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स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के बाद मेहनतकशों की आवाज बुलंद करने वाले 'पेशावर कांड' के महानायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह सरकारों की उपेक्षा के चलते अभी तक नहीं मिल पाया है। पेशावर कांड की 81वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के तत्वावधान में शनिवार को आयोजित गोष्ठी में यह पीड़ा उभरी। इस मौके पर गढ़वाली के शुरू किए गए संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प भी लिया गया।
पंचायती मंदिर सभागार में हुई गोष्ठी में पेशावर के ऐतिहासिक सैनिक विद्रोह और इसके महानायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर रोशनी डाली गई। अध्यक्षता करते हुए पद्मभूाषण कुंवर सिंह नेगी ने गढ़वाली को समुचित सम्मान न मिलने पर दुख व्यक्त किया। जिला पंचायत अध्यक्ष शिव प्रसाद देवली ने कहा कि 23 अपै्रल का ऐतिहासिक दिन संघर्ष में शामिल लोगों को सलाम करने और संघर्ष को आगे बढ़ाने को संकल्प लेने का है। जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि गढ़वाली सही मायने में जनता के दुख-दर्द को समझते थे। माकपा नेता राजेंद्र पुरोहित ने किसानों के बुनियादी सरोकारों से जुड़े आंदोलनों में गढ़वाली जी की भूमिका को याद किया। सपा के महामंत्री डा.एसएन सचान ने भावी पीढ़ी को गढ़वाली जी के व्यक्तित्व-कृतित्व से रूबरू कराने पर बल दिया। गोष्ठी में चद्रकुंवर शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ. योगंबर बत्र्वाल, सीपीआइ के जीत सिंह, बीजीवीएस के प्रांतीय मंत्री विजय भट्ट, एआइएलयू के संयोजक शार्दुल पंवार, माकपा के जिला सचिव सुरेंद्र सजवाण, धीरज नेगी आदि ने विचार रखे। उधर, पर्यावरण एवं सामाजिक सुधार समिति की बैठक में भी पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली को याद किया गया। बैठक में प्रभात डंडरियाल, सुरेश दास, सचिन गौनियाल, अरविंद गुप्ता, राजकुमार बत्रा, नीरज यादव, विजय पाहवा, सुशील विरमानी आदि मौजूद थे।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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