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Saturday, January 22, 2011

वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सैकड़ों कर्मचारी सड़कों पर उत

वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सैकड़ों कर्मचारी सड़कों पर उतरे   (सुदर्शन सिंह रावत 

  हरिद्वार, पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क लिमिटेड में वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सैकड़ों कर्मचारी सड़कों पर उतर आए। कर्मचारियों ने फूड पार्क के गेट पर ही धरना दे दिया। सुरक्षा कर्मियों ने जब कुछ कर्मियों से अभद्रता की तो कर्मचारी उग्र हो उठे और पथराव कर तोड़फोड़ शुरू कर दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्थिति को संभाला। कई दौर की वार्ता के बाद भी कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार जारी था। फूड पार्क प्रबंधन ने साफ कर दिया है कि वह कर्मचारियों की गैरवाजिब मांगें नहीं मानेंगे।

पदार्था स्थित पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क लिमिटेड के लगभग ढाई-तीन सौ कर्मचारी सुबह आठ बजे डय़ूटी पर पहुंचे और वेतन वृद्धि की मांग करते हुए काम करने से इनकार कर दिया। कर्मचारियों के गेट पर जमने से रोकने के लिए सुरक्षा कर्मियों ने कड़ाई की। इस पर उनकी हाथापाई शुरू हो गयी। सुरक्षा कर्मियों ने गेट बंद करके बाहर कर दिया। इस पर कर्मचारी भड़क उठे और सुरक्षा पोस्ट पर पथराव करके उसमें लगे शीशे वगैरह तोड़ दिया। पथराव की सूचना मिलते ही पथरी पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी। पुलिस के आने पर कर्मचारियों के तेवर कुछ ढीले पड़े और फूड पार्क के बाहर धरना दे दिया।

कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें दस हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाए और आठ घंटे डय़ूटी ली जाए। सप्ताह में एक दिन का अवकाश भी दिया जाए। कर्मचारियों के हड़ताल पर होने की जानकारी पर राम भरत भी पहुंच गये। उन्होंने भी कर्मचारियों को समझा-बुझाकर काम पर लौटने का आग्रह किया, लेकिन कर्मचारी तैयार नहीं हुए। प्रबंधन का कहना है कि क्षेत्र के लोगों को रोजगार देने के लिए ही स्वामी रामदेव ने यहां पर फूड पार्क की स्थापना की।

किसानों के उत्पादों को सीधे खरीदने की व्यवस्था भी है। ऐसे में कर्मचारियों की गैरवाजिब मांगें नहीं पूरी की जा सकती हैं। कर्मचारी चोरी वगैरह करते हैं, तब दबाव बनाते हैं कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए। कर्मचारियों की सुविधाओं का विकास धीरे-धीरे किया जा रहा है। धरना-प्रदर्शन करने वालों में राशिद, योगेश, रज्जाक, विनोद कुमार, देवेंद्र कुमार, इंतजार, नीटू, अंकित, इंतजार, विकास, विश्वास, सलमान शामिल थे

Thursday, January 20, 2011

बर्फबारी से बढ़ेगी बिजली की चमक

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उत्तरकाशी, पिछले दिनों गंगा भागीरथी के उद्गम स्थल पर हुई भारी बर्फबारी से विद्युत परियोजना के अधिकारियों के चेहरे खिल उठे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बर्फ पिघलते ही इन दिनों हो रहे विद्युत उत्पादन के घाटे की पूर्ति हो जाएगी। दरअसल इन दिनों मनेरी भाली प्रथम व द्वितीय चरण परियोजनाओं के उत्पादन में कम जलस्तर के कारण निचले स्तर पर चला गया है।
गंगा भागीरथी के उद्गम से लेकर इसके पूरे जलागम क्षेत्र में इन दिनों बर्फ की चादरें बिछी हुई हैं। अब तक दो बार बर्फबारी होने के साथ ही इसके और आसार बन रहे हैं। फरवरी के बाद बर्फ पिघलनी शुरू होगी तो गंगा भागीरथी का जलस्तर काफी बढ़ जाएगा। इसका सीधा असर मनेरी भाली प्रथम व द्वितीय चरण की परियोजनाओं पर पड़ेगा। 90 मेगावाट की प्रथम चरण परियोजना से इन दिनों महज चालीस से साठ मेगावाट उत्पादन ही हासिल हो रहा है। वहीं 340 मेगावाट की द्वितीय चरण परियोजना 110 मेगावाट तक ही विद्युत उत्पादन कर रही है। यह स्थिति दिसंबर माह से बनी हुई है। इस समय गंगा भागीरथी में जलस्तर 35 से 40 क्यूमेक्स होने के कारण दोनों परियोजनाओं की टरबाइनों को घुमाने लायक पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है, लेकिन दोनों परियोजनाओं के अधिकारी बर्फबारी को लेकर काफी उत्साहित हैं। बर्फ अधिक होने से फरवरी के तुरंत बाद इसका फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जलस्तर समय से बढ़ने पर निगम इन दिनों विद्युत उत्पादन में आई गिरावट की भरपाई कर सकता है।
पर्याप्त पानी रहने पर कमाऊ परियोजनाएं
उत्तरकाशी : मनेरी भाली प्रथम व द्वितीय चरण परियोजनाएं जल विद्युत निगम के लिये कमाऊ परियोजनाएं रही हैं। गंगा भागीरथी में पर्याप्त पानी होने की स्थिति में प्रथम चरण परियोजना जहां बीते कई वर्षो से पूरी क्षमता यानी 90 मेगावाट उत्पादन कर रही है। वहीं द्वितीय चरण परियोजना जलाशय पूरा न भरा जाने के बावजूद 260 से 280 मेगावाट उत्पादन करती है।
फरवरी में भी बढ़ सकता है जलस्तर
उत्तरकाशी : मनेरी भाली द्वितीय चरण परियोजना के अधिशासी अभियंता (उत्पादन) राजीव कुमार ने बताया कि इस बार काफी तादाद में बर्फ गिरने से विद्युत उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं। आम तौर पर मार्च में बर्फ पिघलनी शुरू होती है लेकिन इस बार अधिक बर्फ होने के कारण फरवरी अंतिम सप्ताह से ही जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है।
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सैफ गेम्स से मिली औली को अंतरराष्ट्रीय ख्याति

