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Thursday, June 16, 2011

कब होलू बिकास

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होलू बिकास होलू बिकास कब होलू ये राज्यक बिकास
नाम थैं लेकि राजनिती हुणी छी, कभी उत्तरांचल त कभी उत्तराखंड ब्वाना छीण।

मंत्री दीदा थैं निन्द पौणी च और लोग यख परेसान  हुयां छीण
कमल अर हातै की राजनिती सवाल च बिकासक नाम पर यख सब बर्बाद च। 

होलू बिकास, होलू बिकास कब होलू ये राज्यक बिकास.................

लाल बत्ती थैं लेकि धुमणा छीन अपड़ पद फर मौज करणा छीन।
राज्यक बिकास की बात न कारा, यख सभी मंत्री जेन्टलमैन हुयां छीन

कबि नारायाण त् कबि खंडूरी अब अयीं द्यखा पौखरीयाल की बारी
बिकास की तुम बात ना कारा देहरादून म् जैकि डेरा डाला।

वखी सरकार च वखी यू राज च, राज्यक असली बिकास वखी च
पहाडो़ की करला अब देब्यता ही रख्वली न बजाओं तो यू नेताओं खण ताली।

होलू बिकास होलू बिकास कब होलू ये राज्यक बिकास.................

कब होलू बिकास (कब होगा विकास)

उत्तराखंड, भारत राष्ट्र  का सत्ताईसवां राज्य है। कुल 53,483 वर्ग कि.मी. में फैले इस राज्य का 35,651 वर्ग कि.मी. का हिस्सा वन्य क्षेत्र में आता है। 9 नवम्बर सन् 2000 में जब इस राज्य की स्थापना की गई तो, यहाँ के स्थानीय लोगों की आँखों में  ख़ुशी  की एक अलग ही चमक थी। कई वर्षो  के  संघर्ष  और हजारों-लाखों लोगों के बलिदान के बाद जाकर उत्तराखंड को एक अलग राज्य का दर्जा हासिल हुआ। उत्तराखंड राज्य बनने पर यहाँ के लोगों को पूर्ण विश्वाश था कि अब तो राज्य का विकास जरूर होगा, ऊँचे और दुर्गम पहाडी क्षेत्रों में जाने के लिए सरकार अब जल्द ही कोई न कोई ठोस कदम तो जरूर उठाएगी। विकास की बात करें तो राज्य में विकास तो जरूर हुआ है लेकिन सिर्फ शहरी क्षे़त्रों में और खास कर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, और हो भी क्यों ना क्योंकि उत्तराखंड सरकार के सारे बडे़ नेता यहीं तों रहते हैं। उत्तराखंड के शहरी इलाकों में तो सुख सुविधा और विकास के नाम पर काफी कार्य किये गए है, लेकिन जरा सोचिये उत्तराखंड में जो लोग दुर्गम पहाडी़ इलाकों में रहते हैं उनका क्या। राज्य के मंत्री तेज तेज सुरों में यह तो बोल देते है की उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई कार्य किए हैं, लेकिन जब पहाडों के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी, बिजली की समस्या होती है तो उन लोगों की सुद लेने के लिए वहाँ कोई नहीं जाता है। राज्य की स्थापना के इतने वर्षो बाद भी उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहाँ बिजली पानी की अच्छी सुविधा नहीं है। आज भी कई गांवों में पानी न आने पर लोगों को कई कि.मी. दूर से पानी लाना पड़ता है। बिजली के अभाव में रात अन्धेरे में गुजारनी पड़ती है। इन सब के अलावा सड़क, शिक्षा और जंगली जानवरों से ग्रामीणों की सुरक्षा पर भी राज्य सरकार की लापरवाही से यहाँ के स्थानिय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
राज्य में वर्ष  2010 में बरसात के कारण कई जगहों पर सड़क टूटने से लोगो को काफी परेशनियों का सामना करना पडा़। इसके अलावा राज्य के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में  शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पडा रहा है़। पिछले दिनों रामनगर से सटे ग्रामीण क्षेत्र सुन्दरखाल में बाघ द्वारा कई लोगों के मारे जाने की खबर ने भी यहाँ की सरकार की पोल खोल कर रख दी। उस वक्त तो राज्य सरकार ने सुन्दरखाल के लोगों की पूर्नवास की बात कही थी लेकिन अभी फिलहाल सब कुछ ठंडे बस्ते में है। यह समस्या उत्तराखंड के किसी एक ग्रामीण इलाके की नहीं बल्कि राज्य में ऐसे कई ग्रामीण इलाके हैं जहाँ इस तरह की समस्याओं से लोगों को हर रोज दो-चार होना पडता़ है। पर्यटन का क्षेत्र कहें जाने वाले इस राज्य में पर्यटन के कई क्षेत्र जैसे हरिद्वार, मंसूरी, ऋषिकेश, नैनीताल और कई अन्य पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहाँ सुरक्षा को लेकर बहुत लापरवाही बरती जाती है। ऐसे में अगर इन पर्यटन स्थलों पर कभी कोई आतंकी गतिविधि होती है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। उत्तराखंड राज्य में आज भी कई स्थान ऐसे हैं जहाँ विकास की बहुत आवशयकता  है लेकिन राज्य सरकार की इस कछुआ चाल से विकास कब होगा, यह कहना  मुश्किल है।

