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Tuesday, June 29, 2010

ब्लड न मिलने के कारण जिंदगी से हाथ धोना पड़ा

ब्लड न मिलने के कारण जिंदगी से हाथ धोना पड़ा
कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। पांच वर्षीय रिंकी के शरीर में तेजी से खून की कमी हो गई व उसकी हालत बिगड़ने लगी। परिजन उसे चिकित्सालय लेकर पहुंचे तो चिकित्सकों ने तत्काल खून चढ़ाने का सुझाव दिया। कोटद्वार में ब्लड नहीं मिला और देहरादून ले जाते हुए रिंकी ने दम तोड़ दिया। रिंकी अकेली नहीं, जिसे समय पर ब्लड न मिलने के कारण जिंदगी से हाथ धोना पड़ा, लेकिन सरकारी अमले को क्या परवाह, उसकी बला से। कोटद्वार में ब्लड बैंक के लाइसेंस के आवेदन की फाइल पिछले दो महीनों से केंद्रीय औषधि नियंत्रक के कार्यालय दिल्ली में धूल फांक रही है।
वर्ष 2002 में तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने जनता की मांग पर राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में ब्लड बैंक निर्माण की घोषणा की थी। निर्माण कार्यो का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग को सौंपा गया। कछुवा गति से कार्य करते हुए विभाग ने गत वर्ष उक्त भवन राजकीय संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन के सुपुर्द कर दिया व चिकित्सालय प्रशासन ने भवन निर्माण पूर्ण होने के साथ ही लाइसेंस प्रक्रिया शुरू कर दी।
गत वर्ष 18 जुलाई को केंद्र व प्रदेश के औषधि नियंत्रक दल की टीम ने ब्लड बैंक का निरीक्षण किया व प्रशिक्षित लैब टेक्निशियन की तैनाती सहित कुछ अन्य कमियों को दूर करने के बाद ब्लड बैंक को लाइसेंस देने की बात कही। उत्तराखंड राज्य एडस नियंत्रण समिति ने एक पैथोलॉजिस्ट व एक लैब टेक्नीशियन को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल प्रशिक्षिण के लिए भेजा। ब्लड बैंक में प्रशिक्षित पैथोलॉजिस्ट व लैब टेक्निशियन की तैनाती के साथ ही गत 18 अप्रैल को चिकित्सालय प्रशासन ने ब्लड बैंक लाइसेंस संबंधी फाइल राज्य औषधि नियंत्रण समिति को भेज दी, 21 अप्रैल को फाइल केंद्रीय औषधि नियंत्रक कार्यालय दिल्ली भेज दी गई। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय कार्यालय पिछले दो महीनों से इस फाइल को दबाए बैठा है। स्वयं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.आरपी बडोनी ने दिल्ली पहुंच कर केंद्रीय औषधि नियंत्रक को कोटद्वार में ब्लड बैंक की गंभीरता से अवगत कराते हुए अविलंब लाइसेंस निर्गत करने का अनुरोध किया, लेकिन वहां से यह कहते उन्हें टाल दिया कि लाइसेंस डाक से उत्तराखंड शासन को भेज दिया जाएगा। सीएमएस डा.बडोनी ने बताया कि उनकी ओर से कई बार केंद्रीय औषधि नियंत्रक से दूरभाष पर भी लाइसेंस निर्गत कराने का अनुरोध किया गया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। उन्होंने बताया कि लाइसेंस के तमाम प्रोसेस पूर्ण हो चुके हैं, अब इंतजार है तो मात्र लाइसेंस के जारी होने का।

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