चम्पावत। खुशगवार मौसम के चलते चम्पावत जनपद में होली का रंग होलियारों पर खूब चढ़ा है। फागुन की इस मस्ती में अब होली के स्वर भी उनमुक्त हो गए है। हास-परिहास, हंसी-ठिठोली के साथ ही छेड़छाड़ का रंग होली में खिलने में लगा है।
तीसरे रोज शुक्रवार को यहां की होलियों में हंसी ठिठोली का गायन चरम पर हो रहा है। घर-घर जा रही होलियों में अचला मेरो छोड़ श्याम, तेरी गऊ चली वृन्दावन को, बृजमंडल देश देखो रसिया, चल कहो तो यहीं रम जाए, गोरी नैना तुम्हारे रसा भरे, चल उड़जा भंवर तो को मारेगे जैसे उन्मुक्त गीत गाकर होलियार मस्ती में झूम रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों में होली का घर-घर जाकर गायन जारी है, वहीं बैठकी होली के राग भी खूब सज रहे है। चाराल क्षेत्र के अलावा चम्पावत, लोहाघाट, पाटी व बाराकोट के ग्रामीण अंचलों में होलियों के स्वर हर एक को फागुन की फगुनाहट में बौराए हुए है। हर ओर मस्ती, हुड़दंग और उल्लास का माहौल है। महिलाओं की होली भी खूब परवान चढ़ी है। बिन पिए होली को खेलें, मत मारो मोहन पिचकारी, मेरे रंगीलों देवर घर आ रौ छ, ये उभरा जोवन थमता ना, जेठानी तुमरो देवर हमसे ना बोले, पटव्वा मेरों मीत मोहन माला दे गयो, कर लो अपनो ब्याह ओ देवर हमरो भरोसो जनि करियो आदि होलियों के स्वर मदमस्त किए हुए है।
पत्रकारिता में शब्द-विन्यास का लुप्त होता जा रहा स्तर। बेहतरीन लेखन और प्रस्तुति।
ReplyDeleteबधाई।