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Friday, January 14, 2011

यूएई कौथिग 2010

(सुदर्शन सिंह रावत ) गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर ये मेले क्षेत्र की विशिष्टता की भी पहचान हैं। इन उच्च शानदार परंपराओं को हर हाल में संजोए रखते हुए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों आगे बढ़ाते रहने की जरूरत है आज  उत्तराखंड  में ही नहीं बल्कि  बिदेशों  में भी आज यह भाई चारे  के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है

यूएईमें भी  कौथिग धूम धाम से उत्तरांचली एशोसियेशन आफ अमीरात द्वारा आयोजित सांस्कृतिक आयोजन किया गया "यूएई कौथिग 2010"। 500 के लगभग उत्तराखंडी भाई बहन इसमे शामिल हुये और एक उत्तराखंड नज़र आया यू ए ई मे। सभी लोगो ने कौथिग का भरपूर आनंद लिया और अपनी संस्कृति को इस तरह आगे  से जुडने और जोडने  तथा दुःख सुख मैं एक दुसरे के साथ के साथ देने का वायदा का प्रयास व  सफलता का एक कदम  बताया !

यूएई कौथिग2010

          


गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर ये मेले क्षेत्र की विशिष्टता की भी पहचान हैं। इन उच्च शानदार परंपराओं को हर हाल में संजोए रखते हुए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों आगे बढ़ाते रहने की जरूरत है आज  उत्तराखंड  में ही नहीं बल्कि  बिदेशों  में भी आज यह भाई चारे  के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है 

यूएईमें भी 

कौथिग धूम धाम से 

उत्तरांचली एशोसियेशन आफ अमीरात द्वारा आयोजित सांस्कृतिक आयोजन किया गया "यूएई कौथिग 2010"। 500 के लगभग उत्तराखंडी भाई बहन इसमे शामिल हुये और एक उत्तराखंड नज़र आया यू ए ई मे। सभी लोगो ने 

कौथिग का भरपूर आनंद लिया और अपनी संस्कृति को इस तरह आगे 

 से जुडने और जोडने  तथा दुःख सुख मैं एक दुसरे के साथ के साथ देने का वायदा का प्रयास व  सफलता का एक कदम  बताया !

टीएचडीसी के मैनेजर एन के यादव को रिश्वत लेते सीबीआई ने दबोचा

 (सुदर्शन सिंह रावत)
देहरादून से आई सीबीआई टीम ने टीएचडीसी के मैनेजर एनके यादव को ठेकेदार से एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। सीबीआई ने आरोपी के भागीरथीपुरम स्थित आवास से पौने तीन लाख रुपए की नकदी भी बरामद की। सीबीआई आरोपी के अन्य ठिकानों को खंगालने में जुटी है। मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ के एक ठेकेदार रितेश पाण्डेय ने जेपी कैंप के पास एक फव्वारे का निर्माण किया था। शुरू में इसकी लागत 14 लाख थी, जो बाद में बढ़कर 25 लाख हो गई थी। इसी अतिरिक्त पैसे के भुगतान की ऐवज में मैनेजर, ठेकदार से पांच लाख रुपए रिश्वत मांग रहा था। ठेकेदार ने इसकी सूचना सीबीआई को दे दी।
गुरुवार को मैनेजर यादव को दबोचने के लिए सीबीआई के इंस्पेक्टर अनिल चंदोला के नेतृत्व में आठ लोगों की टीम तीन टैक्सियों में सवार होकर दोपहर में भागीरथीपुरम के निकट जेपी कैंप के पास नवनिर्मित फव्वारे के पास पहुंची। जैसे ही ठेकेदार ने पांच-पांच सौ के नोटों की दो गड्डियां एनके यादव को पकड़ाई, सीबीआई टीम ने यादव को रंगे हाथों दबोच लिया।
इसी दौरान सीबीआई टीम को वहां मौजूद मजदूरों व कर्मचारियों ने घेर लिया। सूचना पर भागीरथीपुरम चौकी से पुलिस वहां पहुंची व भीड़ को तितर-बितर किया। सीबीआई ने आरोपी के बी-21, भागीरथीपुरम स्थित आवास से दो लाख 63 लाख की नकदी भी बरामद की। सीबीआई ने आरोपी के अन्य ठिकानों को खंगालना शुरू कर दिया। पूरे प्रकरण पर टीएचडीसी के बड़े अधिकारी चुप्पी साधे हैं।

मेले सांस्कृतिक धरोहर एवं सभ्यता के परिचायक:विजया बड़थ्वाल

(सुदर्शन सिंह रावत)
डाडामंडी। ग्राम्य विकास मंत्री विजया बड़थ्वाल ने कहा है कि गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर ये मेले क्षेत्र की विशिष्टता की भी पहचान हैं। इन उच्च शानदार परंपराओं को हर हाल में संजोए रखते हुए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों आगे बढ़ाते रहने की जरूरत है गिंदी कौथिग के दूसरे दिन आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ करते हुए ग्राम्य विकास, महिला सशक्तीकरण व बाल विकास मंत्री विजया बड़थ्वाल ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के परिचायक हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की संस्कृति व सभ्यता के संरक्षण-संव‌र्द्धन को तमाम मेलों को संरक्षित कर रही है।उन्होंने डाडामंडी गेंद मेले को भव्य रूप प्रदान करने व संस्कृति विभाग से मेले के आयोजन को धनराशि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्र में खाद्य व फल प्रसंस्करण प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना हो चुकी है व भूमि उपलब्ध होने पर केंद्र का भवन बनाया जाएगा। उन्होंने क्षेत्र में आईटीआई खोलने की भी घोषणा की  बतौर विशिष्ट अतिथि बलूनी क्लासेस (देहरादून) के चेयरमैन डॉ. नवीन बलूनी ने स्थानीय मेलों के विकास पर ध्यान दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया। मेले के दूसरे दिन भी लोक गीत-नृत्यों की प्रस्तुतियों की खूब धूम रही। मंत्री विजया बड़थ्वाल समेत विशिष्ट अतिथि नवीन बलूनी के हाथों प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। मेला समिति के अध्यक्ष आशीष तिवारी, मेला संयोजक सुरेश देवरानी, उपाध्यक्ष जगत सिंह, सचिव विजयमान बिष्ट, संजय सिंह, दिनेश खत्री, उम्मेद नेगी, अशोक नेगी आदि मौजूद थे।।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि बलूनी इंस्टीटयूट के निदेशक डॉ. नवीन बलूनी, विपिन बलूनी, जना‌र्द्धन बलूनी, बीडीओ द्वारीखाल पुष्पेंद्र चौहान, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष तीरथ सिंह राही, ऊषा देवरानी, राकसंप के प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश मोहन तिवारी, सुरेंद्र सिंह नेगी, शेर सिंह राणा, मुकेश सिंह नेगी, राजेंद्र सिंह रावत, विमल किशोर बलोदी, विकास कुमार भट्ट, उम्मेद सिंह नेगी आदि मौजूद रहे। संचालन जगत सिंह रावत ने किया।

