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Chitika

Tuesday, May 18, 2010

नई टिहरी गढ़वाल। टिहरी जनपद के भिलंगना प्रखंड में प्राकृतिक तालों का भंडार है। नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण इन तालों का नजारा देखते ही बनता है, लेकिन देखरेख व प्रचार -प्रसार के अभाव में यह उपेक्षित पड़े हैं। यदि इन्हें संरक्षण मिले तो यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं बन सकती हैं।
आज सरकार भले ही पर्यटक स्थलों को विकसित कर इन्हें बढ़ावा देने की बात कर रही है, लेकिन जनपद में पर्यटक स्थलों का भंडार होने के बावजूद इन्हें पहचान नहीं मिल पा रही है। भिलंगना प्रखंड बड़े-बड़े प्राकृतिक ताल जो दिखने में अतिरमणीय व मन को सुकून देने वाले हैं जो आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। इनकी सुंदरता अपने में सिमट कर रह गई है। प्रखंड के प्रसिद्ध सहस्त्रताल जहां पर कई तालों का समूह है का सौंदर्य देखते ही बनता है। विकट मार्ग पर कई किमी की पैदल यात्रा कर यहां तक पहुंचा जाता है। इसके अलावा महासरताल, लिंग ताल जरालताल, मातरी ताल, मंच्याड़ी ताल, द्रोपदी ताल सहित कई ताल मौजूद हैं।
प्राकृतिक झीलों तक पहुंचने के लिए तो अभी तक न तो कोई सुगम मार्ग बनाया गया है और न ही वहां पर सुविधाएं मौजूद हैं। कोई पर्यटक इन स्थलों तक पहुंचता भी है तो उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ता है। हालांकि क्षेत्रीय लोगों द्वारा इनके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए यहां पर यात्रा निकालने के साथ ही मेलों का आयोजन भी किया जाता है, लेकिन सरकारी स्तर पर इन्हें अभी तक कोई प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है। इन प्राकृतिक तालाबों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो निश्चित रूप से भिलंगना प्रखंड पर्यटन के रूप में प्रसिद्ध होगा, साथ ही यहां पर रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। लोगों का कहना है सरकार को इन्हें विकसित करने के लिए शीघ्र ही ठोस कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। प्रकृति प्रेमी डा. एसडी जोशी बताते हैं कि इन तालों को यदि विकसित किया जाता है तो यहां पर पर्यटकों की आमद बढ़ेगी साथ ही स्थानीय लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन प्राकृतिक झीलों को उत्ताराखंड के मानचित्रों पर दर्शाया जाना चाहिए ताकि पर्यटकों का रूझान इस ओर बढ़ सके।
vipin  panwar

Monday, May 17, 2010

सबसे ऊँची पहाड़ी पर बनाया गया पिकनिक स्पॉट

मखमली-अनछुई हरियाली के बीच घुमावदार साफ-स्वच्छ सड़कें, जगह-जगह बनाए गए सीढ़ीनुमा रास्ते और दूर-दूर तक फैली पहाड़ियाँ व ऊँचे-नीचे घने जंगल यहाँ आने वाले सैलानियों को एक ही क्षण में अपनी ओर खींच लेते हैं। घरों के आसपास से गुजरती इन सीढ़ियों पर से गुजरते हुए लोग अपने आपको यहाँ की सभ्यता और संस्कृति के बेहद नजदीक पाते हैं। यहाँ की जलवायु वर्षभर खुशनुमा रहती है। हम बात कर रहे हैं 'नई टिहरी' की। नाम गुम जाएगा चेहरा ये बदल जाएगा'। जी हाँ इस पहाड़ी शहर के बारे में एक पुरानी फिल्म के गाने के यह बोल एकदम सटीक बैठते हैं। राजधानी से 315 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह रमणीक स्थल अपने आप में अनूठा हिल स्टेशन है। खास बात यह कि यह एकमात्र ऐसा शहर है जो भारत के मानचित्र में पहली बार 21 वीं सदी में जुड़ा है।

राजधानी में गर्मी अपने चरम पर है। ऐसे में बहुत से लोग किसी हिल स्टेशन पर जाने की सोच रहे होंगे। बच्चों को भी स्कूल की छुट्टियों का इंतजार रहता है क्योंकि उन्हें घूमने फिरने के लिए अच्छा मौका मिल जाता है। जाहिर है कि घूमने जाने के लोग नए-नए स्थलों की तलाश में रहते हैं। नया टिहरी हर किसी के लिए सही चुनाव हो सकता है। यह शहर बसावट के मामले में उदाहरण है। समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊँचाई पर भागीरथी नदी पर बनाए गए टिहरी बाँध के पास की पहाड़ी पर स्थित यह शहर कई मामलों में अनूठा है। कतरबद्ध मकान, कार्यालय, व्यवसायिक स्थलों के साथ यहाँ के पर्यटक स्थलों में अजीब आकर्षण नजर आता है। शहर के बिलकुल बीचोबीच से गुजरता साफ-सुथरा चौड़ा रास्ता यहाँ का माल रोड कहलाता है।

एकांत की तलाश में निकले सैलानियों के लिए नए टिहरी की सबसे ऊँची पहाड़ी पर बनाया गया पिकनिक स्पॉट ज्यादा पसंद आता है। यहाँ लोग घंटों बैठकर पहाड़ी नजारों का आनंद लेते हैं। इसके ठीक सामने एक पहाड़ी पर देवदर्शन नामक स्थान पर सुंदर मंदिर स्थित है। इसी के पास एक छोटा और खूबसूरत स्टेडियम भी बनाया गया है। टिहरी बांध की ओर से आने वाले रास्ते पर भागीरथी पुरम स्थित है। इसी के पास टॉप टैरेस नाम का पर्यटक स्थल है। यहाँ से एक रास्ता गंगोत्री मार्ग के प्रमुख धार्मिक स्थल भागीरथी नदी के तट पर बसे उत्तरकाशी की ओर जाता है। मशहूर पर्यटक स्थल चंबा यहाँ से मात्र 11 किमी की दूरी पर स्थित है।

रिवर रॉफ्टिंग के शौकीनों को भागीरथी नदी की खतरनाक ओर फुंफकारती धाराएँ खूब लुभाती हैं। पर इसकी तैयारी ऋषिकेश से ही करके चलनी होती है। बस मार्ग से आने वाले सैलानियों को पहले ऋषिकेश पहुंचना होता है। यहाँ से नई टिहरी के लिए नियमित सेवाएं मिल जाती हैं। यहाँ ठहरने की कोई समस्या नहीं है। कई अच्छे होटल और गैस्ट हाउस बने हुए हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम का रैस्ट हाउस भी ठहरने के लिए अच्छा स्थान है। नई टिहरी द्यद्गाहर की दूरी देहरादून से 95 और ऋषि‍केश से केवल 76 किलोमीटर है। पहली बार आप यहाँ जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो आपको यहाँ बहुत मजा आएगा।
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