सरकारी डिग्री शिक्षकों को दो दशक से ज्यादा खपाने के बाद आखिकार स्थायीकरण का लाभ मिल गया। 'देर आयद, दुरुस्त आयद' की तर्ज पर सरकार ने बुधवार को इस बाबत शासनादेश जारी कर दिया।
उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव पीसी शर्मा की ओर से जारी आदेश में प्रदेश के 70 डिग्री कालेजों में कार्यरत 456 प्रवक्ताओं का स्थायीकरण किया गया। राज्य सरकारी सेवकों की स्थायीकरण नियमावली 2002 एवं उत्ताराखंड उच्चतर शिक्षा सेवा नियमावली 2003 के प्रावधानों के तहत डिग्री शिक्षकों को स्थायी किया गया। स्थायीकरण शिक्षकों के शुरुआती दो वर्ष के प्रोबेशन पीरियड के बाद से लागू होगा। इस आदेश के बाद डिग्री शिक्षकों को स्टडी लीव, प्रतिनियुक्ति पर अन्यत्र सेवा में बगैर इस्तीफा दिए जाने समेत कई अधिकारों के इस्तेमाल का रास्ता खुल गया है। यहा बता दें कि 'दैनिक जागरण' ने बीती 21 अगस्त समेत कई अंक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद हरकत में आए शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव सौंपा। लंबे अरसे तक शासन के गलियारों में उलझकर रह गए इस प्रस्ताव को आखिरकार उच्च शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट ने मंजूरी दी। मंत्री से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद स्थायीकरण का रास्ता साफ होने के बारे में ' दैनिक जागरण' ने बीते 21 दिसंबर को खबर प्रकाशित की थी। शासनादेश जारी होने से सरकारी डिग्री कालेजों में नियमित नियुक्त शिक्षकों को वर्षो खपाने के बाद अब स्थायीकरण नसीब हुआ। इस दौरान बड़ी तादाद में शिक्षक सेवानिवृत्ता हो चुके हैं। शासनादेश के बाद डिग्री शिक्षक तमाम धारणाधिकार, देयों, मृतक आश्रितों की नियुक्ति समेत समुचित सुविधाओं के विधिवत लाभ के हकदार हो गए हैं।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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