उत्तराखंड के पहाड़ो से महिलाओं का पलायन

(सुदर्शन सिंह रावत) महिला उत्थान के भले ही लाख दावे किए जा रहे हों, मगर उनके सिर का बोझ अभी हल्का नहीं हुआ है। घर-परिवार की कई जिम्मेदारियां उनके कंधों पर हैं। इन्हीं में उनका जीवन खप जाता है। कारगी क्षेत्र में पशुओं के लिए चारा लाती महिलाओं की जीवटता का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है राज्य बनाने से पूर्व व  राज्य बनने के बाद के दस बरसों विकास की सीडी. गाँव का बसना अब पुरानी बात है, गाँव की परिभाषा वही है जो बरसों पहले थी और शहर रोज नयी परिभाषा के साथ आ रहा है.गाँव कि वास्तविक परिभाषा क्या है उसे कौन गड़ेगा. उत्तराखंड के सन्दर्भ मैं कहें तो सबसे खतरनाक बात है कि हमारे गाँव के लगातार कमजोर होते चले जाने पर छाई हुई ख़ामोशी.न पिछले चुनाव मैं और ना ही आज कोई भी राजनैतिक दल इस पर बात करता या कोई प्रभावी विकल्प देता नजर आता है. आप देखिये कि उत्तराखंड में पिछले लोकसभा चुनाव मैं पौड़ी और हरिद्वार लोकसभाओं मैं औसतन तीन लाख लोग बढ़ गए . ये कौन लोग हैं कहाँ से आये हैं और क्यों आ गए हैं गंभीरता से देखें तो .एक भीषण आन्तरिक पलायन आकर ले रहा है.इसका सबसे दुखद पहलु ये है कि जो लोग उतर रहे हैं वे या तो वो हैं जो थोड़ी सी बेहतर स्थिति में हैं या तो वो है जिसके पास कोई रास्ता नहीं बचा यानि किसी भी स्तर का आदमी पहाड़ के गाँव में रहना नहीं चाहता हैं या गाँव के पास ऐसा कुछ नहीं है जो किसी भी स्तर के मनुष्य को कुछ दे सके. मतलब गाँव में न रहने के वो ही कारण हैं, जितने शहर में रहने के हैं .अब   पहाड़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली महिलाएं भी अब पुरुषों की राह चल निकली हैं। गांव छोड़ कर पलायन करने में वह पुरुषों से आगे निकल गई हैं। नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के हालिया सर्वेक्षण ने यह चौंकाने वाले नतीजे प्रस्तुत किए हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि, उत्तराखंड में 1000 की जनसंख्या में से 539 महिलाएं पहाड़ छोड़ रही हैं। जबकि, पुरुषों में यह संख्या मात्र 151 है। पलायन में उत्तराखंड व हिमाचल की महिलाओं ने उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य सभी हिमालयी राज्यों को पछाड़ दिया है। हिमाचल की प्रति 1000 आबादी से 592 महिलाएं पहाड़ छोड़ रही हैं, यह संख्या पूरे देश में अधिकतम हैं। उत्तराखंड के साथ बने झारखंड व छत्तीसगढ़ में महिलाओं के पलायन का आंकड़ा, क्रमश: 308 व 531 है।यूं तो पूरे देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का पलायन तेज हुआ है, लेकिन पहाड़ में इस प्रवृत्ति से यहां की रही-सही कृषि-व्यवस्था भी ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी। हालांकि, एनएसएस ने पलायन को सकारात्मक बताते हुए, इसे बढ़ते औद्योगिकीकरण का नतीजा बताया है। 2007-08 में किए गए एनएसएस माइग्रेशन सर्वे की रिपोर्ट हाल में जारी की गई। इस सर्वे में देश भर के 79,091 घरों को शामिल किया गया। 7921 गांवों के 46,487 ग्रामीण परिवारों व 4688 नगरीय परिवारों में यह सर्वे हुआ। अर्थशास्त्री प्रो. मृगेश पाण्डे महिलाओं के पलायन को सामाजिक ताने-बाने में आए बदलाव का परिणाम बताते हैं। वे कहते हैं, पहले पुरुष काम के लिए बाहर जाते थे, उनके भेजे मनीऑर्डर पत्नी व परिवार को आते थे। नई पीढ़ी में एकल परिवार का आकर्षण बढ़ने से महिलाएं, पति के साथ ही रहना चाहती हैं। नगरों में बच्चों की शिक्षा, प्रसव व अन्य चिकित्सा सुविधाएं हैं। कृषि घाटे का सौदा हो चुकी है। कृषि की सहायक अर्थव्यस्थाओं के खत्म होने से भी नई गृहणियों का कृषि से मोहभंग हुआ है। पशुपालन घटा है, जबकि लोहार, औजी, हलवाहों, ओड़, ढोली, दर्जी, बारुड़ी आदि की नई पीढ़ी पुश्तैनी पेशे में न जाकर, शहर का रुख कर चुकी है।

