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उत्तरकाशी : भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद जिले में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण बदस्तूर जारी है। भूकंपरोधी तकनीक और भवन निर्माण के जरूरी मानकों को ताक पर रखकर बन रहे कंक्रीट के ढांचे, कभी भी कहर बरपा सकते हैं।
उत्तरकाशी में वर्ष 1991 में आये भूकंप को शायद ही कोई भूला सका हो, लेकिन इससे किसी ने सबक नहीं लिया। भूकंपीय दृष्टि से जोन चार व पांच में शामिल जनपद के हर नगरीय क्षेत्र में ऊंची होती इमारतें, भूकंपरोधी तकनीक अपनाने जैसी बातों का मखौल उड़ा रही हैं। जिला मुख्यालय के विनियमित क्षेत्र में ही स्थिति बेहद नाजुक है। भवन निर्माण के लिये नक्शा पास करवाना पड़ता है। इसके लिये कुछ मानक रखे गये हैं, लेकिन इनका किस तरह से पालन होता है। इसका अंदाजा नगर क्षेत्र की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। हालात बेकाबू होने के बावजूद विनियमित क्षेत्र प्राधिकरण या भवन निर्माण के लिये एनओसी जारी करने वाली नगर पालिका ने अभी तक किसी भी गलत निर्माण के खिलाफ कार्यवाही नहीं की है। ग्रामीण क्षेत्रों में विनियमित क्षेत्र की तरह भवन निर्माण पर कोई निगरानी नहीं है। इसके चलते उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में शहर का रूप ले रहे जोशियाड़ा की स्थिति और भी खराब हो चली है। यहां ऊंची इमारतों की घनी बस्तियां देखने में खौफ पैदा करती हैं। इनके बीच मानकों के अनुरूप ना तो दूरी छोड़ी गई है और ना ही प्लाट पर खाली जगह। यही स्थिति नगर पंचायत बड़कोट, ग्रामीण क्षेत्र चिन्यालीसौड़, नौगांव व पुरोला की भी है। इस संबंध में जिला आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ देवेंद्र पेटवाल बताते हैं कि आपदा न्यूनीकरण केंद्र की ओर से इस दिशा में प्रचार प्रसार किया जा रहा है, लेकिन स्थिति काबू होने में समय लगेगा। इसके लिये जागरुकता बेहद जरूरी है। जिला भूगर्भ विशेषज्ञ प्रदीप सेमवाल बताते हैं कि भूगर्भ में सैंज गांव के निकट से मेन सेंट्रल थ्रस्ट गुजरता है, जबकि धरासू के निकट से नार्थ अल्मोड़ा सेंट्रल थ्रस्ट गुजरता है। ये दोनों बड़े थ्रस्ट जोन कभी भी सक्रिय हो सकते हैं। इसके चलते बड़े भूकंप की स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में भवन निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक के मानकों को अनदेखा करना घातक होगा।
भूकंपरोधी तकनीक के मानक (पर्वतीय क्षेत्र)
-भवन की ऊंचाई 12 मीटर से अधिक ना हो
-दो भवनों के बीच न्यूनतम तीन मीटर की दूरी
-प्लाट के साठ फीसदी हिस्से पर ही निर्माण हो
-भवन में नींव पर्याप्त गहरी मजबूत बनाई जाए
-भवन के बिम व कालम आरसीसी के बने हों
-हर जोड़ पर मानक के अनुरूप सरिया का उपयोग
'जिला मुख्यालय के विनियमित क्षेत्र में प्राधिकरण के तहत भवन निर्माण पर सख्ती से नजर रखी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिये अभी तक इस तरह का कोई विधिक प्रावधान नहीं हुआ है। आपदा प्रबंध एवं न्यूनीकरण केंद्र की ओर से तहसील स्तर पर भी भूकंपरोधी भवन निर्माण के लिये लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है'-
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