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Chitika

Wednesday, July 8, 2009

We have an Urgent Requirement for the following at Haridwar and Rudrapur (UK). The interested candiate can contact on the numbers mentioned below or send your resume on vichnaservices@sify.com :-

1) Field Officer

Qulification : Graduate

Exp - Minimum 3 yrs.

Location : Haridwar

2. Fitter - ITI

Exp : 5-8 yrs.

Location : Haridwar

3. Welder - ITI

Exp - 1 to 5 yrs

Location : Haridwar

4. Supervisors

Qulification : Graduate

Exp - Minimum 3 yrs.

Location : Haridwar

5. Helpers - 500

Qulification : Not required.

Location : Haridwar / Rudrapur

6. Security Officer

Location : Rudrapur

Expe - 1 to 5 yrs

7. Security Guards

Location : Rudrapur

Expe - 1 to 5 yrs

8. Security Head

Location : Rudrapur / Haridwar

Qulification : Army Retired (Capt- Col)

9. Front Office Executive / Receptionist (Female)

Exp - 3 to 5 yrs

Location : Rudrapur / Haridwar

For any further details, please contact :

- M/s Vichna Expert Services Pvt Ltd

Rudrapur / Haridwar

Contract No : 09971700900 / 09719763900 / 9999776780

E-mail : vichnaservices@sify.com

You also see the regular update in various openings at :

Regards

K P Sharma

Monday, July 6, 2009

अड़तालीस दिन तक चली तपस्या पूरी

कालागढ। देश और समाज में सुख शांति की कामना के लिए विश्वसुरानन्द महाराज की 48 दिनों तक चली तपस्या शनिवार को पूरी हो गयी। तपस्या पूरी होने के बाद रविदास मंदिर में भजन कीर्तन का कार्यक्रम पूरी रात चलता रहा।

केंद्रीय कालोनी कालागढ़ स्थित संतशिरोमणि गुरु रविदास मंदिर में 48 दिनों तक चली विश्वसुरानन्द महाराज की धूप में बैठकर तपस्या शनिवार को पूरी हो गयी। रविवार को सैंकड़ों लोगों ने मंदिर पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद ग्रहण करने से पूर्व मंदिर प्रागंण में तेजपाल सिंह सगर, बाबूराम, करतार सिंह आदि ने यज्ञ में आहुति देकर समाज के कल्याण की कामना की। विश्वसुरानन्द महाराज ने बताया कि उन्होंने 11 मई 2009 से धूप में बैठकर तपस्या आरम्भ की थी जो बीते शनिवार 27 जून को पूरी हो गयी। प्रात: 9 बजे से सायं तीन बजे तक तपस्या की जाती थी। 48 दिनों की तपस्या पूरी होने के बाद कल सांयकाल से आकाश में बादल छा जाने के बाद से श्रृद्धालुओं में काफी उत्साह था

पंचायत प्रतिनिधियों को बताए अधिकार

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। महिला समाख्या के तत्वावधान में आयोजित क्षमता विकास प्रशिक्षण में पंचायतों को सशक्त बनाने व प्रतिनिधियों को उनके अधिकारों की जानकारी दी गई। यहां आयोजित शिविर में प्रशिक्षक शशिभूषण उनियाल ने शिविर के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिविर के माध्यम से पंचायत प्रतिनिधियों को सशक्त कर ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाया जाएगा। पंचायत परिसीमन, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, उनके क‌र्त्तव्य व अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी गई। बीपीएल गठन व रोजगार गारंटी योजना पर चर्चा के दौरान प्रतिनिधियों ने शिकायत की कि ब्लाक कार्यालय से उन्हें उक्त योजनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी जाती है। शिविर में महिला समाख्या के आगामी कार्यक्रमों की रणनीति तैयार करते हुए सक्रिय जन प्रतिनिधियों व महिला समाख्या कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर उमा खंडूड़ी, सावित्री टम्टा, बीना बिष्ट, कमला रावत, सरोज, प्रभा रतूड़ी सहित कई अन्य मौजूद रहे

घर बैठे मोबाइल पर ही देखें रिजल्ट

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। परीक्षा परिणाम उपलब्ध कराने को लेकर गढ़वाल विवि इस बार हाईटेक तौर तरीके अपना रहा है। विवि प्रशासन ने इस बार छात्रों को घर बैठे मोबाइल पर ही परीक्षा परिणाम देखने की सुविधा मुहैया कराने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत छात्रों को एक विशेष नंबर पर सिर्फ एक मैसेज भेजना होगा और उनका परिणाम मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएगा।

