| सुदर्शन सिंह रावत की खाश रिपोर्ट्स |
उत्तराखंड अस्थाई राजधानी देहरादून से कुछ ही किलो मीटर दूर अखंडवानी भिलंग गांव की प्राथमिक विद्यालय की जर जर स्थिती के लिए बेसिक शिक्षा विभाग पूर्ण रूप से जिमेदार है एक तरफ भारत सरकार सर्ब शिक्षा अभियान पूरे देश में चला रही है वही दूसरी तरफ उत्तराखंड शिक्षा विभाग इस अभियान की धजियाँ उडाई जा रही है प्राइमेरी शिक्षा का हाल यह है कि गांव में कक्षा एक से कक्षा पांच तक कई बच्चे है पूरा स्कूल केवल एक शिक्षा मित्र के भरोसे पर चल रहा है बच्चो के भविष्य साथ खिलवाड़ किया जा रहा है शिक्षा मित्र का कहना है कि बच्चे ज्यादा है यहां पर और टीचर का होना ज़रूरी है ग्रामीण वीरेंदर सिंह कहना है कि ग्राम सभा द्वारा काफी मस्कत करने के बाद मैडम की नियुक्ति ह्वई परन्तु मैडम केवल स्कूल में १० दिन आती थी और २० दिन स्कूल बंद रहता था दस दिनों में स्कूल खुलता भी था तो १२ बजे से ३ बजे तक मैडम के इन हरकतों से तंग आकर व कई बार समझाने के बाबजूद भी कोई असर नहीं पडा यहाँ तक कि बच्चो का कहना कि मैडम न तो पढ़ाती है और न ही कभी कॉपी चेक करती. स्कूल नहीं जाऊंगा हम गरीब लोगो का यही आस लगा कर बैठे है कि हम तो नहीं पढ़ पाए हमारे बच्चे तो पढ़े परन्तु लगता है की हम लोगो का कोई सुनने वाला नहीं है सुबह से पत्थर रेत बजरी निकालते हैं. शाम तक हार्डमांस तोड़ने के बाद 200 रुपए मिलते है विकास तो दूर -दूर तक नहीं दिखाई गांव में न तो कोई अच्छी रोड आई न तो कोई रोज़गार है जबकि पूरे प्रदेश में मनेरगा. का रोजगार योजना चल रही है खेत खलियान सब बंजर पड़ गए है जब फसल पकने वाली होती है तो उसमें जंगली जानवर बंदर लंगूर हिरन सुअर आकर खा जाते है यदि खेती के भरोसे रहे तो भूखे ही रहगे गांव के लोग अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते सोचते हैं कि खेतो में कुछ नहीं होता दिन रात मजदूरी करते है कि बच्चे आगे पढ़ लिख जाएं स्कूल की स्थिती को देख कर लगता है कि गरीबो का कोई सुननेवाला नहीं है अब तो स्कूल की हालत को देखकर . बच्चे कहते हैं की पांच तक पढ़ लिया मैं आगे नहीं पढ़ूंगा. मैं किसी होटल में बाजार काम ढूंढता हूं जबकि हम सभी अभिभावक हम तो जैसे तैसे गुजारा कर लेंगे पर हमारे बच्चे पढ़ लिख जाई
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thank for connect to garhwali bati