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Saturday, January 19, 2013

हिमालयन क्रिकेट अकेडमी ने कब्जाया खिताब

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देहरादून: प्रथम शिशुपाल सिंह राघव एम मिल्क कप क्रिकेट टूर्नामेंट में हिमालयन क्रिकेट अकेडमी (एचसीए) ने ब्राइट होम पब्लिक स्कूल (बीएचपीएस) को 19 रन से हराकर खिताब कब्जाया। एचसीए के विजय सिंह को मैन आफ द सीरीज चुना गया।
सर्वे स्टेडियम में चल रहे टूर्नामेंट में शनिवार को एचसीए व बीएचपीएस के बीच फाइनल खेला गया। शुक्रवार को हुई बरसात के चलते मैदान गीला होने के कारण काफी विलंब से शुरू हुए मैच को सात-सात ओवर का कर दिया गया। एचसीए ने पहले बल्लेबाजी करते हुए तीन विकेट खोकर 65 रन बनाए। विजय सिंह ने 27 व अजय ने 16 रन की पारी खेली। 66 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बीएचपीएस की टीम निर्धारित ओवर में पांच विकेट खोकर 46 रन ही बना सकी। नईम ने 12 व रोहित ने 13 रन का योगदान दिया। एचसीए के लिए अभिषेक ने तीन विकेट चटकाए।
एचसीए के विजय सिंह को सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज व बल्लेबाज, बीएचपीएस के सौरभ को सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर और राजशेखर मलिक को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक का पुरस्कार मिला। समापन पर उत्तराखंड यूथ ट्वेंटी-20 क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप राघव व केके महाजन ने पुरस्कार वितरित किए। इस मौके पर एसोसिएशन के सचिव जावेद बट्ट भी मौजूद थे।
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75 दिन में मात्र 31 को मिला बेरोजगारी भत्ता

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 राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ बेरोजगारी भत्ता के प्रति अभी भी बेरोजगारों में रुझान कम नजर आ रहा है। तीसरे माह तक भी मात्र 81 पंजीकृत बेरोजगारों ने आवेदन पत्र रोजगार कार्यालय से हासिल किया है। इनमें मात्र 31 को बेरोजगारी भत्ता जारी हुआ है। बीते दिनों सरकार के प्रावधानों में कुछ शिथिलता से तादात बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। जिला सेवा योजन अधिकारी वाईएस रावत ने बताया कि अब ढाई से बढ़कर पांच हजार प्रारंभिक तौर पर अर्हता पूरी कर रहे हैं।
प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन, पर्वतीय जिलों में यह समस्या अधिक जटिल है। पहाड़ से रोजगार के लिए शहरों की ओर युवाओं का पलायन राज्य गठन के बाद भी जारी है। साथ ही बेरोजगारों की तादात बढ़ती जा रही है। इधर, चम्पावत जिले का भी अधिकांश क्षेत्र दुर्गम है। दर्जनों गांव आज भी सड़क, चिकित्सा, बिजली आदि सुविधा से वंचित हैं। साथ ही जिले में रोजगार के साधन कम होने से युवाओं का पलायन प्रमुख समस्या है। वर्तमान में सेवायोजन कार्यालय में ही 16 हजार से अधिक पंजीकृत बेरोजगार हैं। बीते वर्ष राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा के बाद आरंभ में सेवा योजन कार्यालय में भत्ते को लेकर खासी गहमागहमी रही। लेकिन, तीसरे माह तक आते-आते गहमागहमी कम हो गई। नवंबर में बताया गया था कि जिले में आयु, शैक्षिक योग्यता के आधार पर करीब 2242 अभ्यर्थी प्रथम दृष्टया अर्हता पूरी कर रहे हैं। लेकिन, तीसरे माह तक मात्र 81 बेरोजगारों ने ही आवेदन पत्र हासिल किया है। जिनमें 31 को ही भत्ता जारी कर दिया गया है। इसमें चार वर्ष के पंजीयन समेत कई प्रावधान हैं। बीते दिनों प्रदेश शासन ने प्रावधानों में कुछ शिथिलता को हरी झंडी दी थी। इस मामले में जिला सेवा योजना अधिकारी ने बताया कि अभी शासन से अभी स्थिलता को लेकर पत्र नहीं मिला है। लेकिन अब अर्हता पूरी करने पर एक ही परिवार को एक से अधिक पंजीकृत बेरोजगारों को भत्ता मिल सकेगा। इससे जिले में प्रारंभिक तौर पर करीब पांच हजार पंजीकृत बेरोजगार अर्हता पूरी कर रहे हैं। वार्षिक पारिवारिक आय 1.5 से बढ़कर 2.5 लाख आदि शामिल है। इसमें स्नातकोत्तर को एक हजार मासिक, स्नातक को 750 रुपये मासिक, इंटर उत्तीर्ण को 500 रुपये मासिक भत्ता दिया जा रहा है।
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बेटा बेटी एक समान, दोनों की शिक्षा पर दें ध्यान

