देहरादून। अस्थायी राजधानी में नया सचिवालय, नया राजभवन और नए मुख्यमंत्री आवास व सचिव आवास के साथ ही अफसरों के लिए नया क्लब बनाया जा रहा है तो सुविधाजनक स्थान पर नया विधानसभा भवन बनाने से क्यों पीछे हटा जा रहा है। यदि सवाल अस्थायी राजधानी के मानकों का है तो इसे केवल विधानसभा भवन पर ही क्यों लागू किया जा रहा है।
जी हां, विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर की ओर से मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक को भेजे गए एक पत्र का लब्बोलुआब यही है। श्री कपूर ने नए विधानसभा भवन निर्माण की आवश्यकता को विस्तार से बताते हुए अनेक सवाल भी उठाए हैं। पत्र में कहा गया है कि सरकार के स्तर से नए विधानसभा भवन निर्माण की उपेक्षा की जा रही है। अस्थायी राजधानी का हवाला देकर इस अहम मसले को हाशिए पर खिसकाया जा रहा है। मानकों से इतर नए निर्माण हो रहे हैं। राजभवन, सीएम आवास व सचिव आवास समेत विभिन्न जरूरतों को देखते हुए अनेक नए निर्माण हो रहे हैं। यहां तक कि अफसरों के लिए क्लब के निर्माण की दिशा में भी पहल की जा रही है, जबकि यह बहुत आवश्यक प्रतीत नहीं होता है। इसके बावजूद राज्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण नए विधानसभा भवन के निर्माण को नजरअंदाज किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि सरकार दूरगामी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए विधानसभा भवन के लिए ऐसा स्थल चिन्हित करे, जो हर दृष्टि से सुविधाजनक हो। वर्तमान विधानसभा भवन जरूरतों को पूरा करने लायक नहीं है। स्टाफ समेत समितियों को काम करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। स्थानाभाव से अभी तक विधानसभा के अफसरों व कर्मियों के ढांचे को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। अधिकतर मौकों पर विधानसभा में धरना-प्रदर्शनों के चलते हरिद्वार मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति रहती है। इससे आम लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। मौजूदा विधानसभा भवन में मंत्रियों के कार्यालय हैं, जबकि सचिवालय इससे कई किलोमीटर दूर है। अब राजधानी चयन आयोग की रिपोर्ट भी सरकार को मिल चुकी है और उसे सार्वजनिक भी किया गया है। रिपोर्ट में भी कई नए बिंदुओं की तरफ ध्यान इंगित किया गया है। एक अहम बिंदु यह भी है कि अस्थायी राजधानी के मानक के नाम पर नए विधानसभा भवन के निर्माण पर पेच फंसा है। इन मानकों को नजरअंदाज कर जब जरूरत के आधार पर अन्य निर्माण हो सकते हैं तो विधानसभा के नए भवन निर्माण को प्रभावी पहल होनी चाहिए। वर्तमान में यह राज्य की बड़ी जरूरतों में से एक है
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