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Wednesday, August 12, 2009

शिष्यों को नहीं खींच पाया सपनों का गुरुकुल

देहरादून। निजी कालेजों में प्रवेश के लिए छात्रों में मची मारामारी के बीच राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट दून विश्वविद्यालय के प्रति छात्रों में क्रेज नहीं दिखने से यूनिवर्सिटी प्रशासन चिंतित और हैरत में है। विश्वविद्यालय का मानना है कि प्रचार की कमी, नया विवि, 'दून' नाम से देहरादून में कई संस्थान होने और कुछ लोगों द्वारा इस यूनिवर्सिटी को निजी यूनिवर्सिटी प्रचारित किए जाने के कारण ऐसा हुआ है।

देहरादून के निजी कालेजों में प्रवेश के लिए छात्रों की लाइनें लगी हैं। छात्र डोनेशन देकर भी प्रवेश ले रहे हैं, जबकि दून विवि में फीस कम होने, निजी कालेजों से बेहतर सुविधाएं व फैकल्टी होने के बावजूद छात्र वहां प्रवेश में रुचि नहीं ले रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा 2005 में शुरू किए गए इस विवि में लंबे समय की मशक्कत के बाद छह अगस्त को पहला सत्र शुरू हुआ। विवि ने यहां रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रचार करने के साथ ही इसका प्रयोगवादी होने के रूप में भी परिचय भी दिया, लेकिन छात्रों ने फिर भी इसमें अपेक्षित रुचि नहीं दिखाई। दून विवि के प्रथम बैच के लिए 19 जुलाई को प्रवेश परीक्षा हुई थी। स्कूल आफ एन्वायरमेंटल साइंसेज व स्कूल आफ कम्युनिकेशन की अस्सी सीटों पर प्रवेश के लिए हुई परीक्षा में केवल 130 छात्र-छात्राएं ही शामिल हुए। स्कूल आफ एन्वायरमेंटल साइंसेज के दो एमएससी पाठ्यक्रमों में 20-20 सीटों के लिए 61 और एमए जनसंचार एवं पत्रकारिता की 40 सीटों के लिए 69 छात्र प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे। तीन अगस्त से शुरू हुई काउंसिलिंग में विवि केवल 53 सीटें ही भर पाया। इनमें स्कूल आफ कम्युनिकेशन की 24 व स्कूल आफ एन्वायरनमेंटल साइंसेज की 29 सीटें ही भरी जा सकीं। विवि के कुलपति प्रो. गिरिजेश पंत ने स्वीकार किया कि विवि के प्रति छात्रों में अपेक्षित क्रेज नहीं दिखा। प्रो. पंत इसके पीछे प्रवेश का प्रक्रिया देर से शुरू होना, प्रचार पर निजी संस्थानों की तरह पैसा खर्च नहीं किया जाना और नए विवि में प्रवेश में जोखिम का नजरिया को कारण मानते हैं। उनका मानना है कि देहरादून में 'दून' नाम से कई संस्थान होने व कुछ निजी संस्थानों व लोगों द्वारा दून विवि को निजी विवि के रूप में प्रचारित किए जाने के कारण भी ऐसा हुआ। हालांकि उनका कहना है कि आने वाले एक-दो सालों में विवि से निकलने वाले छात्रों की गुणवत्ता के आधार पर और मीडिया के जरिये प्रचार से छात्रों में विवि के प्रति क्रेज देखने को मिलेगा।

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