Thursday, January 13, 2011

त्याग और तपस्या की भूमि है उत्तराखंड: निशंक

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प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है यहीं से भागीरथ ने मोक्ष दायनी गंगा को धरती पर अवतरित किया था। उत्तराखण्ड देव भूमि है और यहां की धरती कुर्बानी, त्याग और तपस्या से बनी स्वर्ग से भी सुन्दर है।
मुख्यमंत्री डॉ.निशंक ने बुधवार को लोस्तु बडियारगढ़ घंटाकर्ण देवता की जात में शिरकत करने के बाद शहीदी मेले का विधिवत उद्घाटन किया। शहीदी मेले का शुभारंभ विभिन्न विद्यालयों से आये छात्र छात्राओं की मन मोहन झांकियों से शुरू हुआ। इस मौके पर प्रदेश के मुखिया के साथ आये राजस्व एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट ने प्रदेश के मुखिया के समक्ष अपनी विधान सभा की कई समस्याऐं रखी। मंत्री ने क्षेत्र के चार हाईस्कूलों के उच्चीकरण, दुरोगी, धपडयाधार, डडवा,मंजूली जिनियर को हाईस्कूल में अपग्रेट विद्यालय भवन आछरीखुंट, पीपलीधार, कुण्डभरपूर, रणसोली धार के भवनों व मोलधार, पलेठी, बगडवालधार विद्यालयों की समस्या से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। इस मौके पर नगर पंचायत अध्यक्ष विजयराम गोदियाल ने कीर्तिनगर में पंपिंग पेयजल योजना के अलावा विभिन्न मांगों का एक मांग पत्र मान्य मुख्यमंत्री को सौंपा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने नगर पंचायत को 25 लाख रुपये की धनराशि देने की घोषणा के साथ ही क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव मलेथा में माधोसिंह भंडारी के नाम से एक सामुदायिक विकास भवन बनाये जाने की भी घोषणा की। राइंका आछरीखूंट के भवन निर्माण को प्रथम किश्त के रूप में 25 लाख, घंटाकर्ण महाजात मेले के लिए पांच लाख तथा मंदिर परिसर में धर्मशाला निर्माण को पांच लाख रुपये देने की घोषणा की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि चौरास पुल का निर्माण समयबद्धता के साथ हो। उन्होंने यहां मौजूद अधिकारियों को निर्देशित किया कि अटल आदर्श गावों को हर सुविधाएं मुहैया करवाई जाए। इस मौके पर भाजपा युवामोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कंडारी, प्रमुख जयप्रकाश शाह, शूरवीर पुंडीर,भाजपा जिला अध्यक्ष विनोद सुयाल, एएचपीसी के प्रसन्ना रेड्डी, संतोष रेड्डी, दुग्ध संघ के धनसिंह नेगी, महिपाल बुटोला,यूकेडी के पूर्व जिला अध्यक्ष रमेश रमोला,कीर्ति जुगरान,पूर्व प्रमुख विजयन्त निजवाला,पूर्व नंप मनोरमा भट्ट, जयसिंह कठैत, भारत कुकरेती, मण्डल अध्यक्ष रंजन रतूड़ी, दिनेश रतूड़ी सहित कई लोग मौजूद थे।
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विवि पर पीएचडी शोधार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप

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कोटद्वार : छात्र नेताओं की बैठक में गढ़वाल विद्यालय की ओर से राजकीय महाविद्यालयों व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में पीएचडी सीटों के आवंटन पर कोई निर्णय न लिए जाने पर रोष जताया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन से इस मसले पर स्पष्टीकरण की मांग की गई।
मालवीय उद्यान में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा मेरिट को दरकिनार कर साक्षात्कार के आधार पर पीचएडी में प्रवेश दिया जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन पर राजकीय महाविद्यालयों व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया। कहा गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने तीन कैंपस के अलावा अन्य राजकीय महाविद्यालयों व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में पीएचडी सीटें आवंटित करने की जहमत नहीं उठाई है, जिससे शोध के इच्छुक छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
विश्वविद्यालय प्रशासन के इस रवैये से जहां शोध कार्य प्रभावित होंगे, वहीं शोध कार्यो की गति अवरूद्ध होने से शोध का क्षेत्र भी संकुचित हो जाएगा। बैठक में विश्वविद्यालय से इस संबंध में स्पष्टीकरण देने की मांग की गई।
अरविंद दुदपुड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आशीष नयाल, जितेंद्र नेगी, दिनेश चौहान, सुभाष बिष्ट, विवेक बहुखंडी, मनोज गौड़, कमल किशोर धस्माना, भाष्कर, गौरव बुडाकोटी, योगेंद्र पुंडीर, पवनीश चंदोला, आशीष चौधरी, दीपक रावत, दीपक, सूरज प्रसाद कांति आदि ने विचार रखे। संचालन कैलाश थपलियाल ने किया।
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Wednesday, January 12, 2011

लेडी किलर बाघ की अभी पहचान नहीं

  (सुदर्शन सिंह रावत)

बाघउत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व में लेडी किलर बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे में एक नर बाघ फँसा हुआ पकड़ा गया। हालाँकि अधिकारियों ने इस बाघ के लेडी किलर होने की संभावना से इनकार किया है।

रिजर्व के निदेशक रंजन मिश्रा ने शनिवार को बताया कि गर्जिया के वन चौकी क्षेत्र में लगाए गए पिंजरे में फँसे बाघ के पकड़े जाने के बाद उसे करीब 50 किलोमीटर अंदर घने जंगल के ढिकाला रेंज के सोंठाखाल में छोड़ दिया गया है।

उन्होंने बताया कि यह बाघ नरभक्षी नहीं है और पूरी तरह से स्वस्थ तथा विशाल डीलडौल का है। हालाँकि इस बाघ के पकड़े जाने के बाद भी लेडी किलर बाघ की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है तथा सुंदरखाल में उस बाघ के आतंक से लोग अभी भी सहमे हुए हैं

पंचायतों को मनरेगा के तहत मुहैया होंगे रोजगार


  (सुदर्शन सिंह रावत) 


अल्मोड़ा 08 जनवरी विकास भवन सभागार में पंचायतों में मनरेगा के नियोजन व क्रियान्वयन के लिए सरपंचों की एक कार्यशाला आहूत की गई। अध्यक्षता प्रभारी जिलाधिकारी व सीडीओ धीराज सिंह गब्र्याल ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरपंचों की इस कार्यशाला का उद्देश्य मनरेगा के जरिये वन पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ व स्वावलंबी बनाने के साथ रोजगारपरक बनाना है। वन पंचायतों के जरिये मनरेगा के काम सरपंचों से कराए जाएंगे। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। गब्र्याल ने कहा कि ऐसी वन पंचायतें जिनके पास 50 हेक्टेयर भूमि हो, उनमें टैक्नीकल एक्सपर्ट के माध्यम से 5 वर्षीय माइक्रोप्लान तैयार किया जाएगा। मनरेगा के माध्यम से योजनाओं का संचालन कर उन्हें मजबूत व उपयोगी बनाया जाएगा। बैठक में मौजूद सभी सरपंचों से एक सप्ताह के भीतर बैठक कर प्रस्ताव भेजने को कहा। ताकि उन्हें मनरेगा के कार्यक्रम में शामिल किया जा सके। लोक चेतना मंच के जोगेंदर बिष्ट ने कार्यशाला में सरपंचों को बताया कि पांच साला माइक्रो योजना में प्रस्तावित गतिविधियों के तहत सीमांकन, सघनीकरण, बांज क्षेत्रों में प्राकृतिक पुनरोत्पादन, चारा विकास, जड़ी-बूटी, बांस रोपण, भूमि व मृदा संरक्षण, वनों की सुरक्षा जैसे कार्य किए जा सकते हैं। जिसमें प्रथम वर्ष में वन पंचायतों का सीमांकन कर मृदा कार्य व पौधशाला का निर्माण किया जाएगा। द्वितीय वर्ष में पौधे की ढुलाई, रोपण, अग्निकाल में पौधों की सुरक्षा का काम होगा। कार्यशाला में प्रसार प्रशिक्षण केंद्र के आचार्य डॉ.जीएस खाती, जिला विकास अधिकारी एसएसएस पांगती ने भी जानकारी दी।