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गोपेश्वर, बेहतरीन प्राकृतिक स्लाप होने के बावजूद औली के नन्दा देवी ढ़लान को स्कीइंग रिसोर्ट के रूप में पहचान नहीं मिल पाई, लेकिन एक अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के आयोजन ने इस रिजोर्ट की तस्वीर बदल दी। निश्चितरूप से पहले साउथ एशियन विंटर गेम्स का सफल आयोजन औली को विश्वस्तर के स्कीइंग रिजोर्ट के रूप में पहचान दे गया। यहां विकसित किए गए इन्फ्रास्ट्रैक्चर को न सिर्फ हिन्दुस्तान बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के स्कीयर्स भी अपने लिए वरदान मान रहे हैं।
औली को स्की रिजोर्ट के रूप में विकसित करने की कवायद नब्बे के दशक से शुरु हुई थी। सबसे पहले यहा चियर लिफ्ट, उसके बाद रोपवे और फिर स्नोमेकिंग सिस्टम की स्थापना कर स्कीयर्स को सुविधा मुहैय्या करवालने के प्रयास किए गए। बीच में कई उतार-चढ़ाव आए जिसके चलते वर्ष 2006 में भारतीय औलम्पिक संघ से उत्तराखड को आवंटित किए गए पहले साउथ ऐशयन विंटर गेम्स तीन बार टलते चले गए। आखिरकार औली में इन सभी खामियों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने 110 करोड़ का बजट पारित किया, इसके बूते औली में इन्फ्रास्ट्रैक्चर तैयार किए गए। यही सुख सुविधाएं पहले 7 से 9 जनवरी तक औली में नेशनल ओपन स्कीइंग चैम्पियनशिप और फिर दक्षिण एशियाई शीतकालीन प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन का मजबूत आधार बनी। यहां प्रतिभाग करने पहुंचे पाकिस्तान, श्रीलंका व नेपाल के खिलाड़ी औली के प्राकृतिक स्लोप और सुख सुविधाओं को देखकर अभिभूत हो गए। पाकिस्तान की ओर से एल्पाइन स्कीइंग जायंट सलालम प्रतियोगिता में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाली दो बहिनों इथरावली व अमीनावली का कहना है कि औली का स्की रिजार्ट दक्षिण एशिया का बेहतरीन रिजार्ट है। श्रीलंका के स्नो बोर्ड खिलाड़ी कुमुन्दनी भी औली में स्कीइंग का इन्फ्रास्टै्रक्चर विकसित किए जाने के लिए भारत व उत्तराखण्ड सरकार का बार-बार शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकीं। उनका कहना है कि औली को बेहतरीन स्की रिजार्ट बनाकर हिन्दुस्तान व उत्तराखण्ड सरकार ने पूरी दक्षिण एशियाई देशों के स्कीयर्स के लिए लांचिंग पैड मुहैय्या कराया है। जबकि भारत के लिए साउथ एशियन विंटर गेम्स की स्कीइंग प्रतियोगिता में दो स्वर्ण जीतने वाले मोहम्मद आरिफ खान का कहना है कि औली के स्लोप को गोरसों बुग्याल तक विकसित किया जाना चाहिए, जिससें स्कीइंग की सुपर जायंट एफ्रोबैट व जंपिग प्रतियोगिताएं भी भविष्य में यहां आयोजित की जा सके। प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा का कहना है कि औली में स्कीइंग स्लोप के अलावा ग्रास स्कीइंग की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है ताकि शीतकाल के अलावा ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं को भी यहां आयोजन किया जा सके।
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दिल्ली में होगा सरनौल का पांडव नृत्य

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नौगांव : सरनौल गांव के कलाकारों को दिल्ली में अपनी लोकविधा पांडव नृत्य की प्रस्तुति देने का मौका मिला है। आगामी 11 से 16 फरवरी तक आईजीएनसीए (इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फार आर्ट) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों के लोक कलाकार जुटेंगे। इसमें सरनौल के कलाकार भी प्रतिभाग करेंगे।
महाभारतकाल की विभिन्न कथाओं का लोकमंचों के जरिये प्रस्तुतिकरण पर आधारित इस कार्यक्रम में सरनौल गांव के पांडव नृत्य की भी प्रस्तुति होगी। इसमें कलाकार पांडव नृत्य के विभिन्न पहलुओं की लोकविधा के रूप में प्रस्तुति देंगे। गौरतलब है कि उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में पांडव नृत्य की परंपरा है इसमें अनुष्ठान व रंगमंच के तत्वों का अनूठा मिश्रण है। वहीं सरनौल गांव का पांडव नृत्य अपनी खासियतों के कारण काफी प्रसिद्ध है। सुप्रसिद्ध पांडव नृत्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों सहित इन लोग केरल तथा भोपाल में भी प्रदर्शित कर चुके हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली से आये डॉ.सुवर्ण रावत ने बताया कि सरनौल के कलाकार प्रत्येक दिन महाभारत पर आधारित प्रस्तुति देंगे। इनमें पांडव वनवास, जोगटानृत्य, गेडा नृत्य तथा गुप्तवास का मंचन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड से प्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ.डीआर पुरोहित के निर्देशन में चक्रव्यूह मंचन व श्रीष डोभाल के निर्देशन में गरुड़ व्यूह की भी प्रस्तुति दी जाएगी।
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धैर्य टूटा तो मर्यादायें भी टूटीं

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रामनगर: सीटीआर प्रशासन और सुंदरखालवालों के बीच बैठक शुरू होने से पहले ही हंगामे की भेंट चढ़ गई। अफसरों पर असल प्रभावित ग्रामीणों को वार्ता में न बुलाने के आरोप लगे। मामला गरमाया तो निदेशक का घेराव किया गया। इसी बीच तीखी नोकझोंक हुई और अधिकारियों पर अपशब्दों के बाण भी चले। माहौल बिगड़ता देख एसडीएम व सीओ ने बमुश्किल ग्रामीणों को अलग-थलग किया।
वन विभाग के एफडीए हॉल में सीटीआर प्रशासन व सुंदरखालवासियों की बैठक होनी थी। अधिकारियों के साथ ही ग्रामीण भी वहां पहुंचे तो गरमागरमी शुरू हो गई। आरोप था कि बाघिन के हमले से प्रभावित परिवारों तथा अन्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा कर नहीं बुलाया गया। यह भी आरोप था कि ऐसे लोगों को बैठक में बुलाया गया है जिनका गांव व ग्रामीणों के हितों से सरोकार ही नहीं।
देखते ही देखते मामला गरमा गया। समझाने पहुंचे निदेशक सीटीआर रंजन कुमार मिश्रा का आक्रोशित भीड़ ने घेराव कर दिया। श्री मिश्रा का कहना था, आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं के साथ ही बाघ संरक्षण के पैरोकारों को बैठक में बुलाया गया था। उन्होंने आदमखोर बाघिन के मामले में अब तक की कार्यवाही व कोशिशों से भी अवगत कराना चाहा पर ग्रामीण सुनने को तैयार न हुए। इस दौरान उपनिदेशक सीके कविदयाल से भी ग्रामीणों की तकरार हुई। एसडीएम एके नौटियाल व सीओ प्रमोद कुमार ने पुलिस कर्मियों की मदद से मामला बमुश्किल शांत कराया।
आक्रोश थमता न देख सीटीआर अधिकारी लौट गये। इस मौके पर सुंदरखाल के मनोनीत प्रधान चंदन राम, नारायण दत्त जोशी, खीमराम, पूर्व प्रमुख शिवराज रावत, आनंद पांडे, प्रभात ध्यानी, मनमोहन अग्रवाल, संजय नेगी, संजय रावत, विमला रावत, भावना भट्ट, आशा बिष्ट, दीप गुणवंत, अशोक खुल्वे, विनोद वर्मा, ताइफ खान, अरविंद गुसाई आदि मौजूद थे।
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Wednesday, January 19, 2011

ब्लॉग घौर बटी अब मोबाइल में भी

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शीतकालीन सैफ खेल का सफल समापन

