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Saturday, January 8, 2011

जिला योजना की समीक्षा बैठक में दिए॒दिशा निर्देश

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भीमताल।॒विभागीय कार्यों में लापरवाही और समीक्षा बैठकों से किनारा करने वाले अधिकारियों पर डीएम सख्त हो गए॒हैं। शुक्रवार को विकास भवन सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक मेें सरकारी गोदाम का निर्माण समय पर न होने पर डीएम ने सहायक निबंधक सहकारिता को आड़े हाथों लिया। डीएम ने उनसे निर्माण को लेकर हुई देरी पर जवाब मांगा है। बैठक से नदारद उरेडा॒के परियोजना अधिकारी से भी डीएम ने इस लापरवाही के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
डीएम शैलेश बगौली॒जिला योजना, बीस सूत्रीय कार्यक्रम और दैवीय आपदा के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिला योजना में अब तक जिन विभागों ने साठ फीसदी धनराशि खर्च नहीं की है वह काम में तेजी लाए। उन्होंने कहा कि धनराशि लैप्स अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जा सकती है। जिन विभागों को शत प्रतिशत धनराशि अवमुक्त नहीं हुई है उन्हें भी डीएम ने चेताया है और जल्द वार्ता कर धन अवमुक्त कराने को कहा है। बगौली॒ने पूल्ड॒हाउसिंग॒योजना के कार्यों में तेजी लाने, आपदा राहत कार्यों को मार्च तक हर हाल में पूरा कराने के आदेश दिए॒हैं।
बगौली॒ने कहा कि विधायक निधि में १५॒करोड़ १६॒लाख रुपये के सापेक्ष अब तक ७ करोड़ २८॒लाख रुपये खर्च हुए॒हैं। उन्होंने जिला विकास अधिकारी को विधायक निधि की निरंतर समीक्षा करने को कहा। आरईएस॒के अधिकारियों को निर्देश दिए॒कि वह बेतालघाट ब्लाक के आवासीय परिसर में पेयजल कनेक्शन तुरंत उपलब्ध कराएं।
बीस सूत्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए॒डीएम ने अधिकारियों से मार्च तक विभाग को ए श्रेणी में शामिल करने, इंदिरा आवास आवंटन में तेजी लाने के भी निर्देश दिए।॒बैठक में सीडीओ॒दीपक रावत, डीएफओ॒टीआर॒बीजू लाल, सीएमओ डा.डीएस॒गर्ब्याल,॒परियोजना निदेशक बालकृष्ण समेत जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।  
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दृष्टिहीनों के कोटे पर डाका

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देहरादून में दस साल बाद भी दृष्टिहीन अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
दस सालों से ‘हक’ के लिए संघर्ष कर रहे दृष्टिहीन कितनों को मिली नौकरी सरकार के पास नहीं जानकारी

दृष्टिहीनों को सरकारी नौकरी देने के मामले में सरकार की नाफरमानी कहा जाए या चंद अधिकारियों का उपेक्षात्मक रवैया. सच यह है कि हर स्तर पर उनके साथ दोयम दज्रे का ही व्यवहार हुआ है.
यहां बात राज्य के दृष्टिहीनों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण की है. आरक्षण के नाम पर सरकार के फरमान चाहे कुछ भी हों लेकिन समय समय पर विभिन्न विभागों ने नौकरियों के लिए आवेदन पत्र जारी किये, खानापूर्ति की और अन्य को नौकरी दे दी. इन नौकरियों में हमेशा ही दृष्टिहीनों के कोटे पर डाका डाला गया है.
शिक्षा विभाग हो या अन्य कोई विभाग, हर किसी ने दृष्टिहीनों के कोटे पर अन्य विकलांग की भर्ती कर औपचारिकता निभा दी. दृष्टिहीनों को सरकारी नौकरियों में तवज्जो न मिलने के लिए जितनी दोषी सरकार है उतनी ही दोषी उनके रहनुमा भी हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर दृष्टिहीनों के अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ का गठन किया गया है. उत्तराखंड बनने के बाद राज्य में भी संघ की प्रदेश स्तरीय शाखा तैयार की गयी. इस शाखा के महासचिव पीताम्बर सिंह चौहान का दावा है कि दृष्टिहीनों को सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर कई बार शासन से वार्ता की गयी.
विभागों में आवेदन पत्र निकलने के दौरान भी हक की लड़ाई के लिए प्रदर्शन किया गया. गौर करने वाली बात है कि 2009 में विकलांग आयुक्त द्वारा राज्य के विकलांगों की गणना का कार्य नए सिरे से शुरू किया गया.
इस गणना की विशेषता यह थी कि इसमें विकलांगों की शिक्षा, आय, उम्र, क्षेत्र को शामिल करते हुए कई जानकारियों का अलग-अलग रिकार्ड तैयार किया जाना था. इस योजना को शुरू हुए एक साल से भी अधिक का समय बीतने के बावजूद अभी तक इस योजना का अता-पता नहीं है.

दृष्टिहीनों की लगातार उपेक्षा

राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के महासचिव पीताम्बर सिंह चौहान का कहना है कि सरकार ने अब तक कितने दृष्टिहीनों को सरकारी सेवा में लिया है इसका कहीं कोई भी व्योरा उपलब्ध नहीं है. बीते रोज शासन के अधिकारियों के साथ हुयी बैठक में जानकारी जुटाने की बात कही जा रही है.
गौरतलब है कि 2004 में शिक्षा विभाग ने 1100 पद के लिए आवेदन मांगे थे. इसमें दृष्टिहीनों के कोटे से एक भी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिली जबकि सरकार द्वारा एक फीसद के हिसाब से 11 लोगों को नौकरी दी जानी थी. इसी प्रकार 2006 में 4115 एलटी की पोस्ट निकाली गयी. इसमें 41 दृष्टिहीनों को नौकरी मिलनी थी जबकि केवल आठ को ही नौकरी देकर खानापूर्ति कर दी गयी|
न्यायालय ने दिया निर्णय
नेत्रहीनों को सरकारी नौकरियों में शामिल करने संबंधी मांग को लेकर संघ की ओर से न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. 26 नवम्बर को इस संबंध में फैसला आया है. इसके अनुसार राज्य सरकार को 1997 से नेत्रहीनों का बैकलॉग पूरा करना होगा. इतना ही नहीं इस दिशा में सरकार ने किस स्तर तक कार्रवाई की है 1 मार्च को इसकी जानकारी न्यायालय को देनी होगी|
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औली को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

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जोशीमठ, प्रदेश के पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सैफ गेम्स होने से औली को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र के रूप में पहचान मिल गई है। उन्होंने कहा कि औली के विकास में धन की कमी आड़े नहीं आने दी जायेगी।
औली में राष्ट्रीय स्कीइंग ओपन चैंपियनशिप का शुभरम्भ करते हुए पर्यटन मंत्री ने श्री कौशिक ने कहा कि औली को सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं अपितु दुनिया में लोग साहसिक खेलों के तीर्थ के रूप में जानते हैं। उत्तराखंड में पर्यटन अधिकारियों की कमी है, जिसे पूरा करने के लिए लोक सेवा आयोग से रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिये अनुमति मांगी गई है। प्रदेश में कार्यरत सभी साहसिक खेल अधिकारियों को जल्द ही स्थाई नियुक्ति दी जायेगी। औली में सैफ खेलों के आयोजन के लिए तैयार की गई स्कीइंग स्लोप को विश्व की सबसे बेहतरीन स्लोप बताते हुए श्री कौशिक ने कहा कि आगे भी औली में अंतरराष्ट्रीय आयोजन हों इसके लिए प्रदेश सरकार गंभीर है। इस मौके पर विधायक केदार सिंह फोनिया ने कहा कि औली को वर्षो से विकास का सपना जो उन्होंने देखा था वो अब जाकर पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि औली उनकी कर्मभूमि रही है इसलिये राज्य सरकार को औली के विकास को प्राथमिकता देने की वकालत आजीवन करते रहेंगे।
प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा ने कहा कि बदरीनाथ के कपाट बंद होने के बाद भी यहां पर्यटक व यात्री आते रहें इसके लिए औली, रुड़की हरिद्वार समेत अन्य स्थानों पर पर्यटन विभाग दीर्घकालीन योजना बना रहा है। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष विजया रावत, नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, प्रमुख सुचिता चौहान, अपर सचिव खेल बीएस मनराल, संयुक्त निदेशक पर्यटन एके द्विवेद, आईटीबीपी के डीआई एके चौधरी, नोडल अधिकारी रामचन्द्र भारद्वाज समस्त जिला साहसिक अधिकारी मौजूद रहे।
औली में स्कीइंग प्रतियोगिता का शुभारम्भ करने से पहले वर्षो से बंद पड़ी चेयर लिफ्ट कार का लोकार्पण कर पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि औली में आने वाले पर्यटकों को चेयर लिफ्ट, स्की लिफ्ट न सिर्फ यहां की सैर कराती है बल्कि इनसे पर्यटक प्रकृति के अनमोल नजारों का भी दीदार आसानी से करते हैं।
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औली की चमक से अंधेरे में गांव

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सैफ विंटर गेम्स का स्थानीय आधार पर चाहे प्रचार-प्रसार न हुआ हो, पर घंटों बिजली कटौती से दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीणों को अंदाजा लगने लगा है कि जिले में कोई बड़ा आयोजन हो रहा है। सैफ विंटर गेम्स के दौरान औली को रोशनी से जगमगाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र घंटों अंधेरे में डूबने लगे हैं।
औली को रोशनी से जगमगाने के लिए जिले को कटौती मुक्तकरने का दावा करने वाला विद्युत विभाग घंटों कटौती कर रहा है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर में तो कटौती मिनटों के लिए हो रही है, लेकिन, दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में डेढ़ से दो घंटे की कटौती से आम आदमी परेशान है। स्कूली बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं तो जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक में बिजली कटौती परेशानी के साथ ही खतरों को भी न्योता दे रही हैं। ऐसे में ग्रामीणों का बिजली कटौती से परेशान होना स्वाभाविक है। जिला मुख्यालय के समीप देवलधार, गंगोलगांव व सगर की ही बात करें तो यहां शाम को छ: बजे से साढ़े सात बजे तक बिजली कटौती की जा रही है। अधिकारी जिले को कटौती मुक्त रखने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि कर्णप्रयाग, गैरसैंण, घाट, पोखरी, थराली, जोशीमठ व चमोली तहसील के दर्जनों गांव घंटो कटौती के नाम पर रोजाना अंधेरे में डूब रहे हैं। कर्णप्रयाग के नौटी निवासी पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कैलाश नौटियाल व सेरागाड़ के पूर्व प्रधान रमेश जोशी का कहना है कि विभागीय अधिकारी जिले को कागजों में कटौती मुक्तदिखाकर वाहवाही लूट रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती जम कर हो रही है।
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नैनीडांडा ब्लाक के कई गावों में सदियों से चली आ रही घेरलू उपचार प्रथा संकट में ?