पंचायतों को मनरेगा के तहत मुहैया होंगे रोजगार  (सुदर्शन सिंह रावत) 
08/01/2011

अल्मोड़ा 08 जनवरी विकास भवन सभागार में पंचायतों में मनरेगा के नियोजन व क्रियान्वयन के लिए सरपंचों की एक कार्यशाला आहूत की गई। अध्यक्षता प्रभारी जिलाधिकारी व सीडीओ धीराज सिंह गब्र्याल ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरपंचों की इस कार्यशाला का उद्देश्य मनरेगा के जरिये वन पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ व स्वावलंबी बनाने के साथ रोजगारपरक बनाना है। वन पंचायतों के जरिये मनरेगा के काम सरपंचों से कराए जाएंगे। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। गब्र्याल ने कहा कि ऐसी वन पंचायतें जिनके पास 50 हेक्टेयर भूमि हो, उनमें टैक्नीकल एक्सपर्ट के माध्यम से 5 वर्षीय माइक्रोप्लान तैयार किया जाएगा। मनरेगा के माध्यम से योजनाओं का संचालन कर उन्हें मजबूत व उपयोगी बनाया जाएगा। बैठक में मौजूद सभी सरपंचों से एक सप्ताह के भीतर बैठक कर प्रस्ताव भेजने को कहा। ताकि उन्हें मनरेगा के कार्यक्रम में शामिल किया जा सके। लोक चेतना मंच के जोगेंदर बिष्ट ने कार्यशाला में सरपंचों को बताया कि पांच साला माइक्रो योजना में प्रस्तावित गतिविधियों के तहत सीमांकन, सघनीकरण, बांज क्षेत्रों में प्राकृतिक पुनरोत्पादन, चारा विकास, जड़ी-बूटी, बांस रोपण, भूमि व मृदा संरक्षण, वनों की सुरक्षा जैसे कार्य किए जा सकते हैं। जिसमें प्रथम वर्ष में वन पंचायतों का सीमांकन कर मृदा कार्य व पौधशाला का निर्माण किया जाएगा। द्वितीय वर्ष में पौधे की ढुलाई, रोपण, अग्निकाल में पौधों की सुरक्षा का काम होगा। कार्यशाला में प्रसार प्रशिक्षण केंद्र के आचार्य डॉ.जीएस खाती, जिला विकास अधिकारी एसएसएस पांगती ने भी जानकारी दी।

Tuesday, January 11, 2011

बर्फ से लकदक बगीचे दे रहे सुकून

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इन दिनों जिले में सभी ऊंचाई वाली फल पट्टियां बर्फ की चादर ओढ़े हुए हैं। बरसों बाद देखने को मिल रहा यह नजारा खासतौर पर सेब के लिए एकदम मुफीद है। सर्दियों के पतझड़ में सेब के पेड़ों को इस स्थिति से गुजरना बेहतर फसल के लिए जरूरी माना जाता है।
जनवरी के प्रथम सप्ताह में सेब के बागों में बर्फ देख सेब काश्तकारों के चेहरों पर चमक है। ऊंचाई वाले इलाकों में स्थित फल पट्टियों में लंबे समय बाद इस बार दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बर्फबारी हो गई। इससे सेब सहित पतझड़ वाले फलों के लिए शीतमान ताप की जरूरत पूरी होती नजर आने लगी है। खासतौर पर ऊंचाई पर उगने वाली सेब की प्रजातियों के लिए इस ताप की जरूरत होती । फरवरी माह तक कुदरत ऐसी ही मेहरबान रही तो फलों के लिये बेहतर फ्लावरिंग होने के पूरे आसार हैं। जिले में हर्षिल, धराली व सुक्की, स्यौरी फल पट्टी, आराकोट व पर्वत क्षेत्र की फल पट्टियों में से अधिकांश बर्फ से लकदक हैं। मौसम एक बार फिर बर्फबारी के संकेत दे रहा है, जिससे शीतमान ताप की जरूरत पूरी होने की संभावना है। वर्ष 2008 व 09 में कम बर्फबारी के चलते यह जरूरत पूरी नहीं हो सकी थी। लिहाजा पेड़ों पर समय से पहले ही फ्लावरिंग होने से जिले में सेब व अन्य फलों के उत्पादन पर काफी बुरा असर पड़ा था। हालांकि बीते वर्ष फरवरी माह में पर्याप्त बर्फबारी व उसके बाद लगातार नम मौसम के चलते शीतमान ताप बरकरार रहा। समय पर फ्लावरिंग हुई और सेब का बंपर उत्पादन रहा। काश्तकार जयभगवान पंवार, धर्मेन्द्र सिंह, विजय सिंह, जगमोहन आदि ने बताया कि बीते सालों से उन्हें इस स्थिति का इंतजार था। यह बर्फबारी फसल के लिए अच्छे संकेत दे गई है।
क्या है शीतमान ताप
उत्तरकाशी: पतझड़ वाले पेड़ों के लिए सर्दियों में सात डिग्री से कम का तापमान जरूरी होता है। फलों की प्रजाति के अनुसार इसकी समयावधि भी भिन्न होती है। मसलन ऊंचाई पर उगने वाली सेब की डेलिशियस प्रजाति के लिये 12 सौ से 16 सौ घंटे का शीतमान ताप चाहिये। स्फर प्रजाति के लिए 800 से 1200 घंटे सात डिग्री से कम तापमान जरूरी है। आड़ू व खुमानी जैसे फलों के लिए भी आठ सौ घंटे का शीतमान ताप जरूरी होता है। घाटियों में उगने वाली सेब की अन्ना व ट्रापिकल जैसी प्रजातियों के लिये तीन सौ से चार सौ घंटे ही शीतमान ताप की जरूरत पड़ती है, इनके लिए बर्फबारी जरूरी नहीं है।
'ऊंचाई पर उगने वाले फलों के लिये यह स्थिति काफी बेहतर है। एक बार फिर मौसम बर्फबारी के संकेत दे रहा है, जिससे सेब व अन्य फलों के लिए ठंडक का ढाई महीने का जरूरी चक्र पूरा हो जाएगा'
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जल विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

