उंधरयूं का बाटा’
( गांव छूटा, पहाड़ छूटा, देवदार की हवा और बांझ की जड़ों का ठंडा पानी गटकने की आदत भी छूटी। मैदान में आकर शर्मा, सिंह बनकर अपनी पहचान भी मिटा चुके हैं।)-
इंटर पास करने के बाद पहली बार 13 जुलाई को सुबह नौ बजे की बस से मैं पहाड़ से निकला था। जीएमओयू की बस मैं नेगी जी का ‘ना दौड़ ना दौड़ उंधरयूं का बाटा’ गीत बज रहा था, यह गीत मुझे रुला रहा था गीत मेरी पहाड़ से विदाई की पृष्ठभूमि में बज रहा था मेरी आंख नम हो रही थी. गांव छूटा, पहाड़ छूटा, देवदार की हवा और बांझ की जड़ों का ठंडा पानी गटकने की आदत भी छूटी। मैदान में आकर शर्मा, सिंह बनकर अपनी पहचान भी मिटा चुके हैं। शुरू -शुरू के वर्षा में हर छोटी मोटी चीज छूटने का दर्द सालता रहा। यहां तक की पड़ोस के गांव के बौड़ा, का और काकी की भी याद आती रही। जो मेरे नाम के साथ मेरे पूरे परिवार का इतिहास और जमीन जायदाद- गौड़ी भैंसी के बारे में भी जानकारी रखते थे। गांव के नौनिहाल जो कई बार नंग- धडंग होकर एक साथ हाथ पकड़ खेलते रहते भी बरबश यादों में आते। गोकि वह मेरी उम्र से काफी छोटे थे। मैं उनमें खुद के बचपन को झांकने की कोशिश करता। तिबारी में दबे पांव आने वाली ‘बिरली’ याद आती, याद आता किस तरह गांव का एक मात्र पालतू कुत्ता वक्त बेवक्त भौंकता रहता। सौंण,भादौं , के महीने की घनधोर बरसात में ‘पटाल’ से लगातार गिरती धार सालों तक कानों में बजती रही। यादों का अंधड़ कई बार परदेश के दर्द को और बढ़ा जाता। मगर दिमाग में यादों को ठुंसे रखने की एक सीमा है, फिर नए सपनों के लिए भी तो दिमाग में ‘स्पेश’ रखनी है। आखिर इन सपनों को पूरा करने के लिए ही तो पहाड़ से भाग कर आए हैं। जल्द से जल्द सैलरी बढ़ानी है, फिर यहीं कहीं दिल्ली, चंडीगढ हद से हद देहरादून की पढ़ी लिखि लड़की को ‘ब्यौंली’ बनाने का सपना सच करना है। जिंदगी अतीतजीवी होकर आगे नहीं बढ़ती, पहाड़ देखने में या यूं कहें सपने में तो अच्छे लगते हैं, पर इन्हे झेलना सचमुच कठिन है। बैकग्राउंड मजबूत नहीं हो पाने के कारण मैं तो बहुत कुछ नहीं कर पाया, लेकिन बच्चों को वह सबकुछ देना है जो मुझे नहीं मिला। हां उम्र की आखिरी ढलान पर सारी जिम्मेदारी निभाकर अपने गांव में फिर बस जाउंगा। तब न मुझे कमाने की चिंता होगी, न भविष्य की। बस किसी तरह जिस जगह जन्म लिया वहीं पर खाक भी हो जाऊं।
अब उम्र उस मुकाम पर भी पहुंच गई है। जो सपने देखे थे वो आधे अधूरे ढंग से पूरे भी हो गए हैं। पहाड़ आज भी यादों में सताता है, सच मानो तो दर्द अब कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। पर, फिर कहीं कुछ बदल गया है। नयार, हेंवल और रवासन, भागीरथी, गंगाजी में अब तक कितना ही पानी बह चुका है। एक तो शरीर कमजोर हुआ है- ब्लडप्रेशर, यबटीज जैसी शहरी बीमारियां शरीर में घर कर गई हैं। पहाड़ की उतार चढ़ाव से घुटने में भी दर्द उभर आता है। मैं तो फिर भी यह सह लूं, पर ‘मिसेज’ का क्या करुं। वह तो सड़ी गरमी में भी ‘फ्लैट’ छोड़ने को तैयार नहीं। उसके पास कई तर्क हैं, बीमारी, मौसम और सबसे बड़ा घर खाली छोड़ने पर चोरी का। बंद घरों में चोरी की खबर वह कुछ ज्यादा ही जोर से पढ़ती है।