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 शीतकालीन सैफ खेल का सफल समापन
उत्तराखंड के औली स्कीइंग क्षेत्र में रविवार को शीतकालीन सैफ खेलों का सफल समापन हुआ.
चमौली जिले के औली स्कीइंग क्षेत्र में बर्फ की चादर पर शीतकालीन सैफ खेल तीन दिन तक चले.
औली में कल भारी बर्फबारी की वजह से जिन प्रतिस्पर्धाओं को टाला गया था, उन्हें आज संपन्न करा दिया गया.
रविवार को संपन्न हुए 15 किमी क्रास कंट्री पुरूष वर्ग रेस में भारत के नदीम ने पहला स्थान हासिल किया. कारसी लंपून ने दूसरा और हेमंत कुमार ने तीसरा स्थान हासिल किया. इसमें भारत, पाकिस्तान के आठ-आठ खिलाडियों ने हिस्सा लिया.
इसी तरह महिला वर्ग में 10 किमी क्रास कंट्री रेस में भारत की भुवनेश्वरी और यासीन अख्तर ने पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया. इसमें भारत की सात और नेपाल की दो महिला खिलाडियों ने भाग लिया.
समापन अवसर पर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुंभ मेले के सफल आयोजन के बाद उत्तराखंड ने अपनी क्षमता का परिचय देते हुए इन अंतरराष्ट्रीय खेलों को संपन्न करा दिया.
पर्यटन मंत्री ने कहा कि इन खेलों के सफल आयोजन से न केवल स्थानीय स्तर पर पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिला है बल्कि देश के अन्य क्षेत्रों से भी शीतकालीन खेलप्रेमियों ने औली आकर इन खेलों का आनंद उठाया है.
समारोह को संबोधित करते हुए खेल मंत्री खजान दास ने कहा कि उत्तराखंड अब शीतकालीन खेलों का भी सुप्रसिद्ध केन्द्र बनेगा, इसके लिये जहां एक ओर प्रशिक्षण की विशेष व्यवस्था की जाएगी वहीं औली में स्कीइंग के लिए एक केंद्र बनाया जाएगा.
भारतीय शीतकालीन खेल महासंघ के अध्यक्ष एस.एस. पटवाल ने  बताया कि आज मुख्य रूप से अल्पाइन में पुरूष और महिला वर्ग में स्लालोम और क्रास कंट्री में पुरूष वर्ग में 15 किलोमीटर और महिला वर्ग में 10 किलोमीटर की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई.
उन्होंने कहा कि आज के खुले मौसम से एक तरफ तो खिलाडि़यों में जबर्दस्त उत्साह था. हालांकि भारी बर्फबारी के चलते जोशीमठ से औली जाने वाले सभी रास्ते बंद हो गए थे लेकिन इसके बावजूद बर्फ के इस खेल का आनंद लेने के लिये सैकड़ों की तादाद में लोग औली पहुंचे.
जोशीमठ से करीब 15 किलोमीटर ऊपर खड़ी चढ़ाई वाले रास्तों पर बर्फ गिरने से वाहनों के लिए मार्ग बंद कर दिया गया है. इसके बावजूद औली में पहले से पहुंचे लोगों में इन खेलों को लेकर जबर्दस्त उत्साह का वातावरण देखा गया.
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि कल लगातार हुई वर्षा और मौसम में खराबी के चलते इन खेलों के समय में थोड़ा परिवर्तन किया गया था पर खिलाडि़यों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई.
स्कीइंग खेलों में शामिल होने के लिए भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान,श्रीलंका और नेपाल के खिलाड़ी यहां पहुंए.
सूत्रों के अनुसार आज की मुख्य प्रतिस्पर्धाओं में अल्पाइन की स्लालोम प्रतियोगिता पुरूष और महिला वर्ग में आयोजित की गई. नार्डिक में पुरूषों की 15 किलोमीटर दौड़ और महिलाओं की 10 किलोमीटर दौड़ की प्रतियोगिताएं आयोजित गई.
औली में दक्षिण एशियाई देशों से आए करीब 200 खिलाडि़यों की सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवानों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के हथियारबंद कर्मचारियों को तैनात किया गया था. औली में गत 14 जनवरी से पहुंचे सैकड़ों लोगों की आने-जाने तथा अन्य गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी.
पुलिस उपाधीक्षक सुरजीत पंवार ने बताया कि जोशीमठ की ओर आने वाले सभी वाहनों की कड़ी तलाशी ली गई. प्रत्येक सुरक्षाकर्मी को विशेष हिदायत दी गयी है कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को देखते ही उससे कड़ी पूछताछ की जाए.
पंवार ने बताया भारी बर्फबारी के चलते ठंड के बावजूद सुरक्षा में किसी प्रकार की ढिलाई की अनुमति नहीं दी गई. जोशीमठ को दो जोन में बांट दिया गया.
पूरे इलाके में करीब पांच सौ पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. इसके अतिरिक्त सादे वेश में खुफिया कर्मचारी भी तैनात किये गए.
पंवार के अनुसार औली में चार मेट डिटेक्टर लगाए गए, जबकि सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से भी आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही थी.
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अब मेडिकल कालेज को लेकर भड़क रही है पौड़ी

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पौड़ी गढ़वाल: केन्द्रीय विश्व विद्यालय के मेडिकल कॉलेज को अब पौड़ी आंदोलन की राह पर है। पौड़ी विधायक यशपाल बेनाम आंदोलन में शामिल होने के साथ भाजपा विधायक वृजमोहन कोटवाल भी नागरिकों के साथ खड़े है। कंडोलिया में कांडई व पौड़ी गांव की 1350 नाली जमीन के कागज भी विश्व विद्यालय को सौंप दिए गए है और अब समिति ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि सरकार जल्द निर्णय नहीं लेती तो एक बड़ा आंदोलन जन्म लेगा।
नागरिक संघर्ष समिति नर्स ट्रेनिंग सेंटर व केन्द्रीय विश्व विद्यालय के मेडिकल कॉलेज को लेकर आंदोलित थी। नर्स ट्रेनिंग सेंटर तो पौड़ी में खुलना तय हो गया है। इसके लिए डोभ-श्रीकोट के ग्रामीण ने बिना शर्त जमीन तक उपलब्ध करवा दी है, लेकिन अब असल लड़ाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज को लेकर है। एक ओर कोटद्वार में विश्वविद्यालय प्रशासन जमीन का मौका मुआयना कर चुका है और दूसरी ओर नागरिक संघर्ष समिति के एलान के बाद अब प्रशासन पौड़ी में भी संभावनाएं तलाशने लगा है। इसकी एक वजह नियम भी हैं। कुलपति ने साफ तौर पर सूचना अधिकार में नागरिक संघर्ष समिति को दिया है कि मेडिकल कॉलेज विश्व विद्यालय श्रीनगर की परिधि में ही खुलेगा और पौड़ी परिसर सबसे नजदीक है। ऐसे में पौड़ी में मेडिकल कॉलेज खुलने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
नागरिक संघर्ष समिति ने पौड़ी में 12 जनवरी को गर्जना रैली के माध्यम से सरकार को चेतावनी भी दी है। पौड़ी विधायक यशपाल बेनाम का यहां तक कहना है कि यदि मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया जल्द शुरू नहीं हुई तो वे भूख हड़ताल जैसे कदम उठाए जाएंगे। नागरिक संघर्ष समिति आंदोलित है और मेडिकल कालेज को लेकर पौड़ी में एक नए आंदोलन का भी आगाज हुआ है। नागरिक संघर्ष समिति के संयोजक देवानंद नौटियाल का कहना है आंदोलन ही अंतिम रास्ता है और अब सरकार के साथ आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
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मेले में आकर्षण का केंद्र रहे रिंगाल के उत्पाद