गढ़वाल विवि न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि उत्तर भारत का भी पहला ऐसा विवि बन गया है, जो एसएमएस के जरिए छात्र-छात्राओं को रिजल्ट उपलब्ध करा रहा है। कुलपति प्रो. श्रीकृष्ण सिंह के निर्देशन में गढ़वाल विवि के विशेष कार्याधिकारी प्रो. एलजे सिंह के विशेष प्रयासों से यह हाईटेक योजना अमल में लाई गई है। इसके लिए विवि कंप्यूटर विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएमएस रौथाण, संदीप रावत, डा. सुरेन्द्र सिंह रावत ने विशेष साफ्टवेयर तैयार करवाया है। इससे पूर्व हर वर्ष गढ़वाल विवि विभिन्न पाठ्यक्रमों के परीक्षा परिणाम विवि की वेबसाइट पर उपलब्ध कराता रहा है। अब मोबाइल पर रिजल्ट मिलने की सुविधा उपलब्ध होने के बाद पहाड़ के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को काफी सुविधा मिल जाएगी। विवि ने शनिवार को बीएससी तृतीय वर्ष संस्थागत और एमएससी प्रथम वर्ष कैमिस्ट्री और बॉटनी के रिजल्ट भी घोषित कर दिए हैं। विवि के विशेष कार्याधिकारी प्रो. एलजे सिंह ने बताया कि इंटरनेट कनेक्टिविटी की तकनीकी समस्या के कारण यह तीनों रिजल्ट रविवार को दोपहर तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हो जाएंगे। साथ ही मोबाइल पर भी रिजल्ट देखे जा सकेंगे|

स्वरोजगारपरक प्रशिक्षण के लिए साक्षात्कार पू

पौड़ी गढ़वाल। समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति के गरीब छात्र-छात्रों दिया जाने वाले निशुल्क फैशन डिजाइनिंग एवं कम्प्यूटर प्रशिक्षण इसी माह शुरू होगा।

समाज कल्याण विभाग हर साल जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के बीपीएल परिवारों के छात्र-छात्रों को तीन माह का फैशन डिजाइनिंग और कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें अनुसुचित जाति के गरीब छात्र व्यावसायिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करते है। इस साल यह स्वरोजगारपरक प्रशिक्षण कोटद्वार और श्रीनगर क्षेत्रों के अनुसूचित जाति के छात्र-छात्रों को दिए जाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए विभाग ने प्रशिक्षणार्थियों का चयन कर लिया है। फैशन डिजाइनिंग की निर्धारित 25 सीटों के लिए प्राप्त 28 आवेदनों में से 25 का साक्षात्कार के माध्यम से चयन कर लिया गया। फैशन डिजाइनिंग के लिए निर्धारित 25 सीटों के लिए प्राप्त 32 आवेदनों में से 25 का साक्षात्कार के माध्यम से चयन कर लिया गया है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी जगमोहन सिंह ने बताया कि श्रीनगर में कंप्यूटर एवं कोटद्वार में फैशन डिजाइनिंग का प्रशिक्षण जुलाई माह के तीसरे सप्ताह से शुरू किया जाएगा।


Sunday, July 5, 2009

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पर्यटन: लुभाएंगी अछूती वादियां

कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत कोटद्वार-सनेह- कोल्हूचौड़ व कोटद्वार-दुगड्डा-मोड़ाखाल- नौड़ी को इको पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। प्रभाग की ओर से इस संबंध में शासन को 43 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है।

स्थानीय बेरोजगारों को पर्यटन से जोड़ कर उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार-सनेह-कोल्हूचौड़ व कोटद्वार-दुगड्डा-मोड़ाखाल-नौड़ी को इको टूरिज्म पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की मंशा बना ली है। विभाग का कहना है कि दोनों स्थान प्राकृतिक छटा से भरपूर हैं, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। खोह व कोल्हू नदियों के मध्य अवस्थित सनेह क्षेत्र में स्थित कोल्हूचौड़ में प्रभाग का सबसे बड़ा चौड़ है। यहां हिरन की विभिन्न प्रजातियों के अलावा हाथी, बाघ आदि वन्यजीवों की खासी तादाद मौजूद है।