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 अगस्त्यमुनि: महिला सशक्तिकरण एवं मद्य निषेध सम्मेलन में लोगों को जागरूक किया गया। सम्मेलन का उद्देश्य महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने तथा सार्वजनिक स्थानों पर शराब का प्रचलन पूरी तरह रोकना है। सम्मेलन में क्षेत्र के दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया।
श्री केदार-बदरी मानव श्रम समिति के सौजन्य से ग्राम पंचायत बडे़थ में आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को किसी भी काम में पीछे नहीं रहना चाहिए, उन्हें असंभव कार्य को संभव बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या आज के दौर की गंभीर समस्या बन गई है। उन्होंने लोगों को सुझाव दिया कि बेटा व बेटी कोई फर्क न करें। उन्होंने बेटी की शिक्षा-दीक्षा पर विशेष जोर देने की बात भी कही। सार्वजनिक स्थानों एवं शादी ब्याह में मद्य निषेध को पूरी तरह बंद होना चाहिए। समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी एवं सचिव महेंद्र नौटियाल ने कहा कि भविष्य में भी संस्था सामाजिक क्षेत्र में व्याप्त कुरीतियों के प्रति अपना जागरूकता अभियान जारी रहेगी। सम्मेलन में डालसिंगी, अरखुंड, बसुकेदार, मैणी, पौंडार, वीरों, बष्टी, डुंगर, बडे़थ, भटवाड़ी, जोला, पाटियूं समेत दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान सम्मेलन में नाटक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर तहसीलदार एलएस पिंगल, बीडीओ निशा वर्मा, उमा जोशी, नरेंद्र सिंह, भानु प्रसाद भट्ट, एलपी जोशी, बच्चीराम जोशी समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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एक फरवरी से होगा हवाई पट्टी का विस्तारीकरण

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पिथौरागढ़ : नैनी-सैनी हवाई पट्टी के विस्तरीकरण कार्य का इंतजार अब खत्म होने को है। एक फरवरी से विस्तारीकरण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। यह बात प्रमुख सचिव राकेश शर्मा ने कही, वह गुरुवार को प्रस्तावित कार्यो की समीक्षा के लिए पिथौरागढ़ पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग कालेज के लिए 10 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए गए हैं। इसके लिए भूमि चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कालेज के लिए पूर्णकालिक प्रधानाचार्य का चयन के बाद अब स्थाई स्टाफ के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि मार्च तक नवोदय विद्यालय शुरू हो जाने के बाद जीआइसी के कमरे खाली हो जाएंगे। इनमें इंजीनियरिंग कालेज की लैब तथा वीडियो हाल शुरू किया जाएगा। इंजीनियरिंग कालेज के विद्यार्थियों की सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए राजकीय संग्रहालय सप्ताह में दो दिन दो घंटे के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए संग्रहालय को पांच लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी गई है।
बताया कि हवाई पट्टी विस्तारीकरण कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। इसका निर्माण एक फरवरी से शुरू कर दिया जाएगा। विस्तारीकरण के दौरान ही नैनी-सैनी क्षेत्र के लिए 20 लाख की लागत से खेल मैदान बनाया जाएगा। स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए 15 व्यक्तियों की एक समिति बनाई जाएगी जो बेरोजगार युवकों के नाम जिलाधिकारी के माध्यम से उन्हें उपलब्ध कराएगी। बैठक में अपर सचिव तकनीकी शिक्षा शैलेश बगौली, इंजीनियरिंग कालेज के प्रधानाचार्य डीएस पुंडीर सहित तमाम लोग मौजूद थे।