दो मुख्यमंत्री व दो जनरलों के बीच फंसा धुमाकोट विधान सभा

दो मुख्यमंत्री व दो जनरलों के बीच फंसा धुमाकोट विधान सभा ( सुदर्शन सिंह रावत ) उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राजनेता भले ही यह चिल्लाते रहें कि राज्य विकास कर रहा है लेकिन वहां के लोग ही जानते हैं कि राज्य में क्या चल रहा है . ताज़ा .उदाहरण धुमाकोट विधान सभा का है जो आज अपने मूलभूत सुविधाओं के लिये भी तरस रहा है. उत्तराखंड राज्य की बहूप्रतिष्ठित धुमाकोट विधान सभा विकास के नाम पर शून्य ही रहा है. इसका मुख्य कारण पहले दो जनरल व अब दो पूर्व व वर्तमान मुख्यमंत्री के बीच में फंसा है.मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, जो आज तक यहाँ झाकने तक नहीं आये वह विकास की क्यों बातें करेंगे, बीजेपी के आपसी क्लेश के कारण लोग मूल भूत सुविधाओं के लिये तरस रहे है. कभी क्षेत्र के निवासियों को अपने क्षेत्र पर गुमान था कि वे मुख्यमंत्री के क्षेत्र के हँ और आज नहीं तो कल इस क्षेत्र का विकास होना ही है . लेकिन लोगो की आँखे तब खुली जब विधान सभा ही नहीं रहा. अब क्षेत्र के स्थानीय लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हँ. क्षेत्र में लगातार खेतो की बंज़र व साथ ही चकबंदी न होने के कारण लोगो का रुझान खेतो की प्रति कम होने लगा. यदि कोई खेती करना भी चाहता है तो खेती होते ही जंगली जानवर उसे चट कर जाते है तथा स्थानीय लोगो को हुए नुक्सान की कोई भरपाई हो पाती है और न मुआवजा ही मिल पाता है . आज पहाड़ो में खेती न होने का सबसे ज्यादा असर पानी के स्रोतों पर पड़ रहा है. खेतों में बरसात का पानी न रुकने के कारण पानी के स्रोत लगातार सूख रहे है. समाज सेवी कार्यकर्ता यशपाल सिंह रावत का कहना है कि विकासखंड नैनीडांडा में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर कई बार स्थानीय अधिकारियो से बातचीत की गई परन्तु स्थानीय अधिकारियो द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं हुई . इस सम्बन्ध में सूचना अधिकारी से भी जानकारी मांगी गई है. नैनीडांडा -हल्दुखाल काली नदी पम्पिंग परियोजना कई सालो से अधर में लटकी हुई है. पानी को लेकर क्षेत्र में कई बार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया गया, यहाँ तक कि मुख्य सचिव श्री सुभाष कुमार को मौखिक व पत्रों के माध्यम से भी इस समस्या से भी अवगत कराया गया . नैनीडांडा मिनी स्टेडियम का कई सालो से न बनना खेल प्रेमियों के लिये सबसे बड़ी पीड़ा है. खेल प्रेमियों का कहना है कि एक तरफ राज्य सरकार खेलों पर काफी ध्यान दे रही है और दूसरी तरफ काफी समय से लम्भित पड़े स्टेडियम को भी कोई भी पूछने वाला नहीं है. अस्पतालों का बुरा हाल है. डॉक्टरों के न होने के कारण लोगो को शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है. अभी ताज़ा घटना देखने को मिली . नैनीडांडा ब्लाक के अंतर्गत रिंगल्टा, डडवाड़ी, मोरगढ़ ग्रामों में इन दिनों खसरा का प्रकोप छाया हुआ है. ग्रामीणों का आरोप है कि जिला अस्पताल में सूचना दिए जाने के बाद भी चिकित्सक गांवों की सुध नहीं ले रहे हैं. न ही कोई सुनने वाला है , मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल. के. गुंसाई ने गांवों में खसरा फैलने संबंधी किसी भी जानकारी से इंकार किया है. दूसरी तरफ स्कूलों का बुरा हाल है. बच्चो को पीने के लिये स्वच्छ जल व शौचालय का अभाव है और सरकारी स्कूलों में अध्यापको की कमी है.वहीँ प्रबंधक व प्रधानाचार्य की मिलीभगत के कारण स्कूलों की और भी ज्यादा बुरी हालत है. अब हालात इतने बुरे हो गए हँ कि गावों मे रोजगार व मूलभूत सुविधाओं के न होने के कारण आज गाँव के गाँव पलायन करने के लिये मजबूर है. यदि समय रहते राज्य सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया तो आने वाला समय में स्थिति और भी भयावह हो जायगी ?

