गढ़वाल के घने जंगलों में वन्य पशुओं का खूनी खेल सालों से जारी है
पौड़ी गढ़वाल। हिंसक वन्य जीवों के हमले में 12 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए है। वन विभाग ने कागजों में घटनाएं तो दर्ज कर दी, लेकिन अभी तक मृतकों के परिजनों को मुआवजे की धनराशि नहीं बांटी गई है। वजह शासन से धनराशि जारी न किया जाना बताया जा रहा है। गढ़वाल के घने जंगलों में वन्य पशुओं का खूनी खेल सालों से जारी है। आजादी से पहले यह खतरा कम इसलिए कम था कि लोग वन्य जीवों से स्वयं ही निपटते थे। इसके बाद वन संबंधी कड़े कानून तैयार हुए और अब वन्य पशुओं की मौत पर सीधे गैर जमानती वारंट जारी होते हैं। बाघ, भालू, तेंदुए की मौत पर 5 लाख तक का जुर्माना व 5 साल की सजा का प्रावधान है। जुर्माने की राशि वन विभाग बढ़ा भी सकता है।
वर्ष 2008 व 9 में गढ़वाल में वन्य पशुओं के निवाले बने लोगों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। जनपद पौड़ी, रुद्रप्रयाग व चमोली में वन्य जीवों की वारदातों का 20 करोड़ रुपया मुआवजा लोगों को अभी तक नहीं मिला है। इसे लेकर कई बार वन विभाग में जनप्रतिनिधियों व जनता ने हो-हल्ला भी किया, लेकिन इसके बाद भी विभाग मुआवजे की धनराशि अदा नहीं कर रहा। मंडल मुख्यालय पौड़ी में 11 जून को हुई बैठक में प्रमुख सचिव एवं आयुक्त ग्राम्य विकास सुभाष कुमार ने वन विभाग से जब इसे लेकर सवाल किया तो मुख्य वन संरक्षक दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट कहा कि मुआवजा वितरण के लिए वन विभाग को 60 करोड़ की आवश्यकता है। प्रमुख सचिव ने भरोसा दिया कि इस मामले को वे मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे। बहरहाल वन विभाग की नीतियों में खामियों के चलते लोगों को मुआवजे की धनराशि नहीं मिल पा रही है। गढ़वाल सांसद से जब इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे शासन को पत्र भेजेंगे।
वन्य जीव हिंसा के मामले
गढ़वाल वनप्रभाग पौड़ी
मृतकों की संख्या 3, घायलों की संख्या 19, मुआवजे की राशि 4 लाख 85 हजार, पशुधन की संख्या 221 मुआवजा राशि 8 लाख 35 हजार
http://garhwalbati.blogspot.com
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