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जिले में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं के विरोध में केदारघाटी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले ऊखीमठ मुख्य बाजार में प्रदर्शन किया गया। जिसमें माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य एवं सांसद वृंदा करात ने भी भाग लेकर केन्द्र व राज्य सरकार की जमकर खिलाफत की।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार केदारघाटी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारी लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में एकत्रित हुए, जहां से प्रदर्शन के रुप में मुख्य बाजार होते हुए बस स्टैण्ड तक पहुंचे। इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य एवं सांसद वृंदा करात ने कहा कि विकास के नाम पर केन्द्र और राज्य सरकार जनता के साथ खिलवाड़ कर अपना फायदा देख रही है। नदी की योजनाओं के लिए सरकार एवं निजी कंपनियां जनता से वार्ता कर परियोजनाएं बनाएं। जब गांव का संघर्ष मजबूत होगा तो केन्द्र में भी आवाज मजबूती से उठेगी। जो कंपनी पहाड़ में पहुंची, वह सरकार की गलत नीतियों के कारण पहुंची है। नीति के खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए, जो संसद में भी उठाई जाएगी।
इस अवसर पर राजाराम सेमवाल, वीरेन्द्र गोस्वामी, सुशीला बिष्ट, मातवर सिंह सहित कई लोग मौजूद थे। 
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झांसी की रानी बनी विदूषी रही प्रथम

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रेनबो पब्लिक स्कूल परिसर में आयोजित फेन्सी ड्रेस प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर भाग लेते हुए आकर्षक प्रस्तुतियां दीं। झांसी की रानी बनी विदूषी सिंह ने प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया।
प्रतियोगिता में महाराणा प्रताप बने शिवांश थपलियाल ने द्वितीय और फूल वाली बनी वैभवी मलासी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। परी ड्रेस में सजी नर्सरी सेक्सन की छोटी-छोटी बालिकाओं के साथ ही भगवान कृष्ण, सिस्टर नन, तिब्बती गर्ग और स्नोमैन की प्रस्तुति को भी दर्शकों ने भरपूर सराहा। कक्षा प्रथम वर्ग की प्रतियोगिता में अवंतिका भट्ट प्रथम, आयुष भट्ट द्वितीय, वेदिका परमार तृतीय रहे।
फेन्सी ड्रेस प्रतिभागियों का उत्साहव‌र्द्धन करते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. रेखा उनियाल ने कहा कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए ऐसी प्रतियोगिताएं बहुत सहायक भी होती हैं। फेन्सी ड्रेस के माध्यम से बच्चों ने अपनी अच्छी सकारात्मक सोच का भी प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में पदमा खंडूड़ी, शांति भट्ट, रजनी चौहान शामिल थे। सुनीता राणा और कक्षा चार के छात्र शिवांश कुकशाल, गौरव फरासी ने प्रतियोगिता का संचालन संयुक्त रूप से किया। मंच सज्जा रेखा तोमर ने की।
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अब अलग नहीं रहेगी स्व.गढ़वाली की प्रतिमा

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कोटद्वार, तहसील परिसर में स्थापित स्व.वीर चंद्र गढ़वाली की आदमकद प्रतिमा अब अलग-थलग नहीं पड़ी रहेगी। तहसील प्रशासन ने इस प्रतिमा को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की ओर से तहसील परिसर में बनाए जा रहे पार्क के भीतर स्थापित करने का निर्णय लिया है।
आठ मार्च वर्ष 1997 को तहसील परिसर में स्थापित स्व. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की आदमकद प्रतिमा जल्द ही नए रूप में नजर आएगी। तहसील प्रशासन ने इस प्रतिमा को तहसील परिसर में बन रहे पार्क के भीतर स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में जल्द ही विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों से विचार-विमर्श का निर्णय लिया गया है।
तहसील परिसर में स्थापित स्व.वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा वर्तमान में अलग-थलग पड़ी हुई है। खास मौकों पर ही इस प्रतिमा व इसके इर्द-गिर्द उगी झाड़ियों को हटाया जाता है। बल्कि, पिछले कुछ महीनों से प्रतिमा के सामने का हिस्सा धरना स्थल बनकर रह गया है। प्रतिमा जीर्ण-क्षीण हालत में है व इसका जीर्णोद्धार होना भी काफी जरूरी है।
'क्षेत्र के तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े लोग सहमत हो जाते हैं तो प्रतिमा को निर्माणाधीन पार्क के भीतर स्थापित कर दिया जाएगा। इससे जहां प्रतिमा की सुरक्षा होगी, वहीं पार्क की शोभा पर भी चार चांद लगेंगे। 
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पॉलीथिन के विकल्प के रूप में थैले वितरित

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ऋषिकेश, सोमेश्वर मंदिर में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार में अभियान चला सभासदों ने लोगों व दुकानदारों से पॉलीथिन का प्रयोग न करने की अपील की।
नगरपालिका द्वारा पालिका क्षेत्र में हर प्रकार की पॉलीथिन प्रतिबंधित की गई है। इसी क्रम में मंगलवार को क्षेत्रीय सभासद बृजपाल राणा, पुष्पा पुंडीर व संदीप शास्त्री आदि ने हाट बाजार पहुंचकर क्षेत्रीय लोगों से पॉलीथिन का प्रयोग न करने की अपील की। उन्होंने दुकानदारों से भी नियम का पालन करने की अपील करते हुए पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी। इस दौरान लोगों को पालिका द्वारा उपलब्ध कराए गए कपड़े से बने थैले भी वितरित किए गए। इस मौके पर प्यारेलाल जुगरान, राकेश जैन, बीपी गुप्ता, राधेश्याम पटवा, आकाश सोती व रमेश अरोरा आदि उपस्थित थे।
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Monday, January 10, 2011

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने किया सरकार पर पचास हजार का जुर्माना