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जागरण कार्यालय, बागेश्वर: वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित भीमराव अंबेडकर हस्त शिल्प विकास योजना के तहत हिमालयी पर्यावरण सुरक्षा समिति (होप)द्वारा तैयार किये गये रिंगाल के उत्पाद मेलार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे। मेलार्थियों ने जमकर रिंगाल के उत्पाद खरीदे।
ऐतिहासिक सरयू बगड़ में लगाये गये स्टाल में होप संस्था के सचिव प्रकाश जोशी ने बताया कि भारत सरकार की यह परियोजना कपकोट ब्लाक में संचालित की जा रही है। जहां पर लोग पहले से ही पारंपरिक रिंगाल के उत्पाद तैयार करते रहे हैं। लेकिन उन्हें बाजार मुहैया नहीं हो पाता था। रिंगाल का कच्चा माल भी मल्ला दानपुर में आसानी से मिल जाता है। संस्था ने रिंगाल के पारंपरिक तथा आधुनिक उत्पाद तैयार कर काश्तकारों को बाजार मुहैया कराया है। जिसमें लैंप, कूड़ादान, फूलदान, दीवार घड़ी, आसन, प्रसाद टोकरी सहित डाले, सूपे, मोहटे आदि सामान तैयार किया गया था। जिसे मेलार्थियों ने खरीदा। संस्था के मोहन पांडे, नीरज कांडपाल व कौश्तुभ जोशी ने बताया कि मेले में लोगों ने रिंगाल के उत्पाद को सराहा।
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एलपीजी नहीं तो बायो-गैस से जलेगा चूल्हा

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हल्द्वानी: एलपीजी गैस की किल्लत अब ज्यादा नहीं खलेगी। सब कुछ ठीकठाक रहा तो बायो-गैस संयंत्र आम उपभोक्ता का चूल्हा जलाने में मददगार साबित होगा। केंद्रीय अनुदान के तहत उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) पहले पहल ग्रामीण क्षेत्रों में प्लांट लगाकर गैस की मौजूदा चुनौतियों को कम करेगा। अगले चरण में करीब आधा दर्जन गांवों को 'ग्रीन एनर्जी मॉडल विलेज' के रूप में विकसित किया जाएगा।
दरअसल, राज्य के हर जिले में एलपीजी सिलेंडरों की किल्लत व कालाबाजारी ने नई समस्या खड़ी कर दी है। आए दिन चक्का जाम, प्रदर्शन व आंदोलनों के बावजूद कमी दूर होने का नाम नहीं ले रही। ऐसे में पर्यावरणीय दृष्टि से फायदेमंद बायो गैस के जरिये उरेडा ने इस समस्या से निपटने को हल ढूंढ लिया है। नैनीताल जिले के कोटाबाग, कालाढुंगी, रामनगर, गौलापार, लालकुआं आदि क्षेत्रों में बायो गैस की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए उरेडा ने कवायद तेज कर दी है।
साथ ही ऐसे गांवों का चयन शुरू कर दिया गया है जहां अधिकाधिक गैस प्लांट स्थापित हुए हैं। शत-प्रतिशत लक्ष्य रखते हुए हर घर में प्लांट लगाकर ऐसे गांवों को मॉडल विलेज भी बनाया जाएगा। जनपद में ही विजयपुर, बजौनियाहल्दू, फतेहपुर, मूसाबंगर आदि क्षेत्र इस लक्ष्य के नजदीक हैं।
उरेडा राज्य के ऐसे गांव चयनित करेगा, जहां बहुतायत में लोग बायो गैस प्लांट स्थापित कर चुके हैं। फिर मॉडल गांवों को आदर्श के रूप में पेश किया जायेगा ताकि लोगों में प्लांट के प्रति जागरुकता बढ़े और एलपीजी की समस्या से निपटा जा सके। 
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चमोली में भी शुरू हुई पुलिस की भर्ती

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गोपेश्वर: पुलिस के जवानों की भर्ती प्रक्रिया सीमान्त जिला चमोली में भी शुरु हो गई है। पुलिस में भर्ती होने आए युवकों ने पूरे जोश के साथ मंगलवार को शारीरिक परीक्षा में भाग लिया। भर्ती प्रक्रिया देर शाम तक चलती रही।
मुख्यालय स्थित पुलिस मैदान में शुरू हुई पुलिस के जवानों की आरक्षित कोटे के तहत मंगलवार को हुई भर्ती प्रक्रिया के शारीरिक परीक्षा के दौरान लगभग दो सौ से अधिक युवाओं ने भाग लिया। जिले के कोटे में कुल 63 पदों के लिए शुरू हुई भर्ती प्रकिया के पहले दिन अन्य पिछड़ा वर्ग के परीक्षार्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षा संपन्न हुई। परीक्षा के दौरान लम्बाई, सीना समेत मापतौल की प्रक्रिया पूरी की गई। भर्ती के दौरान पुलिस कप्तान एआर चौहान ने भर्ती के शारीरिक दक्षता के दौरान किसी प्रकार की अनियमितता न हो, इसके लिए पूरे दिन भर्ती स्थल पर मौजूद रहकर निगरानी रखी। उन्होंने बताया कि सभी अथ्यर्थियों का मापतौल होने के पश्चात दौड़ प्रतियोगिता संपन्न कराई जाएगी।
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उद्घाटन मैच में दिउली अव्वल

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कोटद्वार: यमकेश्व प्रखंड के अंतर्गत द्वितीय स्व. भारत चंद्र उनियाल क्रिकेट प्रतियोगिता बुधवार से शुरू हो गई है। उद्घाटन मैच में दिउली ने 45 रनों से जीत दर्ज की।
यमकेश्वर स्थित खेल मैदान में प्रतियोगिता का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व ब्लॉक प्रमुख रेनू बिष्ट ने किया। इस मौके पर उन्होंने खेल को जीवन का अहम हिस्सा बताते कहा कि खेलों से शारीरिक व मानसिक विकास संभव होता है। प्रतियोगिता आयोजन समिति के अध्यक्ष दिनेश कुमार ने बताया कि टुर्नामेंट में 12 टीमें प्रतिभाग कर रही है। इस अवसर पर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अमित देवरानी, राकेश सिंह, हरि बल्लभ उनियाल, ज्योति कुकरेती, शुभम उनियाल, प्रशांत, विकास, विनोद डबराल, दीपक बिष्ट, मायाराम केष्टवाल, राम प्रसाद केष्टवाल तपेश्वर प्रसाद, पूर्व प्रधान घनानंद उनियाल, सतेंद्र सिंह आदि ने विचार रखे। प्रतियोगिता का उद्घाटन मैच दिउली और उमरौली के मध्य खेला गया। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए दिउली की टीम ने निर्धारित ओवरों में 150 रन बनाए। निर्धारित लक्ष्य का पीछा करने उतरी उमरौली की टीम महज 105 रन पर ही सिमट गई। दिउली की ओर से दीपक ने 5 विकेट लिए।
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Tuesday, January 18, 2011

भालू के हमले से श्रमिक घायल

भालू के हमले से श्रमिक घायल 
(सुदर्शन रावत)  पौड़ी गढ़वाल के  थलीसैंण ब्लाक के  ग्राम  सभा घनस्याली निवासी भीम बहादुर पुत्र गब्बर सिंह के गांव में मनरेगा के तहत कार्य  कर रहा है।शाम को  काम खत्म करके  सभी लोग अपने अपने घरो को लोट रहे थे तभी  भालू ने अचानक  हमला करके भीम बहादुर को जख्मी कर दिया। चीखपुकार मचने पर आसपास मौजूद लोगों ने जैसे-तैसे मजदूर को भालू के चंगुल से बचाया  इस पर भालू श्रमिक को छोड़ जंगल को ओर भाग निकला इसके बाद इमर्जेसी 108 सेवा से भीम सिंह को संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।  डाक्टरों अनुसार उसकी हालत में सुधार है इस घटना से सभी श्रमिक सदमे में है और वन विभाग द्वारा भालू को पकड़ने की कोई भी कार्यवाही  नहीं की जा रही है 

