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Friday, February 12, 2010

देवभूमि का कण-कण शिवमय

देहरादून। उत्तराखंड भगवान शिव एवं माता पार्वती की स्थली। देवभूमि के पहाड़, पत्थर, नदियां सभी पवित्र हैं और श्रद्धालुओं को भोग एवं मोक्ष देने वाले शंकर यहां के कण-कण में विराजमान हैं। फिर शिव का अर्थ भी तो कल्याणकारी है और शिव ही शंकर हैं। 'शं' का अर्थ कल्याण और 'कर' अर्थात करने वाला। जाहिर है देवभूमि भगवान शिव के प्रति आस्थावान है। अवसर महाशिवरात्रि का है तो हर कोई इस महत्वपूर्ण अनुष्ठान में अपनी आहुति डालना चाहता है। इस बार तो देवभूमि में महाकुंभ चल रहा है, ऐसे में इस पर्व का महात्म्य और भी बढ़ जाता है।

भगवान शिव को संहार शक्ति और तमोगुण का अधिष्ठाता कहा गया है, लेकिन पुराणों में विष्णु और शिव को अभिन्न माना गया है। विष्णु का वर्ण शिव में दिखाई देता है, जबकि शिव की नीलिमा भगवान विष्णु में दृष्टिगोचर होती है। भारतीय परंपरा में फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है और यह भगवान शिव की आराधना का प्रमुख दिन है। व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई के अनुसार जगत की तीन सर्वाेच्च शक्तियों में अनन्यतम हैं भगवान शिव। भगवान शिव का पूजन रात्रि में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही क्यों होता है, वह इसलिए कि शिव प्रलय के देवता कहे गए हैं और इस दृष्टि से वे तमोगुण के अधिष्ठाता हैं। जाहिर है कि तमोमयी रात्रि से उनका स्नेह स्वाभाविक है। रात्रि संहार काल की प्रतिनिधि है और उसका आगमन होते ही सर्वप्रथम प्रकाश का संहार, जीवों की दैनिक कर्म चेष्टाओं का संहार और अंत में निंदा चेतनता का संहार होकर संपूर्ण विश्व संहारिणी रात्रि की गोद में अचेतन होकर गिर जाता है। ऐसी दशा में प्राकृतिक दृष्टि से शिव का रात्रि प्रिय होना सहज ही हो जाता है। यही कारण भी है कि शंकर की आराधना न केवल इस रात्रि में ही, लेकिन प्रदोष समय में की जाती है। महाशिवरात्रि का कृष्ण पक्ष में आना भी साभिप्राय है। यही नहीं, स्वामी दिव्येश्वरानंद के मुताबिक भगवान शिव की जटाओं में विराजमान गंगा पावनता की द्योतक है और जटाएं 'सहस्रार' की ओर संकेत करती हैं, जहां अमृत का निवास है। सिर पर चंद्रमा सौभाग्य का प्रतीक है। शिवजी के नेत्रों में ओज है तो हाथ में त्रिशूल, जो कला की दृष्टि से अस्त्र और रक्षा के लिए शस्त्र है। डमरू प्रकृति में लयात्मक रूप से आने वाले परिवर्तन का संकेतक है। बैल धर्म का प्रतीक है। जीवन की इतिश्री का नाम ही श्मशान है। यहां न जन्म है, न मृत्यु। भस्म का अर्थ जीवन के सत्य को समझ लेना है। इसीलिए शिव अपने शरीर पर भस्मीभूत लगाते हैं।

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग के जलाभिषेक और रात्रि के चारों पहर पूजन के साथ ही व्रत-उपवास का महत्व है। आचार्य ममगंाई बताते हैं कि इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 12 फरवरी को प्रात: तीन बजकर एक मिनट से शुरू होकर 13 फरवरी सुबह पांच बजकर 42 मिनट तक रहेगा। शिवरात्रि को चारों पहर शिव पूजन बेहद लाभकारी है।


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घराट बदलेंगे ग्रामीण अंचलों की तस्वीर