सुदर्शन सिंह रावत | नैनीताल | मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने आइपीएस अधिकारी राकेश मित्तल की पदोन्नति के लिए डीपीसी में विलंब को लेकर सरकार पर 50 हजार जुर्माना लगाते हुए उनकी डीपीसी पर पुनर्विचार के निर्देश दिए हैं। खंडपीठ ने यह निर्देश गुरुवार को इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में हुई विभागीय पदोन्नति कमेटी(डीपीसी) ने आइपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य की पदोन्नति पर मुहर लगाई थी, जिसके बाद भट्टाचार्य को पुलिस महानिदेशक बना दिया गया। डीपीसी में वर्ष 1973 बैच के आइपीएस अधिकारी राकेश मित्तल की पदोन्नति के दावे पर इस आधार पर विचार नहीं किया था कि उनके खिलाफ दरोगा भर्ती घोटाले की जांच चल रही है। डीपीसी में वरिष्ठ आइएएस अधिकारी आरएस टोलिया, एसके दास व रामचंद्रन आदि शामिल थे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ राकेश मित्तल ने केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण(कैट) की शरण ली। मित्तल का कहना था कि उनके खिलाफ किसी भी तरह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। पहली मई 2008 को कैट ने राकेश मित्तल के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार से उनकी डीपीसी पर विचार करने के निर्देश दिए। इसी बीच कई डीपीसी हुई, लेकिन सरकार ने राकेश मित्तल की डीपीसी पर विचार के बजाय कैट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया

इस प्रकरण पर अब कुछ नहीं बोलेंगे-कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट

बिश्वास पर आघात 


 | सुदर्शन सिंह रावत | उक्रांद अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने कहा कि उक्रांद के अंदर पिछले एक सप्ताह के दौरान जो कुछ भी हुआ, वह भाजपा के इशारों पर हुआ। उधर, कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट ने कहा कि जिसे भी कुछ कहना है, वह आम सभा में आकर अपनी बात रखे। उक्रांद अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने उक्रांद के अंदर चले विवादास्पद घटनाक्रम के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि उक्रांद ने भाजपा को तब स्थिरता के लिए सहयोग दिया था, जब वह बहुमत से पीछे थी। भाजपा को सहयोग और समर्थन देने का उसने उक्रांद को यह सिला दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस पूरे घटनाक्रम का संचालन कर रही है। उक्रांद कार्यालय में आज दिन भर गहमागहमी का माहौल रहा। कई पुराने कार्यकर्ता कार्यालय पहुंचे और उन्होंने कहा कि यह जनभावना का सम्मान करने वाला निर्णय है। दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट ने कहा कि वे इस प्रकरण पर अब कुछ नहीं बोलेंगे। इस मामले में वह आम सभा में ही अपनी बात रखेंगे। जिसे इस प्रकरण पर अपनी बात रखनी हो, वह 16 जनवरी को आयोजित होने वाली आम सभा में अपनी बात रखे। उन्होंने कहा कि यह उक्रांद के लिए संक्रमण का दौर है। इस क्षेत्रीय दल को बचाने के लिए सभी को आगे आना होगा और आम सभा में अपनी बात रखनी होगी। सतीश सेमवाल ने कहा कि कार्यवाहक अध्यक्ष डीएन टोडरिया ने कल की गई कार्यवाही से संबंधित नोटिस संबंधित लोगों को भेज दिया है।
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यूं तो उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बारह महीनों मौसम का मिजाज व प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, लेकिन इन दिनों गुनगुनी धूप जहां मौसम को सुहावना बना रही है। वहीं बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं प्रकृति के दृश्यों को निखार रहे हैं। सुहावने मौसम और विंटर गेम्स के चलते पर्यटकों की बढ़ती आमद को देख यह कहा जाय कि यह अनूठा संयोग चार चांद लगा रहा है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
गौरतलब है कि सर्दी के मौसम में जहां मैदानी क्षेत्रों में हाड़कंपाती ठंड से आम आदमी ठिठुरने को मजबूर हो जाता है, वहीं गर्मी के मौसम में भी मैदानी क्षेत्रों में दिन आसानी से गुजरना कोई आसान काम नहीं है। घर और बाहर दोनों ही जगह मौसम की मार व कोलाहल भरी जिंदगी से परेशान होकर सुकून के चार पल बिताने के लिए लोग पहाड़ी क्षेत्रों का रुख करते हैं। चमोली की बात करें तो इन दिनों सर्दी के मौसम में गुनगुनी धूप ने जहां मौसम को सुहावना बना दिया है, वहीं औली में चल रहे विंटर गेम्स मौसम को चार चांद लगा रहे हैं। जोशीमठ व औली पहुंच रहे पर्यटक गुनगुनी धूप में सुहावने मौसम का आनन्द लेने के साथ ही औली में पर्यटन विभाग द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं पर गदगद नजर आ रहे हैं। बीते दो-तीन दिन पहले औली की सैर कर लौटे शाहदरा (दिल्ली) के रवि कुमार व उनके परिजनों का 13 सदस्यीय दल का कहना है कि वे कश्मीर के गुलमर्ग व हिमाचल के कुल्लू व मनाली भी घूम चुके हैं, लेकिन इतनी ऊंचाई पर स्थित होने के बाद भी औली में जितना सुन्दर मौसम व प्राकृतिक नजारे हैं उससे भी ज्यादा सुविधाएं पर्यटन विभाग मुहैय्या करा रहा है। उनका कहना है कि औली व जोशीमठ में जितनी सुविधाएं विकसित की गई हैं उससे यह अंदाजा नहीं लग रहा है कि वह इतनी ऊंचाई वाले पर्यटक स्थल पर पहुंचे हैं। ऐसा ही कुछ कलकत्ता के बासुदेव भट्टाचार्य का कहना भी था कि विंटर गेम्स देखने के लिए वह औली जा रहे हैं। उन्होंने मौसम व प्राकृतिक सौंदर्य की जमकर तारीफ की। गुनगुनी धूप से बने सुहावना मौसम व इस पर चांद लगाता विंटर गेम्स ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है।
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शीत लहर के दो दिन बंद रहेंगे स्कूल

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.हल्द्वानी। जिले के मैदानी हिस्सों में जबरदस्त शीत लहर के चलते हल्द्वानी और रामनगर विकासखंड के साथ ही कोटाबाग॒ब्लाक की कालाढूंगी॒एवं गिनती न्याय पंचायत क्षेत्र के सभी स्कूल कालेज दस और ग्यारह जनवरी को बंद रहेंगे।
जिलाधिकारी शैलेश बगौली॒ने बताया कि जिले के भाबर और तराई हिस्सों में शीत लहर की वजह से स्कूलों को दो दिन बंद रखने के आदेश दिए॒गए॒हैं। जिला शिक्षा अधिकारी जीवन सिंह हयांकी॒ने बताया कि विभागीय अधिकारियों से सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
हल्द्वानी पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के सचिव कैलाश भगत ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेशानुसार यहां सभी पब्लिक स्कूल दस और ग्यारह जनवरी को बंद रहेंगे।
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भारी पड़ सकती है सौड़ू की अनदेखी