उधर, नौड़ी क्षेत्र वन्य जीवों एवं जैव विविधता से परिपूर्ण है। दुगड्डा-कोटद्वार के मध्य टूट गधेरा वन क्षेत्र को हाथी राजाजी व कार्बेट नेशनल पार्क के मध्य आवागमन हेतु बतौर कॉरीडोर प्रयुक्त करते हैं। सड़क मार्ग पर होने के कारण दोनों स्थानों पर पर्यटकों को आवाजाही भी आसानी से हो सकती है। इस संबंध में लैंसडौन वन प्रभाग की ओर से शासन को 43 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके तहत सनेह व मोड़खाल में पर्यटकों के ठहरने के लिए चार प्रीफैब्रिकेटेड/बैंबू हट का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अलावा मोड़खाल से नौड़ी के मध्य ट्रैक/ट्रेल रूट भी बनाया जाना है। प्रस्ताव में कोटद्वार-दुगड्डा-मोड़खाल-नौड़ी पर्यटन सर्किट को कोटद्वार-रथुवाढाब-हल्दूपड़ाव सर्किट से जोड़ने की बात कही गई है, ताकि पर्यटक आसानी से कार्बेट नेशनल पार्क से जुड़ सकें। प्रभागीय वनाधिकारी निशांत वर्मा ने बताया कि उक्त प्रस्ताव स्वीकृति के लिए शासन को भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि यदि प्रस्ताव पर सहमति की मुहर लग जाती है तो स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। साथ ही क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ जाएगी।



कला का बेजोड़ नमूना है देवल मंदिर समूह

पौड़ी गढ़वाल। पौड़ी से करीब 14 किमी दूर कोट ब्लाक के देवल गांव में स्थित द्वादश मंदिरों का समूह धार्मिक के साथ ही कलाओं का भी बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर समूह को लक्ष्मण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक आस्था से जुड़ा यह मंदिर समूह पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, पर यह पर्यटन विकास तथा मंदिर समूह का प्रचार-प्रसार न होने से यह उपेक्षित है।

11वीं से 15 वीं शताब्दी के बीच निर्मित इस मंदिर समूह में कला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। ब्लाक मुख्यालय कोट के नजदीकी गांव देवल में स्थित इस मंदिर समूह में कुल बारह मंदिर हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग के अभिलेखों के अनुसार पहला मंदिर सर्वाधिक ऊंचा है, यह मंदिर अ‌र्द्धमंडप द्वादश कोणीय दो प्रस्तर स्तंभों पर खड़ा है। मंदिर के उत्तरंग के ललाट विम्ब में चतुर्भुज गणेश निरूपित हैं। मंदिर में गज, सिंह, नाग एवं गजारोही के दृश्य अंकित हैं। दूसरे मंदिर में ऊ‌र्ध्वछंद योजना में जगती बेदीबंध, जंघा और शिखर अवलोकनीय है। तीसरा मंदिर पुनर्निर्मित है। दक्षिणाभिमुख इस मंदिर के वेदीबंध को खुर, कुंभ, कलश तथा कपोत गढ़नों से अलंकृत किया है। चौथे मंदिर के प्रवेश द्वार को पुष्प शाखा से सुशोभित किया है। इसी तरह अन्य मंदिरों में भी कला के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं। मंदिर समूह में विष्णु की तीन प्रतिमाएं, लक्ष्मी- नारायण की एक प्रतिमा स्थापित है। स्थापित की गई ब्रह्मा की प्रतिमा को हंस पर आरुढ़ दर्शाया है। इस मंदिर समूह का आकर्षण किसी को भी अपनी ओर खींचने की क्षमता रखता है। हालांकि इसको अभी प्रचार की दरकार है। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर का संरक्षण किया जाता है। आस्था का प्रतीक यह मंदिर बहुत भव्य है, पर यहां सीमित संख्या में ही श्रद्धालु पहुंचते हैं। देवल गांव निवासी नितिन उप्रेती बताते हैं मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के पहले दिन मेला आयोजित किया जाता है। इसी दिन फलस्वाड़ी गांव में मनसार मेला होता है। उन्होंने बताया कि 14 अपै्रल को देवल मंदिर में जगौर मेले का आयोजन होता है। इन दोनों मेलों में सितोनस्यूं पट्टी के दर्जनभर से अधिक गांवों के हजारों ग्रामीण भाग लेते हैं। इन मेलों का प्रचार करने से भी यहां पर्यटकों का रुझान बढ़ सकता है।

जिला पर्यटन अधिकारी का प्रभार देख रहे हीरा लाल का कहना है कि इस मंदिर के पर्यटन विकास से संबंधित न तो कोई प्रस्ताव आया है और नहीं विभाग के पास मंदिर के बारे में कोई जानकारी है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं भी मंदिर समूह स्थल का निरीक्षण करेंगे और विभाग द्वारा जो इसके विकास को हर संभव कार्य किया जाएगा।

jagran se sabhar


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