गोपेश्वर (चमोली)। गाड़-गधेरों का पानी अब जाया नहीं जाएगा। बहते पानी के उपयोग से सूबे में इलेक्ट्रानिक और मैकेनिकल घराट संचालित किए जाएंगे। इलेक्ट्रानिक घराट जहां विद्युत का उत्पादन करेंगे वहीं मैकेनिकल घराट एक दिन में दो सौ कुंतल गेहूं पीसेंगे। पहले चरण में सूबे में कुल 250 इलेक्ट्रानिक और मैकेनिकल घराट स्थापित किए जाने की योजना को स्वीकृति मिली है।

गाड़-गधेरों के पानी से संचालित होने वाले घराट अब जलविद्युत परियोजनाओं का विकल्प बनेंगे। राज्य सरकार ने घराटों के संचालन को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना को हरी झण्डी दिखा दी है। योजना के तहत राज्य के 11 जिलों में कुल 250 घराट स्थापित किए जाएंगे। इन घराटों को दो श्रेणियों 'इलेक्ट्रानिक' व 'मैकेनिकल' में वर्गीकृत किया गया है। इलेक्ट्रानिक घराट जहां विद्युत उत्पादन करेंगे तो वहां मैकेनिकल लगभग चक्की जैसी तेज रफ्तार से गेहूं पीसेंगे। दरअसल, गाड़-गधेरों का पानी जाया न जाए इसको लेकर तमाम तरह की योजनाएं तैयार की जा रही हैं। एक योजना अविरल बह रहे पानी का उपयोग इलेक्ट्रानिक व मैकेनिकल घराटों का संचलन करने के लिए तैयार की गई है। इन घराटों का डिजाइन आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। इलेक्ट्रानिक घराटों की खासियत है कि एक घराट लगभग 5 किलोवाट विद्युत उत्पादन करने में सक्षम होगा जबकि मैकेनिकल घराट दिनभर में 200 कुंतल गेहूं पीसेगा। बताते चलें कि अब तक के घराट दिनभर में मात्र 80 कुंतल गेहूं ही पीस पाते थे। उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नीरज गर्ग ने बताया कि स्वीकृत 250 घराट ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार को छोड़कर राज्य के शेष 11 जिलों में स्थापित किए जाने हैं। पहले चरण में 150 इलेक्ट्रानिक घराटों का निर्माण किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में 100 मैकेनिकल घराट स्थापित होंगे। उन्होंने कहा कि अधिकांश इलेक्ट्रानिक घराटों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।

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बदरीनाथ: यात्रा सफल बनाने की तैयारी

गोपेश्वर (चमोली)। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने तिथि घोषित होने के बाद चमोली जिला प्रशासन ने यात्रा व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के लिए तैयारी में जुट गया है।

