बच्चे एक-एक रोटी के मोहताज हो गए
खटीमा(ऊधमसिंहनगर)। डेढ़ साल से पति का इंतजार करते-करते हीरा शर्मा की आंखें पथरा गई हैं। खेवनहार के लापता हो जाने से बच्चे एक-एक रोटी के मोहताज हो गए हैं। उन्हें पेट पालने के लिए दूसरों का मुंह देखना पड़ रहा है। घर भी ढहने की कगार पर पहुंच गया है। अब तो सिर छुपाने की भी जगह नहीं बची है। ये दुख भरी कहानी असम राईफल्स के जवान अशोक चंद्र शर्मा परिवार की है। वो डेढ़ वर्ष पूर्व घर में छुट्टी बिताने के बाद ड्यूटी के लिए रवाना हुआ था। तभी से वो लापता हो गया था। लापता होते ही उसका खुशहाल परिवार कंगाल हो गया है। दुर्भाग्य यह है कि सैनिक बाहुल्य क्षेत्र में इस परिवार की सुध लेने वाला तो दूर, इनके दर्द को सुनने वाला भी कोई नहीं है।
खटीमा शहर से आठ किलोमीटर दूर चकरपुर क्षेत्र के पचौरिया गांव के सैनिक अशोक चंद्र शर्मा का परिवार बहुत खुशहाल था। वह आसाम राईफल्स में तैनात था। उसके परिवार में पत्नी हीरा शर्मा व चार बच्चे मनीषा बारह, रीया छह, कल्पना चार व आयूष ढाई वर्ष के हैं। मां-बाप छोटे भाई के साथ रहते हैं। अशोक अपने परिवार से काफी खुश था। बारह साल नौकरी के हो गए थे। उसका जल्द ही नया घर बनाने का सपना था। वह 3 मार्च 2009 को चालीस दिन की छुट्टंी लेकर घर आया था। और छुट्टिंयों के दौरान बच्चों के साथ खुशी के पल बिताए थे। 8 अप्रैल 2009 को वह ड्यूटी पर जाने के लिए यूनिट के लिए घर से निकला। उसने जल्द ही दोबारा घर आने की बात कही थी। आठ दिन बाद परिजनों ने कुशलक्षेम के लिए यूनिट में अशोक को फोन किया। लेकिन यूनिट के अधिकारियों ने छुट्टी के बाद उसके वापस न लौटने की बात कही। यह सुनते ही पत्नी हीरा की पैरो तले जमीन खिसक गई। और घर में कोहराम मच गया। आखिर यह क्या हुआ। रिश्तेदार सैनिक की ढूंढखोज में निकल पड़े। खटीमा कोतवाली में इसकी गुमशुदगी भी दर्ज कराई। कुछ दिनों तक तो पति के लापता होने के वियोग में पत्नी बेसूध रही। समय बीतता गया और बच्चों के भरण पोषण में दिक्कतें बढ़ने लगी। इसके बाद पत्नी ने कई बार आसाम राईफल्स यूनिट के अधिकारियों से पति के जानकारी के लिए संपर्क साधा। और परिवार को पालने के लिए मिलने वाली सहायता मांगी। लेकिन मामला दूरभाष तक ही सीमित रह गया।
जागरण ने जब उसके हाल पूछे तो रुधें गले से हीरा शर्मा ने बताया कि उसका परिवार बेहद खुशहाल था। पता नहीं किस की इस घर पर बुरी नजर लग गई। इस वक्त हालात यह है कि दो वक्त की रोटी के लिए लाले पडे़ हुए हैं। अभी तक बच्चे दूसरों की दया पर जी रहे हैं। बच्चे छोटे हैं, इनका दुखदर्द नहीं देखा जा रहा है। वह लोगों के खेतों में काम काज करके पेट पाल रही है। लेकिन उसे बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। उसने बताया कि एक ही कमरा है जो बरसात में टपक रहा। अब सर छुपाने के लिए भी जगह नहीं है। इतना कहते ही वो फफक-फफक कर रो पड़ी। हीरा को आज भी पति के सकुशल लौटने का इंतजार है। वो टकटकी लगाकर आज भी गांव के गलियारे की ओर देखा करती है।
साभार जागरण.याहू.कॉम
खटीमा शहर से आठ किलोमीटर दूर चकरपुर क्षेत्र के पचौरिया गांव के सैनिक अशोक चंद्र शर्मा का परिवार बहुत खुशहाल था। वह आसाम राईफल्स में तैनात था। उसके परिवार में पत्नी हीरा शर्मा व चार बच्चे मनीषा बारह, रीया छह, कल्पना चार व आयूष ढाई वर्ष के हैं। मां-बाप छोटे भाई के साथ रहते हैं। अशोक अपने परिवार से काफी खुश था। बारह साल नौकरी के हो गए थे। उसका जल्द ही नया घर बनाने का सपना था। वह 3 मार्च 2009 को चालीस दिन की छुट्टंी लेकर घर आया था। और छुट्टिंयों के दौरान बच्चों के साथ खुशी के पल बिताए थे। 8 अप्रैल 2009 को वह ड्यूटी पर जाने के लिए यूनिट के लिए घर से निकला। उसने जल्द ही दोबारा घर आने की बात कही थी। आठ दिन बाद परिजनों ने कुशलक्षेम के लिए यूनिट में अशोक को फोन किया। लेकिन यूनिट के अधिकारियों ने छुट्टी के बाद उसके वापस न लौटने की बात कही। यह सुनते ही पत्नी हीरा की पैरो तले जमीन खिसक गई। और घर में कोहराम मच गया। आखिर यह क्या हुआ। रिश्तेदार सैनिक की ढूंढखोज में निकल पड़े। खटीमा कोतवाली में इसकी गुमशुदगी भी दर्ज कराई। कुछ दिनों तक तो पति के लापता होने के वियोग में पत्नी बेसूध रही। समय बीतता गया और बच्चों के भरण पोषण में दिक्कतें बढ़ने लगी। इसके बाद पत्नी ने कई बार आसाम राईफल्स यूनिट के अधिकारियों से पति के जानकारी के लिए संपर्क साधा। और परिवार को पालने के लिए मिलने वाली सहायता मांगी। लेकिन मामला दूरभाष तक ही सीमित रह गया।
जागरण ने जब उसके हाल पूछे तो रुधें गले से हीरा शर्मा ने बताया कि उसका परिवार बेहद खुशहाल था। पता नहीं किस की इस घर पर बुरी नजर लग गई। इस वक्त हालात यह है कि दो वक्त की रोटी के लिए लाले पडे़ हुए हैं। अभी तक बच्चे दूसरों की दया पर जी रहे हैं। बच्चे छोटे हैं, इनका दुखदर्द नहीं देखा जा रहा है। वह लोगों के खेतों में काम काज करके पेट पाल रही है। लेकिन उसे बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। उसने बताया कि एक ही कमरा है जो बरसात में टपक रहा। अब सर छुपाने के लिए भी जगह नहीं है। इतना कहते ही वो फफक-फफक कर रो पड़ी। हीरा को आज भी पति के सकुशल लौटने का इंतजार है। वो टकटकी लगाकर आज भी गांव के गलियारे की ओर देखा करती है।
साभार जागरण.याहू.कॉम
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