नैनीडांडा ब्लाक के कई गावों में सदियों से चली आ रही घेरलू उपचार प्रथा संकट में ?
सुदर्शन रावत | उत्तराखंड के  नैनीडांडा ब्लाक के कई गावों  में  सदियों  से चली आ रही घेरलू उपचार व वैध प्रथा आज संकट के दौर से गुजर रहा है यदि उत्तराखंड सरकार इस तरफ ध्यान देती तो कई लोगो को रोजगार  के साथ  साथ  पुराने समय से चली आ रही घेरलू उपचार को लुप्त  होने से बचाया  जा सकता था  वही उत्तराखंड सरकार द्वारा  स्वामी रामदेव बाबा को  पुर्व  कांग्रेस सरकार के समय राज्य की बेशकीमती भूमि बाबा रामदेव के संस्थान को आंवटित की गयी थी और तमाम हर  तरह की सुविधायें प्रदान की गयीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रो  में वर्षो  से चली आ रही वैध प्रथा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया| पौड़ी  गढ़वाल के नैनीडांडा ब्लाक के  ग्राम सुपगुणा मूल  निवासी जगदीश उनियाल  का कहना है कि उत्तराखण्ड जड़ी-बूटियों वाला प्रदेश है। यहां की भौगोलिक परिस्थिति एवं वातावरण इसके अनुकूल हैं। सरकार ने  किसानों को बाजार उपलब्ध कराया है  दलाल को बेचने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ने जड़ी-बूटी किसानों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए ही पतंजलि योगपीठ से समझौता किया है। स्वामी रामदेव ने स्पष्ट कहा है कि उत्तराखण्ड के किसानों की पूरी जड़ी बूटी खरीदेंगे। किसान भी सीधे पतंजलि सेंटर पर जाकर अपना उत्पादन बेच सकते हैं। इसके अलावा सरकार ब्लॉक स्तर पर जड़ी-बूटी लगाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित कर रही है। दर्जनों जड़ी-बूटियों का न्यूनतम मूल्य भी निर्धारित किया गया है। न्यूनतम मूल्य से कम  कीमत पर कोई भी जड़ी बूटी नहीं खरीदी जा सकती है।परन्तु आधिकारियो  की उदासीनता के चलते जड़ी-बूटी की खेती करने वाले किसानों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। उन्हें बिचौलिए को सस्ते दामों पर अपना उत्पादन बेचना पड़ता है  लोगो के लाख प्रयास के बाबजूद अब  नई  पीढ़ी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है नई पीढी  का कहना है कि इस में मेहनत के अलावा कुछ नहीं है यदि यही स्थिती रहेगी तो हमें तो रोटी के लाले पड़ जायेंगे यदि सरकार  आयुर्बैदिक जड़ी बूटियों से जोड़े लोगो को  सुबिधाये प्रदान करती  तो आज कई लोगो को रोजगार भी मिल जाता  पंडित जगदीश उनियाल ने कहा है कि आज के भागदोड भरी जिन्दगी में खाने क समय नहीं है जिस कारण अधिकतर लोगो को आज एसीडिटी  की समस्यां बनी रहती है यदि निम्न घरेलु उपचार पर ध्यान दे तो कुछ हद तक एसीडिटी  से बचा जा सकता है|

(1) लौग का टुक़डा चूसने से एसीडिटी मे राहत मिलती है|

(2) दूध तथा दुध उत्पादो का एसीडिटी के दौरान उपयोग करने से राहत मिलती है |
(3) ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना एसीडिटी के लिए एक बेहतर उपाय है |
(4) ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है|
(5) एक गिलास पानी मे साबुत जीरे को उबाले तथा छानकर भोजन करते समय साथ मे लें|
(6) मसालेदार भोजन, अचार तथा तले हुए खाद्य पदार्थो के सेवन से बचे क कक़डी तरबूज तथा केले जैसे फलो का सेवन भी एसीडिटी को कम करता है तथा यह एक अच्छा घरेलू उपाय भी है |
(7) पुदीने और मुलेठी युक्त हर्बल चाय भी एसीटिडी कम करने का एक और उपाय है क सुबह उठते ही जल का सेवन करना भी एसीडिकम करता है।
(8) एसीडिटी को कम करने के घरेलु उपाय मे अपने भोजन के साथ दो चम्मच सफेद सिरके का उपयोग करना भी कारगर साबित होता है।
(9) एस्प्रीन तथा डिस्प्रीन जैसी दवाइयो के लगातार सेवन से परहेज करे क खाने के तुंरत बाद प्रतिदिन 10 ग्राम गुड का सेवन करना एसीडिटी को बनने से रोकता है|
(10) प्रतिदिन फ्ता गोभी का रस पीने से भी एसीडिटी मे आराम मिलता है क प्याज तथा मूली की तरह एसिड बनाने वाले  कच्चो सलादो का प्रयोग नही करना चाहिए|
(11) सोने से कम से कम दो घंटे पूर्व भोजन कर लेना काफी लाभदायक होता है क दिन मे 3-4 बार नारियल पानी के सेवन  से  भी एसीडिटी कम होती है |
(12) दही का सेवन एसीडिटी में तुंरत लाभ करता|
(13) एक गिलास पानी के साथ एक चम्मच सोडे का प्रयोग भी एसीडिटी को कम करने का बेहतरीन अदरक के एक छोटे टुक़डे का गुदा बना ले तथा इसमे बराबर मात्रा मे धनिया मिलाए, दोनो को अच्छे से मिलाकर सेवन करे, एसीडिटी मे अवश्य लाभ मिलता हैं 

समाज के लिए आदर्श बने शिक्षक: पांडेय

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राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लैंसडौन (सैलगांव) के बीएड संकाय के तीन दिवसीय वार्षिक खेलकूद समारोह मे छात्रा वर्ग की दो सौ मी. की दौड़ में सुमन लता व छात्र वर्ग में शैलेंद्र सिंह रावत ने प्रथम स्थान हासिल किया है।
बीएड के छात्र-छात्राओं ने मुख्य अतिथि को भव्य मार्चपास्ट का आयोजन कर सलामी दी। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने साहसिक खेलकूद की गतिविधियों का भी प्रदर्शन किया। छात्रा चित्रा नेगी एंड पार्टी ने समूह गान 'हे शरदे मां' की प्रस्तुति दी। उद्घाटन समारोह के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। दो सौ मीटर की दौड़ छात्र वर्ग में शैलेंद्र सिंह रावत ने प्रथम, वेद प्रकाश ने द्वितीय, व प्रवेज ने तृतीय स्थान हासिल किया। जबकि छात्रा वर्ग में सुमन लता प्रथम, निशात सिद्दकी द्वितीय व मीनाक्षी तृतीय स्थान पर रही।
शुक्रवार को बीएड संकाय की वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए एसडीएम लैंसडौन एके पांडेय ने कहा कि समाज निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अहम है। उन्होने बीएड संकाय में अध्ययनरत छात्रों को आईएएस व पीसीएस बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहा की इस क्षेत्र में इच्छुक छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए वह तैयार हैं। समारोह के विशिष्ट अतिथि एसबीआई जयहरीखाल के शाखा प्रबंधक एसपी वर्मा ने कहा की व्यक्तित्व विकास में खेल व शिक्षा दोनों का बराबर महत्व है। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रो. केसी दुदपुड़ी ने कहा की शिक्षा के साथ खेलों के क्षेत्र में भी छात्रों को अपना कैरियर बनाना चाहिए। समारोह का संचालन महेंद्र कुमार ने किया। इस मौके पर प्रशासनिक अधिकारी आरआर चमोली, डॉ. बीके अग्रवाल, विमल रावत, प्रकाश असवाल, पूजा नेगी, शौफाली चौहान, सपना नेगी, विपिन कुमार आदि मुख्य रूप से शामिल थे। 
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कोटद्वार और देहरादून ने जीते मैच

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सातवीं राज्य स्तरीय बार एसोसिएशन प्रदेश क्रिकेट प्रतियोगिता में कोटद्वार ने विकासनगर और देहरादून ए ने रुड़की को रोमांचक मुकाबलों में हराया। कोटद्वार ने ललित की शानदार बल्लेबाजी और दीपेन्द्र व बृजमोहन की गेंदबाजी की बदौलत विकासनगर को 59 रनों से हराया। वहीं देहरादून ए ने रुड़की को 8 विकेट से शिकस्त दी।
जीआईटीआई मैदान में खेली जा रही स्व. केके बंगवाल एवं स्व. पीएस पुंडीर स्मृति क्रिकेट प्रतियोगिता में शुक्रवार को दो मैच खेले गए। पहले मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए कोटद्वार ने निर्धारित 20 ओवरों में 6 विकेट खोकर 157 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। कोटद्वार के ललित ने 52 और बृजमोहन ने 35 रनों की पारी खेली। विकासनगर के अनुराग ने तीन और संजय ने दो विकेट झटके। जवाब में खेलने उतरी विकासनगर की टीम शुरूआत में ही लड़खड़ा गयी और 18 ओवर में ही 98 रन पर ढेर हो गयी। अनुराग को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज विकेट पर टिककर नहीं खेल सका। कोटद्वार के दीपेन्द्र और बृजमोहन ने तीन-तीन विकेट चटकाए। दूसरे मुकाबले में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए रुड़की ने निर्धारित 20 ओवरों में सभी विकेट खोकर 106 रन बनाए। मुनीर आलम ने 13 और आकिब ने 14 रनों का योगदान दिया। देहरादून के संदीप और राजेश ने बेहतरीन गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए दो-दो विकेट चटकाए। छोटे लक्ष्य का पीछा करने उतरी देहरादून ए की टीम ने शुरूआत से ही आक्रामक रुख अपनाया। हेम पुजारी के 35 और सुनील के 12 रनों की बदौलत देहरादून ए ने 15 ओवर में ही दो विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। रुड़की के इंदर और आमिर ने एक-एक विकेट लिया। प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी भगवत मिश्रा और सीओ आर वर्मा थे। अमित नौडियाल, गुलफाम, जयदीप, राहुल और विपिन नौटियाल ने अंपायर, कमंट्रेटर और स्कोरर की भूमिका निभाई।
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जारी है गंगा भागीरथी के साथ मनमानी