जिला सभागार में जिलाधिकारी नीरज सेमवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में यात्राकाल के दौरान यात्रा मार्ग, सुरक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्यान्न, विद्युत, सफाई आदि विषयों पर चर्चा की गई। उन्होंने यात्रा को निर्विघ्न तथा सुव्यवस्थित ढंग से सम्पन्न कराने के लिए यात्रा काल के दौरान यात्रा मार्ग पर संचार व्यवस्था, वाहन पार्किंग, हेलीपैड निर्माण, पालीथिन उन्मूलन, पर्यटन सूचना केन्द्र तथा आवासीय व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। बैठक में ग्रेफ के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि राज मार्ग के विस्तारीकरण, मरम्मत व हाटमिक्सिंग का कार्य यात्रा शुरू होने से पूर्व पूरा किये जाएं। बैठक में ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियन्ता को निर्देशित करते श्री सेमवाल ने सड़क निर्माण के तहत हटने वाले विद्युत पोलों को 25 फरवरी से पहले हटाया जाए। उन्होंने पार्किंग व्यवस्था का जायजा लेते गोविन्द घाट, पीपलकोटी, चमोली व कर्णप्रयाग में वाहनों के पार्किंग की समुचित व्यवस्था होना बताते हुए एसपी व एआरटीओ यात्रा काल के दौरान वाहनों को पार्किंग के अतिरिक्त राजमार्ग पर खड़ा न करने को कहा। उन्होंने ईई लोनिवि को भी यात्रा से सम्बन्धित मार्गो की मरम्मत शीघ्र करने के निर्देश दिए। जोशीमठ में टीसीपी से नृसिंह मंदिर तक धीमी गति से चल रहे सड़क निर्माण के मरम्मत कार्य पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई और शीघ्र कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने एसडीएम जोशीमठ को संबंधित कार्य की पत्रावली तलब करने को कहा। बैठक में डीएम ने जिला पूर्ति अधिकारी को श्री बदरीनाथ व हेमकुंट के साथ-साथ यात्रा मार्गो पर आवश्यक वस्तुओं की नियमित आपूर्ति व बरसात के तीन महीनों के लिए खाद्यान्न संग्रहण करने को कहा। बैठक के दौरान चिकित्सा व्यवस्था पर भी विचार-विमर्श किया गया। यात्रा के दौरान तीर्थ व पवित्र धामों की सफाई के लिए 85 सफाई कर्मी तैनात करने, अस्पतालों में डाक्टरों की तैनाती करने, यात्रा मार्ग पर शांति एवं कानून व्यवस्था की भी समीक्षा की गई
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कार्बेट में ऑल इंडिया टाइगर कांफ्रेस आज से

देहरादून। रामनगर स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क में आल इंडिया टाइगर कांफ्रेस शुक्रवार से शुरू होगी। दो दिवसीय इस कांफ्रेंस का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयराम रमेश करेंगे। कांफ्रेंस में देश के 17 प्रदेशों के वन सचिव, प्रमुख मुख्य वन सरंक्षक, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और देश के जाने माने बाघ विशेषज्ञ, बाघों के शिकार पर रोक के तरीकों, उनके रिलोकेशन और राष्ट्रीय बाघ गणना पर विचार-विमर्श करेंगे।

वर्ष 2009 देश में बाघों के लिए बुरा साबित हुआ है। पिछले साल और इस साल की शुरुआत में देश में शिकार और अन्य कारणों से करीब छह दर्जन बाघ मौत के शिकार हुए है। इसने वन्यजीव विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। पिछले दिनों दून आए पर्यावरण एवं राज्य मंत्री जयराम रमेश ने कहा था कि सरकार की बाघ बचाने में वन गुज्जरों की मदद लेने की योजना है। यही नहीं उन्होंने बाघों की सुरक्षा के लिए विभिन्न कड़े कदम उठाने की बात भी कही थी। भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन डा. विनोद माथुर ने बताया कि भारतीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयराम रमेश की पहल पर आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में बाघ संरक्षण परियोजनाओं की सफलता व कमियों पर विचार किया जाएगा। सम्मेलन में डब्लूआईआई के निदेशक डा. प्रिय रंजन सिन्हा, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. यादवेंद्र वी. झाला, कमर कुरैशी, के. शंकर समेत अनेक वन्यजीव विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे।

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Tuesday, February 9, 2010

सोमवार को कांवड़ियों का हरिद्वार में सैलाब उमड़ पड़ा

हरिद्वार। सोमवार को कांवड़ियों का हरिद्वार में सैलाब उमड़ पड़ा। कावड़ियों का गंगाजल लेकर आने जाने का सिलसिला जारी है। पुलिस ने कावड़ियों की आमद को देखते हुए हर की पैड़ी सहित वापस लौटने वाले मार्ग पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है।

