शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धज्जियां
(सुदर्शन सिंह रावत) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से कुछ ही किलो मीटर दूर श्यामा प्रसाद अभिनव विद्यालय में स्कूल प्रबंधको की मनमानी के कारण जिन बच्चो के हाथ में पेन और किताबे होने चाहिए थी आज उन छोटे-छोटे नौनिहाल के हाथों में पानी कि बाल्टी है देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम भले ही लागू हो लेकिन छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को बुनियादी शिक्षा के दायरे में लाने वाले इस कानून पर अमल से उत्तराखंड में अभी कोसों दूर है। तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश के स्कूलों में कोई सुधार नहीं हो रहा है सूबे में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जिनमें बच्चों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सूबे के बदहाल शैक्षिक परिदृश्य को उजागर करती है एक तरफ भारत सरकार सर्ब शिक्षा अभियान पूरे देश में चला रही है वही दूसरी तरफ श्यामा प्रसाद अभिनव विद्यालय द्वारा इस अभियान की धज्जियां उडाई जा रही है! ग्रामीणों ने कभी भी न सोचा होगा की जिन बच्चों के बेहतरी के लिए हम सरकारी स्कूलो को छोड़कर अच्छी शिक्षा के लिए डॉ श्यामा प्रसाद अभिनव विद्यालय में में बच्चो को भेज रहे है अपने बच्चो का हाल देख कर भोचक है यहां तक छोटे-छोटे नौनिहाल मासूमों का कहना है कि उन्होंने अपने घरों में कभी पानी नहीं भरा, जिससे उनके हाथ और पैरों में भी दर्द होता है। यदि कहना न माने तो स्कूल में पिटाई होती है यहाँ तक आस पास के लोगो का कहना है की प्रसाशन द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है ! अब इसे स्कूल की लापरवाही कहे या शिक्षा बिभाग कि लापरवाही ?
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