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गंगा भागीरथी के अविरल प्रवाह व इससे अनावश्यक छेड़छाड़ को लेकर राज्य व केंद्र सरकार की अहम जल विद्युत परियोजनाएं रद हो गई, लेकिन इसके साथ मनमानी का सिलसिला अभी थमा नहीं है। झूला पुल जैसे छोटे निर्माण के लिए गंगा को बांधने की कोशिश और इसके तटों पर खनन बदस्तूर जारी है। इससे गंगा रिजर्व बेसिन प्राधिकरण के अस्तित्व पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।
गंगा भागीरथी के स्वरूप को लेकर बीते तीन सालों में तेज हुए राष्ट्रीय आंदोलन ने बड़ी परियोजनाओं को तो बंद करवा दिया। अब भी ऐसी तमाम कोशिशें जारी हैं, जिनमें निजी स्वार्थो के लिए गंगा भागीरथी के साथ बेवजह छेड़खानी की जा रही है। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में केदारघाट झूला पुल निर्माण इसका जीता जागता उदाहरण है। जहां ठेकेदार फर्म ने नदी के प्रवाह को रेत और पत्थरों से रोक दिया। इसका उपयोग नदी के दूसरे तट से खनन और पत्थरों का चुगान कर उन्हें पुल के निर्माणाधीन एबेटमेंट तक पहुंचाया जा रहा है। प्रवाह को रोकने के लिये गंगा भागीरथी में कई बार भारी भरकम मशीनें उतारी गई। इन मशीनों के सहारे दोनों किनारों से रेत और पत्थर खोदकर पानी में डाला गया। हैरत की बात यह है कि यह सब जिला प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है। इसके बावजूद इसे लगातार अनदेखा किया जा रहा है। इससे गंगा भागीरथी के दोनों तटों पर खनन और चुगान का दायरा काफी दूर तक फैल गया है। इस पुल निर्माण के अलावा स्टोन क्रेशरों के लिये भी गंगा तटों से बड़े पैमाने पर खनन जारी है, जिसे रोकने के लिये प्रशासन की ओर से अभी तक कोई भी ठोस कार्रवाई सामने नहीं आ सकी है।
जनसंगठन कर रहे विरोध
उत्तरकाशी : गंगा आह्वान समिति के दीपक ध्यानी, पानी पंचायत से जुड़े द्वारिका सेमवाल, मनमोद सहित विभिन्न जनसंगठनों से जुड़े लोगों ने गंगा भागीरथी के साथ हो रही मनमानी को एकदम गलत बताया है। उन्होंने कहा कि भारी भरकम मशीनों को गंगा में उतारने व बड़े पैमाने पर मलबा डालने से इसमें जलीय जीवों के साथ ही गंगा के तटबंधों के लिये भी खतरा पैदा हो जाएगा।
अनियमिता पर होगी कार्रवाई उत्तरकाशी : इस संबंध में एसडीएम सीएस धर्मशक्तू ने बताया कि वे जल्द ही इसका जायजा लेंगे। अगर अनियमित तरीके से कार्य किया जा रहा हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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चंद्रबनी तिराहे का सर्वमान्य हल निकालने की मांग

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देहरादून: सुभाष नगर स्थित तिराहे के नामकरण को लेकर अब राजनीतिक दल सर्वमान्य हल निकालने की अपील कर रहे हैं। मामले की संवेदनशीलता और राजनीति को देखते हुए शीघ्र हल की मांग की जा रही है।
सुभाषनगर में चंद्रबनी मंदिर को जाने वाले तिराहे का नामकरण राजनीतिक रंग ले चुका है। क्षेत्रीय निवासियों को धार्मिक आस्था पर भड़काया जा रहा है तो किसान नेता के समर्थकों को सम्मान के नाम पर। ऐसे में राजनीतिक दलों से जुड़े नेता सर्वमान्य हल निकालने की मांग कर रहे हैं। भाजपा के अनिल रघुवंशी ने मेयर को पत्र लिखकर चौक के नामकरण के बाद बोर्ड उखाड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और स्थाई समाधान निकालने की मांग की। वहीं सपा युवजन सभा के जिला संगठन मंत्री रवि कुमार भोला ने धार्मिक आस्था व चौ. चरण सिंह के सम्मान को देखते हुए इसका सर्वमान्य हल निकालने की मांग की है।
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पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित या... दो चरणों में होंगे पंचायत चुनाव

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जिला निर्वाचन अधिकारी जिलाधिकारी डॉ. आर. मीनाक्षीसुंदरम ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। इसके अनुसार पंचायत चुनाव 12 व 19 फरवरी को दो चरणों में संपन्न होंगे।
शुक्रवार को जिलाधिकारी की ओर से जारी चुनाव कार्यक्रम के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में 12 फरवरी को बहादराबाद, रुड़की व खानपुर तीन विकासखंडों में मतदान होगा। जबकि 19 फरवरी को नारसन, भगवानपुर व लक्सर ब्लाक में मतदान होना है। दोनों चरणों के चुनाव के लिए 19 से 22 जनवरी तक नामांकन किया जाएगा। नामांकन पत्रों की जांच 24 व 25 जनवरी और नाम वापसी 27 जनवरी तक किया जा सकेगा। प्रथम चरण के चुनाव के लिए चुनाव चिह्नों का आवंटन 28 जनवरी व दूसरे चरण के लिए 4 फरवरी को किया जाएगा। जबकि दोनों चरणों के चुनाव की मतगणना 21 फरवरी को की जाएगी।
चुनावी कार्यक्रम
नामांकन : 19-22 जनवरी
पत्रों की जांच : 24-25 जनवरी
नाम वापसी : 27 जनवरी
प्रतीक चिन्हों का आवंटन :
प्रथम चरण के लिए : 28 जनवरी
दूसरे चरण के लिए : चार फरवरी
मतगणना : 21 फरवरी (दोनों चरणों के लिए )
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मनरेगा के तहत मुहैया होंगे रोजगार के अवसर

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 अल्मोड़ा: विकास भवन सभागार में पंचायतों में मनरेगा के नियोजन व क्रियान्वयन के लिए सरपंचों की एक कार्यशाला आहूत की गई। अध्यक्षता प्रभारी जिलाधिकारी व सीडीओ धीराज सिंह गब्र्याल ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरपंचों की इस कार्यशाला का उद्देश्य मनरेगा के जरिये वन पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ व स्वावलंबी बनाने के साथ रोजगारपरक बनाना है। वन पंचायतों के जरिये मनरेगा के काम सरपंचों से कराए जाएंगे। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। श्री गब्र्याल ने कहा कि ऐसी वन पंचायतें जिनके पास 50 हेक्टेयर भूमि हो, उनमें टैक्नीकल एक्सपर्ट के माध्यम से 5 वर्षीय माइक्रोप्लान तैयार किया जाएगा। मनरेगा के माध्यम से योजनाओं का संचालन कर उन्हें मजबूत व उपयोगी बनाया जाएगा। बैठक में मौजूद सभी सरपंचों से एक सप्ताह के भीतर बैठक कर प्रस्ताव भेजने को कहा। ताकि उन्हें मनरेगा के कार्यक्रम में शामिल किया जा सके। लोक चेतना मंच के जोगेंदर बिष्ट ने कार्यशाला में सरपंचों को बताया कि पांच साला माइक्रो योजना में प्रस्तावित गतिविधियों के तहत सीमांकन, सघनीकरण, बांज क्षेत्रों में प्राकृतिक पुनरोत्पादन, चारा विकास, जड़ी-बूटी, बांस रोपण, भूमि व मृदा संरक्षण, वनों की सुरक्षा जैसे कार्य किए जा सकते हैं। जिसमें प्रथम वर्ष में वन पंचायतों का सीमांकन कर मृदा कार्य व पौधशाला का निर्माण किया जाएगा। द्वितीय वर्ष में पौधे की ढुलाई, रोपण, अग्निकाल में पौधों की सुरक्षा का काम होगा। कार्यशाला में प्रसार प्रशिक्षण केंद्र के आचार्य डॉ.जीएस खाती, जिला विकास अधिकारी एसएसएस पांगती ने भी जानकारी दी|
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Friday, January 7, 2011

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जयदेव  कैंथोला

Thursday, January 6, 2011

अफगान फौज सीखेगी गढ़वाली

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भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स अफगानिस्तानी सेना के जवानों को प्रशिक्षण देगी.
अफगान आर्मी के साथ होने वाले इस संयुक्त अभ्यास का शेड्यूल अभी जारी नहीं हुआ है, लेकिन गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर में तैयारियां चल रही हैं. दोनों सेनाओं के बीच होने वाले संयुक्त अभ्यास का फायदा वैसे तो दोनों को मिलेगा, लेकिन अफगानिस्तान ने अमरीकी फौजों की वापसी के बाद यह भारत के लिए काफी हितकर होगा.
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर के जिम्मेदार अधिकारी अफगानिस्तान आर्मी के साथ होने वाले संयुक्त अभ्यास की आधिकारिक पुष्टि करने से बच रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सेंटर के किचनर लाइन में अफगान टुकड़ियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. पहले अफगान सैनिकों के नवम्बर में आने की संभावना थी, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम में फेरबदल हुआ है. अभी नई तारीख नहीं मिली है. सेना मुख्यालय से ही निकट भविष्य में इसकी सूचना मिलेगी. गढ़वाल राइफल्स के साथ होने वाला यह संयुक्त सैन्य अभ्यास तीन से चार सप्ताह तक चलने की संभावना है.
बदले कार्यक्रम के अनुसार अब सर्दियों के बाद यानी फरवरी के बाद अफगान सेना के आने की संभावना बतायी जा रही है. आतंकवादियों से जूझ रही भारतीय सेना के साथ यह अभ्यास अफगानिस्तान के लिए काफी फायदेमंद होगा. पहली बार दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास करेंगी. भारतीय सेना को मिलने वाले उच्चकोटि का प्रशिक्षण व सैन्य क्षमताएं अफगानिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं. उत्तराखंड की धरती पर कुछ महीने पहले रूसी सेना भी युद्धाभ्यास कर चुकी है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहन चंद्र भंडारी का कहना है कि इसका असली लाभ तब दोनों देशों को मिलेगा जब अमेरिकी फौज स्वदेश वापसी कर लेगी. भारतीय सेना से मिलने वाली सीख उसे अपने देश में आतंकवाद से जूझने में मदद देगी. जनरल भंडारी का कहना है कि अफगानिस्तान सेना की मजबूती भारत के लिए फायदेमंद है.
अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों पर सही तरीके से नियंत्रण नहीं हो पाया तो अमरीकी (नाटो) सेनाओं की वापसी के बाद वे भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में उन पर नियंत्रण के लिए अफगान सेना को मजबूत होना आवश्यक है. हालांकि भारत अफगानिस्तान को सड़क, शिक्षा व पुलिस सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है, लेकिन फौजी सहयोग की रूपरेखा पहली बार बन रही है.
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उत्तराखंड राज्यकर्मियों को सरकार ने दिया तोहफा

