सरकारी कालेजों की परीक्षा निजी संस्थानों में
, हल्द्वानी: विवादों में रहना कुमाऊं विश्र्वविद्यालय की नियति बन गयी है। बीएड परीक्षा की तिथि घोषित हो गयी है। इसके साथ ही एक नया विवाद भी खड़ा हो गया है। अब एमबी पीजी कालेज में बीएड परीक्षार्थियों ने कुलपति व उच्च शिक्षा सचिव को पत्र भेजकर निजी कालेज में परीक्षा न कराने का अनुरोध किया है। कुमाऊं विश्र्वविद्यालय की ओर से संचालित बीएड-2007 की परीक्षा 11 अप्रैल से होनी है। मंडल में पांच कालेजों को परीक्षा केन्द्र बनाया गया है। इसमें एसएसजे परिसर अल्मोड़ा व राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ की परीक्षा एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में, एमबी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी, जेएन कौल भीमताल, जय अरिहंत, लालबहादुर शास्त्री तकनीकी कालेज, हल्दूचौड़, इन्सपीरेशन कालेज काठगोदाम की परीक्षा आम्रपाली संस्थान में होगी। चन्द्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय काशीपुर, श्रीराम संस्थान काशीपुर और सल्ट संस्थान, सल्ट की परीक्षा श्रीराम संस्थान काशीपुर में होगी। देवभूमि संस्थान रुद्रपुर, द्रोण बीएड कालेज रुद्रपुर, सरस्वती संस्थान रुद्रपुर की परीक्षा सरस्वती संस्थान रुद्रपुर में होगी। देवभूमि संस्थान बनबसा, गुरुनानक डिग्री कालेज नानकमत्ता व डा. सुशीला तिवारी डिग्री कालेज सितारगंज की परीक्षा देवभूमि संस्थान बनबसा में आयोजित होगी। परीक्षायें 11 अप्रैल से शुरू होंगी और 25 अप्रैल तक होंगी। इधर एमबी पीजी कालेज के बीएड परीक्षार्थियों ने शहर से दूर परीक्षा केन्द्र बनाये जाने पर आपत्ति जाहिर की है। इसके लिये उन्होंने कुमाऊं विश्र्वविद्यालय के कुलपति और उच्च शिक्षा सचिव को पत्र भेजकर स्ववित्तपोषित केन्द्र में परीक्षा न कराये जाने की मांग की है। कुमाऊं विश्र्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव पीएन पंत इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी देने से इंकार कर दिया।
राज्य को रोशन करेगा खंदूखाल
श्रीनगर गढ़वाल: सब कुछ ठीक चला तो अगले कुछ सालों में श्रीनगर का खंदूखाल उत्तराखंड सहित देशभर को रोशन करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। यहां लगभग दो सौ करोड़ की लागत से अलग-अलग क्षमताओं के तीन विद्युत स्टेशन शुरू करने की योजना है। अच्छी बात यह है कि इन पर कार्य शुरू भी किया जा चुका है। अधिकारियों की मानें, तो वर्ष 2011 तक यह क्षेत्र इलेक्टि्रसिटी हब के तौर पर पहचान बना लेगा। उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के तौर पर विकसित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग क्षमताओं वाली परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। इनमें श्रीनगर में 330 मेगावाट, लाता तपोवन में 171 मेगावाट, बदरीनाथ में 140 मेगावाट, विष्णुगाड़ में 520 मेगावाट, पीपलकोटी में 444 मेगावाट, बावला (नंदप्रयाग) में 300 मेगावाट, लंगासू में 141 मेगावाट, देवसारी में 300 मेगावाट, रामबाड़ा में 76 मेगावाट, सिगनौली में 99 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं प्रस्तावित या निर्माणाधीन हैं। ऊर्जा निगम इन परियोजनाओं को लेकर तो उत्साहित है, लेकिन अब तक यहां से मिलने वाली बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था न होना उसकी परेशानी का सबब बनी हुई थी। अब उसकी यह समस्या हल होने वाली है। निगम ने श्रीनगर के खंदूखाल को विद्युत आपूर्ति स्टेशन के लिए चुना है। जानकारी के मुताबिक यहां करीब 18 हेक्टेअर क्षेत्र में 180 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत स्टेशन स्थापित करने की योजना है। 