बारिश और बर्फबारी से खिले किसानों के चेहरे

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उत्तरकाशी : एक महीने के लंबे इंतजार के बाद जिले में हुई बारिश और बर्फबारी किसानों के चेहरे पर रौनक लेकर आई है। सूखे से खराब हो रही गेहूं, मटर समेत अन्य फसलों के लिए यह बारिस और बर्फबारी संजीवनी साबित हुई है।
जिले में बीते महीने से जारी सूखे के चलते जिले में गेहूं, मटर, सरसों समेत सीजनल सब्जियों पर सूखे का संकट छाने लगा था। जिले में बीते माह से जारी सूखे के चलते 12303 हेक्टेयर में बोए गए गेहूं के साथ ही 1453 हेक्टेयर में बोए गए मटर पर खतरा मंडराने लगा था। जनवरी के एक पखवाड़े बीतने के बाद भी बारिस ना होने से किसानों की धड़कने तेज होने लगी थी, लेकिन गुरुवार और शुक्रवार को हुई बर्फबारी और बारिश से अब फसलों पर छाया संकट भी टल गया है। वहीं ऊंचाई वाले इलाकों में हुई खूब बर्फबारी से आने वाली फसलों के लिए भी जमीन को पर्याप्त नमी मिल जाएगी। काश्तकार विजय सिंह राणा का कहना है कि बारिस और बर्फबारी ना होने से गेहूं, मटर और सरसों की फसल खराब होने की कगार पर पहुंच चुकी थी ऐसे में यह बर्फबारी ने हमें बर्बाद होने से बचा लिया है।
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Wednesday, January 16, 2013

महत्वपूर्ण सूचनाएं वेबसाइट पर दें: सीएस

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मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराएं। प्रत्येक विभाग एक-एक नोडल अधिकारी नामित करेगा ताकि वेबसाइट को अपडेट रखा जा सकते और यह अधिकारी शासन द्वारा नामित नोडल अधिकारी से समन्वय बनाएगा।
मंगलवार को सचिवालय में सुराज, भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं जनसेवा विभाग द्वारा महत्वपूर्ण सूचनाओं को वेबसाइट पर प्रदर्शित किए जाने संबंधी बैठक में मुख्य सचिव ने यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभागीय कार्यकलापों की सूचनाएं जितनी अधिक सार्वजनिक होंगी, उतनी ही सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि विभागीय वेबसाइट में 25 लाख रुपये या अधिक के ठेके संबंधी, 10 लाख रुपये या अधिक मूल्य की सामग्री आपूर्ति, राज्य में किसी संस्था को भूमि आवंटन, राज्य की खनन नीति, भूमि क्रय विवरण, विभागों में सीधी भर्ती, पदोन्नति, ज्येष्ठता, विभागीय पदोन्नति से संबंधित विवरण, स्थायी निवास, जाति प्रमाणपत्र तथा पीपीपी मोड से संबंधित सूचनाएं विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाएं।
बैठक में अपर सचिव सुराज, भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं जनसेवा विभाग नितेश झा ने बताया कि शासन, जिलाधिकारी व विभागाध्यक्ष, तीन स्तर पर शिकायत व समस्या दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है। आवेदक संबंधित विभाग, अधिकारी, जिला, तहसील का नाम और शिकायत व समाधान का विवरण दर्ज करेगा। उसे अपना पता, मोबाइल नंबर व कोई पहचान देनी होगी। शिकायत दर्ज करने के बाद उसे पावती के साथ विशेष आईडी भी दी जाएगी। शिकायत दर्ज होने के बाद संबंधित व्यक्ति और अधिकारी को ईमेल और एसएमएस अलर्ट मिल जाएगा। महानिदेशक सूचना दिलीप जावलकर ने बताया कि विभाग की वेबसाइट तैयार कर ली गई है। साथ ही निरीक्षा संबंधी कार्य को आनलाइन तथा बिलिंग व भुगतान व्यवस्था को कंप्यूटराइज्ड कर दिया गया है। बैठक में प्रमुख सचिव पेयजल एस राजू, रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसएस संधू, सचिव परिवहन उमाकांत पंवार, आरसी पाठक, अजय प्रद्योत आदि उपस्थित थे।
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ईट-गारों के महल पर फिजूलखर्ची तो नहीं !