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प्रदेश सरकार मंगलवार को कार्मिकों पर विशेष मेहरबान दिखी.
सरकार ने जहां शिक्षकों को सत्रांश लाभ देने के साथ-साथ एलटी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया. वहीं मिनिस्टीरियल संवर्ग के लिए माडल सर्विस रूल्स बनाने पर सहमति जता दी है. इससे इस संवर्ग में पदोन्नति के अवसर बढ़ेंगे.
इसके अलावा संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन कर सभी संस्कृत महाविद्यालय उसके अधीन लाए गए हैं. साथ ही वन विभाग में मानचित्रकार एवं वन क्षेत्राधिकारी की सेवा नियमावली, स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की भर्ती सेवा नियमावली, नायब तहसीलदार सेवा नियमावली व होमगार्ड में समूह ग के पदों के लिए सेवा नियमावली का अनुमोदन कर दिया है.
मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव व एफआरडीसी राजीव गुप्ता ने बताया कि प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षकों को अब सत्रांश लाभ दिया जाएगा. इसके तहत शैक्षिक सत्र के बीच में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को अब 31 मार्च तक का सेवा विस्तार स्वत: मिल जाएगा. इसके साथ ही प्रवक्ता में 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती के और 50 प्रतिशत पद पदोन्नति के हैं. पदोन्नति वाले इन पदों में एलटी के शिक्षकों को पदोन्नत किया जाता है, लेकिन इसके लिए बीएड होना अनिवार्यता था.
उन्होंने बताया कि एलटी के शिक्षकों के लिए प्रवक्ता पद पर पदोन्नत होने के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. प्रदेश में विभिन्न विभागों में मिनिस्टीरियल संवर्ग की सेवा नियमावली में एकरूपता लाने के लिए माडल सर्विस रूल्स बनाने की मांग की जा रही थी. ताकि सभी विभागों में  पदोन्नति के अवसर एक समान हो सकें. इनके लिए कार्मिक विभाग की ओर से माडल सर्विस रूल्स तैयार कर लिया गया है. कार्मिक विभाग की ओर से दिए गए प्रस्ताव के अनुसार मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ट सहायक का पद सीधी भर्ती का होगा. इस पद पर सात वर्ष की सेवा के उपरांत उसकी पदोन्नति प्रवर सहायक पर, इस पद पर पांच वर्ष की सेवा के बाद अगली पदोन्नति मुख्य सहायक पद पर होगी.
इस पद पर तीन वर्ष की सेवा के बाद वह प्रशासनिक अधिकारी व उसके बाद दो वर्ष की सेवा के बाद वह वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बन सकेगा. कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इसमें और अधिक संभावनाओं को देखने के लिए कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी है. इसमें कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट व खजान दास के अतिरिक्त न्याय, कार्मिक व वित्त के प्रमुख सचिव को सदस्य बनाया गया है.
प्रदेश में करीब 84 संस्कृत महाविद्यालय हैं. वर्तमान में ये सभी उत्तराखंड शिक्षा परिषद के अधीन हैं. इन सभी महाविद्यालयों को उत्तराखंड शिक्षा परिषद से अलग करते हुए उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन कर उसके अधीन कर दिया गया है.  प्रमुख सचिव पीसी शर्मा ने बताया कि संस्कृत शिक्षा परिषद ही अब संस्कृत महाविद्यालयों की परीक्षा से लेकर मूल्यांकन, पाठ¬क्रम का निर्धारण, आचार्यो के प्रशिक्षण से लेकर संस्कृत के प्रचार-प्रसार का कार्य करेगी. इसका मुख्यालय देहरादून में स्थापित होगा. परिषद में एक सचिव, एक उपसचिव सहित कुल नौ पद होंगे. उन्होंने कहा कि संस्कृत को राज्य की द्वितीय भाषा बनाया गया है.
साथ ही हरिद्वार व ऋ षिकेश को संस्कृत नगरी के रूप में और कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में एक-एक गांव को संस्कृत गांव के रूप में विकसित किया जाना है. इसके लिए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है, जो इसका स्वरूप तय करने के लिए विस्तृत रिपोर्ट देगी. इसके अतिरिक्त यह भी तय किया गया है कि प्रत्येक जिलाधिकारी के कार्यालय में और शासन में एक पद संस्कृत अनुवादक का होगा. सभी कार्यालयों में नेम प्लेट संस्कृत में भी लिखी हुई होंगी.
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ग्रामीणों को पानी पिलाएंगी निजी कंपनियां

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निजी कंपनियां अब ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने का काम करेंगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में निजी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की गाइड लाइनों में अहम बदलाव किए हैं.
ये बदलाव प्रोविजन ऑफ अरबन एमिनिटीज इन रूरल एरिया (पुरा ) योजना को लेकर किए गए हैं. केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को ताकीद की है कि वह प्रदेश में इन बदलावों के हिसाब से काम करे. इन बदलावों से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था निजी कंपनियों को सौंपने की अड़चन दूर हो जाने की उम्मीद है. प्रदेश के शहरों में पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी जल संस्थान पर है.
ग्रामीण इलाकों में जहां ज्यादातर एकल ग्राम योजनाएं ग्रामीणों को सौंप दी गईं हैं वहीं बहुल ग्राम पेयजल योजनाएं जल निगम या जल संस्थान के अधीन हैं. इनमें से भी ज्यादातर को जल संस्थान को सौंपने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.
इसके अलावा प्रदेश में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पुरा के तहत राजधानी देहरादून के मारखम ग्रांट गांव को चुना गया है. इसके तहत एक निजी कंपनी इस गांव में बिजली पानी, सड़क, सीवर, जलनिकासी और टेलीफोन आदि जैसी सुविधाएं मुहैया कराएगी. सरकार के इस कदम को बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी करने की शुरूआत है.
पुरा के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की कुछ गाइड लाइंस आड़े आ रही थी इसलिए उनमें बदलाव कर दिया गया है. इससे गांवों में पेयजल आपूर्ति का क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा.
केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के निदेशक सुजॉय मजूमदार ने प्रदेश के पेयजल सचिव को पत्र लिख कर बताया है कि ये बदलाव इसलिए किए गए हैं ताकि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और पुरा में तालमेल बिठाया जा सके.
यह बदलाव किए जाने से सरकार द्वारा ग्रामीण पेयजल योजनाओं के लिए निजी कंपनियों को धनराशि मुहैया कराने में कोई अड़चन नहीं आएगी. अब तक पेयजल योजनाओं के संचालन व प्रबंधन के लिए अलग से धनराशि का प्रावधान था लेकिन अब पुरा परियोजना के मामले में इस राशि को उस ग्रांट में नहीं शामिल किया जाएगा जो निजी कंपनी को पुरा के तहत मिलेगी.
यही नहीं, ग्राम पंचायत स्तर पर पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी अभी तक पेयजल से जुड़े विभागों या ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति की थी, लेकिन नई स्थिति में यह जिम्मेदारी उस निजी कंपनी की होगी, जो पुरा के तहत गांवों में सुविधाएं मुहैया करा रही होगी.
इतना जरूर है कि इस कंपनी को ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति के साथ मिल कर काम करना होगा. यही नहीं नई पेयजल योजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम भी निजी कंपनी को ही करना होगा.
डीपीआर को ग्राम्य विकास मंत्रालय की इंपार्वड कमेटी से अनुमोदित कराना होगा. पुरा के मामले में पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के तहत जारी होने वाली धनराशि कंपनी के साथ हुए समझौते की र्शतो के मुताबिक एडवांस में डीआरडीए को जारी होगी. जिसके बाद डीआरडीए योजना की गाइडलाइनों के मुताबिक धनराशि अवमुक्त करेगा.
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दिवाकर भट्ट को 'आजीवन निकाला'

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आखिर वही हुआ जिसका अनुमान था, उक्रांद के 'फील्ड मार्शल' दिवाकर भट्ट को दल ने हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
साथ ही दल ने विधायक दल के नेता के रूप में पुष्पेश त्रिपाठी की ताजपोशी कर दी है जबकि ओमगोपाल को उपनेता बनाया गया है. इसके साथ ही दल के मुख्य प्रवक्ता सतीश सेमवाल और आश्वासन समिति के अध्यक्ष श्रीकृष्ण भट्ट को भी पद से हटा दिया गया है.
गत 27 दिसम्बर को सरकार से समर्थन वापसी के बाद उक्रांद कोटे से सरकार में मंत्री दिवाकर भट्ट व संगठन के बीच चला आ रहा विवाद मंगलवार को श्री भट्ट की दल से बर्खास्तगी के बाद समाप्त हो गया. दल के केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने केंद्रीय कर्यालय में पत्रकार वार्ता कर कहा कि दल के समर्थन वापसी के फैसले के बाद श्री भट्ट को मंत्रीपद से त्यागपत्र देने को कहा गया था.
इसके लिए उन्हें पर्याप्त समय भी दिया गया. उन्होंने कहा कि दल के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी ने भी श्री भट्ट को समझाने का प्रयास किया, पर उन्होंने समर्थन वापसी के बाद भी विचार करने की बात कहकर मामले को टाल दिया. साथ ही उन्होंने बयान जारी कर विधायक दल को अपने साथ होने का दावा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि श्री भट्ट द्वारा लगातार अनुशासनहीनता की जा रही थी. एक जनवरी को निलंबन के बाद भी उन्होंने तय समय में जवाब नहीं दिया.
इसे देखते हुए दल को बड़े दुख के साथ उनकी प्राथमिक सदस्यता को समाप्त करने का निर्णय लेना पड़ा. उन्होंने कहा कि श्री भट्ट को दल से आजीवन निष्कासित किया गया है. उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में श्री भट्ट के साथ राजनीतिक संबंध रखने वाले कार्यकर्ताओं को अनुशासनहीता के दायरे में मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने दल के कुछ नेताओं द्वारा कार्यकारिणी बुलाकर ही कोई फैसला लेने की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि समर्थन वापसी पर पूर्व में ही कार्यकारिणी फैसला ले चुकी थी.
उन्होंने कहा कि कुछ वरिष्ठ नेता  राष्ट्रीय पार्टियों के हाथों की कठपुतली बनकर कार्य कर रहे हैं और दल को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी यह मंशा सफल न हो इसलिए दल कठोर निर्णय लेने को मजबूर हुआ.
उन्होंने दिवाकर भट्ट पर दल को वर्ष 1996, 2002 और 2005 में तोड़ने का भी आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि दोनों विधायक संगठन के साथ हैं. उन्होंने कहा कि विधायक दल का नेता पुष्पेश त्रिपाठी को और ओमगोपाल को उपनेता बनाया गया है.
इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार श्री भट्ट को बचाने के प्रयास में जुटी हुई है. उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने हमेशा उक्रांद की पीठ पर छुरा घोंपा है. यही नहीं दोनों ने दल को तोड़ने में भूमिका निभाई है. उक्रांद भविष्य में इन दोनों दलों के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगा. पत्रकार वार्ता में दल के कार्यकारी अध्यक्ष एपी जुयाल, महामंत्री शीशपाल बिष्ट सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे |
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बस खाई में गिरते ही चीख-पुकार मच गई