400, 200 और 132 केवी क्षमता के तीन स्टेशन यहां बनने हैं। इस बारे में अधिशासी अभियंता राजकुमार ने बताया कि जलविद्युत परियोजनाओं से मिलने वाली बिजली इसी विद्युत स्टेशन के माध्यम से नेशनल ग्रिड को भेजी जाएगी। इसके लिए खंदूखाल से काशीपुर तक 400 केवी विद्युत लाइन बिछाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यहां से 12 प्रतिशत बिजली उत्तराखंड को नि:शुल्क मिलेगी, जबकि शेष बिजली नेशनल ग्रिड में जाएगी। उन्होंने बताया कि खंदूखाल में अभी लैंड डवलपमेंट कार्य चल रहा है। खंदूखाल के अलावा पीपलकोट, कर्णप्रयाग, तपोवन, घनसाली, कौडि़याला, सतपुली और शिमली में भी अलग-अलग क्षमताओं के स्टेशन बनाए जाने की योजना है।
दरकते पहाड़, खिसकते खेत और सिसकती जिंदगी।
यहां लोक ढो रहा तंत्र का बोझ
उत्तरकाशी दरकते पहाड़, खिसकते खेत और सिसकती जिंदगी। यही है पहाड़ का सच। देश आजाद हुआ तो लगा अपना राज आ गया। देखते ही देखते साठ साल गुजर गए, लेकिन यह सिलसिला नहीं टूटा। इस बीच उत्तराखंड भी बन गया, लेकिन रिसते जख्म पर मरहम तब भी नहीं लगा। आज भी उत्तरकाशी के सेवा गांव के लोग पीठ पर लोकतंत्र का बोझ ढो रहे हैं। ठेठ चढ़ाई पर चलते वक्त पैर पर फूटते छालों का दर्द इस गांव के लोग ही सह सकते हैं। पीढि़यां ऐसे ही गुजर गई और अब भविष्य भी वहीं कहानी दोहरा रहा है। चिमनी के उजाले में रेडियो पर नेताओं के भाषण उनके मनोरंजन के साधन बना हुआ है। तहसील पुरोला के ब्लाक मोरी का सेवा गांव समुद्र तल से 26 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मुख्यालय से 178 किमी. दूर 5 सौ वर्ग मीटर में फैले गांव की कुल 382 महिला पुरुषों में मात्र 30 प्रतिशत महिला पुरुष ही साक्षर हैं, बालिका शिक्षा का यहां हाल बेहाल है। 16 फीसदी साक्षर महिलाओं में से 5वीं के बाद बालिकाएं स्कूल ही नहीं जाती। शीतकाल में यह गांव 4 से 5 महीने के बर्फ में ढक जाता है और ऐसे में गांव के लोग अपने लड़कियों को 12 किमी. दूर जूनियर शिक्षा के लिए दोणी नहीं भेजते। सड़क से 12 किमी. दूर इस गांव में बिजली आज भी नहीं पहुंची है और संचार के नाम पर यहां सिर्फ रेडियो बजता है। सेब, नाशपाती और आडू उत्पादन यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है लेकिन गांव सड़क से दूर होने के कारण उत्पादन का बड़ा हिस्सा बाजार तक नहीं पहुंच पाता। ओलावृष्टि, सूखा, वनाग्नि के समय इस गांव के लोगों के सामने पहाड़ जैसी मुश्किलें होती है और ये लोग तब गेंहू, दाल, मंडवा व आलू पर ही निर्भर रहते हैं। चांद-सितारों की बातें और विकास का ढोल पीटने वाले नेता भी सेवा गांव के पैदल रास्ते नापने से कतराते हैं। उनकी कोशिश होती है कि गांव के मतदाताओं किसी तरह वोट उन्हें दें दे। अंगूठे के बाद अब इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीन तक मतदान पहुंच चुका है किन्तु सेवा के ग्रामीण आज भी अंगूठा टेक ही रह गए हैं।
आजादी के छह दशक बाद भी कृषि प्रधान देश में किसानों से जुड़े मुद्दे हाशिये पर हैं। लोकशाही के नुमाइंदे हों या व्यवस्था तंत्र, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। राजधानी देहरादून से करीब 15 किमी दूर निर्माणाधीन सहस्त्रधारा-चामासारी मोटर मार्ग से पटेरू पटाली गांव के साथ ही ग्रामीणों के खेत भी खतरे की जद में आ चुके हैं।