देवभूमि और पर्यटन प्रदेश बना भ्रष्टाचार और मिलीभगत का अड़ा

देवभूमि और पर्यटन प्रदेश बना भ्रष्टाचार और मिलीभगत का अड़ा            (सुदर्शन रावत) 

उत्तराखंड सरकार के कामकाज की समीक्षा पर  नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी कैग की 2008-09 की रिपोर्ट देखें तो भ्रष्टाचार और मिलीभगत के ऐसे हैरतअंगेज मामले सामने आते हैं कि सरकार की नीयत पर ही सवालिया निशान लग जाते हैं. ये रिपोर्ट 22सितंबर 2010 को विधानसभा पटल पर रखी गई थी. 
कहने को देवभूमि और पर्यटन प्रदेश में किसके लिये सरकारी योजनाएं शुरू की जी रही हैं. जनता को लाभ पंहुचाने के लिये या कंपनियों और ठेकेदारों के लिये. रिपोर्ट के अनुसार निष्फल व्यय और अधिक भुगतान करके सरकारी कोष को करोडों का चूना लगाया गया है.- 
लोकनिर्माण विभाग हल्द्वानी द्वारा बाईपास मार्ग पर पुल की नींव की सुरक्षा न किये जाने के कारण पुल ढह गया जिससे 4.46 करोड का नुकसान हुआ.साथ ही सुगम परिवहन का उद्देश्य भी पूरा नहीं हुआ . 
लोकनिर्माण विभाग थत्यूड ने बिटुमिनस मैकडम और बिटुमिनस कंक्रीट का जरूरत से अधिक उपयोग किया और ठेकेदारों को अधिक दरों पर भुगतान करके अनुचित लाभ पंहुचाया जिससे 2.68 करोड का नुकसान हुआ. 
काशीपुर में लोकनिर्माण विभाग ने बिना उचित डिजाइन के 1.61 करोड की लागत से सडकें बनवाईं जो 6 महीने में ही टूट गईं और 1.61 करोड का चूना लगा. 
ऊधमसिंहनगर में भी ओवर ले डिजाइन न अपनाए जाने के कारण मरम्मत की गई सडकें 2 महीने में ही टूट गईं जिसमें 1.36 करोड लगे थे. 
देहरादून में सहिया खण्ड में सडक बनाने का 5.15 करोड का ठेका कई ठेकेदारों में बांटा गया जिससे घटिया काम हुआ और बहुत जल्दी ही वो टूट गईं.इस प्रकार से निरर्थक व्यय हुआ.
इसी तरह से हरिद्वार में भारतीय रोड कॉंग्रेस के सुझावों का उल्लंघन करके 4.28 करोड की लागत से बनाया गया मार्ग जल्दी ही क्षतिग्रस्त हो गया. मामले एक नहीं अनेक हैं और शायद ही कोई जिला या खंड इन घोटालों से छूटा हो.अगर इनका योग किया जाए तो ये शायद अरब पंहुच जाए.
विडंबना ये कि महालेखा परीक्षक की ये रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर भी रखी गई लेकिन इसपर बहस या सवाल न उठे. और ये खामोशी भी स्तब्ध करने वाली है.बीजेपी की फांस बनी 56 घोटालों की जांच
एक समय में राजनीतिक गलियारो में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले 56 घोटाले आज भी जांच के दौर से ही गुजर रहे है. विधानसभा चुनाव 2007 में अपने घोषणा पत्र के ज़रिये हल्ला मचाकर छः महीने में लोगो के सामने इन सभी घोटालो का कोरा चिट्ठा खोलने का दावा करने वाली भाजपा, सरकार में आने के तीन साल बाद भी एक भी घोटाले को सार्वजनिक करने में नाकाम रही है.

गौरतलब है कि भाजपा ने इसी मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठाते हुए 2007 में सत्ता पर काबिज़ होने में सफलता हासिल की थी, जिसके बाद अपने घोषणा पत्र के अनुसार इन घोटालो को छः महिने में उजागर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खण्डुडी ने 05 सितम्बर 2007 में जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत रिटायर्ड न्यायमूर्ति एएन वर्मा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन एक साल के लिए किया था। जिसके बाद लगभग एक साल होने पर जांच आयोग के अध्यक्ष एएन वर्मा ने इस पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन जांच पूरी ना होने के चलते इस आयोग का कार्यकाल एक साल और बढ़ा दिया गया। 
इसके बाद 03 सितम्बर 2008 को रिटायर्ड जस्टिस आरए शर्मा को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, एक साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक बार फिर कार्यकाल बढाया गया लेकिन 23 जनवरी 2010 को शर्मा का निधन होने के कारण ये पद एक बार फिर खाली हो गया। इसके बाद 21 मई 2010 को जांच आयोग के अध्यक्ष पद पर रिटायर्ड जस्टिस शम्भूनाथ श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया। इसके बाद 3 सितम्बर 2010 को आयोग का कार्यकाल पुरा होने के बाद इस आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढाया गया है, जिसमें अक्टुबर 2010 को रिटायर्ड जस्टिस बीसी काण्डपाल को इस आयोग का जिम्मा दिया गया। 
इस पर अब तीन साल पूरे होने और बार बार कार्यकाल बढाने के बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर उल्टा भाजपा को ही घेरना शुरू कर दिया है। आयोग बनने के बाद अब इसका कार्यकाल चार बार बढाया जा चुका है, जिसमें न्यायमूति शर्मा द्वारा अप्रैल में दो घोटालो की रिपोर्ट  राज्य सरकार को सौपी जा चुकी है, जबकि इसके बाद भी दो और घोटालो की रिपोर्ट सरकार तक पहुची है, जिसमें सूत्रो की माने तो उद्यान, पर्यटन, आबकारी और कोल्ड स्टोरेज से सम्बन्धित चार घोटालो की रिपोर्ट सरकार तक पहुची है, जबकि भाजपा द्वारा कथित बाकि 52 घोटालो की रिपोर्ट आना अब भी बाकी है। जबकि अभी महज तीन सालो में चार रिपोर्ट के दौरान ही लगभग 33 लाख रूपये इस आयोग में बहाये जा चुके है। 
इस लिहाज से देखा जाये तो 56 घोटालो की जांच में पूरे 42 साल लग जाएंगें. और इसमें लगभग 5 करोड़ रूपये की मोटी रकम इन 42 सालो में आयोग में लगेगी। लगता है राज्य सरकारें महज अपना उल्लू सीधा करने में ही जुटी है, भाजपा कांग्रेस को और कांग्रेस भाजपा को भ्रष्टाचार में लिप्त बताकर वोट बैक की राजनीति करने में जुटी है। विशेष आयोग जांच  में जुटा है, और भाजपा भी इस आयोग को बनाकर अब अपनी कही गयी बातो को भूल गयी है, 
बीजेपी के आरोपों के मुताबिक कांग्रेस के कार्यकाल में पटवारी घोटाला, दरोगा भर्ती घोटाला, कृषि फ़ार्मों की नीलामी का घोटाला, निजी कंपनियों को कौड़ियों के भाव ज़मीन आवंटन का घोटाला, पर्यटक मल्टीप्लेक्स निर्माण घोटाला, शराब बिक्री घोटाला, कम्प्यूटर खरीद घोटाला और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष में घोटाले जैसे बड़े मामले हुए. चार घोटालों की जांच बीजेपी सरकार करा चुकी है, बाकी 52 आरोप जस के तस हैं. 
कथित घोटालों के इस मामले में एक बात तो साफ़ है कि राजनैतिक दल घोषणा पत्र में कई लुभावने और क्रांतिकारी किस्म के वादे तो कर देते हैं लेकिन उन वादों को पूरा कर पाना सत्ता हासिल होते ही लगता है शायद मुश्किल हो जाता है. फिर चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस