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देहरादून। मैगी प्वाइंट पर बस खाई में गिरते ही चीख-पुकार मच गई। मसूरी से लौट रहे पर्यटकों में कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपनी आंखों से बस को खाई में पलटते देखा। उन्होंने रुककर तत्काल बचाव कार्य शुरू कर दिया। मौके पर हालात बहुत विकट थे। जिसको जैसे सूझ रहा था वैसे ही वह घायलों की मदद के लिए दौड़ रहा था। इन्हीं में से कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दी।
प्रत्यक्षदर्शी न्यू कैंट रोड हाथीबड़कला निवासी मनु गौड़ ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त हुई बस से वे थोड़ा ही पीछे थे। बस को गिरता देख उन्होंने अपनी कार रोक ली। पीछे आ रहे वाहनों को भी उन्होंने रोका और मदद के लिए कहा। इसी बीच व्यापारियों के बेड़े की आठवीं बस भी वहां आ गई। सभी लोग बचाव के लिए दौड़े। गहरा अंधेरा होने के कारण खाई में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था। उन्होंने अपनी कार के ऊपर लगी हेलोजन लाइट को तोड़कर निकाला और खाई की तरफ ले गए। इसी बीच एक रोडवेज बस का ड्राइवर रस्सों के सहारे खाई में उतरने लगा। नीचे से चीख-पुकार की आवाजें आ रही थीं। उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को घटना की जानकारी दी। मौके पर मौजूद लोग और आठवीं बस में सवार व्यापारियों ने खाई में उतरना शुरू कर दिया। इस बीच राजपुर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
इसके बाद राहत कार्य तेजी से चला। एक के बाद एक घायल निकाले जाते रहे और 108 की एंबुलेंस सेवा और अन्य साधनों से अस्पताल भेजे जाते रहे। मौके पर मौजूद सभी लोग बचाव कार्य के साथ प्रार्थना भी कर रहे थे कि ईश्वर सबको बचा ले।
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गैर सरकारी संगठन हड़प रहे हैं काश्तकारों की कमाई

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ब्लॉक के रूचि सहायता स्वंय समूह पुजारगांव ने हिमालयी आजीविका सुधार परियोजना पर गुमराह कर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। जिलाधिकारी ने वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक को जांच के आदेश दिए हैं।
समूह संचालक हर्ष राम भट्ट ने बताया कि आजीविका परियोजना समूह को झांसे में रखकर उसके उत्पादों को दिल्ली प्रगति मैदान में आयोजित राष्ट्रीय मेले में प्रदर्शित कर बेचा गया। इस कमाई को परियोजना ने हड़प लिया। संचालक भट्ट के मुताबिक समूह सदस्यों ने कड़ी मेहनत से चंद्रबदनी क्षेत्र से कृषि व फल उत्पादों सहित हस्तशिल्प की वस्तुएं एकत्रित की थी। इनकी कुल कीमत 55 हजार 9 सौ पंद्रह तक थी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गत वर्ष 14 नवंबर को प्रगति मैदान नई दिल्ली में राष्ट्रीय मेला आयोजित किया था। देवप्रयाग ब्लॉक से चंद्रबदनी स्वायत सहकारी समिति के माध्यम से इसके लिए रूचि स्वयं सहायता समूह का चयन किया गया था। क्षेत्रवासी समूह के पहली बार मेले के लिए चयन होने पर काफी उत्साहित थे। आजीविका परियोजना ने मेले में शामिल होने के लिए समूह को सहयोग देने की बात की। जिसके चलते उन्होंने मेले में पास बनवाने के लिए समूह सदस्यों के फोटो मांगे एवं 12 नवंबर को सभी उत्पादों सहित देहरादून आने को कहा। मेले में पहली बार प्रदर्शित हो रही बुरांश की चटनी शरबत सहित अस्थानीय बारह नाजा भी शामिल था। समूह संचालक हर्ष राम भट्ट के अनुसार आजीविका संचालकों ने सभी 55 हजार 9 सौ पंद्रह के उत्पादों को अपने पास रख लिया। समूह सदस्यों को वापस जामणीखाल भेज दिया गया। बाद में आजीविका परियोजना के बैनर तले रूचि समूह के उत्पादों को दिल्ली मेले में प्रदर्शित कर बिक्री की गयी। जब रूचि समूह ने इससे हुई आमदनी के बारे में पूछा तो आजीविका परियोजना ने चुप्पी साध ली। जिस पर समूह संचालक हर्ष राम भट्ट ने जिलाधिकारी को इसकी शिकायत की गई। इस मामले में जांच अधिकारी बनाए गए वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक केएम मखनवाल ने बताया कि इस सिलसिले में समूह व आजीविका परियोजना संचालकों से पूछताछ की जाएगी। यदि इसमें आजीविका संचालन दोषी पाए गए तो उनसे बिक्री किए गए उत्पादों की पूरी राशि वसूली जाएगी। रूचि समूह ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विधायक और काबिना मंत्री दिवाकर भट्ट व कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी शिकायत पत्र भेजे गए हैं। संचालक भट्ट ने दस दिनों की भीतर भुगतान न होने पर भूख हड़ताल की चेतावनी दी है। 
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सौ वर्ष से अधिक के मतदाताओं को सम्मान

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आखिरकार राज्य निर्वाचन आयोग को इतने समय बाद लाठी के सहारे मतदान स्थल तक पहुंचने वाले सौ साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की याद आ ही गई। आयोग इन सौ से अधिक उम्र के बुजुर्गो की तलाश कर उन्हे सम्मानित करेगा।
निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक विस क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत ऐसे मतदाताओं की खोज शुरू की है जिनकी उम्र सौ साल से अधिक है। निर्वाचन कार्यालय ने दस दिसंबर को इस आशय का आदेश तहसीलदारों को प्रेषित किया है। आदेश की तामिल में सिर्फ तहसील कोटद्वार ने ही अब तक सूची भेजी है। कोटद्वार तहसील में छह ऐसे मतदाता हैं, जिनकी उम्र सौ साल या इससे अधिक है। अन्य तहसीलें अब तक सूची प्रेषित नहीं कर पाए है। जबकि तहसीलदारों से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक सूची उपलब्ध कराने को कहा गया था। अब तहसीलदारों को आदेश जारी किए गए है कि 15 जनवरी तक यह कार्य पूरा कर लें अन्यथा रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को प्रेषित कर दी जाएगी।
इसके अलावा नए मतदाताओं की तलाश में भी निर्वाचन विभाग पूरी ताकत झोंके हुए है। तहसीलदारों की जिम्मेदारी है कि पंजीकरण कर रिपोर्ट निर्वाचन कार्यालय को सौंपे। अब तक 18 वर्ष की उम्र के 7,522 नए मतदाताओं का पंजीकरण कर दिया गया है। इसके अलावा विस क्षेत्र चौबट्टाखाल, यमकेश्वर से आंकड़े आने बाकी है। इन विस क्षेत्रों में अभियान संचालित किया जा रहा है। निर्वाचन कार्यालय के अनुसार यह कार्य अब तक पूरा होना जाना चाहिए था, लेकिन तहसीलदारों के पास कार्य का बोझ अधिक होने से यह कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सौ साल से अधिक उम्र के मतदाताओं को 25 जनवरी को सम्मानित किया जाना है। कोटद्वार के अलावा अन्य तहसीलों के तहसीलदारों को नोटिस जारी किए गए है और उम्मीद है 15 जनवरी तक विभाग को सूची उपलब्ध हो जाएगी।
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Wednesday, January 5, 2011

अब कक्षा एक से आठ तक कोई विद्यार्थी नहीं होगा फेल

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 कोई भी विद्यालय अब किसी भी बच्चे को जन्म प्रमाणपत्र के अभाव में दाखिला देने से इंकार नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही कक्षा एक से आठ तक की कक्षा का न कोई विद्यार्थी फेल होगा और स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। यह व्यवस्था शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू होने जा रही है। इस बाबत राज्य परियोजना निदेशालय (सर्वशिक्षा॒अभियान) के तत्वावधान में मंगलवार को यहां जीजीआईसी॒के सभागार में शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर जानकारी देने को कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें निदेशालय के विशेषज्ञों ने प्रोजेक्टर॒के माध्यम से इस अधिनियम की विस्तार से जानकारी दी। निदेशालय से आए वरिष्ठ॒विशेषज्ञ किशन स्वरूप ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लेकर राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से ५२॒पृष्ठ॒की नियमावली बनाई गई है। इसमें किस तरह के सुधार होने चाहिए, इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ वर्कशाप कर उनके सुझाव एकत्र किए॒जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस नियमावली में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अलावा नागरिकों एवं विभिन्न संगठनों के भी सुझाव आमंत्रित किए॒गए॒हैं, इसके बाद इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। वरिष्ठ॒विशेषज्ञ ने बताया कि छह वर्ष से लेकर १४वर्ष तक का कोई बच्चा प्रवेश के लिए स्कूल पहुंचता है और उसने कहीं भी शिक्षा नहीं ली है तो ऐसी स्थिति में आयु के अनुपात में उसे कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। इसके साथ ही वह बालक चाहें अपनी कक्षा के अन्य छात्रों के बराबर आ सके इसके लिए॒ऐसे बालकों को अलग से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि अब कोई भी विद्यालय किसी भी बच्चे को प्रवेश देने से इंकार नहीं कर सकेगा, इसके लिए॒किसी तरह के जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी। पब्लिक स्कूलों को भी २५॒फीसदी बच्चों को निशुल्क प्रवेश देना होगा। यह भी बताया गया कि बीस बच्चों पर एक किलोमीटर के दायरे में प्राइमरी स्कूल और तीन किलोमीटर के दायरे में उच्च प्राथमिक स्कूल होगा। कार्यशाला में शामिल अधिकारियों के ग्रुप बनाकर ग्रुप डिस्कशन॒भी कराया गया तथा उन्होंने सुझाव दिये।
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साहब मेरी बीवी से बचाओ!

