देहरादून। उत्तराखंड में पिछले चौबीस दिनों से चला आ रहा बर्फबारी और वर्षा का सूखा आखिर दूर हो ही गया। मौसम ने करवट बदली और बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, औली समेत आसपास की पहाड़ियों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली। सूबे के अन्य इलाकों में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। बर्फबारी और वर्षा से भले ही जनजीवन थोड़ा प्रभावित हो रहा हो, लेकिन कृषि एवं औद्यानिकी के लिए इसे 'संजीवनी' माना जा रहा है। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि अगले चौबीस घंटों में बर्फबारी और बारिश का क्रम बना रहेगा।
मकर संक्रांति से बर्फबारी और बारिश की राह ताक रहे उत्तराखंड में शनिवार से मौसम का मिजाज बदला और आसमान में मेघों ने दस्तक देनी शुरू की। इससे उम्मीदें जगीं और बादलों ने निराश भी नहीं किया। रविवार को बदरीनाथ धाम समेत आसपास की पहाडि़यों पर हुई बर्फबारी और वर्षा ने इन्हें संबल प्रदान किया। रविवार की रात और फिर सोमवार को दिनभर यह नेमत पूरे राज्य में बरसती रही। सोमवार को राज्य के चारधामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत आसपास की पहाड़ियां बर्फ से लकदक हो गई। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली में भी खूब बर्फबारी की सूचना है। इसके अलावा राज्य के दोनों मंडलों गढ़वाल व कुमाऊं में लगभग सभी जगह सोमवार को रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला दिनभर जारी रहा। बर्फबारी और बारिश से तापमान में गिरावट आई है। साथ ही इससे जनजीवन भी प्रभावित हुआ है, लेकिन बर्फबारी और वर्षा को कृषि एवं औद्यानिकी के लिए संजीवनी माना जा रहा है। इससे किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। गौरतलब है कि राज्य में कृषि व्यवस्था बारिश पर ही निर्भर है। प्रदेश के 95 विकासखंडों में से 71 पूरी तरह से वर्षा पर ही आधारित हैं। बीती 13 जनवरी से बारिश न होने के कारण किसानों के चेहरे लटकने लगे थे। यही हाल, सेब उत्पादकों का भी था, जो बर्फबारी न होने से परेशान थे। उधर, राज्य मौसम केंद्र के निदेशक डा. आनंद शर्मा का कहना है कि इस बार सिस्टम स्ट्रांग है। इसके चलते अगले चौबीस घंटों में भी राज्य में बर्फबारी और वर्षा का दौर जारी रहेगा। उन्होंने संभावना जताई कि 10 फरवरी की दोपहर से मौसम साफ होना शुरू हो जाएगा।
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