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 देहरादून: गैरसैंण को स्थायी राजधानी या फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने से पूरी तरह परहेज करते हुए सरकार ने मकर संक्रांति पर गैरसैंण में विधान भवन की आधारशिला तो रख दी, मगर सरकार की यह कवायद आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे नवोदित राज्य के लिए भविष्य में बेवजह पड़ने वाले आर्थिक बोझ की ओर भी इशारा कर रही है। यही नहीं, पहाड़ के दुख-दर्द के प्रति व्यवस्था का उपेक्षित रवैया भी सरकार की इस कसरत से दूर होता नजर नहीं आ रहा।
राज्य गठन के 12 साल बाद पहली बार सूबे के सियासतदां व नीति-नियंताओं का जमावड़ा चमोली जिले के गैरसैंण में तीन नवंबर को कैबिनेट बैठक के दौरान नजर आया और फिर 14 जनवरी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में गाजे-बाजों के साथ विधान भवन, विधायक ट्रांजिट हास्टल, अधिकारी व कर्मचारी ट्रांजिट हास्टल की आधारशिला रखी, मगर इस समारोह में भी सरकार के नुमाइंदे गैरसैंण को स्थायी या ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के मुद्दे पर खामोशी की चादर ओढ़े रहे। साफ है कि सरकार वर्ष भर तो दूर साल के तीन महीने भी सुदूरवर्ती गैरसैंण में बिताने के मूड में नहीं है। बस कुछ दिन पिकनिकनुमा सत्र रखकर पहाड़वासियों की भावना का पॉलिटिकल इनकैशमेंट भर करना चाहती है।
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि साल में सिर्फ तीन या पांच दिन विधानसभा सत्र के लिए गैरसैंण में ढांचागत सुविधाओं के विकास पर आखिर करोड़ों रुपये क्यों बहाया जा रहा है। राज्य गठन के 12 साल बाद भी सरकार एक अदद कमिश्नर तक को पौड़ी में नहीं बिठा पाई। राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में डाक्टरों व शिक्षकों का अभाव अब भी बना हुआ है। यहां तक कि पहाड़ की सीटों से निर्वाचित विधायक भी चुनाव जीतने के बाद देहरादून की ओर से ही रुख करते नजर आ रहे हैं। चुनावी राजनीति में भी जनप्रतिनिधियों का यह पलायनवादी चेहरा उजागर हो चुका है।
ऐसे विधायकों की फेहरिस्त काफी लंबी है, जो 2012 के विधानसभा चुनाव में पहाड़ की अपनी परंपरागत सीटें छोड़कर मैदान व तराई क्षेत्रों से चुनाव लड़े। पहाड़ से चुनकर आए 90 फीसद नेताओं का रवैया पलायनवादी रहा है। ज्यादातर ने दून में घर-परिवार बसा लिए हैं। गैरसैंण पर भाजपा व कांग्रेस के दिग्गज अपनी सुविधानुसार बयानबाजी कर रहे हैं। गैरसैंण में पिकनिक व्यवस्थापन पर हामी भरने वाले तमाम सियासी दिग्गज गैरसैंण को राजधानी घोषित करना तो दूर ग्रीष्मकालीन राजधानी तक स्वीकारने को राजी नहीं हैं।
ऐसे में मात्र तीन या पांच दिन के लिए गैरसैंण में पिकनिक व्यवस्थापन से विकास से दूर व उपेक्षित पहाड़ का भला कैसे हो पाएगा। जाहिर है गैरसैंण में बैठकर पहाड़ के विकास का खाका तैयार करने व उसे धरातल पर लाने का काम जब तक वहीं से नहीं होगा, तब तक पहाड़ों का भला होने वाला नहीं है
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राजधानी अब भी सपना