Wednesday, June 15, 2011

सीबीसीआइडी करेगी निगमानंद की मौत की जांच

जहाँ एक तरफ कालेधन और भ्रष्टाचार  के  खिलाफ बाबा रामदेव  का अनशन चल रहा था, 
वहीँ दूसरी तरफ गंगा में खनन के खिलाफ स्वामी निगमानंद भी अनशन पर बैठे थे। इस अनशन प्रदर्शन पर एक योगी को जहाँ सरकार की मार मिली वही दुसरे को मिली मौत। गंगा में खनन के खिलाफ अनशन पर बैठे स्वामी निगमानंद की मौत की जांच का कार्य सरकार ने सीबीसीआइडी को सौंपने की घोषणा कर दी है । संत निगमानंद को जहर देने के आरोपों की जांच के लिए हरिद्वार जिला प्रशासन ने पांच सदस्यीय मेडिको लीगल बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। संत निगमानंद की पीएम रिपोर्ट में मृत्यु के कारण स्पष्ट न होने पर बिसरा सुरक्षित रखा गया है। आगरा एफएसएल में इसे जांच के लिए भेजा जा रहा है।
संत निगमानंद के मृत्यु  और इससे उपजे विवाद पर सरकार ने आज सफाई दी। सचिवालय में एक  प्रेस कांफ्रेंस के दौरान  में पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्वामी के निधन के मामले में सरकार संवेदना रखती है। उनका आंदोलन गंगा में खनन के खिलाफ था, न कि सरकार के। अनशन समाप्त कराने को लेकर सरकार ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी, मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल,  उमाभारती व वह खुद स्वामी से मिले थे। यही नहीं, उनके गुरू शिवानंद का अनशन सरकार ने समाप्त कराया था। उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित सरकार ने हरिद्वार, दून अस्पताल व जौलीग्रांट अस्पताल में इलाज के पूरे इंतजाम किए। गंगा में खनन पर प्रतिबंध लगाने के शासनादेश के खिलाफ एक स्थानीय क्रेशर मालिक ने कोर्ट से स्टे लेकर खनन जारी रखा, लेकिन वह कुछ दिनों के लिए था। कौशिक ने स्थानीय प्रशासन के संरक्षण पर तय सीमा के बाद खनन किए जाने की बात को खारिज करते हुए कहा कि गंगा के प्रति सरकार संवेदनशील है और शिकायत मिलने पर हर संभव कार्यवाही की जाती है। संत निगमानंद मामले में तहरीर दिए जाने के बाद कोई कार्यवाही नहीं होने के सवाल पर मदन  कौशिक ने कहा कि इस मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जाएगी। कौशिक ने कांग्रेस पर मामले के राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए उसे ऐसा नहीं करने की सलाह दी।
