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| उत्तराखंड : मूल निवास पर पलटी राज्य सरकार | 
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मूल निवास प्रमाण पत्र के मामले में उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी है| सरकार ने यह कदम गुपचुप तरीके से उठाया है. इसको लेकर फिर प्रदेश का राजनीतिक माहौल गरमा गया है. इसका खुलासा करते हुए उत्तराखंड रक्षा मोर्चा ने मुख्यमंत्री पर जनता को गुमराह कर वोट की राजनीति करने का आरोप लगाया है |
उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष जनरल (रि.) टीपीएस रावत व टिहरी सीट से पार्टी प्रत्याशी कुंवर जपेन्द्र सिंह उत्तराखंडी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर प्रदेश सरकार जनता से छल कर रही है | मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा चुनावी सभाओं में मूल निवास के मामले में मैदानी लोगों को गुमराह कर उच्च न्यायालय  के आदेशों का पालन करने की बात कह रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार ने गुपचुप तरीके से गत आठ सितम्बर को हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. कांग्रेस वोटों की राजनीति कर रही है. उन्होंने जनता से अपील की कि वह कांग्रेस के बहकावे में न आए|
जनरल रावत ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश है कि जो लोग 2000 से प्रदेश में निवास कर रहे हैं. वह यहां के मूल निवासी हैं. हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए 50 साल की अर्हता गैरजरूरी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र के मामले को वोटों के ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल करती हैं| पार्टी प्रत्याशी कुंवर जपेन्द्र ने कहा कि मुख्यमंत्री पुत्र मोह में जनता को गुमराह कर रहे हैं. सार्वजनिक तौर पर वह कहते हैं कि मूल निवास के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे, वहीं दूसरी ओर समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव बीआर टम्टा इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं| हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश सरकार चार सप्ताह में मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र जारी करे, लेकिन सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. आठ सितम्बर 2012 को सरकार सर्वोच्च न्यायालय में जनसेवा समिति बनाम उत्तराखंड सरकार मामले में हलफनामा दाखिल कर चुकी है. इसकी सुनवाई 29 अक्टूबर को है. ऐसा नहीं है कि मूल निवास प्रमाण पत्र मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा पहले न खटखटाया हो लेकिन सरकार को मुंह की खानी पड़ी है| 
इस दौरान मोर्चा महामंत्री राजेन्द्र सिंह भण्डारी, चुनाव प्रभारी एसएस कोठियाल, सह प्रभारी राजेन्द्र पंत, महानगर अध्यक्ष योगेन्द्र नेगी, सदस्यता प्रमुख मोहन सिंह रावत, डा. राजेन्द्र प्रसाद गोस्वामी, शीशपाल सिंह असवाल, अिनी मुदगल, करतार सिंह, मौलाना हबीबुर रहमान, मौलाना सुल्तान काजमी, अमर कण्डवाल, राजेन्द्र भट्टकोटी, चौधरी जयवीर सिंह, सीएल भारतीय, प्रीतम कुलवंशी व प्रीतम सिंह नागपाल आदि उपस्थित थे|
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