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हल्द्वानी। पति की पिटाई से महिला के कोतवाली या चौकी पहुंचने के अक्सर मामले सुनने को मिलते हैं लेकिन मंगलवार को उल्टा हुआ। डरा सहमा एक युवक मेडिकल कालेज चौकी पहुंचा और बोला साहब मुझे मेरी बीवी से बचा लो। चौकी में मौजूद पुलिस कर्मियों ने उसकी पूरी बात सुनी। काफी कुछ बताने के बाद युवक ने चौकी में पत्नी॒के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की।
मंगलवार दोपहर करीब एक बजे का समय होगा। मेडिकल कालेज की पुलिस चौकी में दरोगा समेत पुलिस कर्मी चौकी के बाहर खड़े थे। इसी दौरान काफी डरा सहमा जसफार्म निवासी एक युवक चौकी पहुंचा। तेज सांस चलने से वह कुछ बताने के दौरान हड़बड़ा रहा था। कुछ देर ठहरने के बाद बोला, साहब मुझे मेरी बीवी से बचा लो! पिटाई कर-करके॒वह मुझे मार डालेगी। पत्नी॒की पिटाई खाने से अच्छा है वह मर जाए। इतनी सारी बातें युवक ने कही। चौकी में मौजूद दरोगा ने युवक से विस्तार से पूछा तो उसने बताया कि वह प्राइवेट नौकरी करता है। उसकी पत्नी॒एक सीएमओ के घर में साफ सफाई का काम करती है लेकिन कुछ कहो तो वह उसके साथ मारपीट करती है। यहां आने से पहले किसी बात को लेकर पत्नी॒ने उसकी पिटाई कर दी। किसी तरह पत्नी॒से बचकर वह यहां पहुंचा। युवक ने पत्नी॒के खिलाफ तहरीर सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। मेडिकल चौकी पुलिस के अनुसार मामले की जांच की जा रही है।  
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विश्व के लिए वरदान है योग

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योग सिर्फ चिकित्सा नहीं बल्कि पूरी जीवनशैली है और योग के जरिए पूरे विश्व को एकसूत्र में पिरोया जा सकता है। पंतजलि योगपीठ में आयोजित योग सम्मेलन के जरिए निष्कर्ष निकाला गया कि योग से संपूर्ण विश्व का कल्याण हो सकता है।
बुधवार को पतंजलि योगपीठ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन के आखिरी दिन योग विशेषज्ञों ने एक सुर में योग को पूरी दुनिया के लिए एक वरदान बताया। स्वामी रामदेव ने कहा कि योग जीवन का विज्ञान है। योग के जरिए एक स्वस्थ और संस्कारवान देश का निर्माण किया जा सकता है। पतंजलि में आयोजित योग सम्मेलन में हमें पता चला कि योग दुनिया भर में कितना लोकप्रिय है। मुख्य अतिथि पद्मश्री डीआर कार्तिकथन ने कहा कि योग के जरिए देश और समाज का विकास किया जा सकता है। हारवार्ड मेडिकल कॉलेज यूएसए के प्रोफेसर डॉ. सतवीर सिंह खालसा ने कहा कि अमेरिका में योग जबरदस्त तरीके से लोकप्रिय है। टाइम पत्रिका में योग को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है। यूएसए के जेम्स फाक्स ने कहा कि कैदियों के लिए भी योग के प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।
यूएसए से आई कृष्ण कौर खालसा ने कहा कि स्वामी रामदेव ने योग को एक नई दिशा दी है। ईशा फाउंडेशन के प्रमुख सतगुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि योग एक विज्ञान है और योग से समाज को कई फायदे हैं। समापन समारोह में स्वामी रामदेव ने अध्यक्षों और कार्यक्रम के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
राजीव दीक्षित भवन का उद्घाटन
हरिद्वार: बुधवार को पतंजलि योगपीठ में भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की स्मृति में राजीव भवन का उद्घाटन किया गया। राजीव दीक्षित नाम से एक वेबसाइट भी शुरू की गई। पिछले वर्ष पांच जनवरी को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। ट्रस्ट के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित के असमय निधन से अब उनकी याद में राजीव भवन बनाया गया है। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि ग्रामोत्थान योजना भी शुरू की गई है। इस योजना के तहत देश के 365 गांवों का विकास किया जाएगा। मौके पर आचार्य बालकृष्ण, सत्यमित्रानंद, महंत राजेंद्र दास कोठारी आदि उपस्थित थे। 
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पहाड़ी क्षेत्रो में सदियों से चली आ रही घेरलू उपचार प्रथा संकट में ?

सुदर्शन सिंह रावत | उत्तराखंड के पहाड़ी  क्षेत्रो में  सदियों  से चली आ रही घेरलू उपचार व वैध प्रथा आज संकट के दौर से गुजर रहा है यदि उत्तराखंड सरकार इस तरफ ध्यान देती तो कई लोगो को रोजगार  के साथ  साथ  पुराने समय से चली आ रही घेरलू उपचार को लुप्त  होने से बचाया  जा सकता था  वही उत्तराखंड सरकार द्वारा  स्वामी रामदेव बाबा को   पुर्व कांग्रेस  सरकार के समय राज्य की बेशकीमती भूमि बाबा रामदेव के संस्थान को आंवटित की गयी थी और तमाम हर  तरह की सुविधायें प्रदान की गयीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रो  में वर्षो  से चली आ रही वैध प्रथा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया पौड़ी  गढ़वाल के नैनीडांडा ब्लाक के  ग्राम सुपगुणा मूल  निवासी जगदीश उनियाल  का कहना है कि उत्तराखण्ड जड़ी-बूटियों वाला प्रदेश है। यहां की भौगोलिक परिस्थिति एवं वातावरण इसके अनुकूल हैं। सरकार ने  किसानों को बाजार उपलब्ध कराया है  दलाल को बेचने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ने जड़ी-बूटी किसानों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए ही पतंजलि योगपीठ से समझौता किया है। स्वामी रामदेव ने स्पष्ट कहा है कि उत्तराखण्ड के किसानों की पूरी जड़ी बूटी खरीदेंगे। किसान भी सीधे पतंजलि सेंटर पर जाकर अपना उत्पादन बेच सकते हैं। इसके अलावा सरकार ब्लॉक स्तर पर जड़ी-बूटी लगाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित कर रही है। दर्जनों जड़ी-बूटियों का न्यूनतम मूल्य भी निर्धारित किया गया है। न्यूनतम मूल्य से कम  कीमत पर कोई भी जड़ी बूटी नहीं खरीदी जा सकती है।परन्तु आधिकारियो  की उदासीनता के चलते जड़ी-बूटी की खेती करने वाले किसानों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। उन्हें बिचौलिए को सस्ते दामों पर अपना उत्पादन बेचना पड़ता है  लोगो के लाख प्रयास के बाबजूद अब  नई  पीढ़ी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है नई पीढी  का कहना है कि इस में मेहनत के अलावा कुछ नहीं है यदि यही स्थिती रहेगी तो हमें तो रोटी के लाले पड़ जायेंगे यदि सरकार  आयुर्बैदिक जड़ी बूटियों से जोड़े लोगो को  सुबिधाये प्रदान करती  तो आज कई लोगो को रोजगार भी मिल जाता  पंडित जगदीश उनियाल ने कहा है कि आज के भागदोड भरी जिन्दगी में खाने क समय नहीं है जिस कारण अधिकतर लोगो को  आज एसीडिटी की समस्यां बनी रहती है यदि निम्न घरेलु उपचार पर ध्यान दे तो कुछ हद तक   एसीडिटी  से बचा जा सकता है| 
(1) लौग का टुक़डा चूसने से एसीडिटी मे राहत मिलती है|
(2) दूध तथा दुध उत्पादो का एसीडिटी के दौरान उपयोग करने से राहत मिलती  है |                                                                          (3) ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना एसीडिटी के लिए एक बेहतर उपाय है |                                                                            (4) ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है |
(5) एक गिलास पानी मे साबुत जीरे को उबाले तथा छानकर भोजन करते समय साथ मे ले |
(6) मसालेदार भोजन, अचार तथा तले हुए खाद्य पदार्थो के सेवन से बचे क कक़डी तरबूज तथा केले जैसे फलो का सेवन भी एसीडिटी को कम करता है तथा यह एक अच्छा घरेलू उपाय भी है|
(7) पुदीने और मुलेठी युक्त हर्बल चाय भी एसीटिडी कम करने का एक और उपाय है क सुबह उठते ही जल का सेवन करना भी एसीडिटी को कम करता है।
(8) एसीडिटी को कम करने के घरेलु उपाय मे अपने भोजन के साथ दो चम्मच सफेद सिरके का उपयोग करना भी कारगर साबित होता है।
(9) एस्प्रीन तथा डिस्प्रीन जैसी दवाइयो के लगातार सेवन से परहेज करे क खाने के तुंरत बाद प्रतिदिन 10 ग्राम गुड का सेवन करना एसीडिटी को बनने से रोकता है|
(10) प्रतिदिन फ्ता गोभी का रस पीने से भी एसीडिटी मे आराम मिलता है क प्याज तथा मूली की तरह एसिड बनाने वाले  कच्चो सलादो का प्रयोग नही करना चाहिए|
(11) सोने से कम से कम दो घंटे पूर्व भोजन कर लेना काफी लाभदायक होता है क दिन मे 3-4 बार नारियल पानी के सेवन  से  भी एसीडिटी कम होती है |
(12)  दही का सेवन एसीडिटी में तुंरत लाभ करता है |
(13)  एक गिलास पानी के साथ एक चम्मच सोडे का प्रयोग भी एसीडिटी को कम करने का बेहतरीन उपाए है, अदरक के एक छोटे टुक़डे का गुदा बना ले तथा इसमे बराबर मात्रा मे धनिया मिलाए,  दोनो को अच्छे से मिलाकर सेवन करे, एसीडिटी मे अवश्य लाभ मिलता हैं |

Monday, January 3, 2011

Fwd: प्रथम उत्तराखंड


प्रथम उत्तराखंड मीडिया सिंग्नेचर अवार्ड २०१० का धूम                                                                                                 (सुदर्शन सिंह रावत )नई दिल्ली  न्यूज़ पेपर ऑनर्स कांग्रेस ने उत्तराखंड राज्य के १० वर्ष पुरे होने पर व राज्य के स्थापन पर अपनी पुर्णभागेदारी  निभाने वाले पत्रकारों व मीडियाकर्मियों के सामान मैं "प्रथम उत्तराखंड मीडिया सिंग्नेचर अवार्ड २०१०" का भब्य आयोजन एक जनबरी २०११ को  दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर मैं आयोजित एक समारोह मैं उत्तराखंड के सभी  जिलों से व दिल्ली से आये ह्वए व चयनित  पत्रकारों  व  मीडियाकर्मियों को सिंग्नेचर अवार्ड से समानित किया गया  इसे कार्यक्रम  मैं  मुख्य अतीथि भविष्य निधि आयुक्त श्री वी.एन शर्मा थे उत्तराखंड मैं समाचार पत्रों व  टी वी.  चैनलो और पत्रकारों की जन अपेक्षोओं को अभिब्यक्त  कर शासन पर दबाब बनाने के भूमिका को देखते ह्वए समाचार पत्रों के समूह "न्यूज़ पेपर ऑनर्स कांग्रेस" ने पत्रकारों एवं मीडियाकर्मियों को उत्तराखंड व देश  के अन्य भागो मैं चुनोती पुर्ण कार्य के यह पुरस्कार दिया जाता है पुरस्कार से  सम्मानित होने  वाले  बिभिन्न अख़बार व  चैनलो के  पत्रकार  शामिल हैं  मीडिया के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिये समानित  होने वाले पत्रकारो में  उत्तराखंड से स्वतंत्र पत्रकार  साधना शर्मा  श्रीमती सुमित्रा पांडे  हिमांचल  के स्वर बागेश्वर कुसमलाता बडोनी  (टेहरी गढ़वाल) ,समीम अहमद दा, हाक (अल्मोड़ा ) गोविन्द सिंह रावत गंगा यमुना एक्सप्रेस ( चमोली ), किशोर मैठाणी  दैनिक शिखर  सन्देश  (पौड़ी )   कैलाश खंडूरी  आकाशवाणी  (रूद्र प्रयाग ) राहुल शेखावत  ई .टी. वी (नैनीताल)   इसके अलावा  दिल्ली के भी चार पत्रकारों को भी समानित किया गया समानित होने वाले   पत्रकारों मैं  स्वतंत्र  पत्रकार देवेंदर उपाध्याय ,लोकसभा  ज्ञानेंन्द्र पाण्डेय जनपक्ष पत्रिका  दाताराम चमोली, के अलावा  बयोमेश  जुगराण शामिल है फ़िल्म जगत के  पारेस्वर गौड़ और पुर्व फ़िल्म अभिनेत्री कुसुम बिष्ट व कवि साहित्यकार केसवान को भी भव्य समारोह में  भविष्य निधि आयुक्त श्री वी.एन शर्मा  ने  पुरस्‍कार प्रदान किया   मंच  का संचालक  वरिष्ठ पत्रकार  सुनील नेगी  ने किया  कांग्रेस युवजन के दिल्ली प्रदेश महा सचिव हरिपाल रावत ने भी अपने विचार बयक्त किये , न्यूज़ पेपर ऑनर्स कांग्रेस संस्था के अध्यक्ष आर.पी . ध्यानी  ने समानित  पत्रकारों  को  नव वर्ष की  सुभकामनायों के साथ संस्था की नि:शुल्क  सदस्यता  प्रदान करते ह्वए कहा कि संस्था छोटे मंझोले समाचार पत्रों  की तमाम  समस्यायो के लिए काम करने हेतु  बचनबद  है तथा संस्था के महासचिव  नवीन खाती ने सम्मानित पत्रकारो को संबोधित करते ह्वए कहा कि वे अपनी श्रेष्ठ पत्रिकारिता को बनाये रखते ह्वए संस्था को जिलास्तर पर ग़ठित  करने मैं सहयोग  एवं पत्रिकारिता के आदर्श मूल्य बने रहने  चाहिए ! 


