नई टिहरी गढ़वाल। टिहरी जनपद के भिलंगना प्रखंड में प्राकृतिक तालों का भंडार है। नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण इन तालों का नजारा देखते ही बनता है, लेकिन देखरेख व प्रचार -प्रसार के अभाव में यह उपेक्षित पड़े हैं। यदि इन्हें संरक्षण मिले तो यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं बन सकती हैं।
आज सरकार भले ही पर्यटक स्थलों को विकसित कर इन्हें बढ़ावा देने की बात कर रही है, लेकिन जनपद में पर्यटक स्थलों का भंडार होने के बावजूद इन्हें पहचान नहीं मिल पा रही है। भिलंगना प्रखंड बड़े-बड़े प्राकृतिक ताल जो दिखने में अतिरमणीय व मन को सुकून देने वाले हैं जो आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। इनकी सुंदरता अपने में सिमट कर रह गई है। प्रखंड के प्रसिद्ध सहस्त्रताल जहां पर कई तालों का समूह है का सौंदर्य देखते ही बनता है। विकट मार्ग पर कई किमी की पैदल यात्रा कर यहां तक पहुंचा जाता है। इसके अलावा महासरताल, लिंग ताल जरालताल, मातरी ताल, मंच्याड़ी ताल, द्रोपदी ताल सहित कई ताल मौजूद हैं।
प्राकृतिक झीलों तक पहुंचने के लिए तो अभी तक न तो कोई सुगम मार्ग बनाया गया है और न ही वहां पर सुविधाएं मौजूद हैं। कोई पर्यटक इन स्थलों तक पहुंचता भी है तो उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ता है। हालांकि क्षेत्रीय लोगों द्वारा इनके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए यहां पर यात्रा निकालने के साथ ही मेलों का आयोजन भी किया जाता है, लेकिन सरकारी स्तर पर इन्हें अभी तक कोई प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है। इन प्राकृतिक तालाबों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो निश्चित रूप से भिलंगना प्रखंड पर्यटन के रूप में प्रसिद्ध होगा, साथ ही यहां पर रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। लोगों का कहना है सरकार को इन्हें विकसित करने के लिए शीघ्र ही ठोस कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। प्रकृति प्रेमी डा. एसडी जोशी बताते हैं कि इन तालों को यदि विकसित किया जाता है तो यहां पर पर्यटकों की आमद बढ़ेगी साथ ही स्थानीय लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन प्राकृतिक झीलों को उत्ताराखंड के मानचित्रों पर दर्शाया जाना चाहिए ताकि पर्यटकों का रूझान इस ओर बढ़ सके।
vipin panwar