शिवरात्रि के मद्दनेजर इस समय कावड़ियों का जन सैलाब तीर्थनगरी में उमड़ा हुआ है। हर की पैड़ी सहित सभी घाटों पर कांवड़िये गंगास्नान के बाद कांवड़ को सजा रहे है। कांवड़ियों की भीड़ से सभी धर्मशालाएं, आश्रम भरे हुए है। मेला प्रशासन ने कांवड़ियों की आमद को देखते हुए पुलिस को विशेष निर्देश दिये कि वह बाहर से आने वाले सभी कावड़ियों को हर की पैड़ी पर चैकिंग के बाद ही प्रवेश करने दे। क्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी व कोतवाल बराबर स्वयं नजर रखे हुए है। इस समय कावड़ियों के सबसे ज्यादा आमद यूपी के बिजनौर, मुरादाबाद, सहारनपुर के अलावा हरियाणा से भी लोग गंगाजल लेने आ रहे और वापसी कर रहे है। पुलिस ने कावड़ियों के वापसी रूट पर इस समय पुलिस व पीएसी के जवान तैनात किए हुए है। साथ ही वाहनों से सीमा में प्रवेश करने वाले कांवड़ियों को तलाशी के बाद ही हरिद्वार में भेजा जा रहा है। इसके अलावा ट्रेनों व बसों से आने वाले काविड़यों की मुख्य गेट पर मेटल डिटेक्टर से चैक करने के बाद उक्त कावड़ियों को भेजा जा रहा है। तीर्थनगरी इस समय कांवड़ियों के बम-बम के नारों से गूंज रही है। पुलिस का अनुमान है इस समय नगर में तीन लाख से अधिक कांवड़िये पहुंच चुके है।




पशुपालकों के लिए चल रही कई योजनाएं

नई टिहरी गढ़वाल। दुग्ध संघ महिला डेरी द्वारा जागृति भवन में आयोजित गोष्ठी में पशुपालकों को सरकार द्वारा दी जानी वाली योजनाओं की जानकारी दी गई। गोष्ठी में नरेन्द्रनगर के विधायक ओमगोपाल रावत ने कहा कि सरकार पशुपालकों के विकास को विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

विधायक ने कहा कि पशुपालन के पुराने तौर-तरीकों के बजाए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना होगा, जिससे पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके। पूर्व प्रमुख वीरेन्द्र कंडारी ने कहा कि किसान हाथी घास व अन्य प्रजातियों की घास उगाकर चारा की पूर्ति के लिए स्वयं आगे आएं। उन्होंने कहा कि पशुपालकों को दुग्ध संघ के साथ मिलकर अपने व्यवसाय को बढ़ाना चाहिए। दुग्ध संघ के अध्यक्ष धन सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है, जहां पर सबसे ज्यादा दुग्ध की कीमत पशुपालकों को दी जा रही है। 33 लेक्टोमीटर व 9 प्रतिशत एसएनएफ पर संघ 27 रूपये तक प्रति लीटर दूध का मूल्य दे रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सूखे के कारण जंगलों में उन्नत प्रजाति की घास पैदा न होने से पशुपालकों को परेशानी हो रही है। इसकी भरपाई के लिए उन्होंने विधायक से विधानसभा में चर्चा करने की मांग की है। गोष्ठी में प्लास, ताछला, कठिया व आगर दुग्ध समितियों को सात-सात हजार के चेक वितरित किए गए। गोष्ठी में दुग्ध संघ प्रबंधक एके सिंह, महिला डेरी की उप प्रबंधक कृष्णा शर्मा आदि उपस्थित थे।

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मायके में ही मैली हो रही गंगा

उत्तरकाशी। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट के लिये बना प्लांट शहर के बीचोबीच गंगा भागीरथी में गंदगी उड़ेला जा रहा है। इसे लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई व जल संस्थान की भाव शून्यता हैरान करने वाली है।