कई बार मैं भी खुद को उसके तर्क से सहमत पाता हूं, जब वह कहती है कि पहाड़ में शौचालय तक का इंतजाम नहीं है। वहां ताजा बाजारू सब्जी और फल के लिए भी कोटद्वार, ऋषिकेश जाने वाले टैक्सी वाले की चिरौरी करनी पड़ती है। और फिर तबियत अचानक बिगड़ने पर अच्छे डॉक्टर कहां हैं, ‘धार -खाल’ के सरकारी डॉक्टर के भरोसे भला गांव में रहने का रिस्क लें। वह खुद के बजाय मुझे मेरी तबीयत का हवाला देकर रोक लेती है।कई बार सोचता हूं कि गांव में कम से कम दो कमरे और एक टायलेट का पक्का मकान बना दूं। कोई नहीं भी आए तो मैं खुद ही जाकर महीने दो महीने बिता आऊं। भतीजे की ‘ब्वारी’ दो रोटियां तो दे ही देगी, हमारी फुंगड़ी भी तो वही लोग खा रहे हैं। पर डरता हूं कि मैं तो बीमारियों का भोजन हूं, साल दो साल ही और इस धरती का वासिंदा हूं। मेरे पीछे गांव के मकान की क्या उपयोगिता, मेरे बाद बच्चे मुझे कोसेंगे ही। इस कशमकश में दिन तेजी से बीत रहे हैं, और मेरी बैचेनी भी। मैं अब भी दुविधा में झूल रहा हूं। यहां में ‘अजनबी’ हूं तो वहां पर ‘अनफिट’। मुझे पहाड़ में दिल्ली की ऐश चाहिए, पर यह संभव नहीं। आखिर वह पहाड़ है, दिल्ली नहीं। बस अब कभी कभी डीवीडी पर गढ़वाली गाने बजा कर खुद को तृप्त कर लेता हूं। घर में गढ़वाली बोली पर नियंत्रण रखने वाला मैं अकेला व्यक्ति हूं, बाकि सब ‘कटमाली’ हैं। गढ़वाली गाने सुनते वक्त मैं एक भाषायी अल्पसंख्यक की तरह भय महसूस करता हूं।आज 45 बरस बाद मेरा यह संकल्प बस सपना बन कर रहा गया। ना दौड़ ना दौड मैं अब भी सुनता हूं। यह गीत अब मुझे धिक्कारता है।
संजीव कंडवाल
दैनिक जागरण ग्रुप- मेरठ में वरिष्ठ उपसंपादक के पद पर कायर्रत -यदि पढकर पहाड़ की याद ताजा हो या पहाड़ आज भी यादों में सताता है तो आपने विचार मेल पर जरुर दीजिएगां आपकी राय को ब्लाक पर प्रकाशित किया जाएगां -jaydeo34@gmail.com( यदि आपके पास भी पहाड़ से जुड़ी कोई यादगार जुडा़व या जानकारी जिसे हम आपस में बाट सके तो मेल कीजिए-)
उंधारी क बाटा - साथियों का क्या कहना हैं-
Dear sir, बहूत खुशी हुई इस बोल्ग को पड कर वो यादे ताजी हो गयी जो कि खास कर एसी ही घट्ना मेरे साथ हुई है मे बहूत अभारी हून ,संजीव जी का जिन्होने मेरे दिल की बात चुराकर सही माने मै लिखा है. वास्तव मै कैई सप्ने सपने ही रह जाते है धन्याबाद देता हू जुयाल जी को इसी तरह से आप अपने गड्वाल की यादे ताजी काराते रहे,Thnaks,
बहूत खुशी हुई इस बोल्ग को पड कर वो यादे ताजी हो गयी जो कि खास कर एसी ही घट्ना मेरे साथ हुई है मे बहूत अभारी हून जुयाल जी का जिन्होने मेरे दिल की बात चुराकर सही माने मै लिखा है. वास्तव मै कैई सप्ने सपने ही रह जाते है धन्याबाद देता हू जुयाल जी को इसी तरह से आप अपने गड्वाल की यादे ताजी काराते रहे,
कंडवाल जी नमस्कार ! बहुत खूब लिखा आप ने सच में बस घर कि यादे ताज़ी हो गयी जो सुख-चैन गाव में है ओ कही नहीं हो सकता है दीपावली में पिठ्या भैलू, होली में मिलकर होली खेलना अठवाडओ में घमाचुर का मंडाण वह अपना गाँव में पानी लेने जाना, गाय चुगने जाना अपना गाँव से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता यदि हम अपने गाँव में १ साल में चार शादी भी में भी जाते है तो हँस-खेल के नाच-कूद कर कितनी बीमारी तो दूर हो जाती है एक हम यहा है न दिवाली मना सकते है न होली न किसी से मिलना न कोई पार्टी और पार्टी है भी तो जाओ खाना खाओ चले आओ लेकिन ओ मजा अपने गाव में है ओ कही नहीं हो सकता लेकिन लोगो को उकाल का रास्ता नहीं चढ़ना है पैरो में दर्द होता है जो उंदार के रस्ते गए फिर मुड़ कर भी नहीं देखा कि अपने गाँव में क्या हो रहा है (कूदी बांज पुड्या छन) अभी भी टाइम है बौडी के आ जाओ अपने पहाड़ आप को आवाज दे रहे है ( धै लगानी छान डाडी-काठी कि बौडी कि ये जावा) एक दिन आएगा जब आप बहार वाले अपने उत्तराखंड में बस जायेंगे और हमें फिर जगह नहीं मिलेगा! नौकरी के लिए हमें जाना पड़ता है लेकिन फिर वापस नहीं आना..............