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Wednesday, November 28, 2012

जैम, जैली, अचार व मुरब्बा बनाना सीखा

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 रुद्रप्रयाग : सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय केंद्र सरकार के माध्यम से संचालित 45 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण शिविर का समापन हो गया है। इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न प्रकार के फलों से जैम, जैली, अचार, चटनी व जूस व मुरब्बा बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप के सौजन्य से रतूड़ा में आयोजित प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि जिला पंचायत सदस्य ममता कुंवर ने प्रशिक्षणार्थियों को स्वरोजगार अपनाकर उद्यमिता एवं आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ में माल्टा, बुरांस, आंवला समेत कई प्रकार फल-फूल बड़ी मात्रा में होते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में इनका उपयोग नहीं हो पाता है। इस प्रकार की वस्तुओं का उपयोग कर हम अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
प्रशिक्षण शिविर में मास्टर ट्रेनर वीरपाल नेगी ने प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न प्रकार के फल, फूल एवं सब्जियों से बनने वाले खाद्य पदार्थो का प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही इन पदार्थो का रख-रखाव एवं बेचने की प्रक्रिया की जानकारी भी दी। अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस अवसर पर संस्था के सदस्य लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, प्रकृति संस्था के संस्थापक गजेंद्र रौतेला, प्रधान अनीता चौकियाल, मुरली चौधरी, रणजीत खत्री, राजेश कुंवर समेत पचास प्रशिक्षणार्थी मौजूद थे।
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ढोली के ढोल पर कसी डोरियां

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उत्तरकाशी: सीमांत जनपद में एक बार फिर मंगसीर की बग्वाल की तैयारियां शुरू हो गई है। इस त्यौहार को जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में अनूठे तरीके से मनाया जाता है। लोकपर्व इस बार 13 व 14 दिसंबर को मनाया जाएगा। आम दीपावली के एक माह बाद मनाने के पीछे किवदंती है कि शिरोमणी बीर भड़ माधव सिंह भंडारी ने चौदवीं सदी में तिब्बत पर फतेह की थी।
इन दिनों गांवों में खेती के काम लगभग निपट गए हैं। अब उत्सव का माहौल बनने लगा है और सबको मंगसीर की बग्वाल का इंतजार है। इसके लिए देवी देवताओं की डोलियों की सजावट होने लगी है। ढोली ढोल की डोरियों को कसने लगे हैं। ब्याहताएं इस त्यौहार के लिए मायके जाने को तैयार हैं। जहां उनकी आवभगत का इंतजाम किया जा रहा है। नगर और कस्बाई इलाकों को छोड़ दें तो पूरे ग्रामीण क्षेत्र में कुछ ऐसा ही नजारा है। रवांई के गैर, गंगटाड़ी व कुथनौर गांवों में इस त्यौहार का उल्लास देखते ही बनता है। इन गांवों में लकड़ी का विशाल टावरनुमा ढांचा खड़ा किया जाता है, इसे देवलांग कहा जाता है। जिसके चारों ओर तेजी से आग पकड़ने वाले चीड़ के छिलके बांधे जाते हैं। त्यौहार के दिन रात्रि को विशेष पूजा अर्चना के बाद इस ढांचे पर आग लगाई जाती है। फिर हजारों लोग परंपरागत रासो और तांदी नृत्य करते उसके चारों ओर झूमते हैं। इसके साथ ही लोग भैला घुमाकर भी ढोल दमाऊं की थाप पर नृत्य करते हैं। धनारी क्षेत्र के पुजार गांव में भी मंगसीर की बग्वाल इसी तरह से मनाई जाती है। इस तरह के आयोजनों के लिये तैयारियां भी इन दिनों पूरे जोरों पर चल रही है।
मान्यताएं भी जुड़ी हैं
उत्तरकाशी : मंगसीर की बग्वाल मनाने के पीछे विभिन्न मान्यताएं भी जुड़ी हैं। लेकिन प्रमुख तौर पर यही माना जाता है कि चौदहवीं सदी में गढ़वाल पर तिब्बत की ओर से आक्रमण हुआ था। इसमें माधो सिंह भंडारी की अगुआई में राजा ने सेना भेजी। माधो सिंह जब शत्रु को खदेड़कर लौटे तो उनकी विजय की खुशी में पूरे गढ़वाल में इस बग्वाल का आयोजन किया गया।
'जनपद में शहरी क्षेत्र बहुत कम है जबकि अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र ही है जहां परंपराएं अब भी किसी न किसी रूप में जिंदा हैं, इन्हें सहेज के रखा जाना चाहिये'-जयप्रकाश राणा, संस्कृतिकर्मी।
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आधे-अधूरे विद्यालय भवन में कैसे हो शिक्षण

