|सुदर्शन सिंह रावत | उत्तराखंड बनने के बाद दिन प्रतिदिन नए नए घोटाले सुनने और देखने को मिले रहे है अब ताजा घटना उत्तराखंड परिवहन निगम में देखने को मिल रहा किस तरह से खतरनाक पहाड़ी रूटों पर न केवल धड़ल्ले बल्कि असुरक्षित व बिना बीमा बसौ व टैक्सी का सर्पीली सड़कों पर संचालन धड़ल्ले से संचालित हो रहा है किस तरह से आम उत्तराखंड के सीधे साधे लोगों का शोषण और दोहन, उत्तराखंड बनने से पहले और उत्तराखंड बनने के बाद पहाड़ के खेत खलियान उजड़े गये और अब जिन्दगी के साथ उतराखंड संभागीय परिवहन निगम द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है इस शोषण और दोहन की प्र
क्रिया
को हम सब ने नजदीक से देखा, समझा और समझने के बाद भी सबक नहीं लिया। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि तमाम क्षेत्रीय ताकतों के अहम ने पहाड़ को भारी नुकसान पहुंचाया जिन पर आम जन का बिश्वास था । ऋषिकेश निवासी लाखीराम सेमवाल ने आरटीआई के तहत संभागीय परिवहन अधिकारी देहरादून से गढ़वाल के पर्वतीय मार्गो पर संचालित हो रही बसों के बारे में सूचना मांगी थी। सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध सूचना के मुताबिक इन रूटों पर निगम 99 बसों का संचालन कर रहा है। इनमें से 82 बसों की फिटनेस ही नहीं कराई गई है। कुछ की फिटनेस अवधि एक साल तो कुछ की छह महीने पहले खत्म हो चुकी है।जबकि
कानूनन किसी भी वाहन को बीमित किए बगैर संचालित नहीं किया जा सकता खतरनाक पहाड़ी रूटों पर होने वाले हादसों में ज्यादातर वाहनों के फिट न होना प्रमुख कारण के रूप में सामने आ रहा है इसके बावजूद भी निगम का सबक न लेना यात्रियों की सुरक्षा के प्रति खिलवाड़ कर रहा है पहाड़ की सर्पीली सड़कों पर दौड़ रही अनफिट अधिकतर बसें इससे बीमित नहीं है। आम यात्रियों की सुरक्षा के प्रति खिलवाड़ के अलावा कर चोरी में भी निगम पीछे नहीं है यहाँ तक की 31 दिसंबर, 2009 के बाद निगम ने उपरोक्त बसों का टैक्स जमा ही नहीं किया एक बस का सालाना औसत रोड टैक्स 4,820 बैठता है अफसरों कि मिलीभगत से निगम को लगभग 4,77,180 रुपये रोड टैक्स का नुकसान झेलना पड़ा जबकि 11 माह से ये बसें यूं ही डग्गमारी में दौड़ रही है |
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