कंडवाल जी आप से हमें ये सिख मिली कि अभी भी यदि हम कही दूर परदेश में जाकर बस गए तो लौट कर अपना देवभूमि उत्तराखंड को न भूले नहीं तो एक दिन हमें भी इसी तरह से पचाताप होगा जिस तरह से आप को हो रहा है! धन्यबादअपणु मूलक गाँव सी बढिक कुछ नी छ ये संसार मालोग बिचार कण बाघन चन बघाद पानी का धार मा !अपना मनखी उन्द भगणा छान बिदेशी बस्या छ्न घर मा चला दग्डियो बौढीक जौला, रोपणी लगौला स्यार मा !!(¨`·.·´¨)स्टेडियम के लिए अभी करना होगा छह माह और इंतजारश्रीनगर।
खेलने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए नैथाना और रानीहाट के खेल प्रेमियों को स्टेडियम के लिए कम से कम अभी छह माह और इंतजार करना होगा। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की कार्यदायी संस्था जीवीके द्वारा नैथाना में बेहतर स्टेडिमय निर्माण का कार्य जोरों पर है। क्षेत्र के युवा प्रतिभाओं को बेहतर मंच प्रदान करने के लिए कंपनी इस स्टेडिमय का निर्माण कर रही है।नैथाना में अलकनंदा के समीप वर्षों से बजर पड़ी लगभग 1० नाली भूमि पर जीवीके कंपनी द्वारा स्टेडिमय निर्माण किया जा रहा है। जबकि उ1त भूमि ग्रामीणों की गौचरान की भूमि थी और स्टेडिमय निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होने से ग्रामीणों के सामने चारे की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। बावजूद नैथाना तथा रानीहाट के लोगों को इस स्टेडिमय निर्माण होने से क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा मिलने के साथ ही सामाजिक गतिविधियां बढऩे की उ6मीद जता रहे हैं।
मनमोहन सिंह रावत का कहना है कि स्टेडियम निर्माण के धुल से क्षेत्र के लोगों को भारी दि1कतें झोलनी पड़ रही है, लेकिन जब यह स्टेडियम पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ जाएगा, निश्चित ही क्षेत्र को नई पहचान भी मिलेगी। 1योंकि इस पूरे क्षेत्र में कही भी स्टेडियम नहीं है। जीवीके कंपनी के सीईओ संतोष रेड्डी ने कहा कि स्टेडिमय निर्माण का कार्य प्रगति पर है और छह माह के अंतर्गत निर्माण कार्य पूर्ण होने की उ6मीद है।
इंटरमीडिएट के चार विषयों की परीक्षाएं स्थगितउ8ाराखंड
बोर्डटिहरी गढ़वाल में प्रश्नपत्र चोरी का असर
रामनगर।
गढ़वाल मंडल के टिहरी जिले में उ8ाराखंड बोर्ड परीक्षा के चार विषयों के प्रश्नपत्र चोरी होने से महकमे में हड़कंप मच गया। विभागीय अधिकारियों ने इन चारों विषयों की परीक्षा स्थगित कर दी हैं। मामले की जांच पड़ताल के लिए बोर्ड के अपर सचिव दामोदर पंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए हैं।