देवभूमि और पर्यटन प्रदेश बना भ्रष्टाचार और मिलीभगत का अड़ा

देवभूमि और पर्यटन प्रदेश बना भ्रष्टाचार और मिलीभगत का अड़ा (सुदर्शन रावत) 
उत्तराखंड सरकार के कामकाज की समीक्षा पर  नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी कैग की 2008-09 की रिपोर्ट देखें तो भ्रष्टाचार और मिलीभगत के ऐसे हैरतअंगेज मामले सामने आते हैं कि सरकार की नीयत पर ही सवालिया निशान लग जाते हैं. ये रिपोर्ट 22सितंबर 2010 को विधानसभा पटल पर रखी गई थी.
कहने को देवभूमि और पर्यटन प्रदेश में किसके लिये सरकारी योजनाएं शुरू की जी रही हैं. जनता को लाभ पंहुचाने के लिये या कंपनियों और ठेकेदारों के लिये. रिपोर्ट के अनुसार निष्फल व्यय और अधिक भुगतान करके सरकारी कोष को करोडों का चूना लगाया गया है.-
लोकनिर्माण विभाग हल्द्वानी द्वारा बाईपास मार्ग पर पुल की नींव की सुरक्षा न किये जाने के कारण पुल ढह गया जिससे 4.46 करोड का नुकसान हुआ.साथ ही सुगम परिवहन का उद्देश्य भी पूरा नहीं हुआ .
लोकनिर्माण विभाग थत्यूड ने बिटुमिनस मैकडम और बिटुमिनस कंक्रीट का जरूरत से अधिक उपयोग किया और ठेकेदारों को अधिक दरों पर भुगतान करके अनुचित लाभ पंहुचाया जिससे 2.68 करोड का नुकसान हुआ.
काशीपुर में लोकनिर्माण विभाग ने बिना उचित डिजाइन के 1.61 करोड की लागत से सडकें बनवाईं जो 6 महीने में ही टूट गईं और 1.61 करोड का चूना लगा.
ऊधमसिंहनगर में भी ओवर ले डिजाइन न अपनाए जाने के कारण मरम्मत की गई सडकें 2 महीने में ही टूट गईं जिसमें 1.36 करोड लगे थे.
देहरादून में सहिया खण्ड में सडक बनाने का 5.15 करोड का ठेका कई ठेकेदारों में बांटा गया जिससे घटिया काम हुआ और बहुत जल्दी ही वो टूट गईं.इस प्रकार से निरर्थक व्यय हुआ.
इसी तरह से हरिद्वार में भारतीय रोड कॉंग्रेस के सुझावों का उल्लंघन करके 4.28 करोड की लागत से बनाया गया मार्ग जल्दी ही क्षतिग्रस्त हो गया. मामले एक नहीं अनेक हैं और शायद ही कोई जिला या खंड इन घोटालों से छूटा हो.अगर इनका योग किया जाए तो ये शायद अरब पंहुच जाए.
विडंबना ये कि महालेखा परीक्षक की ये रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर भी रखी गई लेकिन इसपर बहस या सवाल न उठे. और ये खामोशी भी स्तब्ध करने वाली है.बीजेपी की फांस बनी 56 घोटालों की जांच
एक समय में राजनीतिक गलियारो में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले 56 घोटाले आज भी जांच के दौर से ही गुजर रहे है. विधानसभा चुनाव 2007 में अपने घोषणा पत्र के ज़रिये हल्ला मचाकर छः महीने में लोगो के सामने इन सभी घोटालो का कोरा चिट्ठा खोलने का दावा करने वाली भाजपा, सरकार में आने के तीन साल बाद भी एक भी घोटाले को सार्वजनिक करने में नाकाम रही है.

गौरतलब है कि भाजपा ने इसी मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठाते हुए 2007 में सत्ता पर काबिज़ होने में सफलता हासिल की थी, जिसके बाद अपने घोषणा पत्र के अनुसार इन घोटालो को छः महिने में उजागर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खण्डुडी ने 05 सितम्बर 2007 में जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत रिटायर्ड न्यायमूर्ति एएन वर्मा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन एक साल के लिए किया था। जिसके बाद लगभग एक साल होने पर जांच आयोग के अध्यक्ष एएन वर्मा ने इस पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन जांच पूरी ना होने के चलते इस आयोग का कार्यकाल एक साल और बढ़ा दिया गया।
इसके बाद 03 सितम्बर 2008 को रिटायर्ड जस्टिस आरए शर्मा को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, एक साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक बार फिर कार्यकाल बढाया गया लेकिन 23 जनवरी 2010 को शर्मा का निधन होने के कारण ये पद एक बार फिर खाली हो गया। इसके बाद 21 मई 2010 को जांच आयोग के अध्यक्ष पद पर रिटायर्ड जस्टिस शम्भूनाथ श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया। इसके बाद 3 सितम्बर 2010 को आयोग का कार्यकाल पुरा होने के बाद इस आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढाया गया है, जिसमें अक्टुबर 2010 को रिटायर्ड जस्टिस बीसी काण्डपाल को इस आयोग का जिम्मा दिया गया।
इस पर अब तीन साल पूरे होने और बार बार कार्यकाल बढाने के बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर उल्टा भाजपा को ही घेरना शुरू कर दिया है। आयोग बनने के बाद अब इसका कार्यकाल चार बार बढाया जा चुका है, जिसमें न्यायमूति शर्मा द्वारा अप्रैल में दो घोटालो की रिपोर्ट  राज्य सरकार को सौपी जा चुकी है, जबकि इसके बाद भी दो और घोटालो की रिपोर्ट सरकार तक पहुची है, जिसमें सूत्रो की माने तो उद्यान, पर्यटन, आबकारी और कोल्ड स्टोरेज से सम्बन्धित चार घोटालो की रिपोर्ट सरकार तक पहुची है, जबकि भाजपा द्वारा कथित बाकि 52 घोटालो की रिपोर्ट आना अब भी बाकी है। जबकि अभी महज तीन सालो में चार रिपोर्ट के दौरान ही लगभग 33 लाख रूपये इस आयोग में बहाये जा चुके है।
इस लिहाज से देखा जाये तो 56 घोटालो की जांच में पूरे 42 साल लग जाएंगें. और इसमें लगभग 5 करोड़ रूपये की मोटी रकम इन 42 सालो में आयोग में लगेगी। लगता है राज्य सरकारें महज अपना उल्लू सीधा करने में ही जुटी है, भाजपा कांग्रेस को और कांग्रेस भाजपा को भ्रष्टाचार में लिप्त बताकर वोट बैक की राजनीति करने में जुटी है। विशेष आयोग जांच  में जुटा है, और भाजपा भी इस आयोग को बनाकर अब अपनी कही गयी बातो को भूल गयी है,

बीजेपी के आरोपों के मुताबिक कांग्रेस के कार्यकाल में पटवारी घोटाला, दरोगा भर्ती घोटाला, कृषि फ़ार्मों की नीलामी का घोटाला, निजी कंपनियों को कौड़ियों के भाव ज़मीन आवंटन का घोटाला, पर्यटक मल्टीप्लेक्स निर्माण घोटाला, शराब बिक्री घोटाला, कम्प्यूटर खरीद घोटाला और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष में घोटाले जैसे बड़े मामले हुए. चार घोटालों की जांच बीजेपी सरकार करा चुकी है, बाकी 52 आरोप जस के तस हैं.

