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Monday, September 7, 2009

देहरादून। चंडीगढ़ में हुई राष्ट्रीय इंटर जोन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उत्तराखंड ने अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार करते हुए तीन गोल्ड सहित 11 पदक कब्जाए। पिछली बार सूबे को दो गोल्ड सहित पांच पदक ही मिले थे। इस बार भी महिला वर्ग में खास सफलता नहीं मिल पाई है।

प्रतियोगिता में जहां महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल के एथलीटों का दबदबा रहा, वहीं सूबे के एथलीटों ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया। प्रमोद पाटनी ने 5000 मीटर दौड़, कुलदीप चौहान ने 3000 मीटर और जितेंद्र पाल ने 100 मीटर दौड़ में सूबे को स्वर्ण पदक दिलाए। इसके अलावा अन्य एथलीटों ने विभिन्न स्पर्धाओं में आठ रजत व कांस्य पदक भी हासिल किए। हालांकि, महिला वर्ग में एक भी पदक हाथ नहीं लगा। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में सूबे के एथलीट अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। इसका असर चंडीगढ़ में भी साफ देखा गया। सिंथेटिक ट्रैक पर हुई राष्ट्रीय इंटर जोन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कई वर्गाें में यहां के एथलीटों के पिछड़ने के पीछे भी यही वजह रही। खासकर महिला वर्ग में जिसमें एक भी मेडल सूबे की झोली में नहीं आ पाया। राष्ट्रीय स्तर पर लंबी-मध्यम दूरी की स्पर्धाओं में जहां सूबे के एथलीट अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं अन्य स्पर्धाओं में पिछड़ते जा रहे है। इसका मुख्य कारण मूलभूत सुविधाओं का टोटा। राज्य बनने के बाद भी अभी तक यहां सिंथेटिक ट्रेक का अभाव एथलीटों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। हालांकि, खेल विभाग जल्द ही सिंथेटिक ट्रेक की बात कह रहा है, लेकिन यह कब तक संभव हो पाएगा, इसका कोई जवाब किसी के पास नहीं है। राज्य एथलेटिक्स एसोसिएशन के सचिव संदीप शर्मा का कहना है कि सूबे के एथलीटों में राष्ट्रीय स्तर पर छाने की कुव्वत है, मगर जब तक उच्च स्तरीय सुविधाएं नहीं मुहैया कराई जाएंगी, तब तक खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निखार आना संभव नहीं है।


Sunday, September 6, 2009

विकासनगर (देहरादून)। कभी उत्तराखंड का गौरव समझा जाने वाला एशिया का सबसे ऊंचा चीड़ महावृक्ष अब सिर्फ इतिहास का हिस्सा मात्र रह गया है। 220 वर्षो तक हर तरह के मौसमी झंझावत झेले, लेकिन 8 मई 2007 को आयी तेज आंधी तूफान में अपने ऊंचे अस्तित्व को बचाए रखने में नाकाम चीड़ महावृक्ष अब सिर्फ डाटों के रूप में हमेशा के लिए अपनी याद छोड़ गया है।

टौंस वन प्रभाग पुरोला के देवता रेंज के भासला कंपार्टमेंट खूनीगाड़ में स्थित चीड़ महावृक्ष की लंबाई पर उत्तराखंड के लोगों को नाज था। बेहतर पालन पोषण में पल-बढ़ रहे चीड़ महावृक्ष को पूरे एशिया महाद्वीप में सबसे ऊंचे पेड़ का गौरव हासिल था। हनोल से पांच किमी. दूर स्थित देवता रेंज में चीड़ महावृक्ष की लंबाई 60.65 मीटर और गोलाई 2.70 मीटर थी। इस महावृक्ष की विशेषज्ञता यह थी कि इसमें मुख्य तने से लेकर ऊपर तक कोई शाखाएं नहीं थी, सिर्फ शीर्ष में कुछ शाखाओं का झुरमुट था, जिसके कारण इसकी सुंदरता देखते ही बनती थी। चीड़ महावृक्ष की लंबाई के चर्चे दूर-दूर तक पहुंचे तो वर्ष 1997 में भारत सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय ने इस चीड़ वृक्ष को एशिया महाद्वीप का सबसे लंबा महावृक्ष घोषित किया। जब इस वृक्ष ने यह गौरव हासिल किया, तब इसकी आयु 220 वर्ष के करीब हो चुकी थी। गैनोडर्मा एप्लेनेटस नामक रोग ने अपना प्रकोप इस कदर फैलाया कि महावृक्ष को अंदर ही अंदर खोखला कर गया, हालांकि गिरने से कुछ समय पहले आईएफआरआई के वैज्ञानिकों ने महावृक्ष के रोग मुक्त होने की पुष्टि की थी। एक तरफ अच्छी खासी आयु और उसमें महावृक्ष की ताकत कम होने लगी और आठ मई 2007 में आए आंधी तूफान का सामना करने की ताकत भी नहीं बची, लिहाजा तीन टुकड़ों में टूटकर चीड़ महावृक्ष इतिहास का हिस्सा बन गया। इसकी यादें बरकरार रखने के लिए विभाग ने महावृक्ष के तने को काटकर उसकी 22 डाटें बनाई। जिन्हें आज भी संग्रहालय के रूप में उसी स्थान पर संरक्षित रखा गया है, जहां कभी महावृक्ष अपनी लंबाई और सुंदरता के साथ तन कर खड़ा था। वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर इन डाटों को मोनो क्रोटाफास नामक औषधि से उपचारित किया जाता है, ताकि डाट सुरक्षित और संरक्षित रह सके।