उधर, हरिद्वार कार्यालय के मुताबिक जिलाधिकारी डा. आर मीनाक्षीसुंदरम ने बताया कि स्वामी निगमानंद को जहर देने की शिकायत की जांच के लिए जिला प्रशासन ने पांच विशेषज्ञों का मेडिको लीगल बोर्ड बनाया है। यह बोर्ड 10 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। निगमानंद को फोर्स फीडिंग न कराए जाने के सवाल पर जिलाधिकारी ने कहा कि इससे पहले स्वामी दयानंद के अनशन के समय फोर्स फीडिंग कराई गई था। तब मातृ सदन के संतों ने मानावाधिकार आयोग सहित कई जगह शिकायत की थी। इसलिए स्वामी निगमानंद को फोर्स फीडिंग के लिए मातृ सदन के स्वामी शिवानंद से वार्ता की गयी थी, लेकिन उनकी ओर से प्रशासन को कोई संकेत नहीं दिया गया। लिहाजा, प्रशासन ने फोर्स फीडिंग नहीं करायी।
डीएसपी डोईवाला नवनीत भुल्लर ने बताया कि पीएम रिपोर्ट में चिकित्सकों ने तकनीकी तौर पर सेप्टी सीमिया व ब्रेन डिजीज का हवाला देकर बिसरे को सुरक्षित रख लिया है। आगरा एफएसएल में इसे जांच के लिए भेजा जा रहा है। स्वामी शिवानंद सरस्वती द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच एसएसपी हरिद्वार केवल खुराना ने इंस्पेक्टर मंगलौर एमएस नेगी को सौंप दी है।

Tuesday, June 14, 2011

ग्रामीण मर रहे हैं और चिकित्सक सो रहे हैं

उत्तराखंड के राजनेता भले ही यह चिल्लाते  रहे  की राज्य विकास कर रहा है लेकिन राज्य में  क्या चल रहा है ये तो वहां के लोग ही जानते हैं। प्रदेश में नैनीडांडा के अंतर्गत रिंगल्टा, डडवाड़ी, मोरगढ़ ग्रामों में इन दिनों खसरा का प्रकोप है। गांवों के कई बच्चे खसरे की चपेट में हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना दिए जाने के बाद भी चिकित्सक गांवों की सुध नहीं ले रहे हैं। प्रखंड नैनीडांडा के अंतर्गत रिंगल्टा, डडवाड़ी व मोरगढ़ गांवों के बच्चों में इन दिनों खसरा फैला हुआ। स्थिति यह है कि दर्जनों बच्चे खसरे की चपेट में हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। मोरगढ़ निवासी भरत सिंह की माने तो सूचना देने के बाद भी चिकित्सकों की टीम गांवों में नहीं पहुंची है। नतीजतन, ग्रामीण अपने बच्चो  का घरेलू तरीकों से इलाज कर रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जिन बच्चों में खसरा फैला हुआ है, उनमें से अधिकतर बच्चों को खसरे का टीका पूर्व में लगाया जा चुका था।
इधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एलके गुंसाई ने गांवों में खसरा फैलने संबंधी किसी भी जानकारी से इंकार किया है। हालांकि, उन्होंने प्रभावित गांवों में चिकित्सा टीम भेजने की बात अवश्य कही।