शहर में सीवरेज बनाने को भले ही नौ करोड़ रुपये की लागत का प्रोजेक्ट चल रहा है, लेकिन सात साल पहले शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। गंगा प्रदूषण व अविरल प्रवाह जुड़े आंदोलनों के प्रमुख केंद्र मणिकर्णिका घाट से करीब पचास मीटर दूरी पर सीवरेज से गंदी होती गंगा हर रोज दिखाई देती है। इस प्लांट की हालत के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई व जल संस्थान एक दूसरे की जिम्मेदारी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं। बीते कई माह से यह स्थिति बनी हुई है। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा तैयार की जा रही सीवर ट्रीटमेंट योजना के मुताबिक पुराने प्लांट से सीवर पंप होकर ज्ञानसू स्थित प्लांट में जाएगा, लेकिन इस योजना की कछुआ चाल से स्थानीय लोग बखूबी वाकिफ हैं। पुराना प्लांट व इसमें बना सेफ्टी टैंक फिलहाल किसी काम का नहीं है। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी जल संस्थान की है, पर विभाग नई योजना के इंतजार में गंगा को प्रदूषित होने से रोकने की कोशिश भी नहीं कर रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व राजनीति से जुड़े लोग अपने वोट से जुड़े मुद्दों तक सीमित हैं। सामाजिक व धार्मिक संगठन भी इस पर मौन धारण किये हुए हैं। आम जनता रोज इस नजारे को देख रही है, लेकिन जिम्मेदार लोगों द्वारा अनदेखी किये जाने पर वह बेबस है। इस संबंध में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिशासी अभियंता रकमपाल सिंह बताते हैं कि इसकी जिम्मेदारी जल संस्थान की है। यह पूरा प्लांट विभाग को ही हस्तांरित किया है, जबकि जल संस्थान के अधिशासी अभियंता आरएस नेगी के मुताबिक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई जिस नई योजना पर काम कर रही है। उसमें काफी देरी की जा रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि गंगा में सीवरेज घुल रहा है, इकाई जल्द ही ज्ञानसू वाला प्लांट तैयार कर देती है तो यह समस्या हल हो जाएगी।

हमलावर बाघ की तलाश में दिनभर जुटी रहीं टीम

कालागढ़। कार्बेट पार्क की सर्पदुली वन रेंज के निकट स्थित एक निजी रिसार्ट से सोमवार को एक कर्मचारी के गायब होने की सूचना पर हड़कंप मच गया। रिसार्ट के नजदीक ही बड़ी मात्रा में खून मिलने से आशंका जताई जा रही है कि उक्त कर्मचारी बाघ का शिकार बन गया है। पार्क प्रशासन ने बाघ की तलाश में टीमें गठित कीं, लेकिन कुछ पता नहीं चला। हालांकि, वनाधिकारियों का कहना है कि सर्पदुली रेंज में मिला खून किसी वन्यजीव का है।

तीन दिन पूर्व सर्पदुली रेंज में जंगल में जलौनी लकड़ी बीनने गयी 55 वर्षीय कांति देवी नाम की महिला को बाघ ने मार डाला था। सोमवार को सर्पदुली रेंज के निकट वनरक्षकों ने बड़ी मात्रा में खून बिखरा देखा। आसपास पूछताछ की गई, तो नजदीक स्थित एक रिसार्ट का कर्मचारी भी गायब मिला। ऐसे में रिसार्ट के अन्य कर्मचारियों ने आशंका जताई कि उक्त कर्मचारी को भी बाघ ने मार दिया है। घटना की सूचना पर कार्बेट पार्क प्रशासन ने पालतू हाथियों और पैदल खोजी दलों का गठन कर पूरी सर्पदुली वन रेंज में खोजबीन की, लेकिन उक्त बाघ को तलाशा नहीं जा सका। उधर, उक्त कर्मचारी का भी अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। कार्बेट पार्क के वार्डन उमेश चंद्र तिवारी का कहना है कि बाघ ने किसी वन्यजीव का शिकार किया है, लेकिन जब उनसे उक्त वन्यजीव के अवशेषों के बाबत पूछा गया, तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। हालांकि, उन्होंने बाघ द्वारा रिसार्ट कर्मचारी को मारने की सूचना को अफवाह करार दिया।

चोटियों पर हिमपात, निचले इलाकों में वर्षा

देहरादून। उत्तराखंड में पिछले चौबीस दिनों से चला आ रहा बर्फबारी और वर्षा का सूखा आखिर दूर हो ही गया। मौसम ने करवट बदली और बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, औली समेत आसपास की पहाड़ियों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली। सूबे के अन्य इलाकों में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। बर्फबारी और वर्षा से भले ही जनजीवन थोड़ा प्रभावित हो रहा हो, लेकिन कृषि एवं औद्यानिकी के लिए इसे 'संजीवनी' माना जा रहा है। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि अगले चौबीस घंटों में बर्फबारी और बारिश का क्रम बना रहेगा।

