पौड़ी गढ़वाल। पौड़ी शहर की प्यास शायद आने वाले तीन साल बाद ही बुझ पाएगी। जल निगम ने लाचारी व्यक्त की है कि वे फिलहाल आने वाले दो सालों तक नानघाट पेयजल योजना से पानी की सप्लाई शुरू नहीं पाएगा।
पौड़ी शहर को प्रतिदिन 5.18 एमएलडी पानी उपलब्ध कराने वाली महत्वाकांक्षी नानघाट पेयजल परियोजना का कार्य बेहद सुस्त चाल से चल रहा है। योजना के गत चार सालों मात्र 40 फीसदी कार्य ही पूरे हो पाए हैं और अब रिवाइज इस्टीमेट भेजने के बाद जल निगम ने अमूमन परियोजना कार्य बंद ही कर दिया है। उम्मीद है कि परियोजना की लागत 44 करोड़ से बढ़कर 79 करोड़ हो जाएगी। आम जनता का कहना है कि पौड़ी की समस्या को देखते हुए जल निगम अब मनमर्जी के स्टीमेट शासन को भेज रहा है और शासन में भी कोई ऐसा नहीं है कि निगम की मनमर्जी पर नकेल कस सके। पौड़ी में पानी की हालात पर नजर दौड़ाए तो यहां एक व्यक्ति मात्र दस लीटर पानी में काम चला रहा है। इस दस लीटर में न सिर्फ उसका परिवार खाना बना रहा है, बल्कि पूरा परिवार स्नान भी कर रहा है। आंकडे़ बताते हैं कि पौड़ी की करीब 60 हजार से अधिक की जनसंख्या मात्र 27 लाख लीटर पानी में गुजर बसर कर रही है। वर्ष 2003 में पौड़ी के वह सबसे बड़ा दिन था, जब 43.57 करोड़ की लागत से नानघाट पेयजल योजना का निर्माण शुरू हुआ। उस समय उम्मीद थी कि वर्ष 2006 में नानघाट का पानी पौड़ी पहुंच जाएगा, लेकिन अभी तक परियोजना का निर्माण मात्र 40 फीसदी ही पूरा हुआ और अब पौड़ी इसे स्वीकार कर चुकी है कि परियोजना को अधिकारी चट कर गए। बहरहाल जल निगम ने अब परियोजना की लागत बढ़ाकर दुगनी कर दी है और कार्य भी बहुत धीमा कर दिया है। अधिशासी अभियंता जल निगम आरजी सिंह का कहना है कि योजना का कार्य वर्ष 2006 तक पूरा होना था, लेकिन वन विभाग की सहमति न मिलने से परियोजना का निर्माण समय पर शुरू नहीं हो पाया और अब जल निगम पूरी मेहनत से कार्य कर रहा है। 79.15 किलोमीटर लंबी इस पेयजल योजना पर अभी तक 26 किलोमीटर तक कार्य हो चुका है, शेष 53.15 का निर्माण अभी बाकी है।