Sunday, January 2, 2011

उत्तराखंड भाजपा में वर्चस्व की लड़ाई

उत्तराखंड  भाजपा में वर्चस्व की लड़ाई 
(सुदर्शन सिंह रावत ) रामदेव बाबा और मुख्यमंत्री  निशंक  का प्रेम  व  नजदिकियां जग जाहिर है रामदेव बाबा द्वारा लगया गई  भ्रष्टाचार का आरोप में कितनी  सचाई  है इतना  बबाल होने  के बाद  भी अभी तक सचाई  सामने नहीं आई इतना  जरूर  है की  योग गुरु बाबा रामदेव के नये शिगूफे ने उत्तराखण्ड भाजपा  के शीर्ष अंदर  मचे घमासान को सामने ला दिया है। रामदेव  बाबा ने गत्‌ सप्ताह यह आरोप लगा लगाया  कि  उनसे लगभग दो वर्ष पूर्व दो करोड़ की रिश्वत मांगी गई थी जिसे इस आरोप ने उत्तराखंड की  राजनिति में सनसनी  मच गई है   पूर्व मुख्यमंत्री  भुवनचंद खंडूरी  की  छवि साफ़ सुथरी  मानी जाती  है गौरतलब है कि योग गुरु बाबा रामदेव ने अपने एक योग कार्यक्रम के दौरान यह कह डाला कि दो साल पूर्व उनके संस्थान के भू उपयोग परिवर्तन के मामले में तत्कालीन उत्तराखण्ड सरकार के एक मंत्री ने उनसे दो करोड़ की रिश्वत मांगी। वह इससे इतने दुखी हुये कि स्वयं उस मंत्री की शिकायत करने तत्कालीन मुख्यमंत्री से मिले थे। लेकिन उन्हे और भी दुख तथा हैरत हुई कि जब मुख्यमंत्री ने भी यह कहा कि उक्त मंत्री को उनसे सीधे रिश्वत नही मांगनी चाहिए थी बल्कि अपने ट्रस्ट के लिए  दान  मांगना  चाहिये था योग गुरु बाबा रामदेव के बयान के सामने आने के अगले ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खण्डूड़ी ने भी पत्रकार वार्ता  की पुर्व मुख्यमंत्री  कहा कि बाबा रामदेव ने जो समय बताया है उस से तो लगता है कि उस वक्त वह राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस लिये वे स्थिति स्पष्ट करने के लिये प्रेस वार्ता कर रहे हैं। खण्डूड़ी ने बाबा रामदेव के बयान को सिरे से खारिज करते हुये उन्हे चुनौती दे डाली कि बाबा उक्त मंत्री का नाम बतायें और  उनसे कब मिलने आये और कब उन्होने उक्त मंत्री की शिकायत उनसे की वह समय और तारीख बतायें। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने बाबा पर मानहानि का दावा करने की बात कही। इसी प्रेस वार्ता में भुवन चंद्र खण्डूड़ी ने यह भी कह कर राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी कि जबसे वे मुख्यमंत्री के पद से हटे हैं उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है और उनकी छवि को खराब  करने का एक माहौल खड़ा किया जा रहा है।  वर्तमान में राज्य में भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं उससे प्रदेश का नाम खराब हो रहा है और साथ  में सुझवा  दिया कि  इन सभी मामलों की किसी स्वतंत्र  संस्था से जांच कराई जाये  भाजपा का एक खेमा निशंक और रामदेव के मजबूत रिश्तों से जोड़ कर देख रहा है। बाबा रामदेव के बयान की अंदरूनी हकीकत चाहे जो भी हो पर जिस चालाकी से उन्होंने मंत्री का नाम नहीं बताया और समय का जो अंतराल बताया गया उससे तो साफ ही हो जाता है कि बाबा का इशारा तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी और राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट की तरफ है।
दिवाकर भट्ट उत्तराखण्ड क्रांति दल के कोटे से मंत्री बने हैं।  उक्रांद का रुख हमेशा पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खण्डूडी के पक्ष में नरम रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खण्डूड़ी
और दिवाकर भट्ट के आपसी  रिश्तौ में घनिष्टता  थी   इसी के चलते खण्डूड़ी सरकार में दिवाकर भट्ट को शहरी विकास और  राजस्व मंत्रालय जैसे भारी भरकम मंत्रालय मिले थे। भट्ट के दबाव के चलते खण्डूड़ी सरकार ने दो माह के भीतर ही प्रदेश में नया भू-कानून भी लागू किया जिसका भाजपा के भीतर भारी विरोध हुआ विरोध के बबजूद भी   उक्रांद और खण्डूड़ी के बीच बेहतर तालमेल बना रहा   अचानक भाजपा ने खण्डूड़ी को हटा कर रमेश पोखरियाल 'निशंक' को मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बाद उक्रांद और भाजपा के रिश्तों में खटास आने लगी। । सबसे पहले दिवाकर भट्ट से शहरी विकास जैसा भारी भरकम मंत्रालय वापस लिया गया। निशंक सरकार उक्रांद के विधायकों की भी अनदेखी करती रही है जबकि खण्डूड़ी सरकार में उक्रांद के विधायकों की बातें सुनी जाती थीं। उनके द्वारा प्रस्तावित योजनाओं पर काम भी होता था।  आम लोगो के बीच यह भी चर्चा  है कि  रामदेव बाबा  और पूर्व सीएम खण्डूड़ी के सक्त रैवया के कारण संबंध कभी भी प्रगाड़ नहीं रहे। एनडी तिवारी के समय बाबा की पकड़ सरकार पर खासी मजबूत थी। तिवारी सरकार के समय राज्य की बेशकीमती भूमि बाबा रामदेव के संस्थान को आंवटित की गयी थी और तमाम तरह की सुविधायें प्रदान की गयीं। खण्डूड़ी सरकार के समय में भी बाबा रामदेव ने सरकारी और ग्राम सभा की भूमि अपने संस्थान के लिये मांगी। उन्हे पूरी उम्मीद थी कि खण्डूड़ी सरकार  भी उन्हें पूर्व की ही तरह भूमि दे दी जायेगी।  इस  प्रस्ताव पर खण्डूड़ी  सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया फिर रामदेव  बाबा ने भाजपा के बड़े नेताओ  व  संगठन के नेताओं  से शिकायत  की  सगठन  के दबाब में आकर खण्डूड़ी सरकार ने कुछ भूमि बाबा रामदेव के संस्थान को दी लेकिन ग्रामसभा की भूमि को देने से साफ इंकार कर दिया। इस भूमि के लिये स्थानीय किसानों ने  हरिद्वार में भी बड़ा आंदोलन किया था।

मेरी मानिला डानी तेरी बलाई ल्यूला, तु भगवती छै भवानी तेरी बलाई ल्यूला

http://garhwalbati.blogspot.com
(सुदर्शन सिंह रावत ) अल्मोड़ा  जिले   के खुबसूरत  पर्वतीय स्थल में बसा  मानिला  जो  की मन को मोह लेता  है  मानिला  पहुचने के लिए  दिल्ली-मानिला  रोडबेज बस लेकर सीधा १२ घंटे  के सफ़र से  मनीला पहुच सकते  है या पुरानी दिल्ली से  रानीखेत एक्सप्रेस पकड़  कर  रेल मार्ग से रामनगर पहुच कर बस से सफ़र कर  जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से होकर  ३-४ घंटे के  सफर से यहाँ पहुँच  सकते  है  मानिला में सरकारी डाक बंगले और गेस्ट हाउस भी हैं। विदेशी पर्यटकों की भी आवाजाही रहती है। मल्ला मानिला के परिसर में एक संस्कृत विद्यालय और दूरदर्शन का रिले सेंटर है। रथखाल से आगे तल्ला मानिला का मंदिर का बस स्टॉप है और वहीं एक रास्ता मानिला इंटर कालेज और महाविद्यालय की ओर जाता है। । देवभूमि के इस प्रदेश में प्रकृति-तीर्थ के  को बखूबी समझा देता है। मानिला देवदार, फर, चीड़ के शंकुल वृक्षों से ढका प्रदेश है। यहाँ भगवती  माँ  दो मंदिर हैं- तल्ला (नीचाई) मानिला और मल्ला ( ऊँचाई) मानिला। जनश्रुति है कि पहले केवल तल्ला मानिला में एक ही मंदिर था कुछ चोर मंदिर में देवी की मूर्ति को चुराने के लिए आए। उनसे पूरी मूर्ति उठाई नहीं गई । चोर मूर्ति का केवल एक हाथ काटकर ले जाने लगे। कहते हैं उस वक्त देवी माँ   चिल्लाई भी थी। उसकी चीख को लोगों ने भी सुना था। चोर  रास्ते में  देवी का कटा हुआ हाथ ले जाते समय इतना भारी हो गया कि उन चोरों ने विश्राम करने के लिए उसे जमीन पर रख दिया। उसके बाद वह हाथ वहीं जम गया । कालांतर में वहाँ पर मल्ला मानिला का मंदिर बनाया गया। तल्ला मानिला के मंदिर में देवी की सप्तभुजा वाली प्रतिमा है और मल्ला मानिला के मंदिर में हाथ की प्रस्तर प्रतिकृति,माँ की सक्ति को देखने  मंदिर में  बारहों महिना  विदेशी पर्यटकों  व  स्थानीय लोगो की आवाजाही रहती है  मार्च के महीने में चारो तरफ फूलों  के महक से पूरा  वातावरण खिल उठता है फूलों क राजा भुरांस  अपने खूबसूरती के कारण सबके मन को मोह देता है  हर गावं व खेत खलियान  के  में आज भी यह गीत, मेरी मानिला डानी तेरी बलाई ल्यूला, तु भगवती छै भवानी तेरी बलाई ल्यूला (मेरी मानिला के ऊँचाई पर बसे घने जंगल मै तुम्हारी बलाएँ लेता हूँ   सुनने को मिलता है   कहते है की जो भी मानिला  के देवी माँ के मैन्दिर में आते है और सचे दिल से मनोती  मंगाते है तो मया उनकी मनो कामना पूरी करती है !