79 पैसा प्रति किलोमीटर होगा उत्तराखंड के मैदानी एवं पर्वतीय क्षेत्रों का सफ़र

उत्तराखंड प्रदेश सरकार द्वारा मैदानी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में चलने वाली टैक्सी और मैक्सी वाहनों के किराए निर्धारित कर दिए गए हैं। प्रति किलोमीटर यात्रा किराया 79 पैसा होगा। जबकि मालभाडे़ की दरें 32 पैसा प्रतिकुंटल प्रति किमी होंगी।
उप संभागीय परिवहन अधिकारी ने चम्पावत, लोहाघाट, टनकपुर के टैक्सी यूनियन अध्यक्षों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किराए की संशोधित दरें भेजते हुए कहा कि इससे अधिक वसूलने पर कार्रवाई की जाएगी। पर्वतीय मार्ग के कोलतार वाली सड़कों का किराया 78.43 पैसा प्रति किमी, अन्य सड़कों का 89.20 पैसा होगा। जबकि मालभाडे़ की दर 32 पैसा प्रति कुंटल प्रति किमी होगी। मैक्सी, कैब और बसों के किराए पर्वतीय क्षेत्र में 14.95 रुपये प्रति किमी होंगे। जबकि निगम और पालिका क्षेत्र के अंतर्गत 1 से 4 किमी तक चार रुपया, 4 से 7 किमी तक 7 रुपया, 7 से 10 किमी तक 9 रुपया, 10 से 13 किमी तक 11 रुपया, 13 से 16 किमी तक 13 रुपये, 16 से 19 किमी तक 15 रुपये और 19 से 25 किमी तक 18 रुपया निर्धारित किया गया है।

क्या लागू हो पाएंगी नई दरें!
नई दरों के अनुसार चम्पावत से टनकपुर व पिथौरागढ़ का टैक्सी किराया 58.82 रुपया होगा। चम्पावत से टनकपुर व पिथौरागढ़ की दूरी 75 किमी है। जबकि वर्तमान में रोडवेज की बसों में ही यह किराया 72 रुपये है और टैक्सी वाले 90 रुपया लेते हैं। क्या ये नई दरें लागू हो पाएंगी। इस पर संशय बना हुआ है।


Monday, June 13, 2011

दून की शान बनता 'ट्रैफिक जाम'