कथित घोटालों के इस मामले में एक बात तो साफ़ है कि राजनैतिक दल घोषणा पत्र में कई लुभावने और क्रांतिकारी किस्म के वादे तो कर देते हैं लेकिन उन वादों को पूरा कर पाना सत्ता हासिल होते ही लगता है शायद मुश्किल हो जाता है. फिर चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस
उत्तराखंड में महिलाएं और बच्चे कुपोषण का शिकार
उत्तराखंड में कुपोषण के हालात पर केंद्र की चिंता के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है. कितने बच्चे राज्य में कुपोषण के शिकार हैं इसका ताज़ा आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. इसीलिए 14 नवंबर से एक सर्वे अभियान शुरू किया गया है.

सरकार ने माना है कि हालात चिंताजनक हैं. तीसरे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि तीन वर्ष व इससे कम आयु के 42 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि कुपोषण कम करने के मामले में राज्य के पास अपनी कोई कार्ययोजना नहीं हैं.

2005-06 के तीसरे नेशनल फैमिली सैंपल सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड में
1. पांच साल से कम उम्र के 44 फीसदी बच्चे कमज़ोर कदकाठी के. इसका मतलब उन्हें पूरा पोषण नहीं मिल पाया.
2. हर पांच में से एक बच्चा, बहुत पतला है जो बीमारी या कम भोजन से ऐसा हुआ हो.
3. 38 फीसदी बच्चे कम वजन वाले जो लंबे समय से अपर्याप्त पोषण का नतीजा
4. बच्चों का न्यूट्रीश्नल स्टेटस एनएफएचएस-2 के मुकाबले सुधरा है.
5. लेकिन अंडर न्यूट्रीशन अभी भी एक बड़ी समस्या है.
6. ग्रामीण इलाकों में समस्या ज़्यादा, गरीब तबकों में ज़्यादा,
7. वयस्कों में भी 30 फीसदी महिलाएं और 28 फीसदी पुरुष कुपोषण के शिकार
8. 55 फीसदी महिलाएं एनीमिया की शिकार
इन आंकड़ों की रोशनी में अब उत्तराखंड सरकार देर से ही सही हरकत में आई है. उसका कहना है कि ताज़ा आंकड़े नहीं आए लेकिन उसने माना है कि हालात अच्छे नहीं है. इसीलिए एक सर्वे शुरू करा दिया गया है. केंद्र ने हाल में उत्तराखंड से कुपोषण को लेकर जवाब भी तलब किया था. उसका कहना था कि राज्य में न्यूट्रीशन कौंसिल भी नहीं बनी है. इस पर राज्य सरकार का कहना है कि इस पर काम शुरू हो गया है.
 नैनीताल में जून 2010 में केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने संसद की सलाहकार समिति की एक बैठक बुलाई थी. जिसका विषय था महिलाओं और बच्चों में कुपोषणः समस्या और निदान. तीरथ ने भारत में कुपोषण की समस्या और इससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को रेखांकित किया था. राज्य सरकार का कहना है कि उसने महिलाओं और बच्चों के लिए राज्य ने कई योजनाएं शुरू की हैं. जिसके लिए दो करोड़ रुपए से भी अधिक का बजट भी रखा गया है.
कुपोषण के मामलों को देखें तो इसकी प्रमुख वजहों में हैं गरीबी, गंदगी, एनीमिया, पौष्टिक भोजन की कमी, जागरुकता की कमी है. इसी वजह से शिशु मृत्यु दर भी राज्य में प्रति हज़ार पर 44 है., और मातृ मृत्यु दर एक लाख पर 315 की है.

Monday, January 17, 2011

चांदी से चमक उठे पहाड़

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गोपेश्वर, जागरण कार्यालय: शुक्रवार व शनिवार को लगातार बारिश व बर्फबारी के बाद रविवार मौसम खुलने से लोगों ने राहत महसूस की। रविवार को सुबह से ही चटक धूप खिली, जिसका लोगों ने लुत्फ उठाया। जिला मुख्यालय गोपेश्वर के समीप की पहाड़ियों पर हुए हिमपात से प्राकृतिक छटा देखते ही बन रही थी।
सीमान्त जिला चमोली में बीते दो दिन हुई बारिश व बर्फबारी के बाद एकाएक पारा लुढ़क गया था लेकिन रविवार को सुबह से मौसम खुलने के बाद न सिर्फ प्राकृतिक सुन्दरता बढ़ गई है बल्कि मौसम में आई ठंडक से भी लोगों ने राहत महसूस की। सुबह से चटख धूप खिलने के बाद दिन तक मौसम सुहावना हो गया है। रविवार को अवकाश का दिन होने के कारण लोगों ने दिनभर गुनगुनी धूप का जमकर आनन्द लिया। औली से लौट रहे दिल्ली से आए पर्यटक शिवांग अग्रवाल ने धूप में चमकती हिमाच्छादित पहाड़ियों के सुन्दर नजारों को देखकर कहा कि वास्तव में उत्तराखण्ड की प्राकृतिक छटा व मौसम दोनों ही अत्यन्त मनोहारी हैं।
लैंसडौन : पर्यटन नगरी में अचानक ठंड बढ़ने सेनगर में सन्नाटा दस्तक देने लगा है। आलम यह है कि जहां क्षेत्रीय जनता ठिठुरन के चलते अपने घरों में कैद हो गई है वहीं पर्यटक भी यहां आने से परहेज करने लगे हैं। निकटवर्ती क्षेत्रों की पहाड़ियों में बर्फ गिरने के कारण पर्यटन नगरी में ठंड बढ़ गई है। नगर में पिछले दो दिन से सूर्यदेव के दर्शन भी कम होने लगे हैं।
रुद्रप्रयाग : रविवार को जिले में मौसम सुहावना रहा और बाजारों में खासी चहल पहल देखी गई। शुक्रवार देर रात्रि से जिले में बारिश का सिलसिला शुरू हो गया था, जो शनिवार देर रात्रि तक चलता रहा। परंतु रविवार को हल्के बदलाव के बाद मौसम सुहावना रहा। हालांकि ठंड का प्रकोप जारी है, लेकिन हल्की धूप का लोगों ने खूब आनंद लिया।
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22 वर्षो बाद देवरा यात्रा पर निकली वीरों देवल की चंडिका मां