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हिमालय की गोद में बसा सौड़ू गांव अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। पिछले साल आई आपदा ने इस गांव की सड़कों और खेतों को पूरी तरह उजाड़कर रख दिया। कई घर जमींदोज हो गए और कई मकानों पर आपदा का असर आज भी देखा जा सकता है।
देवप्रयाग तहसील के सौड़ू गांव में करीब सवा सौ परिवार निवास करते हैं। भले ही राज्य के मानचित्र में इस गांव की कोई खास पहचान न हो, लेकिन पिछले वर्ष सितम्बर में आयी आपदा के बाद यह गांव हमेशा चर्चा में रहा है। बारिश के दौरान गांव की सड़कें और खेत धंसकर उजड़ गए। गांव की सीमा में भू-धंसाव इतना अधिक था कि कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए। कुछ मकानों पर पड़ी दरारें अभी भी आपदा के कहर को बयां कर रही हैं। घरों और आंगनों में पड़ी दरारें लोगों को आज भी आपदा की उस विनाशलीला की याद दिला रही है।
गांव का प्राकृतिक पेयजल का स्रोत भी आपदा की मार से नहीं बच सका। कई वर्षो से ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाला पेयजल स्रोत आपदा के दौरान हुए भू-धंसाव से पूरी तरह सूख गया। आपदा के बाद सरकार ने ग्रामीणों को सहायता राशि के नाम पर तीन-तीन हजार के चेक वितरित किए लेकिन ग्रामीणों ने नुकसान अधिक होने के बात कहते हुए चेक वापस लौटा दिए। अधिकारियों ने जल्द ही भूगर्भीय सर्वेक्षण कर मुआवजा देने का आश्वासन दिया लेकिन उसके बाद न अधिकारी लौटे और न ही चेक। ग्रामीण आज भी खुले आसमान के नीचे आपदा के इस दंश को झेलने को मजबूर हैं।
'शासन को गांव के भूगर्भीय सर्वेक्षण का प्रस्ताव भेजा गया है। प्रशासन खुद मानता है कि गांव खतरे की जद में है इसलिए इसका विस्थापन किया जाना आवश्यक है। तीन हजार रुपये केवल तात्कालिक सहायता के रूप में दिए गए थे, जिन्हें लोगों ने लेने से इंकार कर दिया। जल्द ही गांव जाकर लोगों को इस सम्बन्ध में समझाने का प्रयास किया जाएगा।' 
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सामाजिक बुराइयों पर मुखर दिखी पहाड़ की बेटियां

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पर्वतीय किशोरियों के चहुंमुखी विकास पर आधारित नंदा कार्यक्रम की छठी वर्षगांठ पर आयोजित नंदा उत्सव हर्षोल्लास से मनाया।
शनिवार को मनेरा स्टेडियम में श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम प्लान की ओर से पर्वतीय किशोरियों का संयुक्त अभियान नंदा कार्यक्रम की छठवीं वर्षगांठ को धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में विभिन्न कलस्टरों से आयी किशारियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ नंदा यानी पहाड़ की ईष्ट देवी जिसे सुख दुख में यहां के लोगों के लिये याद किया जाता है। नंदा को शक्ति का प्रतीक मानते है। शिक्षा सलाहाकार पुष्पा मानस ने दीप प्रज्ज्वलित करते हुए कहा कि भुवनेश्वरी महिला आश्रम प्लान ने पर्वतीय किशोरियों के सर्वांगीण विकास के लिए नंदा कार्यक्रम का जो बीड़ा उठाया है। यह निश्चित ही पहाड़ की किशोरियों के लिए आगे बढ़ने का मंच है। उन्होंने कहा कि किशोर व किशोरियों ही आने वाले समाज को नई दिशा दिखाने के लिए शिक्षित होना जरूरी है। कार्यक्रम में संसदीय सचिव एवं गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत ने कहा नंद कार्यक्रम से जहां किशोरियों को अपने अंदर छुपी प्रतिभाओं को दिखाने के लिए एक मंच है। प्लान इंडिया प्रदेश प्रबंधक सुरेश बलोदी ने महिलाओं एवं बच्चों के विकास के लिए किये जा रहे प्लान इंडिया प्रयासों की जानकारी देते हुये कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के विकास लिए प्रतिबद्ध हैं। सीडीओ एमएस कुटियाल, परियोजना प्रबंधक एसबीएमए गोपाल थपलियाल, जिला पंचायत सदस्य सुरेश चौहान,ब्लाक प्रमुख बिनीता रावत, पूर्व प्रमुख चंदन सिंह राणा, कार्यक्रम समन्वयक लखपति भट्ट,श्रीनंद सेमवाल, देवेंद्र ढौंडियाल, प्रमोद पैन्यूली, भूपेंद्र रावत सहित बड़ी संख्या में किशोरियां विभिन्न कलस्टरों से आयी महिलाएं मौजूद थी।
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खिलाडि़यों व कलाकारों ने किया रिंक पर अभ्यास

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आइस स्केटिंग पर प्रेक्टिस को तरस रहे खिलाड़ियों की मुराद रविवार को पूरी हो गई। खिलाड़ियों ने भी मौके का फायदा उठाते हुए जमकर पसीना बहाया। साथ ही उद्घाटन समारोह की तैयारियां भी की गई।
साउथ एशियन विंटर गेम्स की तैयारियों के लिए रिंक में दोबारा से बर्फ जमाने के कार्य व मार्किंग करने के चलते बंद कर दिया गया था। रविवार को दोपहर बाद इसे खिलाड़ियों के लिए खोल दिया गया। सबसे पहले शास्त्रीय नृत्यांगना एमी पारिख ने उद्घाटन समारोह के लिए रिंक पर लगभग आधे घंटे तक आइस स्केटिंग पर भरतनाट्यम का अभ्यास किया। इसके बाद जूनियर स्केटरों ने फिगर स्केटिंग की प्रेक्टिस। काफी समय से प्रेक्टिस को तरस रहे भारतीय आइस हॉकी खिलाड़ियों ने तो काफी देर तक खेल का मजा लिया। साथ ही उद्घाटन समारोह के दौरान होने वाले डेमो मैच की तैयारी भी की। इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ने भी उद्घाटन समारोह के लिए रिंक में की गई लाइटिंग व्यवस्था को परखा।

