नहीं है। उनकी प्रतिमाओं के अनावरण के लिए जब ऐसे पदलोलुप नेताओं की राह आयोजक ताकते रहेंगे तो तब तक इसी प्रकार से प्रतिमा का ही नहीं उनकी शहादत व राष्ट्रभक्ति का अपमान होगा। रही बात भाजपा की हो या कांग्रेस की जिनको कुर्सी मिलने पर भगवान राम व गांध्ी तथा देश की कसमें वादे याद नहीं रहते तो उन्हें शहीदों का भान कहां होगा।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ¬ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।
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thank for connect to garhwali bati