डॉ० पीताम्बर दत्त बडथ्वाल (१३दिसंबर,१९०१ - २४ जुलाई,१९४४)
पाली ग्राम (उत्तराखंड) में हिन्दी का जन्मा लाल कर शोध हिन्दी में पहली बार सबको दिखाई नई राह बने प्रथम भारतीय् जिन्होने डी.लिट हिन्दी में पाई नाम इस साहित्य्कार का था डा.पीताम्बर दत्त बडथ्वाल हिन्दी काव्य मे निर्गुणवाद पर कर गये वो शोध संस्कृत,अवधी,ब्रजभाषा अरबी व फारसी का था उनको बोध संत,सिद्ध,नाथ और भक्ति का किया उन्होने विश्लेषण दूर दृष्टि के थे वे परिचायक,निबंधकार और थे वे समी़क्षक हिन्दी को नया आयाम दे गया ये हिन्दी का सेवक कर गया दुनिया मे नाम हिन्दी का ये लेखक छात्र करते है शोध आज भी पढ उनकी रचनाये कह गये जो वो उसे लोग आज भी अपनाये अल्प आयु मे कह गया अलविदा वो हिन्दी का नायक दे गया धरोहर हमे गोरखबाणी और नाथ सिद्धो की रचनाओ का आज भले ही भूल चुका है उन्हे हिन्दी का साहित्य समाज हिन्दी का सम्मान करे|
पाली ग्राम (उत्तराखंड) में हिन्दी का जन्मा लाल कर शोध हिन्दी में पहली बार सबको दिखाई नई राह बने प्रथम भारतीय् जिन्होने डी.लिट हिन्दी में पाई नाम इस साहित्य्कार का था डा.पीताम्बर दत्त बडथ्वाल हिन्दी काव्य मे निर्गुणवाद पर कर गये वो शोध संस्कृत,अवधी,ब्रजभाषा अरबी व फारसी का था उनको बोध संत,सिद्ध,नाथ और भक्ति का किया उन्होने विश्लेषण दूर दृष्टि के थे वे परिचायक,निबंधकार और थे वे समी़क्षक हिन्दी को नया आयाम दे गया ये हिन्दी का सेवक कर गया दुनिया मे नाम हिन्दी का ये लेखक छात्र करते है शोध आज भी पढ उनकी रचनाये कह गये जो वो उसे लोग आज भी अपनाये अल्प आयु मे कह गया अलविदा वो हिन्दी का नायक दे गया धरोहर हमे गोरखबाणी और नाथ सिद्धो की रचनाओ का आज भले ही भूल चुका है उन्हे हिन्दी का साहित्य समाज हिन्दी का सम्मान करे|
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