खेलों में भाग लेने आई नेपाल, पाकिस्तान, मालदीव व भूटान के खिलाड़ी रविवार सुबह एक बार फिर रिंक पहुंचे। हालांकि तब रिंक के अंदर किसी को जाने नहीं दिया गया।
किट तो मिली पर नाम नहीं
साउथ एशियन गेम्स में भाग लेने वाली भारतीय टीम को आयोजकों की ओर से सफेद रंग की किट तो दी, मगर उसमें भारत का नाम डालना भूल गए। यह जरूर है कि इसमें डब्ल्यूजीएफआइ का नाम बड़ा-बड़ा इंगित किया हुआ है। कायदे में तो किट के अपर पर बड़े-बड़े अक्षरों में इंडिया दर्ज होना चाहिए था। मगर आयोजकों ने आगे की ओर छोटे अक्षरों में इंडिया लिखकर इतिश्री कर ली।
रिंक के बाहर चमक दमक के लिए घास लगाने व सड़क को दुरुस्त करने का कार्य दिनभर चलता रहा। आयोजन स्थल के चारों और फूल व घास लगाई गई।

खेलों के उद्घाटन अवसर पर होने वाले मार्चपास्ट के लिए खिलाड़ियों को आउटडोर में ही ड्रेस रिहर्सल करनी पड़ी। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने आए लोक कलाकारों ने भी बाहर ही अभ्यास किया। आइटीबीपी व आर्मी के बैंड ने बाहर ही रिहर्सल की।
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संस्कृति संरक्षण के लिए आगे आएं युवा

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गढ़वाल मैत्री समिति ने विकासनगर में गढ़ चेतना रैली निकाली। रैली के माध्यम से गढ़वाली समाज को अपनी सभ्यता व संस्कृति के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया गया। वहीं, सांस्कृतिक महोत्सव में गढ़वाली गीत व नृत्यों की धूम रही।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारिका प्रसाद उनियाल ने कहा कि पहाड़ के गांवों को छोड़कर शहरों में आए लोगों को अपने बिसरे खेत-खलिहान की चिंता करनी चाहिए। विधायक विकासनगर कुलदीप कुमार ने कहा कि अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए खासकर युवा पीढ़ी को जागरूक होना होगा। संस्कृति जीवित रहेगी तो राष्ट्र मजबूत होगा। गढ़ चेतना रैली संतोषी माता ग्राउंड से शुरू होकर सैय्यद रोड, डाकपत्थर तिराहे, अस्पताल रोड चौक, मुख्य बाजार, सिनेमागली होते हुए त्रिशला देवी जैन धर्मशाला में सांस्कृतिक महोत्सव स्थल पर पहुंच कर संपन्न हुई। रैली पारंपरिक वाद्य यंत्रों ढोल, दमाऊ, मशकबीन व रणसिंघे के साथ निकली। रैली में क्षेत्र में रहने वाले गढ़वाली समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। रैली के माध्यम से गांवों को छोड़कर शहरों में रह रहे गढ़वाली समाज के लोगों से अपनी बोली-भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति का सम्मान करने व इसके संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की गई। सांस्कृतिक महोत्सव की शुरूआत 'जय गंगे बोली औला, चल माथा टेकी क औला' गाने के साथ हुई। गुरुकुल एकेडमी बुलाकीवाला के छात्रों ने 'ऐजा हे भानुमति पाबौ बाजार', विकास निकेतन जूनियर हाईस्कूल डाकपत्थर के छात्र-छात्राओं ने 'मेरी सुभागा सजीली, रंग-रूप की छबीली', दिनेश लाल ने 'घुट-घुट बाडूली लगदी', साक्षी भट्ट ने 'आंखों मा रिंगणी, पाणी मा रिंगणी मेरी टिहरी', शांति वर्मा ने 'भारत माको को प्यारो उत्तराखंड हमारो, यो गढ़देश न्यारो' व जगमोहन वर्मा ने 'रण सिंगो बाजो बाजे, बाजे रे मुरली झमाझम' प्रस्तुत किया। इस मौके पर विधायक पुरोला राजेश जुवांठा, गढ़वाली मैत्री समिति के संरक्षक रामगोपाल उनियाल व अध्यक्ष ऋषि कोठियाल कृषि उत्पादन मंडी समिति के चेयरमैन विपुल जैन, समाजसे वीरेंद्र मोहन उनियाल, जीएमवीएन के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी, सुमन प्रसाद रतूड़ी, डॉ. सुनील पैन्यूली, धनदेश उनियाल, मायाराम उनियाल, उर्मिला शर्मा, राकेश ममगाई आदि मौजूद थे।

अब इलाकावाद की जंग का खतरा

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रामनगर: लेडी किलर बाघिन को कैद करने की चुनौती के बीच अब सीटीआर प्रशासन को ढिकाला जोन में छोड़े गये नर बाघ की सुरक्षा का खतरा सताने लगा है। वन्य जीवों में दिलचस्पी रखने वाले व अन्य विशेषज्ञों की मानें तो बाघों में क्षेत्रवाद व वर्चस्व की प्रवृत्ति जबर्दस्त होती है। ऐसे में सर्पदुली रेंज से ढिकाला जोन में छोड़े गये बाघ का वहां पहले से मौजूद बाघों से संघर्ष की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
बताते चलें कि सर्पदुली रेंज में दो महिलाओं को निवाला बना चुकी आदमखोर बाघिन के बजाय पिंजरे में बीती शनिवार तड़के उसका साथी नर बाघ फंस गया था। सांय पौने सात बजे पार्क वार्डन यूसी तिवारी व पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजीव सिंह एवं अन्य कर्मचारी बाघ को लेकर ढिकाला जोन पहुंचे। यहां कर्मचारियों ने बाघ को मुक्त करने के लिए जब पिंजरा खोला तो वह बाहर नहीं निकला। विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ को इलाका बदलने का आभास हो चुका था और वह पिंजरे में बैठे-बैठे वहां के बदले हालातों को भाप रहा था।
हालांकि यह देख सीटीआर अफसरों की सांस अटक गई थी। बाद में जब तेजी से पिंजरा हिलाया गया तो बाघ फुर्ती से बाहर निकल आया। इससे पूर्व कुछ दूर उसके भोजन के लिए बांधे गये बकरे को उसने झपटने का मामूली प्रयास किया। मगर फिर शिकार को छोड़ घने जंगल की तरफ तेजी से बढ़ गया। हो सकता है बाघ को यह शंका रही होगी कि बकरे को दबोचने में कहीं दूसरा बाघ विरोध पर न उतर आये। बहरहाल, दूसरे इलाके में बाघ का अन्य बाघों से संघर्ष और उसकी सुरक्षा सीटीआर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
बाघ छोड़ने के बाद भी उस पर नजर रखी जा रही। उसका ढिकाला जोन में पहले से मौजूद किसी अन्य बाघ से संघर्ष हो सकता है। इसलिए वन कर्मचारी बाघ पर लगातार नजर गढ़ाये हैं।
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