Movie Download

Ghaur Bati Search

image ad

Chitika

Sunday, May 15, 2011

एक क्लिक पे मिलेगी खसरा, खतौनी और नकल की जानकारी उत्तराखण्ड समेत दर्जनों राज्यों ने हस्तलिखित प्रति देने पर लगाया प्रतिबंध

देहरादून। कम्प्यूटर अब तक दफ्तरों ,स्कूलों व अन्य विभागों में अपनी एहम भुमिका बनाये हुये था लेकिन अब इसकी जानकारी किसानों को होना भी जरूरत बन चुकी हैं चंूकि किसान अब अपनी जमीन का ब्योरा पटवारी या कचहरी के चक्कर काट कर नही ,अपितु उन्हे कम्प्यूटर से क्लिक करके लेना होगा।
वो दिन दूर नहीं, जब खसरा, खतौनी और नकल जैसे दस्तावेज बीते जमाने की बात हो जाएं। कचहरी की किच-किच और पटवारी की पट-पट से आपको छुटकारा मिल जाएगा। जमीन जायदाद के ये दस्तावेजी आंकड़े बस कंप्यूटर पर सिर्फ एक क्लिक पर हाजिर होंगे। सभी आंकड़े एक ही जगह और एक ही फाइल में मिल जाएंगे। तहसीलों और कचहरियों के चक्कर लगाकर चप्पलें घिस चुके लोगों को ये ख्वाब लग सकता है, लेकिन अब पूरे देश में यह सब ऑन लाइन होगा। वहां से अपनी जायदाद का ब्यौरा डाउन लोड कर चाहें तो प्रिंट लें या फिर छोटी सी पेन ड्राइव में जमीन के सभी अभिलेखों को सुरक्षित रख सकते हैं।
हालांकि, इस बीच कुछ राज्यों में निगरानी के दौरान मिली अनियमितता के मद्देनजर केंद्र सरकार ने इस योजना का गहन अध्ययन कराने और इसे गति प्रदान करने का जिम्मा लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मंसूरी को जिम्मा सौंपा है। केंद्र सरकार के इस कदम से जल्दी ही यह योजना परवान चढऩे की उम्मीद बंधी है। वैसे सभी जमीनी दस्तावेज ऑनलाइन होने का पहला चरण पूरा भी हो चुका है। देश के ज्यादातर राज्यों ने अपनी जमीन-जायदाद और उनके नक्शों को डिजिटल रूप दे दिया है।
कई राज्यों ने और आगे बढक़र किसानों को उनकी जमीन की नकल यानी भूमि के आंकड़ों कादस्तावेज हस्तलिखित देने तक पर पाबंदी लगा दी है। किसान को अपनी नकल लेने के लिए कचहरी में नाम मात्र की राशि जमाकर कंप्यूटर से निकला दस्तावेज प्राप्त कर सकता है।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात समेत लगभग एक दर्जन राज्यों ने कंप्यूटर से निकली नकल को वैधानिक मान्यता दे दी है। इन राज्यों ने हस्तलिखित प्रति देने पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।
उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश  समेत 14 राज्यों ने अपने राज्य में भूमि से संबंधित सारे आंकड़ों को इंटरनेट की वेबसाइट पर भी डाल दिया है। धीरे-धीरे लोगों को जमीन का ब्यौरा लेने के लिए लेखपाल, कानून गो, नायब तहसीलदार और तहसीलदार के चक्कर लगाने से फुर्सत मिल जाएगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की मानें तो अंडमान व निकोबार द्वीप को छोडक़र सभी राज्यों में इस योजना पर अमल किया जा रहा है।
नतीजे भी उत्साहजनक हैं, लेकिन कुछ राज्यों ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। मंत्रालय का दावा है कि देश के 141 जिलों में भूमि संबंधी अभिलेखों को शत प्रतिशत आन लाइन कर दिया गया है। देश के 27 राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों में 4434 तहसील स्तरीय आंकड़ा केंद्र और 16 राज्यों में के 1045 उप मंडल स्तरीय आंकड़ा केंद्रों के 392 जिला स्तरीय आंकड़ा केंद्रों की स्थापना के लिए केंद्रीय मदद बहुत पहले ही जारी की जा चुकी है।


No comments:

Post a Comment

thank for connect to garhwali bati

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...