देहरादून। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा देश जिस गति से प्रगति कर रहा है, उसके मुताबिक 2050 तक देश में प्रति व्यक्ति आय विकसित देशों के बराबर हो जाएगी।
वह भारतीय वनसेवा के 2007-09 के लिए आयोजित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के व्यावसायिक वानिकी प्रशिक्षण कार्यक्रम के 38वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री जयराम रमेश ने कहा कि भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा गांवों में रहता है। जलवायु परिवर्तन ग्रामीणों पर सीधा असर डाल रहा है। ऐसे में वन आधिकारियों का दायित्व बहुत बढ़ जाता है। समारोह को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव विजय शर्मा, वन महानिदेशक व भारत सरकार के विशेष सचिव डॉ. पीजे दिलीप कुमार ने भी संबोधित किया। इस मौके पर इंडियाज फॉरेस्ट एं़ड ट्री कवर कंट्रीब्यूशन एज ए कार्बन सिंक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इसके पहले आईजीएनएफए के निदेशक आरडी जकाती ने अकादमी की रिपोर्ट पेश की। इस मौके पर प्रदेश के मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, आईसीएफआरई के महानिदेशक जगदीश किशवान, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ. आरबीएस रावत, एफआरआई के निदेशक डॉ. एसएस नेगी, आदि मौजूद रहे।
विश्वेश कुमार टॉपर
देहरादून: भारतीय वन सेवा के 2007-09 बैच में छत्तीसगढ़ काडर के विश्वेश कुमार ने 80.9 प्रतिशत अंक पाकर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उन्होंने दस पुरस्कारों पर कब्जा जमाया। मुख्य अतिथि मोंटेक सिंह अहलूवालिया व कार्यक्रम अध्यक्ष वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश ने उन्हें सम्मानित किया।
राज्य वन सेवा महाविद्यालय
का नया नाम सीएएसएफएस
देहरादून: एफआरआई परिसर में स्थित राज्य वन सेवा महाविद्यालय का नाम बदल गया है। अब इसे सेंट्रल एकेडमी फॉर स्टेट फॉरेस्ट सर्विसेज के नाम से जाना जाएगा।
सिविल सेवा की तर्ज पर गठित होगा वन सेवा का ढांचा
देहरादून, जागरण संवाददाता: भारतीय वन सेवा का ढांचा भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर गठित होगा। इतना ही नहीं कोई भी वन अधिकारी अपना काडर नहीं बदल सकेगा।
सोमवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के 38वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्रीजय राम रमेश ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र भारतीय वन सेवा का आधुनिकीकरण करने की तैयारी की जा रही है, ताकि उसे भी भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की तरह ही आकर्षक बनाया जा सके। जयराम रमेश ने कहा कि देश में पहली बार बजट में वन एवं पर्यावरण क्षेत्र में काम के लिए भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद आईसीएफआरई को 100 करोड़ रु. प्रदान किए गए हैं। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण एवं भारतीय जंतु सर्वेक्षण के 15-15 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। कैंपा फंड को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। जिसके तहत कुल 11 हजार करोड़ रु. में से 871 करोड़ उत्तराखंड को मिलेंगे।
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