लेटीबुंगा (नैनीताल): मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' के विकास यात्रा की गाज दो फार्मेसिस्टों पर जा गिरी। डॉ.निशंक ने ड्यूटी के प्रति लापरवाह इन दोनों फार्मेसिस्टों के निलंबन का आदेश देते हुए सुदूर क्षेत्रों में सरकार की मंशा के अनुरूप चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने में नाकाम सीएमओ को भी तत्काल हटाने का फरमान सुना दिया। इसके अलावा पर्यटन व प्राकृतिक लिहाज से उर्वर मुक्तेश्वर-भटेलिया व रामगढ़ क्षेत्र में बिल्डरों के अवैध अतिक्रमण पर तल्ख तेवर अपनाते हुए मुख्यमंत्री ने डीएम को जांच कमेटी गठित कर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री डॉ.निशंक शुक्रवार को धारी धारी ब्लॉक के सुदूर लेटीबूंगा गांव में जनता दरबार के जरिए ग्रामीणों से सीधे रूबरू हुए। जनसुनवाई के दौरान ओखलकांडा ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जोस्यूड़ा में पटरी से उतर चुकी चिकित्सा व्यवस्था का मुद्दा जोरशोर से उठा। मुख्यमंत्री को बताया गया कि फार्मेसिस्ट की तैनाती न होने से मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।
इस पर डॉ.निशंक ने सीएमओ डॉ.डीएस गब्र्याल से इसका कारण पूछा। सीएमओ ने अवगत कराया कि जोस्यूड़ा केंद्र में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर माह में दस-दस दिन के लिए दो फार्मेसिस्टों को मरीजों की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है। मगर दोनों डं्यूटी पर नहीं पहुंचते। इससे खफा मुख्यमंत्री ने डीएम शैलेश बगौली को दोनों फार्मेसिस्टों को निलंबित कर व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में अक्षम रहने पर सीएमओ को भी हटाने का फरमान सुना डाला।
मुक्तेश्वर-भटेलिया व रामगढ़ क्षेत्र में बिल्डरों द्वारा ग्रामीणों के हक-हकूक को ताक पर रख अतिक्रमण की शिकायत को मुख्यमंत्री ने खासी गंभीरता से लिया। उन्होंने डीएम से जांच कमेटी गठित कर त्वरित कार्रवाई को कहा।
इसके अलावा डॉ.निशंक ने लेटीबूंगा में हिमगिरी स्टेडियम के निर्माण को 20 लाख रुपए की घोषणा करते हुए भीमताल में कुमाऊं विवि परिसर को भी हरी झंडी दी। साथ ही भीड़ापानी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना को डीएम से सर्वेक्षण कराने को कहा। मुख्यमंत्री ने सड़क, बिजली, पानी व स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सुनने के साथ ही एक-एक कर लोनिवि, वन, विद्युत, जल संस्थान, शिक्षा तथा समाज कल्याण विभाग के अफसरों से योजनाओं की प्रगति का ब्योरा तलब किया।
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने इस साल साढ़े अट्ठारह करोड़ के जेंडर बजट का ऐलान किया है। सरकार के मुताबिक यह बजट पिछले साल से चार सौ करोड़ अधिक है। सरकार ने जेंडर बजट महिलाओं की आवश्यकताओं और लैंगिक समानताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया है। इस बार के जेंडर बजट के लिए 26 विभागों का चयन किया गया है। महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, राजनैतिक उन्नयन के लिए अनेक योजनाएं केंद्र सरकार ने भी लागू की हैं। राज्य में महिला पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण के लिए ही करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे हैं, बावजूद इसके कि इन योजनाओं के परिणामों की कोई गारंटी नहीं है। दूसरी ओर कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें न तो किसी जेंडर बजट की आवश्यकता है और न किसी योजना की। इन महिलाओं ने अपने बूते ही आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सौ साल पूरे होने पर महिला समाख्या ने राज्य की ऐसी 19 महिलाओं को सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाया। 