मकर संक्रांति से बर्फबारी और बारिश की राह ताक रहे उत्तराखंड में शनिवार से मौसम का मिजाज बदला और आसमान में मेघों ने दस्तक देनी शुरू की। इससे उम्मीदें जगीं और बादलों ने निराश भी नहीं किया। रविवार को बदरीनाथ धाम समेत आसपास की पहाडि़यों पर हुई बर्फबारी और वर्षा ने इन्हें संबल प्रदान किया। रविवार की रात और फिर सोमवार को दिनभर यह नेमत पूरे राज्य में बरसती रही। सोमवार को राज्य के चारधामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत आसपास की पहाड़ियां बर्फ से लकदक हो गई। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली में भी खूब बर्फबारी की सूचना है। इसके अलावा राज्य के दोनों मंडलों गढ़वाल व कुमाऊं में लगभग सभी जगह सोमवार को रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला दिनभर जारी रहा। बर्फबारी और बारिश से तापमान में गिरावट आई है। साथ ही इससे जनजीवन भी प्रभावित हुआ है, लेकिन बर्फबारी और वर्षा को कृषि एवं औद्यानिकी के लिए संजीवनी माना जा रहा है। इससे किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। गौरतलब है कि राज्य में कृषि व्यवस्था बारिश पर ही निर्भर है। प्रदेश के 95 विकासखंडों में से 71 पूरी तरह से वर्षा पर ही आधारित हैं। बीती 13 जनवरी से बारिश न होने के कारण किसानों के चेहरे लटकने लगे थे। यही हाल, सेब उत्पादकों का भी था, जो बर्फबारी न होने से परेशान थे। उधर, राज्य मौसम केंद्र के निदेशक डा. आनंद शर्मा का कहना है कि इस बार सिस्टम स्ट्रांग है। इसके चलते अगले चौबीस घंटों में भी राज्य में बर्फबारी और वर्षा का दौर जारी रहेगा। उन्होंने संभावना जताई कि 10 फरवरी की दोपहर से मौसम साफ होना शुरू हो जाएगा।

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अब बहुत जल्द 100 बरस से ज्यादा जीने की आपकी तमन्ना पूरी होने वाली है क्योंकि वैज्ञानिक एक ऐसी गोली ईजाद कर रहे हैं, जो आपको सौ से ज्यादा वसंतों का दीदार करायेगी.

यह गोली आपको 100 साल से अधिक समय तक जीवित रखेगी और साथ ही आप चुस्त.दुरूस्त और तंदुरूस्त भी रहेंगे.

ब्रिटिश अखबार ‘द डेली टेलीग्राफ’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह दवा तीन साल में परीक्षण के लिये तैयार हो जायेगी. यह दवा जीवन काल को बढ़ाने वाले तीन जीन पर आधारित है.

यह तीनों ही जीन जिंदगी के सफर में शतक पार करने की आपकी संभावना बढ़ाते हैं. इनमें से दो जीन अच्छे कोलेस्ट्रोल के उत्पादन में इजाफा करते हैं और हृदय से संबंधित बीमारियों और दिल के दौरे के खतरों को कम करते हैं. तीसरा जीन मधुमेह को रोकने में मददगार है.

अध्ययन के मुताबिक इन जीन वाले लोगों को अल्जाइमर होने का खतरा 80 फीसदी कम हो जाता है। इनकी खोज औसतन 100 साल की उम्र वाले यहूदियों में की गई है। अलबर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसीन के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग रिसर्च’ के निदेशक डा नीर बरजीलई ने बताया कि कई प्रयोगशालाओं में इस गोली को ईजाद करने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि पहली गोली तीन साल के अंदर ही परीक्षण के लिये तैयार हो जायेगी.

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आजतक से साभार


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