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Friday, February 12, 2010

घराट बदलेंगे ग्रामीण अंचलों की तस्वीर

गोपेश्वर (चमोली)। गाड़-गधेरों का पानी अब जाया नहीं जाएगा। बहते पानी के उपयोग से सूबे में इलेक्ट्रानिक और मैकेनिकल घराट संचालित किए जाएंगे। इलेक्ट्रानिक घराट जहां विद्युत का उत्पादन करेंगे वहीं मैकेनिकल घराट एक दिन में दो सौ कुंतल गेहूं पीसेंगे। पहले चरण में सूबे में कुल 250 इलेक्ट्रानिक और मैकेनिकल घराट स्थापित किए जाने की योजना को स्वीकृति मिली है।

गाड़-गधेरों के पानी से संचालित होने वाले घराट अब जलविद्युत परियोजनाओं का विकल्प बनेंगे। राज्य सरकार ने घराटों के संचालन को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना को हरी झण्डी दिखा दी है। योजना के तहत राज्य के 11 जिलों में कुल 250 घराट स्थापित किए जाएंगे। इन घराटों को दो श्रेणियों 'इलेक्ट्रानिक' व 'मैकेनिकल' में वर्गीकृत किया गया है। इलेक्ट्रानिक घराट जहां विद्युत उत्पादन करेंगे तो वहां मैकेनिकल लगभग चक्की जैसी तेज रफ्तार से गेहूं पीसेंगे। दरअसल, गाड़-गधेरों का पानी जाया न जाए इसको लेकर तमाम तरह की योजनाएं तैयार की जा रही हैं। एक योजना अविरल बह रहे पानी का उपयोग इलेक्ट्रानिक व मैकेनिकल घराटों का संचलन करने के लिए तैयार की गई है। इन घराटों का डिजाइन आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। इलेक्ट्रानिक घराटों की खासियत है कि एक घराट लगभग 5 किलोवाट विद्युत उत्पादन करने में सक्षम होगा जबकि मैकेनिकल घराट दिनभर में 200 कुंतल गेहूं पीसेगा। बताते चलें कि अब तक के घराट दिनभर में मात्र 80 कुंतल गेहूं ही पीस पाते थे। उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नीरज गर्ग ने बताया कि स्वीकृत 250 घराट ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार को छोड़कर राज्य के शेष 11 जिलों में स्थापित किए जाने हैं। पहले चरण में 150 इलेक्ट्रानिक घराटों का निर्माण किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में 100 मैकेनिकल घराट स्थापित होंगे। उन्होंने कहा कि अधिकांश इलेक्ट्रानिक घराटों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।

jagran se sabhar
http://garhwalbati.blogspot.com

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