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 रुद्रप्रयाग: सरकार ने प्रदेश के जीर्ण शीर्ण विद्यालय भवनों के स्थान पर नए भवनों की स्वीकृति प्रदान तो कर दी, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पाया। जखोली क्षेत्र के आधा दर्जन विद्यालयों में स्वीकृत नए भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण न होने से पुराने जीर्ण शीर्ण भवनों में ही दहशत के साए में छात्र पढ़ने को मजबूर हैं।
चार दर्शक से भी पुराने जीर्ण शीर्ण विद्यालयों में छात्रों का पठन-पाठन का कार्य हो रहा है। भवनों की बदहाल स्थिति को देखते हुए पुराने भवनों के स्थान पर सरकार ने नए भवनों की स्वीकृति दी थी ताकि छात्रों को पठन-पाठन में आसानी हो सके। लेकिन, नए भवनों का निर्माण अधर में लटकने से विद्यालयों में संकट और भी गहरा गया है। हालात यह है कि कई विद्यालयों मे एक कमरे में दो से तीन कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही है। निर्माणदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम उत्तर प्रदेश द्वारा राजकीय इंटर कालेज कैलाश बांगर, चौरियां, सौंराखाल, घंघासू, चोपता अन्य विद्यालयों के लिए स्वीकृत नए भवनों का निर्माण कार्य विगत पांच वर्षो से निर्माण कार्य अधर में लटका है, तथा आधा अधूरे भवन लावारिश हालात में छोड़ दिए हैं। इससे आधे अधूरे भवनों विद्यालय भवनों से पठन-पाठन होना स्वाभाविक नहीं है। इसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।
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मॉडलों में दिखा बच्चों का जौहर

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कोटद्वार : उम्र भले ही कम हो, लेकिन सोच उम्र से कहीं अधिक। बच्चों की विलक्षण प्रतिभा नजर आई भाबर क्षेत्र के अंतर्गत आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में। यहां बच्चों ने जहां अपने मॉडल के माध्यम से फायर अलार्म का क्रियान्वयन दिखाया, वहीं विद्युत चोरी रोकने के भी उपाय सुझाए।
भाबर क्षेत्र के अंतर्गत आरसीडी पब्लिक स्कूल में शनिवार को विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया हुआ। प्रदर्शनी में स्कूली बच्चों ने अपने सृजनात्मक क्षमता के जौहर दिखाए। बच्चों ने अपने मॉडलों के माध्यम से जहां एक ओर अग्निकांड के दौरान सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करवाया, वहीं दूसरी ओर शहर में विद्युत वितरण व्यवस्था के साथ ही विद्युत चोरी रोकने के उपाय भी सुझाए। बच्चों के मॉडलों में जहां दूषित पेयजल आपूर्ति की चिंता नजर आई, वहीं बरसाती पानी के संग्रहण (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग) को भी बच्चों ने अपने मॉडलों में प्रस्तुत किया था। बच्चों ने ग्रीन हाउस, एटामिक एनर्जी सहित कई अन्य मॉडल भी प्रस्तुत किए।
प्रदर्शनी का शुभारंभ प्रभागीय वनाधिकारी नरेंद्र सिंह चौधरी ने किया। प्रदर्शनी में शिवानी त्यागी, हिमानी ममंगाई, अभय पांडे, अरविंद गुंसाई (मॉडल : वाटर प्यूरिफिकेशन) ने प्रथम, मोहित गुप्ता, नितेष गौड़ व अंकित चौहान (मॉडल : पॉवर ग्रिड एंड डिस्ट्रीब्यूशन) ने द्वितीय एवं शैफाली, पूजा, मेघा व सभ्य (मॉडल : रासायनिक ऊर्जा का रूपांतरण) तृतीय रहे। निर्णायक मंडल में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के गणित विभाग के डॉ. प्रकाशदीप अग्रवाल व भौतिकी विभाग के डॅा .प्रमोद कांडपाल शामिल रहे। इस मौके पर विद्यालय के संस्थापक सुभाष ढौंढियाल, प्रधानाचार्या सीमा ढौंढियाल व प्रबंधक नंदकिशोर ध्यानी सहित तमाम शिक्षक-शिक्षिकाएं व अभिवावक मौजूद रहे।
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भलौन में स्मार्ट क्लास शुरू