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अगस्त्यमुनि(रुद्रप्रयाग), प्रखंड अगस्त्यमुनि के अन्तर्गत वीरों देवल की मां चंडिका अपनी धिराणियों की कुशलक्षेम पूछने के लिए 22 वर्षो बाद अरखुड गांव से देवरा यात्रा पर निकल गई हैं। भ्रमण के दौरान मां लगभग 100 गांवों का भ्रमण करेंगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अरखुड गांव में मां चंडिका का मायका तथा वीरों देवल में ससुराल है। जिसको लेकर ग्रामीणों की ओर से 22 वर्षो बाद ग्राम अरखुड में बन्याथ का आयोजन किया जा रहा है। चंडिका मां आज सोमवार से धिराणियों की कुशलक्षेम पूछने के लिए देवरा यात्रा पर निकल गई है। यात्रा को सफल बनाने के लिए क्षेत्र के श्रद्धालु भारी संख्या में यात्रा के साथ चल रहे हैं। अपनी देवरा यात्रा के दौरान मां लगभग एक सौ गांवों का भ्रमण कर लोगों को आशीर्वाद देगी। जिसमें वीरों देवल, पाली, डालसिंगी, बसुकेदार, क्यार्क, पौंडार, किमाणा, दानकोट, स्यूंर, डडोली, डोभा, डांगी, रायड़ी, चन्द्रापुरी, बक्सीर समेत कई गांव शामिल हैं। ग्राम प्रधान अरखुंड बीना देवी, चन्दन सिंह राणा, बचन सिंह झिंक्वाण ने बताया कि देवरा यात्रा भ्रमण के बाद मां चंडिका 4 फरवरी को अरखुंड पहुंचेगी। जहां जल कलश यात्रा एवं धार्मिक अनुष्ठान के बाद 18 फरवरी को ग्रामीणों की ओर से मां चंडिका को अपने ससुराल वीरों देवल के लिए विदा किया जायेगा। उन्होंने बन्याथ के आयोजन को सफल बनाने के लिए अधिक से अधिक भक्तों से यहां आने की अपील की है।
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पांच रुपये में उपलब्ध हो मारुति वैन

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देहरादून, कोरोनेशन अस्पताल में मरीजों की कम संख्या पर चिंता जताते हुए जिलाधिकारी सचिन कुर्वे ने इसमें 108 सेवा की मदद लेने को कहा। साथ ही, दून अस्पताल से कोरोनेशन तक प्रति घंटा मारूति वैन उपलब्ध कराने को कहा, जिसका किराया पांच रुपये निर्धारित किया जाए। वे कोरोनेशन अस्पताल में चिकित्सा प्रबंध समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
बैठक में जिलाधिकारी ने बर्न वार्ड के लिए दो स्पिलिट एयरकंडीशनर हाट एंड कोल्ड के क्रय के लिए 73 हजार रुपये की स्वीकृति दी। बर्न वार्ड में शौचालयों व बाथरूम के निर्माण की भी उन्होंने बात कही। इस मौके पर कोरोनेशन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एएस रावत ने बताया कि फिजियोथिरैपी के उपकरण खरीद कर फिजियोथिरैपी विभाग में स्थापित कर दिए गए हैं। एनआरएचएम के अंतर्गत अपग्रेडेशन धनराशि से ऑपरेशन थिएटर के लिए सिलिंग लाइट, ओटी टेबल, हाइड्रोलिक टेबुल व अन्य उपकरण स्थापित किए गए हैं। बैठक के बाद जिलाधिकारी ने बर्न वार्ड में मरीजों से बातचीत भी की। साथ ही, 108 सेवा की कार्यप्रणाली का भी जायजा लिया। बैठक में वरिष्ठ कोषाधिकारी पीसी खरे, मुख्य चिकित्साधिकारी आरके पंत, संयुक्त निदेशक डॉ. गीता जोशी, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. एमएस रावत, सीनियर फार्मासिस्ट सुनील नौटियाल, मनीष कैंथ आदि मौजूद रहे।
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सरूली मेरो जिया लगीगे

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जोशीमठ : पहले साउथ एशियन विंटर गेम्स के अवसर पर जोशीमठ में आयोजित किए जा रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समापन प्रसिद्ध जागर सम्राट प्रीतम भरवाण की सुर संध्या के साथ हुआ। भरतवाण ने एक के बाद एक कई जागर व लोकगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में नगरपालिका परिषद जोशीमठ के अध्यक्ष व दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने कहा कि खेलों को बढ़ाया देने के साथ-साथ लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है।
औली में आयोजित साउथ एशियन विंटर गेम्स के आयोजन के दौरान जोशीमठ में रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा था, जिसका समापन रविवार की शाम को हुआ। कार्यक्रम की अंतिम सांस्कृतिक संध्या प्रसिद्ध जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के नाम रही। भरतवाण ने सुर संध्या की शुरूआत मां देवी के जागरों से की। दर्शकों की फरमाइश पर उन्होंने 'सरुली मेरो जिया लगीगे तेरी रौतेली मुखुड़ी मां, अकबक सी रेग्यूं मी पौंछी तरे कुमों गढ़ मां' व 'मी कुश्ल छन माली दगड़यों दगड़ी, तू कुशल रया माजी भुलों दगड़ी' गीत भी गाए। इससे पूर्व बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक केदार सिंह फोनिया, जिपं अध्यक्ष विजया रावत, नगरपालिका परिषद जोशीमठ के अध्यक्ष व दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत की। इस अवसर पर कांग्रेस कमेटी के पूर्व जिला महामंत्री कमल रतूड़ी, नगर अध्यक्ष प्रकाश, गढ़वाल सांसद प्रतिनिधि उमेश शाह आदि कई लोग मौजूद थे।
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कंपकंपाती ठंड में नसीब नहीं हो रही कक्षा की छत

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कोटद्वार, हाड़कंपाती ठंड और स्कूल के बरामदे में जिंदगी का ककहरा पढ़ते मासूम। प्रशासन ने जर्जर स्कूल भवन तोड़ने के आदेश क्या दिए, मासूमों के सिर से छत ही छिन गई। हम बात कर रहे हैं नगर के एकमात्र बालक जूनियर हाईस्कूल में अध्ययनरत उन 145 बच्चों की, जो कंपकपाती ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल के बरामदे में बैठे 'भविष्य' की नींव मजबूत कर रहे हैं।
वर्ष 1962 से मालगोदाम रोड में संचालित नगर के एकमात्र जूनियर हाईस्कूल (बालक) की जीर्ण-क्षीण स्थिति के चलते प्रशासन ने गत 13 अगस्त को इस विद्यालय भवन को ध्वस्त करने के आदेश पालिका को दिए थे। साथ ही विद्यालय का संचालन अन्य स्थान पर कराए जाने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक न तो विद्यालय भवन को ध्वस्त किया गया और न ही छात्रों के अध्ययन को अन्य व्यवस्था की गई।
वर्तमान में स्थिति यह है कि विद्यालय भवन की जीर्णशीर्ण स्थिति के कारण बच्चों के साथ ही शिक्षक भी कक्षाओं में बैठने से कतरा रहे हैं। आखिर किसे पता कि कब विद्यालय भवन इन मासूमों की कब्रगाह बन जाए। भलाई इसी में कि कमरों में बैठने के बजाए बरामदे में ही पढ़ाई कर ली जाए। हाड़तोड़ सर्दी तो पड़ रही है, लेकिन कम से कम जान तो सुरक्षित है।
नहीं सुनते हैं अधिकारी
पठन-पाठन के लिए कक्षा-कक्षों की व्यवस्था हेतु कई मर्तबा अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। ठंड के कारण बच्चों की उपस्थिति में भी काफी कमी आई है।
.नसीम अहमद, प्रधानाध्यापक
निर्माण के लिए नहीं मिले कोई निर्देश
विद्यालय का निर्माण कार्य शुरू हो जाना चाहिए था, ताकि अगले सत्र से पूर्व निर्माण कार्य पूर्ण हो जाता। अभी तक विभाग की ओर से निर्माण को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। विद्यालय भवन से सटे प्राथमिक विद्यालय में एक कमरे की व्यवस्था की गई है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar

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