उ8ाराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के संयुक्त सचिव प्रदीप रावत ने बताया रविवार रात चोरों ने टिहरी जिले के राइका कुंड भरपूरखाल में कार्यालय और अलमारी के दरवाजे तोड़ डाले। चोरों ने वहां रखे इंटरमीडिएट गणित, संस्कृत, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी के प्रश्नपत्र चोरी कर ले गए। इंटर गणित की परीक्षा सोमवार की दूसरी पाली में सायं दो से पांच बजे तक होनी थी, लिहाजा गणित समेत इसी पाली में २५ मार्च को पूर्व निर्धारित संस्कृत, २६ को अर्थशास्त्र, २८ को अंग्रेजी विषय की परीक्षाएं स्थगित कर दी गयी हैं, जबकि सोमवार को इंटर गृहविज्ञान, कृषि गणित एवं प्रारंभिक सां2ियकी पंचम प्रश्नपत्र, कृषि शस्य विज्ञान षष्टम प्रश्नपत्र की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हुईं। इंटरमीडिएट समाजशास्त्र विषय की परीक्षा मंगलवार को ही होगी, जबकि स्थगित विषयों की परीक्षा तिथि शीघ्र घोषित की जाएगी। सचिव एनसी कबड़वाल ने बताया परीक्षाओं की गरिमा, गोपनीयता बनाए रखने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
उधर, टिहरी के जिला शिक्षाधिकारी रामअवध प्रसाद ने बताया यह विद्यालय देवप्रयाग 4लाक के दूरस्थ गांव में स्थित है। चोरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर वहां के केंद्र व्यवस्थापक, कस्टोडियन समेत दोनों रात्रि चौकीदारों से पूछताछ की जा रही है। शिक्षा विभाग के साथ ही पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे हैं।
हाईकोर्ट ने खारिज की अमरमणि की जमानत याचिकानैनीताल।
कवियत्री मधुमिता शु1ला हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे उ8ार प्रदेश के पूर्व मंत्री और विधायक अमरमणि त्रिपाठी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। सोमवार को हाईकोर्ट में अमरमणि की जमानत अर्जी पर हुई सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति बीसी कांडपाल और न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया की संयु1त खंडपीठ ने जमानत प्रार्थना पत्र के साथ-साथ सजा स्थगित करने संबंधी प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया।उल्लेखनीय है कि कवियत्री मधुमिता शु1ला हत्याकांड के आरोप में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि समेत रोहित चतुर्वेदी एवं संतोष राय को सीबीआई की विशेष अदालत ने २४ अ1तूबर २००७ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद चारों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इस अपील में अमरमणि की ओर से जमानत दिए जाने हेतु प्रार्थना पत्र भी दिया गया था। पिछले सप्ताह चुनाव में भागीदारी की बात कहते हुए अमरमणि की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया था। इसके साथ ही अमरमणि की ओर से सजा स्थगित करने के लिए भी एक प्रार्थना पत्र न्यायालय में दिया गया था।
सोमवार को मामले में अमरमणि की ओर से बहस करते हुए यूपी के पूर्व महाधिव1ता विरेंद्र भाटिया व वरिष्ठ अधिव1ता विनोद प्रकाश श्रीवास्तव ने अमरमणि को मामले में आपराधिक षड्यंत्र में झाूठा फंसाने का आरोप लगाते हुए जमानत की मांग की। उन्होंने कहा प्रथम सूचना रिपोर्ट में अमरमणि नामजद नहीं हैं और उनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं है। न्यायालय को बताया गया कि मामले के पांचवें अभियु1त प्रकाश पांडे को निचली अदालत ने साक्ष्य के अभाव में निर्दोष माना है।