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मकर संक्रांति पर सरकार ने गाजे-बाजों के साथ चमोली जिले के गैरसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास भले कर लिया हो, मगर राज्य आंदोलन के दौरान से ही गैरसैंण को लेकर आम जनता ने जो सपना देखा, वह अब भी हकीकत से कोसों दूर है। सच्चाई यह है कि गैरसैंण को लेकर सरकार की अब तक की पूरी कवायद में पहाड़ की चिंता कम और सियासी लाभ लेने की रणनीति ज्यादा नजर आती है। यही वजह है कि उत्तारायणी पर गैरसैंण से पहाड़ के विकास का दम भरने वाली सरकार गैरसैंण को उत्ताराखंड की स्थायी या ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने तक का साहस नहीं जुटा पाई। यानी, जो वजूद में आने जा रहा है वह साल के 365 दिनों में से दो-चार दिन की राजनीतिक पिकनिक से ज्यादा कुछ नहीं होगा।
अगर आम जन के मन में यह सवाल उठ रहा है कि गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण व साल भर में विधानसभा का मात्र एक सत्र आयोजित होने से पहाड़ के आम जनमानस को आखिर क्या हासिल होने वाला है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं। साफ है कि गैरसैंण में शिलान्यास कार्यक्रम वहां ज्यादा से ज्याद तीन या पांच दिवसीय सत्र चलाने के लिए ढांचागत सुविधाएं जुटाने की कसरत से ज्यादा कुछ नहीं है। यह तथ्य प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से सभी सियासी दलों के बड़े नेता भी मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिकनिक व्यवस्थापन की इस पूरी कवायद में अब तक गैरसैंण के जितने भी सरकारी दौरे हुए, वे सड़कों के जरिये नहीं बल्कि हवा में ही किए गए।
सूबे के राजनीतिक कर्णधार हों या फिर नीति-नियंता, हर किसी ने सुविधा संपन्न शहर देहरादून से सुदूर अंचलों में बसे गैरसैंण तक का सफर बदहाल सड़कों की हकीकत से गुजरने की बजाय उड़नखटोलों में बैठकर ही तय किया। यानी, गैरसैंण को लेकर सरकार की प्लानिंग व उसे जमीन पर आकार देने की पूरी कसरत में सदियों से अलग-थलग व उपेक्षित पहाड़ के दर्द को महसूस करने की जरूरत तक नहीं समझी गई। डेढ़ दशक पहले उपेक्षा के इसी भाव ने शायद पहाड़वासियों को 'आज दो अभी दो उत्ताराखंड राज्य दो' और 'गैरसैंण अब दूर नहीं' जैसे नारे बुलंद करने को मजबूर किया था। उपेक्षा की इसी पृष्ठभूमि से ही विकास को तरसते पहाड़ से अलग राज्य के गठन की मांग उठी। आंदोलन में मुठ्ठियां ताने हर आमोखास की आंखों में बस एक ही सपना था कि जब तक नीति-निर्धारक व कानून निर्माता पहाड़ में बैठकर पहाड़ की चिंता नहीं करेंगे, तब तक पहाड़ की तस्वीर व उनकी तकदीर बदलना मुमकिन नहीं। यही वजह थी कि उत्ताराखंड गठन के साथ ही गैरसैंण को नए राज्य की राजधानी बनाने की मांग भी आंदोलन का प्रमुख एजेंडा बनी। अफसोस इस बात का है कि राज्य बनने के 12 साल बाद भी सरकारें गैरसैंण को न तो राजधानी बना पाई और न राजधानी के रूप में स्वीकारने की हिम्मत ही जुटा पाई।
राज्य बनने के बाद से अब के बारह सालों में भाजपा और कांग्रेस, दोनों को सत्ता संभालने का लगभग बराबर वक्त मिला। दोनों को दो-दो बार सूबे की सत्ता मिली। स्थायी राजधानी तय करने के लिए बनाए गए दीक्षित आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में है, मगर गैरसैंण के मुद्दे पर सियासी दलों की रहस्यमय खामोशी नहीं टूटी। क्षेत्रीय सरोकारों की तपिश से उपजा क्षेत्रीय दल उक्रांद भी सत्ता में भागीदार बनने पर अपने इस कोर एजेंडे से विमुख होता दिखाई दिया। बात चाहे पिछली भाजपा सरकार की हो या मौजूदा कांग्रेस सरकार की, दोनों में उक्रांद की किसी न किसी रूप में भागेदारी रही। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने गैरसैंण में विधान भवन का शिलान्यास भले कर लिया, मगर उसकी यह कवायद राज्य आंदोलन के दौरान गैरसैंण को लेकर देखे गए सपने की अवधारणा से कोसों दूर दिखाई पड़ती है। जाहिर है उत्तारायणी पर हुआ यह शिलान्यास सत्तारूढ़ कांग्रेस की मंशा व राजनीतिक महत्वाकांक्षा दोनों पर ही सवाल खड़े करता है।
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खनन की भेंट चढ़ा साल का जंगल

