पौड़ी गढ़वाल। पौड़ी से करीब 14 किमी दूर कोट ब्लाक के देवल गांव में स्थित द्वादश मंदिरों का समूह धार्मिक के साथ ही कलाओं का भी बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर समूह को लक्ष्मण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक आस्था से जुड़ा यह मंदिर समूह पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, पर यह पर्यटन विकास तथा मंदिर समूह का प्रचार-प्रसार न होने से यह उपेक्षित है।
11वीं से 15 वीं शताब्दी के बीच निर्मित इस मंदिर समूह में कला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। ब्लाक मुख्यालय कोट के नजदीकी गांव देवल में स्थित इस मंदिर समूह में कुल बारह मंदिर हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग के अभिलेखों के अनुसार पहला मंदिर सर्वाधिक ऊंचा है, यह मंदिर अर्द्धमंडप द्वादश कोणीय दो प्रस्तर स्तंभों पर खड़ा है। मंदिर के उत्तरंग के ललाट विम्ब में चतुर्भुज गणेश निरूपित हैं। मंदिर में गज, सिंह, नाग एवं गजारोही के दृश्य अंकित हैं। दूसरे मंदिर में ऊर्ध्वछंद योजना में जगती बेदीबंध, जंघा और शिखर अवलोकनीय है। तीसरा मंदिर पुनर्निर्मित है। दक्षिणाभिमुख इस मंदिर के वेदीबंध को खुर, कुंभ, कलश तथा कपोत गढ़नों से अलंकृत किया है। चौथे मंदिर के प्रवेश द्वार को पुष्प शाखा से सुशोभित किया है। इसी तरह अन्य मंदिरों में भी कला के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं। मंदिर समूह में विष्णु की तीन प्रतिमाएं, लक्ष्मी- नारायण की एक प्रतिमा स्थापित है। स्थापित की गई ब्रह्मा की प्रतिमा को हंस पर आरुढ़ दर्शाया है। इस मंदिर समूह का आकर्षण किसी को भी अपनी ओर खींचने की क्षमता रखता है। हालांकि इसको अभी प्रचार की दरकार है। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर का संरक्षण किया जाता है। आस्था का प्रतीक यह मंदिर बहुत भव्य है, पर यहां सीमित संख्या में ही श्रद्धालु पहुंचते हैं। देवल गांव निवासी नितिन उप्रेती बताते हैं मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी के पहले दिन मेला आयोजित किया जाता है। इसी दिन फलस्वाड़ी गांव में मनसार मेला होता है। उन्होंने बताया कि 14 अपै्रल को देवल मंदिर में जगौर मेले का आयोजन होता है। इन दोनों मेलों में सितोनस्यूं पट्टी के दर्जनभर से अधिक गांवों के हजारों ग्रामीण भाग लेते हैं। इन मेलों का प्रचार करने से भी यहां पर्यटकों का रुझान बढ़ सकता है।
जिला पर्यटन अधिकारी का प्रभार देख रहे हीरा लाल का कहना है कि इस मंदिर के पर्यटन विकास से संबंधित न तो कोई प्रस्ताव आया है और नहीं विभाग के पास मंदिर के बारे में कोई जानकारी है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं भी मंदिर समूह स्थल का निरीक्षण करेंगे और विभाग द्वारा जो इसके विकास को हर संभव कार्य किया जाएगा।
jagran se sabhar
No comments:
Post a Comment
thank for connect to garhwali bati