देहरादून। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि बजट में आम आदमी के साथ खिलवाड़ किया गया है। इससे भविष्य में महंगाई और बढ़ने की आशंका है। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बजट से गरीब, मध्यम, ग्रामीण व शहरी लोगों को विशेष सौगात मिली है। मंहगाई पर भी अंकुश लगाने का प्रयास किया गया है।
बजट को लेकर भाजपा और कांग्रेस की अलग-अलग प्रतिक्रिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बजट को उत्ताराखंड विरोधी करार दिया है और औद्योगिक पैकेज की अवधि नहीं बढ़ने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पैकेज की अवधि के संबंध में आश्वस्त किया था पर इस पर कोई पहल नहीं की गई। महंगाई को नियंत्रित करने में भी बजट में कोई प्रावधान नहीं है। इससे महंगाई और बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। वित्ताीय घाटे को नियंत्रित करने में भी केंद्र सरकार असफल रही है। हिमालयी राज्यों के लिए बजट में ग्रीन बोनस की बात नहीं है, जबकि इस मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने घोषणा भी की है। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने कहा कि औद्योगिक पैकेज बंद होने से राज्य के विकास एवं रोजगार को झटका लगेगा। भाजपा इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। एक तरह से बजट पूरी तरह निराशाजनक है। राज्य ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहाकार परिषद के अध्यक्ष अजय भंट्ट ने कहा कि राज्य से लोकसभा में कांग्रेस के पांच सांसद होने के बावजूद केंद्र ने उत्ताराखंड के मामलों में विचार तक नहीं किया। उत्ताराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला तथा भाजपा के प्रदेश सह प्रवक्ता सतीश लखेड़ा ने बजट को जनविरोधी करार दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि बजट में महंगाई से राहत देने की कोशिश है। बीपीएल के लिए अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। गंगा की सफाई के लिए विशेष वित्ताीय व्यवस्था की गई है। राज्य को भी अधिक धनराशि देने का रास्ता खोला गया है। बजट जनता को राहत देने वाला है। प्रवक्ता राजीव महर्षि ने बजट को जनता के हित में बताया है। पूर्व मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने कहा कि बजट से देश के आर्थिक व सामाजिक विकास का ताना-बाना मजबूत होगा। पूर्व मेयर मनोरमा शर्मा ने कहा कि बजट में महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक व्यवस्थाएं की गई हैं। यदि भाजपा समर्थित पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट में न गई होती तो उत्ताराखंड के लिए औद्योगिक पैकेज की अवधि आसानी से बढ़ सकती थी। इसके बावजूद पैकेज बढ़ाने के प्रयास जारी रहेंगे।
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