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Wednesday, July 7, 2010

पैड़ी की आरती आज रचेगी इतिहास


हरिद्वार। बुधवार का दिन तीर्थनगरी के लिए ऐतिहासिक होगा। हरकी पैड़ी का गंगा तट इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनेगा। क्वींस बेटन रिले तड़के तीर्थनगरी पहुंच रही है, जिसकी तैयारी में गंगा सभा ने दिन-रात एक कर दिया है। पदाधिकारी एवं कर्मचारी क्वींस बेटन रिले के सदस्यों के स्वागत को पूरी तरह तैयार हैं। घाटों की धुलाई मंगलवार की आधी रात से शुरू हो जाएगी। क्वींस बेटन रिले के सदस्यों को यादगार स्वरूप गंगाजली और प्रसाद दिया जाएगा।
क्वींस बेटन रिले तीर्थनगरी बुधवार की सुबह पहुंचेगी। हरकी पैड़ी पर रिले के सदस्य गंगा आरती से ठीक पहले सूक्ष्म पूजा करेंगे। पूजा के उपरांत गंगा आरती सुबह 5.10 बजे के करीब होगी। आरती के उपरांत क्वींस बेटन रिले में शामिल सदस्यों को गंगा सभा की ओर से गंगाजली और प्रसाद दिया जाएगा। तैयारियों को लेकर गंगा सभा के पदाधिकारियों और सदस्यों को करीब 100 सदस्यों को व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गंगा सभा के अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने बताया कि उनकी जानकारी के मुताबिक 150 लोग क्वींस बेटन रिले के दौरान हरकी पैड़ी पर आरती एवं पूजा में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि क्वींस बिटेन रिले का जोरदार स्वागत किया जाएगा। हर प्रकार के पुष्प मंगाए गए हैं। माला की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि हरकी पैड़ी के इतिहास में यह लम्हा भी दर्ज हो जाएगा।

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Monday, July 5, 2010

बजट का अड़ंगा जंगल के प्रोजेक्ट पर

हरिद्वार। रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सरकारी उदासीनता किसी से छिपी नहीं है। इन सरकारी महकमों को अब 'जंगल' की योजना आइना दिखाने जा रही है। हालांकि बजट का अड़ंगा जंगल के प्रोजेक्ट पर है, लेकिन नीयत जंगल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को फलीभूत करने की है। जंगल में जो कवायद की जा रही है, वह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से कुछ जुदा है। बावजूद इसके जंगल की भूमि और वन्य जीवों की तपती गर्मी में प्यास बुझाने को यह कवायद नि:संदेह मील का पत्थर साबित होगी।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग का नाम जुबान पर आते ही सरकारी फाइलों और भवनों की याद आती है। यह बात अब पूरी तरह जाहिर हो चुकी है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियम कानून सिर्फ कागजों पर ही दौड़ रहे हैं। धरातल पर यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग कहीं लागू होता नहीं दिखता। राजाजी के जंगल में पहली बार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के तहत जल संचय की बात सोची गई है। इसमें अंग्रेजों के जमाने में तैयार कुएं की मदद ली जाएगी। राजाजी के दो रेंज हरिद्वार और बेरीवाड़ा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने की योजना बनी है। राजाजी के जिन दोनों रेंजों में प्रोजेक्ट बनाया गया है, उसके तहत सबसे पहले तालाब की खुदाई की जाएगी। खुदाई उन जगहों पर होगी, जहां पर अंग्रेजों के जमाने में जंगल में कुएं बनाए गए थे। ऐसा इसलिए किया जाएगा क्योंकि यह माना जाता है कि कुंए में वर्षो पानी कभी खत्म नहीं होता। कुंआ की गहराई की वजह से वह भूमि से पानी की कमी की पूर्ति करता रहता है। जंगल में कुंआ के बगल में बने तालाब में पानी का संकट होने पर जनरेटर सेट लगाकर कुंए के पानी को खींचकर तालाब में भर दिया जाएगा। प्राकृतिक स्त्रोत के माध्यम से कुएं से निकाला गया जल खुद-ब-खुद भर जाएगा। निरंतर यह प्रक्रिया चलती रहेगी और तपती गर्मी में भी जंगल के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से वन्य जीवों की प्यास बुझती रहेगी। वर्षा जल का संरक्षण भी इस तालाब में बड़ी तादाद में हो सकेगा

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साक्षी के साथ माही ने लिए सात फेरे