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यमकेश्वर: खनन माफिया ने तहसील मुख्यालय के पास स्थित पूरा पहाड़ खंगाल दिया है, लेकिन विभाग को हवा तक नहीं। हालात यह हैं कि खनन के कारण प्रतिबंधित साल के वृक्षों से भरे जंगल पर खतरा पैदा हो गया है, लेकिन देखने वाला कोई नहीं।
प्रखंड यमकेश्वर में खनन माफिया के हौंसले इस कदर बुलंद हैं कि वे तहसील की नाक के नीचे धड़ल्ले से अवैध खनन कर रहे है। इस खनन के कारण साल के हरे-भरे जंगल पर खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, खनन माफिया ने तहसील मुख्यालय बिथ्याणी से ब्लाक मुख्यालय यमकेश्वर की ओर जाने वाले मार्ग पर ग्रामसभा चाई दमराड़ा में पड़ने वाले साल के पेड़ों से लकदक जंगल को खोद डाला है। हैरानी की बात यह है कि प्रतिदिन इस मार्ग से न सिर्फ तहसील, बल्कि खंड विकास कार्यालय के अधिकारी भी गुजरते हैं, लेकिन वे भी खनन माफिया के आगे चुप्पी साधने में ही बेहतरी समझते हैं। उधर, अवैध खनन के कारण साल के कुछ पेड़ तो धराशायी हो गए हैं, जबकि कुछ धराशायी होने के कगार पर हैं।
मामला संज्ञान में नहीं है। संबंधित पट्टी पटवारी से पूरे मामले की जानकारी ली जाएगी। यदि मामला राजस्व क्षेत्र में हुआ तो खननकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही होगी।
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फुटबॉल में पौड़ी और कफल्ना ने मारा मैदान

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 पौड़ी: कोट में चल रही राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता का तीसरा दिन सीएफसी पौड़ी व कफल्ना के खिलाड़ियों के नाम रहा। सीएफसी पौड़ी ने कठुली को 3-0 से और कफल्ना ने खिर्सू को 4-0 से एकतरफा शिकस्त दी।
बुधवार को कोट मैदान में पहला मुकाबला सीएफसी पौड़ी व कठुली के बीच खेला गया। मुकाबले में सीएफसी पौड़ी के खिलाड़ियों के सधे हुए खेल के सामने कठुली के खिलाड़ी एक भी गोल दागने में सफल नहीं हो सके। शानदार खेल की बदौलत पौड़ी ने पहले हाफ में कठुली पर दो और दूसरे हाफ में एक गोल दागा। पौड़ी की ओर से शशांक रावत ने दो व अनुज एक गोल दागकर अपनी टीम को विजय दिलाई। प्रतियोगिता का दूसरा मुकाबला कफल्ना व खिर्सू के मध्य खेला गया। दूसरा मुकाबले का हाल भी कमोबेश पहले मुकाबले जैसा ही रहा। कफल्ना के खिलाड़ियों के सामने खिर्सू के खिलाड़ी एक भी गोल नहीं कर सके। परिणाम स्वरूप कफल्ना ने खिूर्स को 4-0 से रौंदकर जीत दर्ज की। कफल्ना की ओर से दरमान, राशिद, कैलाश व टिंकू ने एक-एक गोल किया। प्रतियोगिता में गोपाल चौहान, ललित बिष्ट व सुदर्शन नेगी ने निर्णायक की भूमिका निभाई जबकि अनिल कुमार ने फुटबॉल मैच का आंखो देखा हाल सुनाया। गुरुवार को प्रतियोगिता के दूसरे चरण में गढ़वाल राइफल व हरिद्वार और बैंज्वाड़ी व कोटद्वार के खिलाड़ी आमने-सामने होंगे।
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