याची के अधिव1ताओं ने कहा अमरमणि आगामी लोकसभा चुनाव में भागीदारी करना चाहते हैं जिसके लिए उनकी सजा को स्थगित किया जाना जरूरी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में सजा को स्थगित किया है। जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई के अधिव1ता और मृतका की बहिन निधि शु1ला के अधिव1ता पीएस अधिकारी ने मामले को जमानत के योग्य नहीं बताया। उन्होंने न्यायालय को बताया कि २९ अप्रैल २००४ को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमरमणि को जमानत दे दी थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद २६ सितंबर २००५ को अमरमणि की जमानत निरस्त कर दी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय की संयु1त खंडपीठ ने अमरमणि के जमानत प्रार्थना पत्र के साथ-साथ उनकी सजा स्थगित करने संबंधी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
नैनो की लांचिंग से सिडकुल प्लांट में दीवालीप्लांट में उमड़ा नैनो के दीदार को लोगों का हुजूम
हल्द्वानी/रुद्रपुर।
लखटकिया कार नैनो की मुंबई में लांचिंग से सिडकुल स्थित टाटा कारखाने में उत्सव जैसा माहौल रहा। अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर प्रोजे1ट की सफलता पर खुशी मनाई। कंपनी के कई अधिकारी मुंबई के संपर्क में रहे। आम आदमी के सपनों की कार से मुंबई में पर्दा उठने के बाद ग्राहकों में जबर्दस्त उत्साह दिखा। पंतनगर प्लांट में भी नैनो के दीवार के लिए लोगों में उत्साह रहा।सपनों की लखटकिया कार नैनो के निर्माण को लेकर टाटा ग्रुप को खासी मश1कत करनी पड़ी। कंपनी ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो निर्माण का कारखाना स्थापित किया पर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के विरोध पर सिंगूर से इसे हटाना पड़ा। बाद में पंतनगर सिडकुल स्थित टाटा कारखाने में नैनो का निर्माण शुरू किया गया। निर्माण की रस्साकसी को लेकर नैनो प्रोजे1ट सुर्खियों में रहा और लोगों में सपनों की कार देखने की उत्सुकता बढ़ गई।
सोमवार को मुंबई में टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने नैनो के तमाम रहस्यों से पर्दा उठाया। पंतनगर में निर्मित नैनो का सफल ट्रायल के बाद उसे देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भेजा रहा है। पंतनगर प्लांट अफसरों ने नैनो प्रोजे1ट की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए मिठाइयां बांटी। सिडकुल के क्षेत्रीय प्रबंधक एनसी पंत ने बताया कि टाटा के नैनो प्रोजे1ट से राज्य सरकार को करीब दो सौ करोड़ राजस्व मिलेगा।
बद्री-केदार के कपाट खुलते ही यात्रियों को चमाचम व्यवस्था
कपाट खुलते ही मिलेगी चमाचम व्यवस्थाजीएमवीएन १५ दिन पहले ही पूरी कर लेगा
बद्री-केदार के कपाट खुलते ही यात्रियों को चमाचम व्यवस्था मिलेगी। परिवहन से लेकर गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के रेस्ट हाउस पूरी तरह तैयार कर दिए जाएंगे। इसके लिए जीएमवीएन की ओर से कर्मियों को १५ दिन पहले रवानगी की बात की जा रही है। इसके लिए कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक को निर्देश दे दिया गया है।पिछले साल तक कपाट खुलने के बाद जीएमवीएन तैयारियां शुरू करता था। ऐसे में कपाट खुलने के अगले १० दिनों तक काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। परिवहन से लेकर ठहरने और खाने-पीने तक के लिए दि1कतें उठानी पड़ती थी, लेकिन इस वर्ष निगम की ओर से नया प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए निगम की ओर से कपाट खुलने के पहले ही पूरी तैयार कर ली जाएगी। खासतौर पर यात्रा मार्ग पर स्थित ८९ रेस्ट हाउसों, कैंटिनों और बर्फ की सफाई ठीक से कर ली जाएगी। निगम के जीएम युगल किशोर पंत ने बताया कि यात्रा सीजन के लिए यह कवायद पहली बार की जा रही है, जिससे खासतौर पर देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले लोगों को परेशानी न उठानी पड़े। उन्होंने बताया कि यात्रा की सुगमता के लिए निगम द्वारा टूअरों, आवास गृहों का आरक्ष्ज्ञण की सुविधा इंटरनेट के माध्यम से उपल4ध करा जा रही है।