विकास गुसाई/अंकुर अग्रवाल। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी रविवार की शाम यहां अपनी मंगेतर साक्षी सिंह रावत के साथ सात फेरे लेकर परिणय सूत्र में बंध गये। इससे दून के नाम एक और कीर्तिमान जुड़ गया। शहर से करीब पच्चीस किलोमीटर दूर एक खूबसूरत रिजार्ट में वैदिक परंपराओं और कुमाऊंनी रीति-रिवाज के साथ विवाह की सभी रस्में पूरी हुई। बेहद गोपनीय ढंग से हुए इस समारोह में धौनी और साक्षी के परिजनों के साथ ही सिने स्टार जॉन अब्राहम, क्रिकेटर व धौनी के करीबी मित्र आरपी सिंह, सुरेश रैना, आशीष नेहरा, प्रवीण कुमार, पेप्सी की सीईओ इंदिरा नूई व कुछ अन्य नजदीकी मित्र शरीक हुए। फिल्म, खेल और उद्योग जगत की उन हस्तियों, जो कारणवश समारोह में नहीं आ पाए ने अलग-अलग माध्यमों से नव विवाहित जोड़े को बधाईयां भेजीं।
मूल रूप से उत्तराखंड के जनपद अल्मोड़ा रहने वाले महेंद्र सिंह धौनी और साक्षी रावत की शनिवार को सगाई हुई थी। सगाई की तरह रविवार को विवाह समारोह से भी मीडिया को पूरी तरह दूर रखा गया। शहर से 25 किलोमीटर दूर लोअर कंडोली स्थित घने जंगल के बीच विश्रांति रिजार्ट में यह समारोह आयोजित किया गया। यहां मेहमानों के बैठने के लिए बाकायदा दो बड़े वातानुकूलित पंडाल तैयार किए गए थे। जिन्हें शानदार लाईटिंग व रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया। मेहमानों के स्वागत के भी खास इंतजाम किए गए।
रिजार्ट में सुबह से ही मेहमानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो देर शाम तक चला। करीब सवा आठ बजे घुड़चढ़ी की रस्म हुई। इस दौरान धौनी ने घोड़ी पर बैठकर रिजार्ट के ग्राउंड का एक चक्कर लगाया। रात करीब नौ बजे धौनी व साक्षी ने एक दूसरे को जयमाला पहनाई। मेहमानों से तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।
सूत्रों के अनुसार धौनी ने काले रंग की चमकदार शेरवानी पहनी थी। उस पर गुलाबी रंग का साफा डाला हुआ था। उनके सेहरे पर सफेद मोती व लाल गुलाब जड़े हुए थे। उनकी दुल्हन साक्षी गुलाबी रंग के लहंगे में सजी हुई थी, जबकि सभी बारातियों ने पीले रंग की पगड़ी पहनी थी।
जयमाला की रस्म के बाद दूल्हा-दुल्हन ने पहले धौनी के और फिर साक्षी के माता-पिता के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। फिर डीआईजी व बड़ी बहन अभिलाषा व जीजा कुमार विश्वजीत से। इसके बाद बाकी नाते-रिश्तेदारों से आशीष लिया। हालांकि शादी के मंडप में डांस फ्लोर नहीं बनाया गया था, लेकिन खुशी के इस मौके पर धौनी के क्रिकेटर मित्र आरपी सिंह और सुरेश रैना खुद को नहीं रोक पाए। उनके साथ ही फिल्म अभिनेता जान अब्राहम, डीआईजी अभिलाषा बिष्ट और साक्षी की मौसेरी बहन पूर्णिमा ने जयमाला के बाद डांस भी किया। पांडाल में पूरे वक्त हिंदी व अंग्रेजी गाने लाइट म्यूजिक के साथ बजते रहे।
रात करीब 11:30 बजे विवाह मंडप में फेरों की रस्म शुरू हुई, जो 12:20 बजे तक चली। परिजनों व मेहमानों ने फूल बरसा कर दूल्हा-दुल्हन को शुभाशीष दिया। समारोह में मेहमानों की संख्या बेहद सीमित रखी गई थी। कुल मिलाकर 60 से 65 लोग ही इस दावत में बुलाए गए थे। इनमें धौनी के माता-पिता, चाचा, भाई-बहन और मामा के साथ ही करीब 25 लोग और कन्या पक्ष से साक्षी के माता-पिता, दादा, मामा-मामी, बहन-जीजा तथा चुनिंदा सहेलियां ही शामिल थीं।
इस मौके का गवाह बनने वाली प्रमुख हस्तियों में फिल्म अभिनेता व माही के करीबी दोस्त जॉन अब्राहम, क्रिकेटर आरपी सिंह, सुरेश रैना, आशीष नेहरा आदि भी शामिल थे। बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर, क्रिकेटर हरभजन सिंह व फिल्म निर्देशक फराह खान के भी समारोह में आने की चर्चा रहीं, हालांकि उनके समारोह में पहुंचने की किसी ने पुष्टि नहीं की।
इससे पहले सुबह 8.30 बजे साक्षी के दादा पूर्व आईएफएस मनोहर सिंह के 11 नेमी रोड स्थित आवास पर परिजनों, करीबी रिश्तेदारों व मित्रों की मौजूदगी में दुल्हन की हल्दी-हाथ की रस्म पूरी हुई। रात्रि 12:30 बजे मेहमानों के लौटने का सिलसिला शुरू हुआ। विवाह स्थल के बाहर दो किलोमीटर के दायरे तक सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। वहां किसी को फटकने भी नहीं दिया गया। धौनी के प्रशंसक और देशभर का मीडिया पूरे समय वहीं डटा रहा।
सुबह सात बजे होगी विदाई
रविवार रात परिणय सूत्र में बंधे महेंद्र सिंह धौनी की बारात की विदाई सोमवार सुबह सात बजे होगी। नव दंपती यहां से दिल्ली के लिए रवाना होंगे, वहां से उनका रांची जाने का कार्यक्रम है। पुलिस के एक आला अधिकारी ने इसकी पुष्टि की

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