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Wednesday, November 28, 2012

आधे-अधूरे विद्यालय भवन में कैसे हो शिक्षण

http://garhwalbati.blogspot.in

 रुद्रप्रयाग: सरकार ने प्रदेश के जीर्ण शीर्ण विद्यालय भवनों के स्थान पर नए भवनों की स्वीकृति प्रदान तो कर दी, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पाया। जखोली क्षेत्र के आधा दर्जन विद्यालयों में स्वीकृत नए भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण न होने से पुराने जीर्ण शीर्ण भवनों में ही दहशत के साए में छात्र पढ़ने को मजबूर हैं।
चार दर्शक से भी पुराने जीर्ण शीर्ण विद्यालयों में छात्रों का पठन-पाठन का कार्य हो रहा है। भवनों की बदहाल स्थिति को देखते हुए पुराने भवनों के स्थान पर सरकार ने नए भवनों की स्वीकृति दी थी ताकि छात्रों को पठन-पाठन में आसानी हो सके। लेकिन, नए भवनों का निर्माण अधर में लटकने से विद्यालयों में संकट और भी गहरा गया है। हालात यह है कि कई विद्यालयों मे एक कमरे में दो से तीन कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही है। निर्माणदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम उत्तर प्रदेश द्वारा राजकीय इंटर कालेज कैलाश बांगर, चौरियां, सौंराखाल, घंघासू, चोपता अन्य विद्यालयों के लिए स्वीकृत नए भवनों का निर्माण कार्य विगत पांच वर्षो से निर्माण कार्य अधर में लटका है, तथा आधा अधूरे भवन लावारिश हालात में छोड़ दिए हैं। इससे आधे अधूरे भवनों विद्यालय भवनों से पठन-पाठन होना स्वाभाविक नहीं है। इसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।
jagran.com se sabhar

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