नैनो की बिक्री से उत्तराखंड को भी उम्मीद है कि यह कार सरकार को करीब 200 करोड़ की कमाई कर दे सकती है। उत्तराखंड को आशा है कि टाटा मोटर्स अधिकतर नैनो कारें उत्तराखंड से बेचेगा। उत्तराखंड सरकार ने हाल में पंतनगर में शुरू टाटा मोटर्स डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लि. को पत्र लिखकर अपनी अधिकतर कारें उत्तराखंड से ही बेचने का अनुरोध किया है। सरकार को आशा है कि पंतनगर के टाटा के कारखाने में बन रही नैनो कारों और अन्य वाहनों की बिक्री से उसे 12.5 प्रतिशत वैट के जरिए 100 से 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है। अपर आयुक्त वाणिज्य कर यूएस बिष्ट का कहना है उत्तर भारत में नैनो पंतनगर से ही वितरित की जानी है, इसलिए फैक्ट्री से बाहर आने पर लगने वाले 12.5 प्रतिशत वैट से उत्तराखंड की सीधी कमाई होगी। अगर स्टाक ट्रांसफर किया गया तो उत्तराखंड को लाभ नहीं होगा। मालूम हो कि टाटा मोटर्स को इकाई स्थापित करने के लिए पंतनगर में सरकार ने उसे हजार एकड़ कृषि भूमि आवंटित की है। इसके अलावा पिछले साल डिस्ट्रीब्यूशन इकाई स्थापित करने के लिए टाटा को 20 एकड़ और फिर विस्तार के लिए 40 एकड़ अतिरिक्त भूमि दी गई थी। सिंगुर कांड के बाद टाटा ने पंतनगर में अस्थायी तौर पर नैनो निर्माण शुरू किया था। हाल ही में प्रदेश सरकार ने टाटा मोटर्स से पंतनगर में स्थायी तौर पर नैनो उत्पादन करने का अनुरोध किया है। मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे ने हाल में मीडिया को बताया था कि टाटा पंतनगर इकाई को स्थायी इकाई बना सकता है। वैसे नैनो अप्रैल के पहले हफ्ते से टाटा डीलरों के शोरूम में डिस्पले के लिए आएगी। दूसरे हफ्ते में इसकी बुकिंग शुरू हो जाएगी। टाटा मोटर्स को उम्मीद है एक साल में एक लाख नैनो बाजार में आ जाएंगी। नैनो के शुरुआत में तीन माडल होंगे-नैनो बेस, सीएक्स मिड लेवल और एलएक्स टाप लेवल माडल। पुणे से आने वाली नैनो की एक्स फैक्ट्री कीमत एक लाख से ज्यादा नहीं होगी। बुकिंग फार्म एसबीआई, वेस्टसाइड, क्रोमा स्टोर्स और टाटा मोटर्स के 400 डीलरों से मिल सकेंगे। यह लांचिंग से केवल 14 दिन तक मिलेंगे।
भूख
जब कोइ मुझ से पूछता है कि,क्या, तुमने . कभी नियति को देखा है ?तो, न जाने क्यूँ तब मेरी निगाहें बरबस मेरी हथेलियों कि रेखाओ पर जाकर टिक जाती है औरढ़ुढ़ने लगती है उन रेखाओ के बीच फसेमेरे मुक्कदर को ... सुना है रेखाए भाग्य कीप्रतिबिम्ब होती है जिसमे छुपा होता है हर एक का कल कल किसने देखा है आज जिंदा रहूंगा तो कल देखूंगा ना ?
अगर बच गया तो,फिरसे सारे सब्द , नियति ,सयम ,परितार्नाये रचने लगेगे अपने अपने चकबयूह मुझे घेरने का ! इससे अछा तो मैअपनी हथेलियों को बांध करदू ना बजेगी बांस , ना बजेगी बांसुरी आज फसर के सो जाता हूँ कल की कल देखेंगे नियति से कल निपट लेगे !
पराशर
Collaboration request
5 months ago
No comments:
Post a Comment
thank for connect to garhwali bati