हरीश रावत के खिलाफ मंगलौर में मामला दर्ज
हरिद्वार, : सौ गाडि़यों के काफिले के साथ चुनाव प्रचार कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को महंगा पड़ गया। सोमवार को उनके जुलूस में बिना अनुमति सैकड़ों गाडि़यां शामिल होने के चलते मंगलौर में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। इसके अलावा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर नगर पालिकाध्यक्ष कमल जौरा समेत तीन अन्य की गाडि़यां भी प्रशासन ने सीज कर दी हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी शैलेश बगोली ने बताया कि उनके काफिले के लिए पांच गाडि़यों की आयोग ने परमीशन दी थी, लेकिन काफिले में सौ गाडि़यों से ज्यादा शामिल थीं।
पंतनगर विवि देश के सर्वश्रेष्ठ तीन संस्थानों में शामिल
देहरादून, : तकनीकी शिक्षा का स्तर सुधारने को विश्र्व बैंक की मदद दूसरे फेज में जारी रहे, इसके लिए राज्य के तकनीकी शिक्षण संस्थानों को एकेडमिक आटोनामी देनी होगी। इस संबंध में महकमे के प्रस्ताव का परीक्षण सरकार कर रही है। परफारमेंस में पंतनगर विवि देश के सर्वश्रेष्ठ तीन संस्थानों में शामिल है। राज्य को विश्र्व बैंक की प्रस्तावित दूसरे चरण की इस योजना में आर्थिक मदद पाने को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण का बेसब्री से इंतजार तो किया जा रहा है, लेकिन मदद पाने के लिए उक्त सरकारी संस्थानों को एकेडमिक आटोनामी की दरकार है। महकमे के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में प्रस्ताव सरकार को सौंपा गया है। इस प्रस्ताव का परीक्षण कराया जा रहा है। प्रोजेक्ट का दूसरा चरण शुरू होने की स्थिति में परफारमेंस के आधार पर पंतनगर विवि का दावा ज्यादा पुख्ता माना जा रहा है। तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) के तहत पहले चरण में राज्य के पांच शिक्षण संस्थानों को विश्र्व बैंक ने करोड़ों रुपये की आर्थिक मदद मुहैया कराई। संस्थानों को यह राशि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, फैकल्टी ट्रेनिंग, नेटवर्किंग व कम्युनिटी सर्विस में सदुपयोग करनी थी। सबसे ज्यादा राशि करीब 18 करोड़ गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्र्वविद्यालय पंतनगर को मिली। राज्य के लिए राहत की बात यह है कि उक्त योजना के तहत राज्य की परफारमेंस राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही है। इसमें पंतनगर विवि का योगदान ज्यादा है। तीन बार हुए आडिट में विवि ने दस में से औसतन 7.4 स्कोर किया। प्रोजेक्ट में चुने गए देशभर के 127 संस्थानों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले तीन संस्थानों में पंतनगर भी शामिल है। निजी संस्थान डीआईटी देहरादून को 5.5 करोड़, जीबी पंत इंजीनियरिंग कालेज घुड़दौड़ी पौड़ी को 5.3 करोड़ व राजकीय पालीटेक्निक देहरादून को 2.5 करोड़ की राशि मुहैया कराई गई। उक्त संस्थानों ने आडिट में औसत क्रमश: 5.9, 5.7 व 5.7 स्कोर किया। कुमाऊं इंजीनियरिंग कालेज द्वाराहाट को भी पहले चरण में तकरीबन 2.5 करोड़ की सहायता मिली, लेकिन बाद में प्रदर्शन दुरुस्त नहीं रहने पर उक्त कालेज लंबे समय तक प्रोजेक्ट से नहीं जुड़ सका। अब पहले चरण का प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। इसकी रिपोर्ट 31 मार्च तक केंद्र सरकार को भेज दी जाएगी।
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