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रामनगर: राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय भलौन में अब स्कूली बच्चों के लिए ई-क्लास शुरू की गई है। पहले दिन प्रोजेक्टर के जरिये स्कूली बच्चों को कई विषयों की जानकारी दी गई।
अभिनव प्रयोग के तहत शिक्षक महेंद्र सिंह सैनी ने ई-क्लास की शुरुआत करते हुए प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को शिक्षा के महत्व की जानकारी दी। दूरस्थ भलौन क्षेत्र नैनीताल में ई-क्लास का पहला विद्यालय साबित हुआ है। संकुल प्रभारी सुरेश चौधरी ने कहा कि प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को सभी विषयों को समझने में आसानी होगी। इस दौरान राधा पाठक, मोहन सिंह जलाल, लीला राम, कमल बिष्ट, नीलम, सुरजीत, नवीन चंद्र, निर्मल गिरी, बाला दत्त, रेखा देवी आदि मौजूद थीं।
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शहर की खूबसूरती पर दाग बनी पालीथिन

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नई टिहरी: एक ओर नई टिहरी शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर बाजार में धड़ल्ले से पॉलीथिन का प्रयोग किया जा रहा है। कई स्थानों पर कचरा फैला है। इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
मास्टर प्लान के अनुसार नई टिहरी शहर में पालीथिन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई बार अभियान चलाया गया। व्यापारियों को पालीथिन का प्रयोग न करने की हिदायत भी दी गई, लेकिन इस पर तरीके से अमल नहीं हो पाया। त्यौहारों के अवसर पर जमकर इसका इसका प्रयोग किया जाता है। पूर्व में कई बार पालिका व प्रशासन ने इसके खिलाफ अभियान छेड़ा था, लेकिन अब फिर स्थिति पहले जैसी हो गई है। पालीथिन के प्रयोग से लोग घर का कूड़ा इसमें भरकर सड़कों पर डाल देते हैं। इससे सड़कों पर पालीथिन जमा हो जाती है। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होना होगा, क्योंकि कई लोगों को पालीथिन में सामान ले जाने में सुविधा होती है। नई टिहरी शहर को यदि पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करना है तो पालीथिन पर रोक लगानी होगी। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह काफी हानिकारक है। हालांकि, नगरपालिका टिहरी ने शहरभर में दो कूड़ा निस्तारण वाहन प्रत्येक मोहल्ले से कूड़ा एकत्रित करने के लिए लगाए हैं। बावजूद इसके लोग पॉलीथीन को सड़कों व गलियों में डाल रहे हैं, इससे शहर की सुंदरता के साथ ही पर्यावरण दूषित हो रहा है।
इस संबंध में पालिका अध्यक्ष उमेशचरण गुसांई ने का कहना है कि मास्टर प्लान शहर में पालिका साफ-सफाई के लिए कई योजनाएं चला रही है। शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के लिए शहरवासियों को भी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा।
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महिला समाख्या ने किया ब्लाक स्तर पर महासंघ का गठन

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छाम: महिला समाख्या ने थौलधार विकासखंड में महिलाओं को जागरूक करने के लिए राइंका कमांद स्टेडियम में सम्मेलन आयोजित कर ब्लाक स्तरीय महासंघ का गठन किया। जिसमें रोशनी देवी अध्यक्ष, सुशीला देवी उपाध्यक्ष, सुमरे बिष्ट कोषाध्यक्ष, सरोजनी देवी सचिव, रूपी देवी सह सचिव व गुड्डी, जलमी, चंद्रा, शकुंतला, प्रकाशी, दशी, एकादशी, निर्मला, सुलोचना, सुरजा देवी निर्विरोध सदस्य निर्वाचित की गई।
सम्मेलन में जानकारी देते हुए महिला समाख्या ब्लाक प्रभारी कांता रावत ने बताया कि महासंघ का गठन महिला सशक्तीकरण की ओर जागरूक महिलाओं का बढ़ाया एक कदम और महिला समाख्या की जागरूकता का परिणाम एवं रणनीति का हिस्सा है। संघ सामाजिक संगठनों व सरकारी विभागों का महिला सशक्तीकरण में सहयोग लेगा।
इस अवसर पर रीना पंवार, सरीता कुड़ियाल, महिपाल नेगी, सुशील बहुगुणा, सावित्री, गुड्डी रावत, कुशला, पुष्पा, सतना, संगीता, रंजना, शशी आदि मौजूद थे।
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