नैनीडांडा ब्लाक के ग्राम पांड व तैडि़या के वाशिंदों को तराई में बसाने को वन भूमि का सर्वे


नैनीडांडा ब्लाक  के ग्राम पांड व तैडि़या के वाशिंदों को तराई में बसाने को वन भूमि का सर्वे

 (सुदर्शन सिंह रावत ) पौड़ी गढ़वाल के  नैनीडांडा ब्लाक के अंतर्गत ग्राम सभा पांड व तैडिया जो की  विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क ( रामनगर ) से सटेह्वए गावं है यहाँ के  वासिंदों को  अन्यत्र बसाने की मांग व ग्रामीणों लगातार संघर्ष के बाद   अब प्रांरभिक स्तर पर ही सही कालागढ़ टाईगर रिजर्व प्रभाग की पहल पर तराई वन प्रभाग ने  भवानीपुर व जसपुर के तुमडि़या रेविन्स वन ब्लाक में करीब 122 एकड़ वन भूमि के प्रारंभिक सर्वे की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है। इसके लिए उक्त वन भूमि में पेड़ों की गिनती कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है तथा जल्दी ही  प्रस्ताव को  केन्द्र को भेजे जाने की संभावना है जिसे ग्रामीणों  को  तराई  में बसाया  जा सके ! विदित हो कि पौड़ी गढ़वाल के ब्लाक नैनीडांडा के ग्राम पांड व तैडि़या के वाशिंदों को  समय -समय पर शासन को अवगत कराते आए हैं कि उनका गांव कालागढ़ डिवीजन में जिम कार्बेट नेशनल पार्क से डेढ़ किमी दूरी पर है  गावं के बुजुर्गो क कहना है कि  आजादी से पहले पार्क के चारों ओर पालपुर सुनोली, बयेला, सुंगरवाल आदि गांव बसे थे। जिसमें उक्त गांव तो स्थानांतरित कर दिए गए। जबकि दोनों गांवों को छोड़ दिया गया। उक्त दोनों गांव जंगल के अंदर हैं गावं के कुछ बुजुर्गो क कहना है की हमने तो अपनी जिंदगी इन जानबरो  के साथ ही रहकर पूरी की न कभी  कोई  नुक्सान हुवा परन्तु अब यहाँ नए जानबरो को लाकर छोड़ा जाता है उनसे लगातार खतरा बना रहता है बंदर पहले एक ही आवाज में भाग जाते थे परन्तु आज के बन्दर घरों के अन्दर आकर नुक्सान कर रहे है पहले गावं के अन्दर जंगली हाथी, शेर, बाघ के साथ ही चीतल, सुअर, बारहसींगा कभी भी खेतो में नहीं दिखाई देते थे  आज बखोफ़  दिन में भी दिखाई देते हैं  ग्रामीणों ने खोफ के कारण खेती बाड़ी करना छोड दिया है  अब दिन में ही जंगली हाथी, शेर, बाघ के साथ ही चीतल, सुअर, बारहसींगा आदि खेती को नुकसान पहुंचाते हैं वही अब  चोर-डकैतों का भी आतंक बना रहता है। इससे निजात के लिए अन्यत्र बसाने की मांग उठती रही है। इसके लिए ग्रामीणों ने  समय-समय पर शासन को अवगत कराया कि  उनका गांव कालागढ़ डिवीजन में जिम कार्बेट नेशनल पार्क से कही और बसाया  जाय !






अब उत्तराखंड के पहाड़ो में हाथी की दहाड़ ?


बिहार विधानसभा चुनाव में नाकाम रहने के बाद बसपा जहां यूपी में अपने को और मजबूत करने में जुट गयी है वहीं उसने उत्तराखंड को भी 'एजेन्डे' पर लिया है। यूपी की ही तरह उत्तराखंड में भी 2012 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए   मायावती का ध्यान लगातार पड़ोसी राज्य उत्तराखंड पर लगी हुई  है उत्तराखंड की बैठक में उन्होंने बीएसपी से उत्तराखंड की जनता को जोड़ने के सुझावों पर गौर किया। बैठक में मायावती ने पड़ोसी राज्य में संगठन को मजबूत बनाने का निर्देश दिया, ताकि उत्तराखंड में बीएसपी की सरकार बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।  मायावती ने  पदाधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे सभी पदाधिकारी   पार्टी को मजबूत करने के प्रयत्न में जुट जाए, जिससे वहां पार्टी की सरकार बनाई जा सके। उनका आरोप था कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों के चलते ही उत्तराखंड का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। मायावती ने याद दिलाया कि अकेली उनकी पार्टी ने सबसे पहले उत्तरांचल के लिए अलग राज्य की मांग की थी।  उत्तराखंड में पार्टी के कामकाज की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी छोटे बड़े नेता जनता की समस्याओं को दूर कराने में जुट जाएं। संगठन को इस कदर मजबूत बनाये कि वहां होने वाले विधानसभा चुनावों में बसपा को पूर्ण बहुमत हासिल हो सके।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का गठन हुए दस वर्ष हो गया है फिर भी वह आर्थिक और क्षेत्रीय पिछड़ेपन का शिकार है। इसके लिए कांग्रेस और भाजपा ही जिम्मेदार हैं क्योंकि इन्हीं दोनों दलों की वहां सरकारें रही हैं। आगे भी इनसे कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है।  बहुजन पार्टी  ने  ही उत्तराखंड  में विकास  का मॉडल  तैयार  किया था जिस में  सबसे  पहले  उन्होंने ही ऊधम सिंह नगर, बागेश्वर, चम्पावत व रुद्रप्रयाग जिलों का सृजन किया। नयी तहसील तथा विकास खंड बनवाये थे। जबकि  अभी भी वह उत्तराखंड की जनता के हितों का ध्यान रख रही है कांग्रेस और भाजपा इन दोनों दलो ने राज्य का शोषण किया है विकास की रूप रेखा न होने के  कारण  सबसे ज्यादा पलायन कांग्रेस और भाजपा के   शासन  काल  में  हुआ गांव-गांव जाकर बतायें कि सूबे के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस और भाजपा जिम्मेदार है। सिर्फ बसपा ही है जो उनकी समस्याओं को दूर कर सभी पदाधिकारियों सेकहा गया है कि विधानसभा इसी मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की रणनीति बनाई गई है। मायावती ने कहा कि अभी हमारे पास पर्याप्त समय है और कोशिश करने पर बीएसपी सारे समीकरणों की काट कर वहां संगठन को मजबूत कर सकती है और अपनी सरकार भी बना सकती है। इस दिशा में कार्यकर्ताओं और नेताओं को अभी से काम शुरू कर देना चाहिए। बैठक में उन्होंने कहा कि यूपी की बीएसपी सरकार ने हरिद्वार में कुंभ मेले के समय रेकॉर्ड संख्या में यूपी पुलिस और पीएसी के जवान भेजकर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में उत्तराखंड की मदद की थी।

बाढ़ प्रभावितों की समस्याएं जस की तस


Serpentine Road - Didihat, Uttarakhand   
(सुदर्शन सिंह रावत) नैनीडांडा  जनप्रतिनिधियों और समाजसेवी संस्थाओं के लाख दावों के बाद भी बाढ़ प्रभावितों की समस्याएं दूर नहीं हो रही। खासकर आवागमन में परेशानी हो रही है। जिले के तमाम संपर्क मार्ग बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गए थे। कई  महीनों बाद भी कोई इसकी सुध लेने वाला नहीं है। परेशान ग्रामीण अब सड़कों पर उतरने का मन बना रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों   नैनीडांडा ब्लाक के विभिन  क्षेत्र  में  बाढ़ से भारी तबाही हुई थी। किनगोडीखाल-धुमाकोट व पीपली-भौन मोटरमार्ग बंद पड़ा हुआ है  जडाऊखांद-मजेडा बैंड मोटर मार्ग पर कछुआ गति से निर्माण कार्य चल रहा है , जबकि  शंकरपुर -नैनीडांडा  मुख्य मार्ग सुधारीकरण की बाट जोह रहा है। साथ ही  जगह-जगह सड़कें टूटी हुई हैं। नैनीडांडा क्षेत्र से  समाजसेवी  यशपाल  सिंह रावत  कहना है की  बार-बार जिला प्रशासन को इन समस्याओं से अवगत कराकर उन्हें दूर करने की मांग की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ जनपद  पौड़ी ने  3246 करोड़ 14 लाख क्षतिग्रस्त धनराशि की मांग की है तमाम संपर्क मार्ग बाढ़ में क्षतिग्रस्त होने से धुमाकोट  में युवा बेरोजगार संगठन के संयोजक मनीष सुन्द्रियाल ने युवा बेरोजगार संगठन के नेतृत्व में  मोटर मार्गों के निर्माण कार्य शुरू न किये जाने का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों ने धुमाकोट बाजार से मुख्य चौराहे तक जुलूस निकाल कर लोनिवि का पुतला फूंका  छेत्रिय पंचायत सदस्य रतनदास गगोड़िया ने कहा कि धुमाकोट-भौन मोटर मार्ग विभाग की नाकामी के चलते विगत 36 वर्षो से मात्र सात किमी ही बन पाया है।  एवं हल्दूखाल-मैदावन मोटर मार्ग पर डामरीकरण करने की मांग की है। ग्रामीणों ने सभी मोटरमार्गो पर अविलम्भ कार्यवाही न होने पर उग्रप्रदर्शन व लोनिवि के कार्यालय पर तालाबंदी करने की चेतावनी दी है सभी ग्रामीण विभाग के खिलाफ नारेबाजी कर उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस दौरान दिलबर सिंह  सैन सिंह  रावत  राजेन्द्र शाह, भूपाल सिंह, राजीव कुमार, सत्येन्द्र सिंह, होशियार सिंह, शैलेन्द्र सिंह, बी आर ज्ञानी,  होशियार सिंह विक्रम सिंह  आदि उपस्थित थे।


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