देहरादून। अस्थायी राजधानी में नया सचिवालय, नया राजभवन और नए मुख्यमंत्री आवास व सचिव आवास के साथ ही अफसरों के लिए नया क्लब बनाया जा रहा है तो सुविधाजनक स्थान पर नया विधानसभा भवन बनाने से क्यों पीछे हटा जा रहा है। यदि सवाल अस्थायी राजधानी के मानकों का है तो इसे केवल विधानसभा भवन पर ही क्यों लागू किया जा रहा है।

जी हां, विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर की ओर से मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक को भेजे गए एक पत्र का लब्बोलुआब यही है। श्री कपूर ने नए विधानसभा भवन निर्माण की आवश्यकता को विस्तार से बताते हुए अनेक सवाल भी उठाए हैं। पत्र में कहा गया है कि सरकार के स्तर से नए विधानसभा भवन निर्माण की उपेक्षा की जा रही है। अस्थायी राजधानी का हवाला देकर इस अहम मसले को हाशिए पर खिसकाया जा रहा है। मानकों से इतर नए निर्माण हो रहे हैं। राजभवन, सीएम आवास व सचिव आवास समेत विभिन्न जरूरतों को देखते हुए अनेक नए निर्माण हो रहे हैं। यहां तक कि अफसरों के लिए क्लब के निर्माण की दिशा में भी पहल की जा रही है, जबकि यह बहुत आवश्यक प्रतीत नहीं होता है। इसके बावजूद राज्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण नए विधानसभा भवन के निर्माण को नजरअंदाज किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि सरकार दूरगामी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए विधानसभा भवन के लिए ऐसा स्थल चिन्हित करे, जो हर दृष्टि से सुविधाजनक हो। वर्तमान विधानसभा भवन जरूरतों को पूरा करने लायक नहीं है। स्टाफ समेत समितियों को काम करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। स्थानाभाव से अभी तक विधानसभा के अफसरों व कर्मियों के ढांचे को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। अधिकतर मौकों पर विधानसभा में धरना-प्रदर्शनों के चलते हरिद्वार मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति रहती है। इससे आम लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। मौजूदा विधानसभा भवन में मंत्रियों के कार्यालय हैं, जबकि सचिवालय इससे कई किलोमीटर दूर है। अब राजधानी चयन आयोग की रिपोर्ट भी सरकार को मिल चुकी है और उसे सार्वजनिक भी किया गया है। रिपोर्ट में भी कई नए बिंदुओं की तरफ ध्यान इंगित किया गया है। एक अहम बिंदु यह भी है कि अस्थायी राजधानी के मानक के नाम पर नए विधानसभा भवन के निर्माण पर पेच फंसा है। इन मानकों को नजरअंदाज कर जब जरूरत के आधार पर अन्य निर्माण हो सकते हैं तो विधानसभा के नए भवन निर्माण को प्रभावी पहल होनी चाहिए। वर्तमान में यह राज्य की बड़ी जरूरतों में से एक है

देहरादून। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने काशीपुर में महुआखेड़ा गंज औद्योगिक क्षेत्र में बिजलीघर का निर्माण कार्य जल्द करने के निर्देश दिए। काशीपुर से आए भारतीय जनता पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें विभिन्न समस्याओं की जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि महुआखेड़ा में बिजलीघर नहीं बनने से उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने काशीपुर में बाजपुर रेलवे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज बनाने और केंद्र से प्रस्तावित आईआईएम की स्थापना की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार उद्योगों को सुविधाएं मुहैया कराने को वचनबद्ध है। औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल की मांगों पर समुचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के निर्माण प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक राम मेहरोत्रा, जेएस नरूला, आनंद वैश्य, गिरीशचंद्र तिवारी, ईश्वरचंद्र गुप्ता, चौ. अनिल कुमार सिंह शामिल थे।


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