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कभी खुली और साफ सुथरी  रोड के लिए  पहचाने जाने वाला देहरादून आज ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहा है। राजधानी बनने के बाद से यहाँ  ट्रैफिक की समस्या भी बढ़ गयी है।  दोपहर  हो, शाम या रात,  दून की सड़कों के लिए सबकुछ एक जैसा ही  है। यहां मौसम तो हर घंटे बदलता है, लेकिन जो  नहीं बदलता वो है ट्रैफिक जाम। हर वक्त वाहनों की दौड़ भाग से सड़कों का नजारा किसी से छुपा नहीं है। करीब पांच वर्ग किमी दायरे में सिमटे शहर की कोई भी मुख्य सड़क ऐसी नहीं है जहां आधा किमी रास्ता तय करने में वाहनों को आधा घंटा न लगता हो। पीक-ऑवर में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। आज ट्रैफिक 'जाम' दून की 'शान' बन चुका है।
पहाड़ों की रानी मसूरी की 'छांव' में कभी सुकून की नगरी समझा जाने वाला देहरादून अब 'रेंगता' शहर बन चुका है। हालात इतने खराब है की सड़कों पर पैदल चलने की जगह भी नसीब  नहीं है। बात दून की मुख्य सड़कों की करें, तो तस्वीर और डरावनी है। चाहे वह शहर का 'दिल' घंटाघर हो या पलटन  बाजार। यदि आप दिल्ली या सहारनपुर की तरफ से देहरादून आ रहे हैं तो समझ जाइए कि प्रवेश करते ही पटेलनगर में आपका सामना जाम से हो जाएगा। पटेलनगर से घंटाघर तक जाने की दूरी वैसे तो महज तीन किमी है, लेकिन ये सफर तय करने में कम से कम एक घंटा लगना तय है। आप पंजाब और हिमाचल से आ रहे हैं तो प्रेमनगर में आप जाम में फंस जाएंगे। हालात यह है कि वहां से घंटाघर तक की सात किलोमीटर की दूरी सवा से डेढ़ घंटे में तय होती है। यही हाल हरिद्वार से आने पर भी है। शहर की मुख्य सड़कों में शुमार चकराता रोड, घंटाघर, जीएमएस रोड, सहारनपुर रोड, प्रिंस चौक, हरिद्वार रोड, आढ़त बाजार, राजपुर रोड, कांवली रोड, दून चौक व दर्शनलाल चौक कुछ ऐसी सड़के हैं, जहां ट्रैफिक चलता नहीं रेंगता नजर आता है। सुबह सात बजे से रात दस बजे तक यहां सिर्फ जाम ही देखने को मिलता है। स्कूल जाने का समय, छुट्टी का समय, दफ्तर खुलने व बंद होने का वक्त तो इन सड़कों के लिए मुसीबत से कम नहीं है। रही-सही कसर विक्रम पूरी कर देते हैं।



ट्रैफिक सुधार के लिए पिछले सालों में पुलिस ने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम किया। इनमें ई-चालान, ट्रैफिक मित्र व स्कूली बच्चों को ट्रैफिक नियम समझाने जैसी योजनाएं शामिल थीं। बीच में कुछ योजनाएं ऐसी भी थीं, जो सुबह शुरू तो हुई, लेकिन शाम तक भी नहीं चल सकीं। इनमें रस्सी ट्रैफिक रोको, बैरिकेडिंग, कुछ सड़कों को वन-वे करने जैसी योजनाएं शामिल थीं। ई-चालान का सेटअप चल भी रहा है या नहीं अफसरों को शायद यह पता नहीं है। ट्रैफिक मित्र का हश्र तो सभी जानते हैं। रहा स्कूली बच्चों का अभियान तो पिछले कुछ माह से वो भी 'ठंडे बस्ते' में चले गए हैं।

