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चकराता: बनियाना गांव में 'जाको राखे साईयां मार सके न कोय' कहावत चरितार्थ हुई। सुरक्षा दीवार गिरने से दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया। मकान में बैठकर हुक्का पी रहा व्यक्ति चिलम बुझने पर जैसे ही उसे सुलगाने बाहर निकला, तो पीछे से मकान धड़ाम होकर गिर गया। खुले आसमान के नीचे आए परिवार को दूसरे के घर में शरण लेनी पड़ी।
जब किस्मत साथ देती है तो बुरा वक्त भी टल जाता है। इसका ताजा वाक्या बुधवार को चकराता तहसील क्षेत्र के दुर्गम बनियाना गांव में देखने को मिला। बीते दिनों से हो रही बारिश व बर्फबारी के कारण नानू पुत्र दणी के मकान पर भूस्खलन का मलबा व सुरक्षा दीवार गिरने से उसका दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया। भाग्य ने ऐसा साथ दिया कि जिस समय यह हादसा हुआ, उससे चंद मिनट पहले घर में आराम से हुक्का पी रहे नानू के हुक्के की चिलम बुझ गई, जिसे सुलगाने वह बाहर निकला ही कि अचानक पूरा मकान धड़ाम हो गया। गनीमत रही कि उस समय घर में अंदर कोई मौजूद नहीं था। सब अपने-अपने काम से बाहर थे।
दो मंजिला मकान पर भूस्खलन का मलबा व सुरक्षा दीवार के बड़े-बड़े पत्थर छत पर गिरने से आवासीय भवन के दोनों कक्ष टूट गए। देवदार की लकड़ी से बने भवन के टूटने से घर में रखे जेवर, नगदी राशन व बर्तन, बिस्तर दब गए हैं। काफी सामान क्षतिग्रस्त हो गया है। इस हादसे के बाद से पीड़ित नानू का परिवार पूरी तरह निराश्रित हो गया। उसने गांव के ही दूसरे परिवार के यहां पर शरण ली।
पीड़ित ने इसकी सूचना चकराता तहसील प्रशासन को देते हुए सहायता की गुहार लगाई है। उधर, तहसीलदार चकराता हरिदत्त जोशी ने बताया कि बनियाना गांव के अनुसूचित जाति परिवार के नानू के आवासीय मकान टूटने के मामले में क्षति के आकलन के लिए गुरुवार को क्षेत्रीय पटवारी को घटनास्थल का मुआयना कर रिपोर्ट मांगी है। पीड़ित को तीन दिन के भीतर सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
उधर, डीएम डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने पीड़ित को दूसरे दिन भी तत्कालीन सहायता न मिलने पर हैरत जताई। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को शीघ्र सहायता दिलाने के लिए चकराता एसडीएम को निर्देशित कर दिया गया है।
jagran.com se sabhar
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