कुछ समाधान

-शहर में फ्लाईओवर व अंडर-ओवर पास बनाएं जाएं।

-पार्किंग की उचित व्यवस्था की जाए।

-जहां संभव हो सड़कों का चौड़ीकरण किया जाये।

-चकराता रोड व आढ़त के बॉटल नेक खोले जाएं।

-बस व विक्रम के स्टॉपेज निर्धारित किए जाएं।

........और आख़िरकार बाबा रामदेव ने तोड़ा दिया अनशन

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 कालेधन और भ्रष्टाचार खिलाफ पिछले  नौ दिनों  से चल रहा बाबा रामदेव का अनशन आख़िरकार रविवार  को समाप्त हो ही गया। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर व संतों के आग्रह पर बाबा  रामदेव ने अपना अनशन  तोड़ा दिया। आध्यात्मिक गुरु ने बाबा को मौसमी का जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया। बाबा के निकट सहयोगी बालकृष्ण का अनशन भी टूट गया है। बाबा रामदेव ने आंदोलन और सत्याग्रह जारी रखने का ऐलान किया है।  तीन दिन से बाबा हिमालय हास्पिटल जौलीग्रांट में भर्ती हैं। शनिवार को श्री श्री रविशंकर के बयान के बाद बाबा रामदेव का अनशन टूटने के संकेत मिलने लगे थे। रविवार को जौलीग्रांट में घटनाक्रम तेजी से बदलता रहा। सुबह पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला बाबा रामदेव से मिलने पहुंचे। इस मुलाकात के खत्म होने के बाद आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू, जगतगुरू कृपालुजी महाराज, जनता पार्टी सुप्रीमो सुब्रह्मामण्यम स्वामी बाबा रामदेव से मिलने गहन चिकित्सा कक्ष में पहुंचे। उन्होंने बाबा से अनशन खत्म करने का आग्रह किया। करीब एक घंटे तक चली मुलाकात के बाद श्री श्री रविशंकर ने मीडिया को बाबा रामदेव का अनशन टूटने की जानकारी दी। रविशंकर ने बाबा को मौसमी का जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया। बाबा के निकट सहयोगी आचार्य बालकृष्ण का भी जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया गया।
आचार्य बालकृष्ण ने बाबा रामदेव की ओर से लिखित वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने सभी अनुयायियों से अनशन तोड़ने का आग्रह किया है। बाबा रामदेव ने कहा कि कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह को एक संकल्प के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा। भारत स्वाभिमान यात्रा जारी रहेगी। आंदोलन का पहला चरण अनशन खत्म होने के बाद पूर्ण हो गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ देश एकजुट हुआ है और इस अभियान ने संगठनात्मक तौर पर देश को जोड़ा है।

Sunday, June 12, 2011

किंगफिशर के विमान ने दिल्ली के लिए भरी पहली उड़ान

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पंतनगर : लंबे इंतजार के बाद अन्तत: शनिवार को पंतनगर व दिल्ली के बीच विमान सेवा शुरू हो गयी। फौरी तौर पर यह सेवा सप्ताह में चार दिन उपलब्ध होगी। हालांकि आगामी पहली अगस्त से यह सेवा प्रतिदिन उपलब्ध होने की संभावना है।
शनिवार को करीब शाम साढ़े पांच बजे पंतनगर से किंगफिशर एटीआर-42-500 विमान दिल्ली के लिए रवाना हुआ। विमान से दिल्ली जाने वाले यात्रियों की अधिक संख्या के चलते विमान की सारी सीटें भर गई। रविवार को भी सभी सीटें बुक होने की सूचना है। विमान सेवा शुरू होने के पूर्व किंगफिशर कर्मियों ने पूजा अर्चना का भी आयोजन किया गया। बाद में स्थानीय सांसद केसी सिंह बाबा व पंत विवि के कुलपति डॉ. बीएस बिष्ट ने हवाई अड्डा पहुंचकर विमान सेवा से संबंधित जानकारी ली।
विमान सेवा सप्ताह में चार दिनों मंगलवार, गुरुवार, शनिवार व रविवार के लिए उपलब्ध कराई गई है। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार किंगफिशर का 48 सीटर विमान अपराह्न 1.05 बजे दिल्ली से उड़ान भरने के बाद 2.05 बजे पंतनगर पहुंचेगा। थोड़ी देर के बाद यह पुन: निर्धारित दिनों को अपराह्न 2.35 बजे पंतनगर से उड़ान भरने के पश्चात 3.35 बजे दिल्ली पहुंच जायेगा।
इंसेट
पहले ही दिन विलंब से रही उड़ान
पंतनगर : पंतनगर-दिल्ली के लिए शुरू विमान सेवा पहले ही दिन तीन घंटे विलंबित रही। विमान के समय से पंतनगर नहीं पहुंचने का ठोस कारण यहां मौजूद अधिकारी स्पष्ट कर पाने में विफल रहे। इसके चलते प्रतीक्षा कक्ष में बैठे यात्री परेशान नजर आए। दिल्ली से विमान के करीब शाम पांच बजे पहुंचने पर प्रतीक्षारत यात्रियों ने राहत की सांस ली।
 in.jagran.yahoo.com se sabhar
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